जिले के लिए नासूर बन गया है बरेला का
पावर प्लांट!
(प्रेम कुमार जैन)
घंसौर (साई)। लखनादौन विधानसभा के
अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड के ग्राम बरेला में लगने वाले देश के
मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान्
मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का पावर प्लांट काम आरंभ करने के पहले ही सिवनी जिले के
लोगों को करंट के झटके दे रहा है। कथित तौर पर घंसौर क्षेत्र के कुछ ब्लेकमेलर
नेता नुमा ठेकेदारों के कब्जे में संयंत्र प्रबंधन पूरी तरह बेबस ही नजर आने लगा
है।
बताया जाता है कि घंसौर क्षेत्र के कुछ
ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों द्वारा क्षेत्र के भोले भाले आदिवासियों को जब चाहे
तब गुमराह कर संयंत्र प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन पर बिठा दिया जाता हैं। बताया जाता
है कि उक्त ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों द्वारा बाद में पावर प्लांट प्रबंधन से
इन आदिवासियों को शांत कराने के एवज में लंबी रकम ऐंठ ली जाती है।
पिछले दिनों झाबुआ पावर लिमिटेड के इस
पावर प्लांट को पानी प्रदाय करने के लिए बरगी बांध में गड़ाघाट से बरेला तक खींची
जाने वाली पाईप लाईन के रास्ते में पड़ने वाले एक मंदिर को हटाने के लिए आदिवासी
तैयार नहीं थे। संयंत्र के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस
मंदिर को हटाने के एवज में किसी बिचौलिए द्वारा एक करोड़ की राशि की मांग रखी गई
थी।
सूत्रों ने आगे बताया कि जब मामला नहीं
सुलटा तब संयंत्र प्रबंधन ने थक हार कर ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों की शरण में
अपने आप को ले जाया गया। चर्चा है कि उक्त ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों को इस
काम के लिए पच्चीस लाख और आंदोलन करने वालों को पांच लाख रूपए की राशि दी गई है।
इन बातों में कितनी सच्चाई है यह बात तो संयंत्र प्रबंधन जाने या नेता नुमा
ठेकेदार, पर जबसे बरेला में यह पावर प्लांट संस्थापित होना आरंभ हुआ है घंसौर
क्षेत्र का अमन चैन छिन गया है।
2009 में पहली लोकसुनवाई के समय संयंत्र
प्रबंधन ने क्षेत्र के लोगों के लिए लोक लुभावने वायदे किए थे। उस वक्त कहा गया था
कि संयंत्र की संस्थापना का काम आरंभ होते ही क्षेत्र में खुशहाली आ जाएगी। लोगों
को रोजगार मिलेगा, बच्चों की पढ़ाई के लिए संयंत्र प्रबंधन द्वारा स्कूल खोले जाएंगे, बेहतर इलाज के लिए चिकित्सालय खोले
जाएंगे।
जबसे काम आरंभ हुआ उसके बाद से घंसौर
क्षेत्र के लोग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि क्षेत्र
के ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों ने संयंत्र प्रबंधन के साथ सांठगांठ कर
आदिवासियों को छलना आरंभ कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि इस तरह के ब्लेकमेलर
नेता नुमा ठेकेदारों द्वारा ग्रामीणों की भावनाएं भड़काकर उन्हें संयंत्र प्रबंधन
के खिलाफ खड़ा कर दिया जाता है, और बाद में ग्रामीण जब आंदोलन करने लगते
हैं तो ये लोग पीछे से हट जाते हैं और संयंत्र प्रबंधन से हाथ मिलकार अपना उल्लू
सीधा कर लेते हैं।
ग्रामीणों में संयंत्र प्रबंधन और इस
तरह के ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों के प्रति रोष और असंतोष जमकर पनप रहा है।
अप्रैल माह में संयंत्र के एक कर्मचारी फिरोज द्वारा चार साल की मासूम बाला के साथ
किए गए दुराचार के उपरांत उसकी मौत हो गई थी। मासूम गुडिया की मौत पर भी इन
ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों ने दुख नहीं जताया और एक बार फिर जाकर संयंत्र
प्रबंधन के साथ खड़े होकर अपना उल्लू सीधा किया।
हाल ही में संयंत्र के एक सुरक्षा कर्मी
ने आठवीं की एक कोमलांगी बाला को न केवल अश्लील इशारे किए वरन् उसके सामने सड़क पर
नग्न भी हो गया था। इस मामले में भी घंसौर क्षेत्र में रोष पनप रहा है। ग्रामीणों
का कहना है कि इस तरह के ब्लेकमेलर नेता नुमा ठेकेदारों द्वारा क्षेत्र में पुलिस
और प्रशासन को साध कर रखा गया है, जिसके चलते पुलिस और प्रशासन द्वारा
गौतम थापर के स्वामित्व वाले इस पावर प्लांट के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती
है। इसी के चलते शांति का टापू घंसौर क्षेत्र अब आपराधिक गतिविधियों का केंद्र
बनकर रह गया है।