आवारा मवेशी, सुअर, कुत्तों का है शिव
की नगरी में राज!
(महेश रावलानी/इंजी.उदित कपूर/अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। सिवनी
शहर को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। शिव के गणों की तादाद बेहद ज्यादा होती
है, इस बात से
इंकार नहीं किया जा सकता है। शिव के गणों में हर कोई आता है। सिवनी का यह
दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां आवारा मवेशियों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है।
जिनके आंगन में बाउंड्री वाल नही है, वे परेशान है सुअरों से जो उनके घरों में जब
चाहे तब घुस आती है। दुकानदार परेशान हैं आवारा मवेशियों से जो उनके प्रतिष्ठानों
के सामने गोबर कर जाती है। शहर के कमोबेश हर मोहल्ले के निवासी परेशान हैं आवारा
कुत्तों से जो राहगीरों को ना केवल भौंकते हैं वरन उन्हें काटते भी हैं। नगर
पालिका अपने मूल दायित्वों को छोड़कर पैसा कमाने के अड्डे में तब्दील हो चुकी है।
सिवनी शहरी सीमा के
अंदर ना जाने कितने आवारा मवेशी सड़कों पर आवागमन को प्रभावित करते नजर आते हैं।
जिला कलेक्टर के कार्यालय के मुख्य द्वार पर ही आवारा मवेशी सड़क पर आराम फरमाते
नजर आते हैं। बारिश के मौसम में कुत्तों की फौज मोहल्लों में छोटे बच्चों का जीना
दूभर किए हुए है। आवारा सुअर का तो मत ही पूछिए, मोहल्लों के कचरों
के ढ़ेर और नालियों को उलट पलट सुअर गंदगी को और बुरी तरह फैलाती नजर आती है।
परेशान हैं
दुकानदार!
जिन दुकानदारों के
प्रतिष्ठान के सामने बारिश की बौछार से बचने छत है, वे बारिश के मौसम
में खासे परेशान रहते हैं। इसका कारण यह है कि इन प्रतिष्ठानों के बंद होने के
उपरांत यहां रात में बारिश से बचने आवारा मवेशी आकर बैठ जाते हैं। सुबह उठते वक्त
ये वहीं गोबर और मूत्र विसर्जन करते हैं और चलते बनते हैं। दुकानदार जब प्रतिष्ठान
खोलने आते हैं तब सबसे पहले उन्हे पानी लाना होता है, फिर गोबर हटाकर उस
स्थान को धोना होता है, वरना ग्राहकों की चप्पल में लगा गोबर उनके प्रतिष्ठान में दिन
भर मख्खियों के बजबजाने का अड्डा बनकर रह जाता है। बारापत्थर के इकलौते वाजिब
कांपलेक्स ‘स्मृति
धर्मशाला काम्पलेक्स‘ के दुकानदार तो इस बार मंगलवार को जनसुनवाई के वक्त इस समस्या
को लेकर जिला कलेक्टर से मिलने का मन भी बना चुके हैं।
जिला दण्डाधिकारी
दे चुके हैं स्पष्ट निर्देश!
जिले के युवा एवं
संवेदनशील जिलाधिकारी भरत यादव ने अनेक बार बैठकों के दौरान इस आशय के ‘कड़े‘ निर्देश जारी किए
जा चुके हैं कि आवारा मवेशियों की धरपकड़ की जाए। ये मवेशी आवागमन में बाधा ना बनें
इस बारे में भी जिला कलेक्टर ने नगर पालिका, नगर पंचायत, ग्राम पंचायतों को
स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं। अब समस्या यह सामने आ रही है कि जिला कलेक्टर के
निर्देशों की हुक्म उदूली जिला मुख्यालय में नगर पालिका द्वारा ही की जा रही हो तो
भला बाकी इलाकों की कौन कहे।
26 जुलाई को की गई थी कार्यवाही!
नगर पालिका परिषद
सिवनी द्वारा 26 जुलाई को
अवश्य ही एक दिन के लिए आवारा कुत्तों की धर पकड़ की कार्यवाही की थी। पालिका की यह
कार्यवाही दिखावा ही साबित हुई क्योंकि उसके बाद पालिका ने इस काम से अपने हाथ ही
खींच लिए थे।
काले जानवर दे रहे
दुर्घटनाओं को न्योता
शहर भर में सड़कों
पर बैठे जानवर, विशेषकर
काले या स्याह रंग के मवेशी आने जाने वालों को दिखाई नहीं पड़ते और वाहन चालक इनसे
टकराकर गिरकर चोटिल हो रहे हैं।
हो रही कलेक्टर की
हुक्म उदूली!
जिला कलेक्टर के
साफ और स्पष्ट निर्देश के बाद भी शहर में आवारा मवेशी, सुअर, कुत्ते जिस तरह
कोहराम मचा रहे हैं उससे लगने लगा है कि कलेक्टर के आदेश की हुक्म उदूली में ही
नगर पालिका परिषद को बेहद मजा आ रहा है। पालिका पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है, इस लिहाज से अब
सिवनी के लोग यह मानने लगे हैं कि नगर पालिका परिषद के माध्यम से भारतीय जनता
पार्टी संगठन भी लोगों के धेर्य की परीक्षा लेने पर उतर आया है।
डरे हुए हैं छात्र
छात्राएं
मुंह अंधेरे सुबह
साढ़े छः बजे से शहर की शालाओं के विद्यार्थियों को लाने ले जाने वाले आटो घरों घर
से बच्चों को एकत्र कर शाला की ओर प्रस्थान करते हैं। मोहल्लों में अपने आटो या बस
का इंतजार करने वाले बच्चों को इन आवारा कुत्तों से सदा ही खतरा बना रहता है। ये
आवारा कुत्ते छोटे बच्चों की ओर भौंकते हुए दौड़ते हैं। डर के कारण भागते बच्चे कई
बार गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं। अनेक बच्चों को इन आवारा कुत्तों द्वारा काटे
जाने की खबरें भी मिली हैं।
स्वाईन फ्लू को
बढ़ावा दे रही पालिका
यह बात स्पष्ट हो
चुकी है कि स्वाईन फ्लू का वायरस सुअरों के माध्यम से ही तेजी से फैलता है। शहर
में मलेरिया के उपरांत डेंगू के मरीज मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, दूसरी ओर शहर में
आवारा घूमते सुअरों से स्वाईन फ्लू के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है। जाने
अनजाने में राजेश त्रिवेदी के नेतृत्व में नगर पालिका प्रशासन लोगों को बहुत बड़ी
बीमारी की मुश्किल में ढकेलता नजर आ रहा है।
24 घंटे बीत गए, घूम रहे हैं सुअर!
नगर पालिका परिषद
द्वारा शुक्रवार को जिला जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से एक आदेश की कापी वितरित
करवाई गई थी जिसमें सुअर पालकों को 24 घंटे के अंदर सुअरों को शहर से बाहर खदेड़ने
की बात कही गई थी। चौबीस घंटे बीत गए और नगर पालिका परिषद की मोटी चमड़ी वाले चुने
हुए जनसेवकों के साथ ही साथ पालिका प्रशासन भी इस मामले में मौन ही साधे हुए है।
यहां तक कि जिला चिकित्सालय में ही आज आवारा मवेशी और सुअरों का झुण्ड कोहराम
मचाता देखा गया।
प्रजनन के मौसम में
होते हैं आक्रमक
बारिश को कुत्तों
के प्रजनन का मौसम माना जाता है। इस मौसम में कुत्ते वंशवृद्धि के लिए अपना
जीवनसाथी चुनते हैं। अमूमन कुत्ते एक झुण्ड बनाकर ही प्रजनन के लिए साथी तलाशते
हैं। इनमें ताकतवर नर श्वान ही सहवास कर पाता है। ताकत की जंग में कुत्तों में आपस
में लड़ाई आम बात है। इस लड़ाई में अनेक कुत्ते घायल भी हो जाते हैं। इन कुत्तों के
बीच में फंसकर पालतू कुत्ते भी अनेक बार घायल हुए हैं। अक्सर इस तरह के कुत्ते 10 से तीस कुत्तों के
झुण्ड में घूमतेे दिख जाएं तो आम बात ही है। शहर की कथित वैध और अवैध कालोनियों
में इन कुत्तों का आतंक देखते ही बनता है। इस तरह झुण्ड में घूमने वाले कुत्तों
द्वारा अपनी भूख मिटाने के लिए पालतू मुर्गे मुर्गियां, बकरी, सुअर, आदि को भी अपना
शिकार बनाया जाता है। ये कुत्ते घरों के खुले दरवाजे देखकर, घरों में घुसकर
आतंक बरपाते नजर आते हैं।
जरूरी है कुत्तों
की नसबंदी
आवारा कुत्ते पकड़ने
का काम मूलतः नगर पालिका परिषद का ही है, किन्तु कमीशन के चक्कर में उलझे नगर पालिका
के कारिंदों का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। सारे शहर में एक ही चर्चा तेज है कि नगर
पालिका परिषद में चल रहा ‘कमीशन‘ का ‘गंदा धंधा‘ लोगों का अमन चैन
छीन रहा है। सारा शहर नरक बन चुका है पर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष राजेश
त्रिवेदी द्वारा कभी पार्षदों के साथ ना देने का रोना रोया जाता है तो कभी संगठन
द्वारा कथित तौर पर ‘उंगली‘ करने की बात कही जाती है। नगर पालिका परिषद
ने अब तक कितने श्वान पकड़े और कितनों की नसंबदी कराकर उन्हें कहां छोड़ा इस बारे
मेें कोई जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराई जाती है।
नहीं पिटवाई जाती
मुनादी
नगर पालिका परिषद
में कमीशन के गंदे धंधे के चलते पालतू पशुओं को घरों में बांधकर रखने की ना तो
मुनादी पीटी जाती है और ना ही समाचार पत्रों में इस तरह की सूचनाएं ही प्रकाशित
करवाई जाती हैं। हालात देखकर लगने लगा है मानो नगर पालिका परिषद द्वारा आम जनता की
बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के स्थान पर निर्माण कार्य, खरीदी आदि को ही
सर्वोच्च प्राथमिकता बना लिया गया है। कहा जाता है कि इस काम में एक बार फिर कमीशन
का गंदा धंधा ही कारिंदों को फायदा दिलाता है।
कांजी हाउस पर
कितना खर्च!
शहर के अंदर नगर पालिका परिषद के स्वामित्व में एक कांजी हाउस भी है। यह कहां
है इस बारे में आज की युवा पीढ़ी को शायद ही पता हो। इस कांजी हाउस पर नगर पालिका
प्रशासन द्वारा हर साल कितना खर्च किया जाता है इस बारे में भी शायद ही किसी को
कोई जानकारी हो। इस कांजी हाउस में नगर पालिका की कमान राजेश त्रिवेदी के संभालने
के उपरांत कितने मवेशी पकड़कर रखे गए हैं इस बारे में भी नगर पालिका के पास शायद ही
कोई रिकार्ड हो।