पित्रोदा की बैसाखी के सहारे कांग्रेस में जाएंगे त्रिवेदी!
गहरी छनती है सैम और दिनेश में
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के पत्ते धीरे धीरे राजनैतिक मंच पर खुलते नजर आ रहे हैं। अपने घनिष्ट मित्र और संचार क्रांति के जनक समझे जाने वाले सैम पित्रोद्रा की जमानत पर दिनेश त्रिवेदी का कांग्रेस प्रवेश का ताना बाना बुना जा रहा है। घाटे में जा रही भारतीय रेल को दिवालिएपन से बचाने के लिए दिनेश त्रिवेदी द्वारा अपने मंत्री पद की बली तक दे डाली।
कांग्रेस के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार दिनेश त्रिवेदी ने भगत सिंह की तरह ही अपनी बलि दी है। कांग्र्रेस में दिनेश त्रिवेदी की भाव भंगिमाएं और उनके ‘विवेक‘ पर दिए बयानों के मायने खोजे जा रहे हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि दिनेश त्रिवेदी और मनमोहन सिंह में सबसे बड़ी समानता दोनों का आधारविहीन होना है। राजनैतिक पायदान चढ़ने के लिए 1990 में त्रिवेदी को जनता दल के कोटे से राज्य सभा के रास्ते संसद भेजा गया। इसके उपरांत 2002 में त्रणमूल कांग्रेस ने उन्हें राज्य सभा से संसद भेजा।
दिनेश त्रिवेदी के करीबी सूत्रों का कहना है कि त्रिवेदी को इस बात पर पूरा यकीन है कि उनके मित्र सैम पित्रोदा उनके कांग्रेस में प्रवेश का रोड़ मैप बनाएंगे। राहुल गांधी की गुडबुक्स में शामिल सैम को उत्तर प्रदेश चुनावों में राहुल ने स्वयं यह कहकर महिमा मण्डित करने का प्रयास किया था कि वे बढ़ई जाति के हैं और आज आई टी के सरताज हैं।
सैम और त्रिवेदी की मित्रता किसी से छिपी नहीं है। बताते हैं कि सैम जब भी दिल्ली प्रवास पर होते हैं वे सदा ही दिनेश त्रिवेदी के आवास पर ही रात गुजारते हैं। त्रिवेदी के करीबी सूत्रों का कहना है कि रेल बजट में किराए में बढ़ोत्तरी के पहले त्रिवेदी ने अपनी राजनैतिक सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम कर लिया था। अगर वे त्रणमूल कांग्रेस के सदस्य बने रहते हैं तो उन्हें अपने रेल बजट को पास करवाने के लिए उसके पक्ष में वोट डालना पड़ेगा।
उधर, ममता बनर्जी द्वारा दिनेश त्रिवेदी द्वारा बढ़ाए गए किराए को वापस करवाकर अपने ताकतवर होने का अहसास करवा दिया है। अगर वे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते हैं तो उनकी सदस्यता समाप्त हो सकती है। सोनिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि त्रिवेदी को भरोसा दिलाया गया है कि उनकी लोकसभा की सदस्यता चली भी जाए तो क्या गम है कांग्रेस उन्हें राज्यसभा के रास्ते संसद में भेज देगी, बशर्ते दिनेश त्रिवेदी कांग्रेस के लिए विभीषण बनकर नाराज त्रणमूल सांसदों को कांग्रेस के पाले में ला दें।