ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी
नई दिल्ली (साई)। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री मिलिंद देवरा ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए दिनांक 25 अक्तूबर, 2012 को राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) के सृजन की स्कीम का अनुमोदन कर दिया है। इस स्कीम का उद्देश्य सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (यूएसओएफ) का उपयोग करते हुए मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का विस्तार करना है। एनओएफएन परियोजना का क्रियान्वयन विशेष उद्देश्य वाहक कंपनी नामत: बीबीएनएल द्वारा किया जा रहा है, जिसे बाद में कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 25 फरवरी, 2012 को निगमित कर दिया गया। नेटवर्क का कार्य 2 वर्ष की समयावधि में पूरा किए जाने का प्रस्ताव है।
इसके अलावा, यूएसओएफ ने ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सुविधा के विस्तार में वृद्धि करने के लिए निम्नलिखित स्कीम भी आरंभ की हैं-
1. ग्रामीण वायरलाइन ब्रॉडबैंड स्कीम ग्रामीण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सुविधा का विस्तार करने के लिए है। इस स्कीम के अंतर्गत भारत संचार निगम लिमिटेड 5 वर्षों की अवधि अर्थात वर्ष 2014 तक अलग-अलग प्रयोक्ताओं तथा सरकारी संस्थाओं को 8,88,832 वायरलाइन ब्रॉडबैंड कनेक्शन प्रदान करेगा। दिनांक 30.06.2012 की स्थिति के अनुसार कुल 3,75,648 ब्रॉडबैंड कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।
2. (1) ''असम में अंतरा जिला सब-डिवीजन मुख्यालय जिला मुख्यालय ओएफसी नेटवर्क का ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क संवर्द्धन, सृजन और प्रबंधन''
इस ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क स्कीम के तहत दिनांक 12.02.2010 से 18 महीनों की अवधि के भीतर असम के 27 जिलों में 354 स्थानों को जोड़ा जाएगा। फरवरी, 2012 की स्थिति के अनुसार लगभग 177 नोडों की संस्थापना हो गई है।
(2) ''पूर्वोत्तर-2 सर्किल (अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर तथा नागालैंड राज्यों को शामिल करते हुए) के अंतरा जिला सब-डिवीजन मुख्यालय जिला मुख्यालय ओएफसी नेटवर्क के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क संवर्द्धन, सृजन और प्रबंधन''
इस स्कीम के अंतर्गत अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड राज्यों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क संवर्द्धन का कार्य आरंभ किया गया है। यह ओएफसी स्कीम, करार पर हस्ताक्षर होने की तारीख से 30 माह की अवधि के भीतर 30 जिलों के 407 स्थानों को जोड़ेगी।
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के पास उपलब्ध मौजूदा अवसंरचना का उपयोग करते हुए बेस स्टेशनों जैसी वायरलेस ब्रॉडबैंड अवसंरचना के निर्माण हेतु सब्सिडी के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ''ग्रामीण वायरलेस ब्रॉडबैंड स्कीम'' की परिकल्पना की गई है। इस स्कीम में लगभग 5 लाख गांवों को 512 केबीपीएस की गति से ब्रॉडबैंड कवरेज प्रदान की परिकल्पना की गई है। इस स्कीम के तहत अखिल भारत आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सुविधा प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
यह स्कीम संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा अनुमोदित किया गया। इस स्कीम का निविदा मसौदा अप्रैल, 2011 में वेबसाइट पर डाल दिया गया/सार्वजनिक कर दिया गया ताकि हितधारकों की इस बारे में टिप्पणियां प्राप्त हो सकें। स्पेक्ट्रम आवंटन की तिथि से 5 वर्षों अर्थात 2015 तक ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करने सबंधी 3जी/बीडब्ल्यूए लाइसेंसधारकों के मौजूदा अनिवार्य रॉलआउट दायित्वों, जो उन्हें आवंटित स्पेक्ट्रम में उल्लेखित है, के मद्देनजर इस स्कीम को स्थगित कर दिया गया है। इस दौरान, ग्रामीण क्षेत्रों में ऑप्टिकल फाइबर अवसरंचना के विस्तार की राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) स्कीम आरंभ कर दी गई है ताकि 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को कवर किया जा सके। ग्रामीण क्षेत्रों के अभिगम नेटवर्क में विभिन्न प्रौद्योगिकियों के माध्यम से बॉडबैंड सुविधा की उपलब्धता में वृद्धि करने हेतु सभी श्रेणियों के दूरसंचार प्रदाताओं द्वारा इस स्कीम का उपयोग किया जा सकता है।
बीडब्ल्यूए/3जी प्रचालकों द्वारा वर्ष 2014-15 तक अपने रॉल आउट दायित्व को पूरा किए जाने और इसके समानांतर एनओएफएन इको प्रणाली तैयार किए जाने के बाद इस स्कीम की समीक्षा की जाएगी। बॉडबैंड सुविधा के विस्तार पर एनओएफएन परियोजना के प्रभाव का भी वर्ष 2015 में आकलन किया जा सकता है ताकि इसमें आने वाले अंतराल का निर्धारण किया जा सके। तदनुसार वायरलेस ब्रॉडबैंड स्कीम की समीक्षा करके उस समय बाजार द्वारा पूरा नहीं किए गए अंतराल को पुन: निर्धारित किया जाएगा।