एम्स के वार्ड कराए
जा रहे खाली!
(विपिन सिंह राजपूत)
नई दिल्ली (साई)।
रिनोवेशन के नाम पर हो रही तोड़फोड़ के चलते अखिल भारतीय आर्युविज्ञान महाविद्यालय
में मरीजों की जान पर बन आई है। मरीजों को वार्ड से बेदखल किया जा रहा है ताकि
वार्ड को तोड़कर वहां नया निर्माण किया जा सके। विरोध के बीच इस काम को अंततः अंजाम
दिया जा रहा है।
एम्स में इलाज
कराने के लिए भर्ती होना और मुश्किल होने वाला है। इसका ओल्ड प्राइवेट वॉर्ड 20 अगस्त से 15 महीनों के लिए बंद
हो रहा है। इस छह मंजिला बिल्डिंग को तोड़कर प्रशासन नई 8 मंजिला बिल्डिंग
बनाने जा रहा है। करोड़ों की लागत वाली इस योजना के चलते वॉर्ड खाली कराया जा रहा
है। इस बारे में प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी किया है।
आम लोगों के लिए
एम्स में भर्ती हो पाना टेढ़ी खीर है। लोगों को इसके लिए महीनों इंतजार करना पड़ता
है। अब एक पूरा वॉर्ड बंद हो जाने से दिक्कतें कई गुना बढ़ जाएंगी। इंस्टिट्यूट की
कई सीनियर फैकल्टी इसका विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि जिन पैसों को मरीजों की
सुविधाएं बढ़ाने पर खर्च किया जाना चाहिए उन्हें आलीशान प्राइवेट वॉर्ड बनाने पर
इस्तेमाल किया जाएगा।
6 अगस्त को सभी चीफ ऑफ सेंटर, हेड ऑफ दि
डिर्पाटमेंट सहित अन्य सीनियर अधिकारियों को चिकित्सा अधीक्षक डी. के. शर्मा की ओर
से जारी भेज दिया गया है। सर्कुलर के मुताबिक 16 से 20 अगस्त के बीच सभी
कमरों को खाली कराया जाएगा। सर्कुलर के मुताबिक 10 अगस्त से ओल्ड
प्राइवेट वॉर्ड में कमरों के अलॉटमेंट पर रोक लगा दी गई है। सर्कुलर में सभी
फैकल्टी सदस्यों से यह भी अपील की गई है कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को न्यू
प्राइवेट वॉर्ड के लिए सिफारिश न करें, क्योंकि यहां जरूरी सुविधाएं मसलन ऑक्सीजन
सप्लाई आदि की व्यवस्था नहीं है।
सीनियर डॉक्टरों का
कहना है कि प्रशासन को गरीब मरीजों के बजाय अमीरों की परवाह ज्यादा है। शायद यही
वजह है कि आधुनिक सुविधाओं से लैस ओल्ड प्राइवेट वॉर्ड को गिराकर करोड़ों की लागत
से नई बिल्डिंग बनाने की योजना बनाई गई है। संस्थान के फाइनैंस कमिटी (एसएफसी) की
बैठक में नई योजना को पास कर दिया गया है। इसके मुताबिक नई बिल्डिंग में आठ
मंजिलों के साथ 300 कार के
लिए बेसमंेट में एक पार्किंग होगी। इस पर 90 करोड़ की लागत आएगी। मौजूदा प्राइवेट वॉर्ड
में करीब 75 कमरे हैं।
डॉक्टरों का कहना
है कि कार पार्किंग के बहाने नए निर्माण की दलील उचित नहीं है, क्योंकि कैंपस में
एक नई मल्टीस्टोरी पार्किंग बन रही है। इसके अलावा इंस्टिट्यूट में फैकल्टी, कर्मचारी, वीआईपी मरीज, सामान्य मरीज हर
किसी के लिए अलग-अलग छह पार्किंग हैं। अगर नया प्राइवेट वॉर्ड बनाना ही है तो
कैंपस में खाली पड़ी जमीन इस्तेमाल हो सकती है।
पुराने प्राइवेट
वॉर्ड की बिल्डिंग को सामान्य वॉर्ड में बदलकर आम मरीजों को फायदा पहुंचाया जा
सकता है। प्राइवेट वॉर्ड में पांच वीवीआईपी सुइट हैं। इसके अलावा इलाज के लिए
सांसद, केंद्रीय
मंत्री, राज्यों के
गवर्नर जैसे वीआईपी को प्राइवेट वॉर्ड में ही भर्ती किया जाता है। इससे स्पष्ट है
कि वॉर्ड की हालत खराब नहीं है।
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