बुधवार, 28 मार्च 2012

शिव की भांजी का चीर हरण!


शिव की भांजी का चीर हरण!

(लिमटी खरे)

‘‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यह ही कहानी!,
आंचल में है दूध, और आंखों में है पानी!!‘‘
सुप्रसिद्ध कवि मैथलीशरण गुप्त द्वारा लिखित उक्त पंक्तियां महिलाओं की भारत गणराज्य में दशा को दर्शाने के लिए पर्याप्त मानी जा सकती हैं। देश के हृदय प्रदेश में महिलाओं की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। मध्य प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति अत्यंत दयनीय है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस रस्म अदायगी के अलावा और कुछ भी नहीं कर रही है। हाल ही में नरसिंहपुर जिले में जो कुछ हुआ वह शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस या भाजपा नहीं देश को शर्मसार करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। दो दलित छात्राओं को सरेआम नग्न कर दिया गया और फिर ढकने ढकाने का कभी न थमने वाला खेल आरंभ हो गया। 15 मार्च और 20 मार्च को घटी इन घटानाओं के बाद भी सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी अपना मुंह आश्चर्यजनक तरीके से सिले बैठी हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सूबे के हर बेटा बेटी के शिवराज सिंह चौहान मामा हैं, पर हालात देखकर लगता है कि वे ही सबको मामा बना रहे हैं।
  
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवाड़ा से लगभग बीस किलोमीटर दूर बारहाबाड़ा के सरकारी स्कूल में 15 और 20 मार्च को जो हुआ वह मानवता को शर्मसार करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। परीक्षा के दौरान नकल की खानातलाशी के लिए शिक्ष्किाओं द्वारा विद्यार्थियों जिसमें छात्र भी शामिल थे की खाना तलाशी के नाम पर उनको सरेआम नग्न कर दिया गया, वह भी एक नहीं दो दो बार। नरसिंहपुर में प्रजातंत्र की आहट शायद ही कभी सुनाई दी हो। इस जिले में जो कुछ होता आया है वह हृदय प्रदेश को शर्मसार करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। जरायमपेशा लोगों की जुर्रत इतनी हो चुकी है कि हाल ही में जबलपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक का पीछा भी कुख्यात बदमाश के भाई ने काफी दूर तक किया। कहते हैं उस वक्त जिले के पुलिस अधीक्षक भी अपने आप को असहाय पा रहे थे। चूंकि मामला पुलिस महानिरीक्षक का था अतः पुलिस को कार्यवाही करने पर विवश होना पड़ा।
उक्त सरकारी शाला में 15 और 20 मार्च को दो मासूम कन्याओं के कपड़े उतारने की घटना मानवता को शर्मसार करने पर्याप्त कही जा सकती है। हद तो उस वक्त हो गई जब शिक्षिका ने कहा कि सलवार उतारो वरना उसका नाडा कैंची से काट दिया जाएगा। घबराई छात्रा ने अपनी गुरूआईन के आदेश की तामीली में हीला हवाला किया तो मेडम का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। दलित छात्रा ने गिडगिडाती रही कि भईया लोगों के सामने उसकी इज्जत न उछालें पर मेडम नहीं मानीं। डरकर अपनी सलवार उतार दी।
इसके बाद उस छात्रा को अंतःवस्त्र उतारने के लिए मजबूर किया गया। वह छात्रा गिड़गिड़ाती रही पर शिक्षिका नहीं मानी। छात्रा ने माहवारी की दलील भी दी पर अंततः उसे नंगा कर ही दिया गया। सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान अपने आप को प्रदेश के हर बच्चे का मामा कहते हैं। भगवान श्री कृष्ण के मामा थे कंस, और शिवराज सिंह चौहान अपने ही राज्य में अपने ही भानजे भानजियों के लिए कंस की भूमिका में नजर आ रहे हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक ओर बेटी बचाओ अभियान में करोड़ों रूपए खर्च रहे हैं तो दूसरी ओर, दलित छात्राओं के साथ इस तरह के अत्याचार वह भी सार्वजनिक तौर पर होने से क्या संदेश जा रहा है इस बारे में ना तो भारतीय जनता पार्टी और ना ही हिन्दुत्व के पहरूआ होने का दावा करने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही चिंतित नजर आ रहा है। यह घटना संघ के नेशनल हेडक्वार्टर नागपुर से महज ढाई सौ किलोमीटर दूर घटी है।
आदि अनादी काल से गुरूकुलों में व्यवहारिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाता था। ऋषि मुनि अपने शिष्यों को लकडी काटने बटोरने से लेकर जीवन के हर पडाव में आने वाली व्यवहारिक कठिनाईयों से शिष्यों को रूबरू कराते थे। इसके साथ ही साथ धर्म अर्धम की शिक्षा भी दिया करते थे। बदलाव प्रकृति की सतत प्रक्रिया है। जमाना बदलता रहा और शिक्षा के तौर तरीकों में भी बदलाव होता रहा।
सत्तर के दशक की समाप्ति तक बदलाव की प्रक्रिया बहुत धीमी थी। इसके उपरांत बदलाव की बयार शनैः शनैः तेज होकर अब सुपरसोनिक गति में तब्दील होती जा रही है। हमारे विचार से शिक्षा को लेकर जितने प्रयोग भारतवर्ष में हुए हैं, उतने शायद ही किसी अन्य देश में हुए हों। जब जब सरकारें बदलीं, सबसे पहले हमला शिक्षा प्रणाली पर ही हुआ।
देश के भूत वर्तमान और भविष्य को देखने के बजाए निजामों ने अपनी पसंद को ही थोपने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। रही सही कसर शालाओं के प्रबंधन ने पूरी कर दी। अनेक सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए प्रबंधन के तुगलकी फरमान ने बच्चों की जान ही निकाल दी। शिक्षकों को अध्यापन से इतर बेगार के कामों में लगाने से उनका ध्यान अपने मूल कार्य से भटकना स्वाभाविक ही है।
शिक्षक ही देश का भविष्य गढते हैं, किन्तु आज देश के भविष्य को बनाने वाले शिक्षकों से जनगणना, मतदाता सूची संशोधन, पल्स पोलियो जैसे कामों में लगा दिया जाता है। शिक्षकों को यह बात रास कतई नहीं आती है। यही कारण है कि शिक्षकों ने भी अपने मूल काम को तवज्जो देना बंद ही कर दिया है।
आदिवासी बाहुल्य इलाकों की स्थिति तो और भी बेकार ही है। इन स्थानों पर पदस्थ सरकारी शिक्षकों द्वारा अपने विद्यार्थियों से घर पर बेगार जैसे खाना बनवाना, बर्तन मंझवाना, झाडू लगवाना, कपड़े धुलवाना आदि किया जाता है। नए शिक्षकों द्वारा तो आदिवासी बालाओं के साथ देहिक शोषण तक के आरोप अनेक बार लगे हैं। चूंकि मामला ग्रामीण अंचलों का होता है अतः इसकी गूंज उपर तक नहीं पहुंच पाती है।
एसा प्रतीत होता है मानो शिक्षकों से बेगार करवाने से इनका मानसिक संतुलन तेजी से बिगड रहा है। आए दिन विद्यार्थियों के साथ ज्यादती के मामले अखबारों की सुर्खियां बने रहते हैं। देश के भविष्य को गढ़ने वाले शिक्षकों के द्वारा अगर इस तरह का काम किया जाता है तो यह अमानवीयता आखिर बच्चों में किस तरह के संस्कारों का बीज डालेगी यह सोचना आवश्यक है, वरना ऋषि मुनियों तपस्वियों की धरा भारतवर्ष में असुरों का राज्य कायम होने में समय नहीं लगेगा।

(साई फीसर्च)

सेना के घूस कांड से एंटोनी की मुश्किलें बढ़ीं


सेना के घूस कांड से एंटोनी की मुश्किलें बढ़ीं

आलाकमान ने दिया डैमेज कंट्रोल का आदेश

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। साफ सुथरी और ईमानदार छवि के रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी के दामन पर अब भ्रष्टाचार के छींटे लगने लगे हैं। सेना में 14 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद अब एंटोनी को भी शक के दायरे में रखा जाने लगा है। कांग्रेस की सुप्रीम पावर श्रीमति सोनिया गांधी के सबसे लाड़ले अंटोनी के मार्ग में यह भ्रष्टाचार का आरोप अनेक शूल बोकर चला गया है।
सेना के एक बड़े अधिकारी को चौदह करोड़ रूपए की घूस की कथित तौर पर पेशकश किया जाना आश्चर्यजनक ही है। चर्चा है कि अगर वाकई सेना के अधिकारी को रिश्वत देने की पेशकश की गई थी तो उक्त अधिकारी को लगभग एक दशक पूर्व मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह के सबसे ताकतवर सचिव और आईएएस अमर सिंह को घूस देने की पेशकश पर की गई कार्यवाही के मानिंद ही घूस देने वाले अधिकारी को सलाखों के पीछे भिजवा देना था, वस्तुतः एसा हुआ नहीं।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ, (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि राजमाता की तमन्ना है कि चूंकि देश की बागडोर युवराज राहुल गांधी संभालने को आतुर हैं अतः देश के रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी को देश का सर्वोच्च सैन्य कमान्डर यानी महामहिम राष्ट्रपति बनाया जाए। वरना, मनमोहन सिंह के बाद पीएम पद के लिए सोनिया की पहली पसंद अंटोनी ही हैं।
महामहिम की दौड़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी पूरा जोर लगाए हुए हैं। प्रणव दा के लिए तो बाकायदा लाबिंग भी हो चुकी है। सूत्रों ने आगे कहा कि भाजपा ने अपना संदेश सोनिया तक भिजवा दिया है कि अगर प्रणव मुखर्जी या अंटोनी को रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन में भेजना है तो उसे भाजपा का उपराष्ट्रपति बनवाना होगा।
इधर, सेना में घूस कांड के उजागर होने और हल्ला होने से अंटोनी की साख पर भी बट्टा लगता दिख रहा है। चर्चा तो यहां तक भी है कि राष्ट्रपति पद के कांग्रेस के ही एक उम्मीदवार ने इस कांड को हवा दी है ताकि अंटोनी का पत्ता इस पद के लिए उम्मीदवारी से काटा जा सके। उधर, सूत्रों के हवाले से ही खबर है कि कांग्रेस आलाकमान ने अपने प्रबंधकों को कहा है कि वे सारे घोडे दौड़ाकर किसी भी तरह मीडिया को मैनेजकर इस कांड को यही दबवा दें ताकि कांग्रेस की मट्टी पलीत ना हो सके। कहते हैं कि इस काम में प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी की सेवाएं भी ली जा रही हैं।
सी.बी.आई. को रिश्वत मामले में एक ऑडियो टेप मिला है, जिसमें कथित तौर पर थल सेना अध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह और एक अन्य अधिकारी की बातचीत रिकॉर्ड है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि टेप की आवाजों की पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए अभी इसकी सच्चाई के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। उधर सी बी आई ने इस तरह की कोई टेप मिलने से इंकार किया है। रक्षा मंत्रालय ने यह मामला सीबीआई के पास भेजा है।
सीबीआई ने रक्षा मंत्रालय से जनरल वी.के. सिंह की शिकायत के साथ गवाहों की सूची और अन्य दस्तावेज मांगे हैं, ताकि वह मामले की जांच शुरू कर सके। मीडिया के साथ इन्टरव्यू में सेनाप्रमुख ने दावा किया था कि एक दलाल ने उन्हें चौदह करोड़ रुपये रिश्वत देने की पेशकश की थी। उन्होंने इस मामले की जानकारी रक्षामंत्री ए.के. एंटनी को दे दी थी।

किसी भी कंपनी और जनसेवक को नहीं सिवनी की परवा


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  82

किसी भी कंपनी और जनसेवक को नहीं सिवनी की परवाह

पावर प्लांट कंपनियों ने नहीं खोला सिवनी में एक भी कार्यालय

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले को देश भर के उद्योगपतियों और राजनेताओं ने चारागाह बना लिया है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक के उपरांत सिवनी में लूट खसोट का कभी न थमने वाला सिलसिला चल पड़ा है। जिला मुख्यालय सिवनी में पावर ग्रिड के डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम स्थापित किया गया, अनेक उद्योग आए और गए किन्तु सिवनी की झोली में कुछ भी नहीं आ पाया।
2008 के उपरांत सिवनी जिले में मानो कोल आधारित पावर प्लांट्स की बाढ़ सी आ गई है। विकास के नाम पर विनाश का काम करने पर आमदा मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार वैसे तो आदिवासियों के हितों को साधने की बात कही जाती है पर जब अमली जामा पहनाने की बारी आती है तो शिवराज सिंह चौहान इन आदिवासियों के सबसे बड़े दुश्मन के बतौर ही सामने आते हैं।
वर्ष 2008 में सबसे पहले आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के ग्राम बरोदा में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा कोल आधारित 600 मेगवाट के पावर प्लांट की बात कही गई। इसके बाद यह बढ़कर 1200 और फिर 1260 मेगावाट का हो गया। इसके लिए कितनी जमीन चाहिए इस बारे में संयंत्र प्रबंधन बार बार गलत बयानी करता रहा। संयंत्र पर आदिवासियों की उपेक्षा के गंभीर आरोप भी लगे।
इसके उपरांत हाल ही में सदर्न इंजीनियरिंग वर्क्स (एसईडब्लू) पावर प्लांट डालने की गरज से मैदान में आ गई है। यह भी कोल आधारित पावर प्लांट लगाने की तैयारी में है, इसके लिए एसईडब्लू ने आदिवासियों की जमीनें खरीदने का काम आरंभ कर दिया है।
अब घंसौर के ग्राम बरोदा के आसपास की जमीनों की खरीदी बिकावली का काम जोरों पर चलने की बाज प्रकाश में आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1959 में वल्लुरूपल्ली नागेश्वर राव द्वारा विजयवाड़ा में स्व.वाय पूरनचंद राव और वायएमजी नागेश्वर राव के साथ मिलकर सदर्न इंजीनियरिंग वर्क्स की स्थापना की थी। इस कंपनी ने अपने पहले प्रोजेक्ट के बतौर आंध्र प्रदेश के नागार्जुन सागर बांध निर्माण का काम हाथ में लिया था। एसईडब्लू के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना की लागत अधिक होने से कंपनी का विस्तार किया गया जिसमें अनेक लोगों की भागीदारी हो गई।
कंपनी के द्वारा अनेक परियोजनाओं को अपने हाथ में लिया गया है। कंपनी सूत्रों ने बताया कि एसईडब्लू ने कांग्रेस के एक केंद्रीय मंत्री से नजदीकी (15 फीसदी उनका हिस्सा देकर) का फायदा उठाकर महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में वाटर सप्लाई का काम भी हासिल कर लिया है। सूत्रों की मानें तो अब कपंनी उन्हीं केंद्रीय मंत्री के संपर्कों (15 फीसदी उनका कमीशन देकर) मध्य प्रदेश में बड़े ठेके हासिल करना चाह रही है।

ठोस प्रगति के बाद ही पाक दौरा करेंगे मनमोहन


ठोस प्रगति के बाद ही पाक दौरा करेंगे मनमोहन

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। भारत और पाकिस्तान ने आपसी बातचीत की प्रक्रिया तेज करने की बात कही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सोल में परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन के दौरान अपनी अनौपचारिक बैठक में आपसी संबंध बढ़ाने की इच्छा जाहिर की।
विदेश सचिव रंजन मथाई ने बताया है कि श्री गिलानी ने डॉ० मनमोहन सिंह को पाकिस्तान आने का निमंत्रण दिया है। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जमीनी तौर पर कुछ ठोस प्रगति होनी चाहिए। दोनों नेता वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर भी सहमत हुए। डॉ० सिंह ने पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा हाल में घोषित व्यापार रियायतों के लिए श्री गिलानी को धन्यवाद दिया। इन रियायतों को विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत भारत को सबसे अधिक तरजीह वाले देश का दर्जा दिये जाने और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
विदेश सचिव ने बताया कि डॉ० मनमोहन सिंह की मुलाकात तुर्की के प्रधानमंत्री रेसेप तैयब एर्दाेगान से भी हुई। दोनों नेताओं ने मुख्य रूप से द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने सीरिया संकट पर भी चर्चा की और संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक प्रयासों से समस्या के समाधान पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री की चीन के राष्ट्रपति हू चिन्ताओ, अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर से भी बातचीत हुई। डॉ० मनमोहन सिंह चार दिन की दक्षिण कोरिया यात्रा के बाद कल रात नई दिल्ली लौट आए हैं।

ब्रिक्स सम्मेलन से पहले मिलेंगे वाणिज्य मंत्री


ब्रिक्स सम्मेलन से पहले मिलेंगे वाणिज्य मंत्री

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। कल से शुरू हो रहे चौथे ब्रिक्स सम्मेलन से पहले आज नई दिल्ली में ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका के वाणिज्य मंत्रियों की बैठक होगी, जिसमें आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के तौर-तरीकों पर विचार किया जाएगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनन्द शर्मा, ब्राजील के वाणिज्य मंत्री फरनेन्डो पिमेन्टे, चीन के चेन डेमिंग, रूस की एलविरा नबीउल्लीना और दक्षिण अफ्रीका के रॉब डेविस से मुलाकात करेंगे।
बैठक में सहयोग के नये क्षेत्रों पर चर्चा होने की संभावना है। श्री शर्मा ने बताया कि ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार और निवेश के कई क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं लेकिन अभी उन पर ध्यान नहीं दिया गया है। अब इन क्षेत्रों के दोहन पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। सम्मेलन का विषय है स्थिरता, सुरक्षा और विकास के लिए भागीदारी।

हवा हवाई हैं शिवराज


हवा हवाई हैं शिवराज

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में इन दिनों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चंद्रा बाबू नायडू में समानताएं खोजी जा रही हैं। दोनों ही नेताओं के पैर अधिकांश समय जमीन पर नहीं टिके रहे। नायडू ने अपने कार्यकाल में सबसे अधिक हवाई यात्राएं की तो मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान भी रोजाना लगभग एक घंटे तक हवाई सफर के आदी हो चुके हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते 360 दिनों में प्रतिदिन एक घंटे से अधिक समय तक हवाई यात्रा की और इन यात्राओं पर एक करोड़ 24 लाख रूपए की राशि खर्च हुई। राज्य सरकार के अन्य मंत्रियों व अतिथियों की हवाई यात्रा पर 80 लाख रुपए से अधिक खर्च हुए हैं। विधानसभा में कांग्रेस के विधायक नारायण प्रजापति के प्रश्न के उत्तार में सरकार ने बताया कि मुख्यमंत्री चौहान ने सरकारी विमान से कुल 257 घंटे और हेलीकॉप्टर से 128 घंटों की यात्रा की।
इस तरह एक अप्रैल, 2011 से 25 मार्च, 2012 तक उन्होंने कुल 385 घंटों की यात्रा की। विमान से की गई यात्राओं पर 84 लाख रुपए और हेलीकॉप्टर से की गई यात्राओं पर 41 लाख रुपए से अधिक का खर्च आया है। विधानसभा में लिखित सवाल के जवाब में बताया गया कि मुख्यमंत्री ने 360 दिनों में कुल 228 यात्राएं की हैं। इनमें 90 यात्रा विमान से और 138 हेलीकॉप्टर से की गई। राज्य सरकार की ओर से आए जवाब में बताया गया है कि वर्तमान में सरकार के पास एक विमान व तीन हेलीकॉप्टर हैं। विमान सुपर किग एयर बी-200 वीटी-एमपीटी को अमेरिका से खरीदा गया है। वहीं हेलीकॉप्टर बेल 407, बेल 430 और ईसी 155 बी राज्य सरकार के बेड़े में शामिल हैं।