भाजपा नेता की पत्थर खदान में तीन अबोध बालाएं डूबीं!
रात के अंधेरे में निकाले गए शव, देर रात तक
मर्चुरी के बजाए पीएम सेंटर में रखे रहे शव
(अखिलेश
दुबे/अय्यूब कुरैशी)
गंगेरूआ/सिवनी (साई)। बंडोल के पास गंगेरूआ गांव के समीप लगे भाजपा नेता
के एक क्रेशर के पास पत्थर की खदान में आज अपरान्ह तीन मासूम बालाओं की डूब जाने
से इहलीला समाप्त हो गई। तीनों के शव शाम ढलते क्रत्रिम रूप से बन गए गहरे पोखर से
निकाले गए,
और देर रात पुलिस कार्यवाही के बाद शव
परीक्षण के लिए तीनों के शवों को सिवनी लाया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार तीनों बच्चियों के शव, भाजपा नेता के क्रेशर के करीब की पत्थर खदान में पत्थरों के
निकालने से हुए, गड्ढे में पानी भर जाने से बने पोखर
में तैरते पाए गए। बाद में पुलिस द्वारा शवों को बाहर निकालकर पंचनामा बनाकर अन्य
औपचारिकताएं पूरी की गईं। इसके बाद शव को शव परीक्षण के लिए सिवनी भेजा गया।
अल्प संख्यक समुदाय की हैं तीनों बच्चियां
मौके पर मौजूद थाना प्रभारी बंडोल आर.के.गुप्ता ने समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को बताया कि गंगेरूआ निवासी शेख कलाम की पुत्री सिफा, युसुफ की पुत्री कमरून एवं शेख रमजान की पुत्री आफरीन आज अपरान्ह
नहाने धोने के लिए भाजपा के एक नेता के क्रेशर के करीब बने पोखर में आईं थीं।
थाना प्रभारी श्री गुप्ता ने बताया कि तीनों बच्चियों द्वारा संभवतः पहले
कपड़े धोए गए। इस बात का आधार यह बताया जा रहा है कि मौके पर पोखर के किनारे दो
प्लास्टिक के टब में धुले हुए कपड़े रखे हुए थे। उन्होंने बताया कि तीनों मृतक
बच्चों की आयु बारह से चौदह साल बताई जा रही है।
मौके पर मौजूद लोगों ने साई न्यूज को बताया कि लोगों द्वारा यह भी आशंका
व्यक्त की जा रही है कि कपड़े धोने के उपरांत किसी एक बच्ची का पैर फिसला होगा और
वह डूबने लगी होगी तब उसे बचाने के चक्कर में दो अन्य बच्चियां भी पानी में उतरी
होंगी। मौके पर चल रही चर्चाओं के अनुसार पानी का यह क्रत्रिम रूप से निर्मित पोखर
कुछ स्थानों पर तो उथला है पर कुछ स्थानों पर इसमें लगभग डेढ़ से दो पुरूष (दस से
बारह फिट) पानी हो सकता है।
आशंका व्यक्त की जा रही है कि बच्चियां गहरे पानी में ही चली गईं थीं।
प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार बच्चियों के शव जिस ओर पानी में उतरा रहे थे वहां
पानी सबसे ज्यादा गहरा बताया जा रहा था।
ग्यारह बजे के करीब गईं थी बच्चियां
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि बच्चियां मौके से लगभग एक किलोमीटर दूर
स्थित गंगेरूआ ग्राम से अपरान्ह लगभग ग्यारह बजे नहाने धोने के लिए गांव से मौके
के लिए रवाना हुई थीं। लोगों ने बताया कि दो तीन घंटे बाद तक जब बच्चियां घर वापस
नहीं लौटीं तो परिजनों को आशंका हुई कि बच्चियों के साथ कहीं कुछ अनहोनी तो नहीं
घट गई। इसके बाद बच्चियों की तलाश जारी हुई। बताया जाता है कि इसी बीच किसी ने
परिजनों को बताया कि कुछ बच्चों के शव भाजपा नेता के क्रेशर के पास की पत्थर की
खदान में तैर रहे हैं। इसकी सूचना लगभग चार बजे बंडोल पुलिस को दी गई।
वाहनों की लाईट में हुई कार्यवाही
बंडोल पुलिस मौके पर कुछ देर से पहुंची, उसके बाद शव को बाहर निकालने की कार्यवाही की जाकर बंडोल
पुलिस द्वारा अन्य औपचारिकताएं पूरी की गईं। बंडोल पुलिस की कार्यवाही के चलते शाम
ढल चुकी थी और मौके पर स्याह अंधेरा पसरने लगा था। मौके पर खड़े वाहनों को चालू कर
उनकी हेड लाईट जलाकर पुलिस द्वारा पंचनामा तैयार किया गया। इसके उपरांत तीनों
बच्चों के शवों को शव परीक्षण के लिए सिवनी भेजा गया।
सातवीं कक्षा की हैं छात्राएं
परिजनों के अनुसार तीनों बच्चियां बंडोल में शासकीय शाला में कक्षा सातवीं
में अध्ययन करती थीं। आज रविवार होने के कारण बच्चियां घर पर ही थीं। दोपहर वे
नहाने धोने के उद्देश्य से मौके पर पहुंची थीं। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार एक
शव की नाक से खून रिस रहा था। संभवतः पानी के अंदर अपने आप को बचाने के चक्कर में
उक्त बालिका का सिर या कोई अंग नुकीले पत्थर से टकरा गया हो, जिसके चलते नाक से खून रिस रहा हो।
गांव वालों का आरोप!
मौके पर मौजूद ग्राम गंगेरूआ के ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि क्षेत्र में
जमीन को क्रेशर संचालकों द्वारा छलनी किया जा रहा है। अपने लाभ के लिए संचालक
गड्ढे खोदकर पत्थर तो निकाल लिया करते हैं, किन्तु उसके
उपरांत जब काम पूरा हो जाता है तो गड्ढे खुले छोड़ दिया करते हैं। बारिश के समय इन
गड्ढों में पानी भर जाया करता है। खुले में इस तरह के डबरों में भरा पानी मानव और
मवेशियों के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। इतना ही नहीं गंगेरूआ में पानी की
विकराल समस्या है, जिसके चलते यहां
के ग्रामीण आसपास के असुरक्षित डबरों में भरे पानी का उपयोग करते हैं। लोगों का
आरोप है कि प्रशासन और खनिज विभाग की अनदेखी के चलते क्रेशर संचालक और गिट्टी
खदानों के मालिकों द्वारा पत्थर खनन के लिए खोदे गए गड्ढों के आसपास वारवेड वायर
लगाकर उसे बंद भी नहीं किया जाता है।
मौके पर नहीं पहुंचे खदान मालिक!
मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि घटना के घटित होने के बाद शवों को
बाहर निकालने और सिवनी शव परीक्षण के लिए लाने तक पत्थर की खदान और क्रेशर के
मालिक न तो मौके पर पहुंचे और न ही इन पंक्तियों के लिखे जाने तक शव परीक्षण के
लिए ही पीएम सेंटर में पहुंचे।
ठंड में ठिठुरते रहे परिजन
देर रात मृतकों के परिजन शव परीक्षण केंद्र के पास ठंड में अंधेरे में ही
बैठे देखे गए। इस संबंध में जब जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ.सत्य नारायण
सोनी से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि यह पुलिस की जवाबदारी है कि परिजनों को
कहां रूकवाया जाए। परिजन अपनी व्यवस्था स्वयं ही करें तो बेहतर होगा।