जिले में सहकारिता को अध्यक्ष लगा रहा ग्रहण
अध्यक्ष के शह पर सोसायिटियों में मची लूटमार, दीमक की तरह चट कर रहा सहकारिता को अध्यक्ष
(कृष्ण नंदन श्रीवास्त्री)
सिवनी (साई)। सशक्त सहकारिता समृध्द मध्यप्रदेश का यह नारा पढ़कर लगता है कि सच में सहकारिता अगर सशक्त है तो मध्यप्रदेश जरूर समृध्द होगा लेकिन अगर सहकारिता के कर्ताधर्ता ही भ्रष्टाचार करते हुये कालाबजारी को बढ़ावा देते रहेगें तो क्या समृध्द होगा मध्यप्रदेश?
सिवनी जिले में संचालित जिला सहकारी बैंक की 18 शाखाओं सहित जिला मुख्यालय की मुख्य शाखा में संचालक मंडल व जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष ने अपने सहकर्मियों व दलालों के माध्यम से अपने महत्वपूर्ण पद का दुरूपयोग करते हुये जिस तरह से भ्रष्टाचार की गंगा बहाई है उससे लगता है कि इस भ्रष्टाचार रूपी उफनती गंगा में जिले में संचालित सहकारी बैंकों के डूबने का खतरा मंडरा रहा है।
अपने राजनैतिक जीवन को संवारने और सुदृढ़ बनाने में अध्यक्ष ने अपने सहयोगियों की मदद और राजधानी में बैठे अपने आकाओं के मार्गदर्शन में सहकारिता को बट्टा लगाते हुये जिस तरह से जिलों की बैंक शाखाओं में फर्जी तरीके से खरीदारी करते हुये बिना विज्ञापन के बैंक की सुरक्षा को दरकिनार करते हुये टोटल फर्जी तरीके से एक ही क्षेत्र के अप्रशिक्षित गनमेनों की भर्ती में जमकर अपार धन की उगाही की है उससे सहकारिता की नींव जरूर कमजोर होगी और मध्यप्रदेश को समृध्द बनाने का दावा खोखला साबित होगा।
जिले में संचालित जिला सहकारी बैंक की 18 शाखाओं में बैंक प्रबंध समिति और बैंक अध्यक्ष ने बैंकों में उपयोगिता के आधार पर इलेक्ट्रानिक उपकरणों की खरीदी में जमकर लूट खसौट मचाते हुये बैंक को जमकर चूना लगाया है। इस मामले क ी अगर गहन जांच की जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि जहां अध्यक्ष के मार्गदर्शन में जिले की मुख्य शाखा सहित नगर व ग्रामीण क्षेत्रों की 18 शाखाओं में 8-10 हजार के इन्वेटर की खरीदी अधिक राशि देकर 18-19 हजार तक की गई है। वहीं स्टेशनरी की छपाई के मामले की जांच की जाये तो लाखों के वारे न्यारे किये गये हैं। इतना ही नहीं बैकों की शाखाओं में सुरक्षा की दृष्टि से लगाये गये सीसीटीव्ही कैमरे व सायरन की खरीदी और फिटिंग चार्ज में जमकर बंदरबाट किया गया है।
क्या ऐसे बड़े बड़े घपले और लूट खसौट के माध्यम से सहकारिता को सशक्त बनाया जा रहा है कहने को तो सहकारिता मध्यप्रदेश को समृध्द बनाने के लिए कारगार साबित हो रही है लेकिन सहकारिता के ही नुमाईंदे मध्यप्रदेश को समृध्द बनने में रोढ़ा अटका रहे हैं। जिला सहकारी बैंक में मची अंधेर गर्दी की बात जितनी की जाये उतनी कम है। इस संबध में जिले वासियों का कहना है कि जिस तरह से जिला सहकारी बैंक की मुख्य शाखा सहित इनके अधीनस्त सभी शाखाओं में लूटमार इस कार्यकाल में मची है उतनी शायद ही कभी देखने व सुनने को मिली होगी।
लोगों को चर्चा करते सुना गया है कि भाजपा के इस सुशासन में बैंक अध्यक्ष ने जिस तरह से अपने सिपह सलाहकारों के माध्यम से बैंक की शाखाओं को हांशिये में रखकर अपने राजनैतिक जीवन में निखार लाते हुये राजधानी के आकाओं की नजरों में अपनी छवि को सुदृढ़ बनाया है उससे प्रतीत होता है कि अध्यक्ष ने बैंक की आड़ में सिर्फ अपने निजी स्वार्थ को ही ध्यान में रखते हुये अपने कार्यकाल के दौरान सहकारिता को बट्टा लगाने का ही काम किया है।
अपने कार्यकाल के दौरान बैंक अध्यक्ष के रहते कितने महाप्रबंधकों ने बैंक का कार्यभार संभाला लेकिन अध्यक्ष की किसी भी महाप्रबंधक से नहीं बनी इन्होने अपने पद और भाजपा शासन के दम पर सभी बैंक अधिकारियों को झूठा बतलाकर अन्यत्र स्थान पर ट्रंासफर करवा दिया ताकि इनका एकतरफा राज चलता रहे।
इसी के चलते अपेक्स बैंक के उपाध्यक्ष श्री सोनी को अपने पक्ष में करते हुये उनके खास रिश्तेदार को नरसिंहपुर से सिवनी में महाप्रबंधक बनवाकर जमकर चांदी काटी जा रही है। इतना ही नहीं जिला मुख्यालय की मेन बं्राच में बैठकर शोभा बढ़ा रहे इन महानुभावों के मार्गदर्शन पर जिले के अन्य बैकों व सोसायटियों के संचालक भी जमकर कालाबजारी कर शासन प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुयेे ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को खासे परेशानी में डाले हुये हैं। सीधे व्यापरियों से सांठ गांठ करके किसानों के धोखा धड़ी करते अक्सर देखे जा सकते हैं।
सूत्र बताते हैं कि अध्यक्ष ने अपने इस कार्यकाल में बैंक प्रबंधन / संचालक मंडल को अंधेरे में रखते हुये करोड़ो की आय अर्जित कर डाली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बैंक की एक जीप को फर्जी नीलामी कराते हुये अपने किसी रिश्तेदार को कम कीमत में दे दी गई है इतना ही नहीं बैंक की 8-10 लाख रूपये की कबाड़ की सामग्री को अपने निजी स्वार्थ के चलते महज दो-तीन लाख रूपये लेकर किसी कबाड़ी को सौंप दी गई।
वहीं वर्तमान में गनमेनों की भर्ती में लाखों को बारा न्यारा करते हुये बैंक की सुरक्षा को ताक पर रखा गया है। जिले में संचालित सहकारी बैंक की शाखाओं में अनट्रेन्ड गनमेनों/गार्डों की भर्ती में भोपाल की नीलगिरी सिक्युरिटी सर्विस से सीधे तौर पर सेटिंग के माध्यम से जो भर्ती की गई वो भी गुपचुप तरीके से अपने अपने सहयोगियों के नाते दारों व रिश्तेदारों को जो एक ही क्षेत्र (बरघाट) के युवकों को लाखों रूपयों के लेनदेन के पश्चात् जिले की 18 शाखाओं जबरन थोपा गया है। इस तरह की जबरन भर्ती बैंक के प्रबंधकों के गले नहीं उतर रही है।
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि वर्तमान में महाप्रबंधक के पद पर आसीन श्री सोनी जो कि अपेक्स बैंक भोपाल के उपाध्यक्ष श्री सोनी के खास रिश्तेदार हैं उन्ही को अपने पक्ष में करते हुये अध्यक्ष ने श्री सोनी को नरसिंहपुर की शाखा से सिवनी में पोस्टिंग कराकर जिले की सोसायिटियों में लूटमार और वर्तमान में की गई अन्ट्रेन्ड गार्डाे की भर्ती को भोपाल की ही सिक्युरिटी सर्विस के माध्यम से कराई है और इनके साथ सुर से सुर मिलाकर बैंक में आगे क्या गुल खिलेंगे यह विचारणीय है?