साधुवाद के पात्र हैं भोजराज मदने और राजेश त्रिवेदी
(लिमटी खरे)
सिवनी जिले को दुर्भाग्य से उबारने के लिए किए गए सद्प्रयासों के लिए पूर्व पार्षद भोजराज मदने और नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी को तहे दिल से सिवनी के सारे निवासी साधुवाद दे रहे होंगे, इसका कारण यह है कि दोनों ही के प्रयासों से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल की महात्वाकांक्षी परियोजना स्वर्णिम चर्तुभुज के अभिन्न अंग उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे के मामले में कम से कम कुछ राहत तो जिले के निवासियों को मिल सकी है। यह अलहदा बात है कि केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आपसी सामंजस्य के अभाव के चलते फोरलेन का विवाद अब तक सुलझ नहीं सका है। ममला सर्वोच्च न्यायालय में अवश्य लंबित है किन्तु कहा जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में महज नो किलोमीटर का ही झगड़ा पहुंचा है, जबकि भूतल परिवहन मंत्रालय के अडंगेबाजी के कारण सिवनी से जबलपुर और नागपुर मार्ग पर लगभग चालीस किलोमीटर का काम जबरिया तरीके से रूका हुआ है। गौरतलब है कि राजेश त्रिवेदी पूर्व में कमल नाथ से मिले और सिवनी की सड़कों को दुरूस्त करवाने का आग्रह किया था। इतना ही नहीं पूर्व पार्षद भोजराज मदने की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद सड़कों पर कुछ स्थानों के उड़े धुर्रे सुधरवाने का काम आरंभ किया जा रहा है। डर इस बात का है कि कहीं श्रेय की गंदी सड़ांध मारती राजनीति में सिवनी की सड़कों का काम आरंभ तो हो जाए पर मंथर गति से उसे चलाकर सिवनी वासियों को प्रताडित किया जाए। हाल ही में संपन्न युवराज राहुल गांधी के दौरों के उपरांत अगर फोरलेन मामले में कोई प्रयास हुए हैं, तो सबसे अधिक आश्चर्य इस बात पर हो रहा है कि किसी भी कांग्रेसी कार्यकर्ता ने युवराज राहुल गांधी का आभार व्यक्त करने के बजाए कमल नाथ का अभार कैसे व्यक्त कर दिया।
वैसे तो सिवनी का दुर्भाग्य किसी से छिपा नहीं है, हर मामले में सिवनी उठकर भोपाल और दिल्ली पहुंचे सियासतदारों ने सिवनी को छलने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। सड़क के मामले में सिवनी वासियों का गंभीर दुर्भाग्य आरंभ हुआ 2008 के बीतने के साथ ही। इस साल विधान सभा चुनावों के चलते ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय की साधिकार समिति (सीईसी) गुपचुप तरीके से सिवनी आई और बिना किसी मुनादी के उसने 18 दिसंबर 2008 तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि के माध्यम से एक एसा आदेश जारी करवा दिया, जो सिवनी वासियों के गले की फांस बन गया। 18 दिसंबर 2008 को जारी आदेश में जिला कलेक्टर ने पूर्व के जिला कलेक्टर्स द्वारा मोहगांव से खवासा तक वन और गैर वन भूमियों पर दी गई वृक्षों की कटाई की अनुमति पर रोक लगा दी थी। जाहिर सी बात है कि जब पेड़ ही नहीं हटेंगे तो सड़क उस स्थान पर कैसे बन पाएगी? इस बात की जानकारी पिछले साल मई माह के बाद ही लोगों को लगना आरंभ हुआ। यहां उल्लेखनीय होगा कि इस रोक के स्थलों पर सड़क के निर्माण में लगे ठेकेदारों द्वारा जगह जगह पुल पुलिया और कलवर्टस आदि का काम कराया गया है।
बताते हैं कि जैसे ही ठेकेदार पर ‘‘उपरी‘‘ दबाव बना ठेकेदार द्वारा काम को कच्छप गति से करना आरंभ कर दिया। यहां तक कि ‘‘उपरी आकाओं‘‘ को प्रसन्न करने की गरज से ठेकेदारों द्वारा जिस स्थान पर रोक नहीं है, उन स्थानों पर भी काम रोक दिया गया। ठेकेदारों के काम से प्रसन्न उपरी आकाओं ने ठेकेदारों को पुरूस्कृत करने में देर नहीं लगाई और एक ठेकेदार को बहुत ही मलाई वाला काम भी मिल चुका है। वैसे भी संसद की स्थाई समिति ने इस बारे में अपनी तल्ख टिप्पणी के साथ राय दी थी कि सड़क परियोजनाओं में की जाने वाली देरी में फंसने वाले अडंगों को अधिकारी, जनप्रतिनिधि मिलकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ही फसाते हैं। बावजूद इसके सड़क परियोजनाओं में जबर्दस्त तरीके से विलंब किया जाता रहा है।
सभी लोगों का ध्यान लगातार इस दिशा में रहा कि किसी भी तरह से फोरलेन के निर्माण में लगे अडंगे दूर हो जाएं ताकि 1545 में शेर शाह सूरी के जमाने की बनाई सड़क का अस्तित्व बना रहे। इसी बीच जिला मुख्यालय सिवनी सहित जिन कस्बों में बायपास का निर्माण करा दिया गया अथवा निर्माणाधीन हैं उन कस्बों में शहर के अंदरूनी भाग की सड़कों के धुर्रे पूरी तरह से उड़ चुके थे। हमने अपने पूर्व के आलेखों में सड़क के धुर्रे उड़ने की बात का अनेक मर्तबा उल्लेख किया है। सिवनी से होकर गुजरने वाले वाहनों के कलपुर्जे इस तरह की जर्जर सड़कों पर से गुजरने के कारण पूरी तरह हिल चुके हैं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। यहां गौरतलब होगा कि जब तक सड़क को आरंभ नहीं करवा दिया जाता तब तक निर्माणाधीन अथवा विवादित या शहर की सीमा के अंदर के मार्गों के रखरखाव की जवाबदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के कांधों पर ही आहूत होती है।
अब जबकि एनएचएआई द्वारा 11 अक्टूबर से द्वारा 4 चरणों में सिवनी शहर के अंदर से होकर गुजरने वाले एवं अन्य कस्बों के अंदर से होकर गुजरने वाले मार्ग का पुर्ननिर्माण का काम आरंभ करवाया जा रहा है, तब इस पुर्ननिर्माण का श्रेय लेने की भी गलाकाट स्पर्धा आरंभ हो गई है, जिसकी निंदा की जानी चाहिए। गौरतलब होगा कि हाल ही में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का सिवनी प्रवास और सबसे महत्वपूर्ण बात कि रात्रि विश्राम भी सिवनी में ही हुआ, तब कांग्रेस सहित अनेक नेताओं ने फोरलेन के मामले में सिवनी वासियों की पीड़ा से युवराज राहुल गांधी को आवगत भी कराया। मीडिया में प्रचारित वक्तव्यों से यही आभास होता है कि फोरलेन के मसले को हर किसी ने बड़ी ही गंभीरता और संजीदा तरीके से युवराज के सामने रखा है।
कांग्रेस ने इस मामले में विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह और भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को इसका श्रेय देते हुए उनका धन्यवाद अदा करना आरंभ कर दिया है। सबसे अधिक आश्चर्य का विषय तो यह है कि अखबारों में प्रचारित वक्तव्यों और खबरों के आधार पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा अपने युवराज राहुल गांधी के समक्ष इस बात को पुरजोर तरीके से तो रखा किन्तु जब श्रेय देने की बात आई तो इस बात का श्रेय राहुल गांधी को किसी ने देना मुनासिब ही नही समझा। हो सकता है कांग्रेस के विज्ञप्तिवीर और विज्ञापनवीर कार्यकर्ताओं के दिल दिमाग पर राहुल गांधी की चमचागिरी नहीं चलेगी की बात घर कर गई हो, किन्तु भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ की ओर से एसा कोई वक्तव्य न आने पर कांग्रेसियों ने उन्हें सिद्ध करना आरंभ कर दिया हो तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। किसी भी कांग्रेसी द्वारा यह न सोच पाने कि हो सकता है राहुल गांधी ने कमल नाथ से इस बारे में जवाब तलब किया होगा, तो राहुल को संतुष्ट करने की गरज से कमल नाथ ने दो साल बाद सिवनी के जर्जर शहरी मार्गों की सुध ली, पर बेहद विस्मय होता है।
इस मामले में ठाकुर हरवंश सिंह का वक्तव्य भी हास्यास्पद ही माना जाएगा कि 11 अक्टूबर से आरंभ हुए चार सड़क सुधार कार्य दो माह पहले ही स्वीकृत करवा लिए गए थे। हास्यास्पद इसलिए कि श्रेय की इस लड़ाई में भला किसी के पास इतना धेर्य होता है कि वह दो माह तक पूर्व स्वीकृत कार्यों का ढिंढोरा न पीटे। मान भी लिया जाए कि बारिश के कारण उक्त कार्य अब आरंभ हो रहे है, किन्तु अगर वाकई में दो माह पूर्व भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने इस कार्य को स्वीकृत करा दिया था तो उसी वक्त विज्ञप्तिीवीर कांग्रेस ने जिला वासियों को यह बात क्यों नहीं बताई कि ये कार्य स्वीकृत हो चुके हैं और दो माह बाद अर्थात बारिश बीतने के साथ ही इन्हें आरंभ करवा दिया जाएगा! कम से कम यह बात ही सिवनी वासियों के रिसते घावों पर मरहम का काम कर जाती। सबसे अधिक आश्चर्य तो इस बात पर भी हो रहा है कि कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री एवं कांग्रेस के सबसे शक्तिशाली महासचिव राहुल गांधी के आगमन पर भी फोरलेन फोरलेन गूंजने के बाद भी कांग्रेस के किसी क्षत्रप ने इस दो माह पूर्व के रहस्य पर से पर्दा नहीं उठाया! इसके अलावा कमल नाथ का पत्र ठाकुर हरवंश सिंह को 09 अक्टूबर को फिर कैसे मिला जिसमें उन्होंने जीर्णोद्धार के काम का शुभारंभ करने की बात कही थी।
भाजपा का यह आरोप काफी हद तक सही प्रतीत हो रहा है कि जब फोरलेन के निर्माण का काम आरंभ करवाया गया था तब तो इस तरह के किसी भी भूमिपूजन या शुभारंभ का आयोजन नहीं किया गया था, फिर अचानक ही कांग्रेस और कमल नाथ को क्या सूझी कि आनन फानन में ही पुर्नरूद्धार के काम का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित करवा दिया गया। सिवनी वासियों की स्मृति में यह बात ताजा ही होगी कि लखनादौन से बरास्ता सिवनी होकर खवासा तक के मार्ग को फोरलेन में तब्दील करने का काम आरंभ किया गया था तब तो किसी भी तरह के तामझाम के साथ किसी भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया था, फिर आज अचानक कांग्रेस को क्या आवश्यक्ता आन पड़ी कि इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करना पड़ा। आरोप प्रत्यारोप करना कांग्रेस और भाजपा का शगल हो सकता है किन्तु इस मामले में सिवनी वासियों को उबड़ खाबड़ सड़क से गुजारने का क्या ओचित्य जबकि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के बालाघाट के भाजपाई सांसद के.डी.देशमुख, मण्डला के कांग्रेसी सांसद बसोरी सिंह, केवलारी के कांग्रेसी विधायक ठाकुर हरवंश सिंह, बरघाट के भाजपाई विधायक कमल मस्कोले, लखनादौन की भाजपा की विधायक श्रीमति शशि ठाकुर एवं सिवनी की भाजपा की विधायिका श्रीमति नीता पटेरिया को सिवनी जिले की जनता ने ही जनादेश देकर जिताया है।
इस मामले में बहुत ज्यादा नहीं बस एकाध पन्ना ही पलटने से स्मृति ताजा हो सकती है। हाल ही में भाजपा की महारैली के उपरांत नगर पलिका परिषद सिवनी के अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी ने भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ से व्यक्तिगत भेंट कर सिवनी शहर के अंदर से होकर गुजरने वाले मार्ग की दुर्दशा की ओर आकर्षित कराया था। कमल नाथ ने उस समय राजेश त्रिवेदी से कहा था कि फोरलेन के प्रकरण में उनका कोई हाथ नहीं है, और न ही उनकी कोई एसी मंशा है कि इसे सिवनी से छीना जाए। बाद मंे राजेश त्रिवेदी द्वारा स्वयं और कांग्रेस के स्थानीय क्षत्रपों के हाथों एक प्रस्ताव बनाकर भी कमल नाथ को भिजवाया था। शहर के विकास के लिए कांग्रेस के क्षत्रपों का राजेश को दिया सहयोग निश्चित तौर से दलगत भावना और श्रेय की गंदी राजनीति से उपर उठकर शहर विकास की सोच का परिचायक ही माना जाएगा।
इसके उपरांत एक बात और सिवनी की फिजां में तैरी है कि पूर्व पार्षद की जनहित याचिका पर प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के लोक कर्म विभाग और राजमार्ग के भोपाल स्थित उच्चाधिकारी को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था। भोजराज मदने की याचिका स्वीकार कर नोटिस जारी करने के उपरांत हरकत में आए एनएचएआई ने 11 अक्टूबर से अगर इन मार्गों की सतह के नवीनीकरण की सुध ली है तो इसका श्रेय भोजराज मदने को जाना चाहिए, किन्तु चूंकि भोजराज मदने भारतीय जनता पार्टी से जुडे रहे हैं, और सिवनी शहर के मध्य से गुजरने वाली सड़क के लिए प्रयास करने वाले राजेश त्रिवेदी भी भाजपा की पृष्ठ भूमि से हैं, अतः कांग्रेस उनको श्रेय कैसे दे सकती है। हमारी नितांत निजी राय में इस पुनीत काम के लिए भाई भोजराज मदने और राजेश त्रिवेदी दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं, इन दोनों की तारीफ की जाना चाहिए, बल्कि सार्वजनिक स्तर पर इस पुनीत काम के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय को जगाने के लिए इनका सम्मान भी किया जाना चाहिए।
वैसे भारतीय जनता पार्टी का एक कदम अवश्य अचरज भरा ही लग रहा है। कल जिला स्तर के नेताओं के खिलाफ प्रेस में कथित तौर पर वक्तव्य देने के मामले में भाजपा ने भोजराज मदने को एक नोटिस जारी कर दिया था। इसके बाद भाजपा द्वारा भोजराज से पूरी तरह परहेज ही किया जाता रहा है। अब जबकि भोजराज मदने की याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया गया है, तब भाजपा उन्हें पूरा सम्मान देते हुए अपनी विज्ञप्ति में उन्हें कार्य समिति का सदस्य भी निरूपित कर रही है।
इस पूरे मामले में चकित करने वाली बात यह सामने आ रही है कि सिवनी के इतिहास में संभवतः यह पहला मौका होगा जबकि किसी मार्ग के पुर्ननिर्माण के शुभारंभ का बाकायदा कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है। चार चरणों में सिवनी शहर, बण्डोल, छपारा और गणेशगंज के शहरी अंदरूनी मार्गों के पुर्ननिर्माण के शुभारंभ का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, जो अपने आप में सचमुच अनोखा ही माना जाएगा। इस मामले में एक पहलू भी पीड़ाजनक ही माना जाएगा कि जब सर्वोच्च न्यायालय में महज नौ किलोमीटर के विवाद पर मामला निर्धारित होना लंबित है तब मोहगांव से खवासा और बंजारी से गनेशगंज के पहले के मार्ग का पुर्ननिर्माण आखिर किसके कहने पर रोक कर रखा गया है?