रविवार, 11 सितंबर 2011

कब तक होगी सिवनीवासियों की अग्निपरीक्षा!


कब तक होगी सिवनीवासियों की अग्निपरीक्षा!

(लिमटी खरे)

भगवान शिव की नगरी है सिवनी। सिवनी में भगवान शिव का वास माना जाता है। सिवनी की जनता भगवान शिव की ही भांति भोली भाली है। नेताओं ने सिवनी वासियों को छलने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। जब जिसका जो मन आया उस तरीके से सिवनी की भोली भाली जनता को उस तरीके से ढाल दिया। ब्राडगेज का झुनझुना हमें सालों साल से पकड़ाया जाता रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही के नेता इसकी असलियत जानते हैं, किन्तु विज्ञप्तिवीर नेता न जाने क्यों जनता से सच्चाई बयान करने से कतराते हैं। शेरशाह सूरी के जामने के एनएच 07 पर 2008 से जमकर सियासत हो रही है। कोई इस मामले में तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ पर दोषारोपण करता है तो कोई अपने ही नेताओं को घेरने की रणनीति बनाता है। किसी का ध्यान भी जनता जनार्दन की ओर नहीं है। जनता के लिए लड़ाई करने का स्वांग सभी रच रहे हैं पर इसका कोई हल निकलकर सामने आता नहीं दिख रहा है। नेतृत्वविहीन सिवनी वासियों की अग्निपरीक्षा सालों साल से होती आ रही है। कोई कहता है सिवनी को भी एक अण्णा हजारे की आवश्यक्ता है। अण्णा तो सैकड़ों हैं सिवनी पर निहित स्वार्थों को ज्यादा तवज्जो देना उनका प्रिय शगल है।

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर देश के सबसे लंबे और व्यस्ततम राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात पर अवस्थित है मध्य प्रदेश का एक छोटा सा जिला सिवनी। सिवनी जिले की स्थापना मध्य प्रदेश की स्थापना के साथ ही 01 नवंबर 1956 को की गई थी। अपनी स्थापना के उपरांत सिवनी ने अनेक पड़ाव और उतार चढ़ाव देखे हैं। अस्सी के दशक के उपरांत सिवनी मे स्वार्थ की राजनीति ने पैर जमाना आरंभ कर दिया। इसके उपरांत यहां के नेतृत्व कर्ताओं ने सिवनी का इतिहास, वर्तमान और भविष्य अपने स्वार्थ के हिसाब से गढ़ना आरंभ कर दिया। आज युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित ही नजर आ रही है। युवाओं में संघर्ष का जज़्बा तो दिख रहा है, किन्तु संघर्ष किस दिशा में किया जाए इस बारे में वे अनजान ही नजर आ रहे हैं। बुनियादी समस्याओं से जूझते सिवनी जिले में अब तो आक्रांताओं ने भी हमले आरंभ कर दिए हैं।

सिवनी की झोली में एक के बाद एक सौगातें डालने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा भी अपने लंबे राजनैतिक जीवन में सिवनी जिले को ब्राडगेज से नहीं जोड़ पाईं। हो सकता है कि वे इसकी इच्छा मन में रखतीं हों पर उनके लग्गु भग्गुओं ने उनका ध्यान इस ओर से हटा दिया हो। सिवनी जिले में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता का कार्यालय, विशालकाय जिला चिकित्सालय, नेशनल हाईवे का कार्यपालन यंत्री कार्यालय, लोक निर्माण विभाग का अधीक्षण यंत्री कार्यालय, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय, एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध संजय सरोवर परियोजनाआदि का श्रेय सुश्री विमला वर्मा को ही जाता है। वहीं दूसरी ओर नब्बे के दशक में उभरे और फिर सिवनी के राजनैतिक परिदृश्य में धूमकेतू बनकर चमकने वाले हरवंश सिंह ठाकुर के खाते में दूरभाष पर एसटीडी की सुविधा लाने का श्रेय जाता है। उस समय गिनती के शहरों में एसटीडी की सुविधा हुआ करती थी।

सिवनी का औद्योगिक पिछड़ापन किसी से छिपा नहीं है। सिवनी के उद्योगों में राजाधिराज इंडस्ट्रीज़ और क्रिसेंट एलांयस का नाम शिखर पर हुआ करता था। इसके अलावा देशी शराब आसवानी का भी खासा बोलबाला था। राजनैतिक संरक्षण के अभाव में एक के बाद एक यहां के उद्योग धंधे दम तोड़ते चले गए। आज सिवनी में उद्योग के नाम पर कुछ नहीं बचा है। वहीं अगर पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा या बालाघाट पर नजर डाली जाए तो दोनों ही जिले औद्योगिक रूप से काफी हद तक सग्रद्ध माने जा सकते हैं। दोनों ही जिलों के जनप्रतिनिधियों चाहे वे सांसद हों या विधायक और चाहे किसी भी राजनैतिक दल के हों ने अपने अपने जिलों को समृद्ध करने का भरसक प्रयास किया है दलगत भावना से उपर उठकर। दोनों ही जिलों की जनता अपने सशक्त नेताओं की सरपरस्ती में चैन से दिखती है।

सिवनी के विकास में सबसे बड़ी बाधा निश्चित तौर पर रेल से न जुड़ा होना ही है। सिवनी के सीमावर्ती जिलों में जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, नागपुर की जनता ब्राडगेज के मजे ले रही है। मण्डला की जनता जल्द ही जब जबलपुर से बालाघाट की ब्राडगेज अमान परिवर्तन योजना पूरी हो जाएगी तब इसका आनंद ले पाएगी। रह जाएंगे तो इसके मध्य में रहने वाले सिवनी वासी। हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सिवनी जिले के सांसदों और विधायकों ने कभी भी ईमानदारी से सिवनी में ब्राडगेज लाने का प्रयास नहीं किया। जब भी बिल्ली के भाग से छीका टूटा और सिवनी के किसी रेल परियोजना का नाम बजट में जुड़ा वैसे ही श्रेय लेने के लिए नेताओं ने भर भर पेज विज्ञापन जारी करवा दिए। इसके बाद पता नहीं किस मुंह से वे जनता के बीच जाकर उसका सामना करने का साहस जुटा पाते हैं।

सिवनी में रेल तो नहीं है पर सिवनी की जीवनरेखा मानी जाती है नेशनल हाईवे नंबर सात। उत्तर में जबलपुर तो दक्षिण में नागपुर से जुड़े इस मार्ग पर से रोजाना हजारों की तादाद में वाहन गुजरते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में चारों महानगरों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की नींव रखी गई। इसके उपरांत जब उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम जाने वालों की परेशानियों पर विचार किया गया तब उत्तर दक्षिण एवं पूर्व पश्चिम फोरलेन गलियारे की आधार शिला रखी गई। भगवान शिव एक बार फिर सिवनीवासियों पर प्रसन्न हुए। नेताओं के लाख बुरा चाहने के बावजूद भी उत्तर दक्षिण गलियारा सिवनी से होकर गुजारा गया।

इसके बाद इस गलियारे पर एक बार फिर नेताओं की कुदृष्टि हो गई। समचे भारतवर्ष में संभवतः सिवनी जिला ही होगा जहां इस मार्ग के निर्माण में बाधाएं उतपन्न की गईं। कृत्रिम तौर पर उतपन्न इन बाधाओं को जब तक लोग समझ पाते तब तक तो पानी सर के उपर आ चुका था। मामला सर्वोच्च न्यायालय की चौखट पर था। हमने अपने पूर्व के आलेख 09 जुलाई 2009, ‘उत्तर दक्षिण गलियारे में पर्यावरण का पेंचइसके उपरांत 27 जुलाई 2009 को सांप ही मारें, लकीर न पीटें‘, 16 जुलाई 2010, ‘सड़क किनारे खिले कमल में उगने लगे हैं कांटे!‘, 03 अगस्त 2010 को तारीफे काबिल है स्वप्रेरणा से किया अहिंसक विरोधफिर 08 अगस्त 2010 को किस षणयंत्र के तहत किसने रूकवाया था काम‘, 10 अगस्त 2010 के आलेख आखिर क्या बला है सीईसीआदि में इस फोरलेन के बारे में काफी कुछ सविस्तार लिखा था। अंततः 27 जुलाई के आलेख सांप ही मारें लकीर न पीटें की तर्ज पर आज हम लकीर को ही पीट रहे हैं सांप तो कब का गुजर चुका।

यक्ष प्रश्न आज भी यही खड़ा हुआ है कि जब एक जिलाधिकारी के आदेश को उनके स्थान पर आए जिलाधिकारी ने 18 दिसंबर 2008 को निरस्त कर दिया तब क्या नया जिलाधिकारी इसे निरस्त नहीं कर सकता? सर्वोच्च न्यायालय ने आखिर क्या व्यवस्था दी? क्या यह सब करने से मार्ग के गड्ढ़े भर गए। जुलाई 2009 से अब तक फोरलेन से संबंधित हमारी खबरों या आलेखों में हमने सदा ही इस बात पर जोर दिया था कि कम से कम सड़क के गड्ढ़े तो भरवा ही दिए जाएं। विडम्बना ही कही जाएगी कि किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

आश्चर्य तो तब हुआ जब पिछले दिनों सिवनी के उत्तर की ओर एक ट्रक गड्ढ़ा बचाने के चक्कर में पलट गया और चालक की मौत हो गई, पर सिवनी के नेतागण खामोश बैठे रहे। उत्साही युवा नरेंद्र ठाकुर साधुवाद के पात्र हैं कि वे सदा इस मार्ग को लेकर जन जागृति पैदा करते रहते हैं। कुरई में ट्रक पलटा और एक महिला की मौत हो गई। इस बारे में भी गुड्डू ठाकुर ने ही बैठक आयोजित कर बंद का आव्हान किया है। सड़क के जर्जर होने का असर जनसेवकों पर नहीं पड़ेगा क्योंकि वे तो मंहगी और विलासिता वाली गाड़ियों अथवा सरकारी या फिर किराए के वाहन में ही भ्रमण करते हैं। इसके लिए उन्हें सरकार से बाकायदा प्रति किलोमीटर भाड़ा भी मिलता है।

असली मरण तो आम जनता की होती है। अब तो लदे फदे ट्रक भी गड्ढ़े बचाने के चक्कर में सड़कों पर लोट रहे हैं। इसके साथ ही साथ रख रखाव के अभाव में यह मार्ग भी अब बली लेने लगा है। गड्ढ़ों में हाल ही में यह दूसरी मौत है। इसके बाद भी न तो एनएचएआई ही जागा है और ना ही सांसद विधायक साहेबान भी। सांसद के.डी.देशमुख ने तो इस बात को भी स्वीकारा है कि उन्होने इस मामले को संसद में अब तक नहीं उठाया है। सवाल यह उठता है कि संसद में इस मामले को उठाने की जवाबदेही आखिर किसकी है? देखा जाए तो यह मार्ग सिवनी मण्डला के कांग्रेसी सांसद बसोरी मसराम, सिवनी बालाघाट के सांसद के.डी.देशमुख के साथ ही साथ भाजपा विधायक शशि ठाकुर, नीता पटेरिया, कमल मस्कोले के साथ ही साथ कांग्रेस के क्षत्रप और केवलारी विधायक हरवंश सिंह ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र से होकर भी गुजरता है। जनता ने जनादेश देकर इन्हें चुना है, फिर ये जनादेश का अपमान करने का साहस आखिर कैसे जुटा पा रहे हैं?

अण्णा हजारे के आंदोलन में सिवनी वासियों का गुस्सा फट पड़ा उसे देखकर लगा कि नेताओं के मन में जनता का भय फिर जागा होगा। हालात देखकर अब लगने लगा है कि सांसद विधायकों को शायद जनता की परवाह कतई नहीं है। जनता की चिंता उन्हें बस चुनाव के एक माह पहले ही होती है। इतना ही नहीं लोकसभा या विधानसभा में पराजित नेताओं को भी जनता की सुध नहीं है। चुनाव आते ही वे एक बार फिर जनता के खालिस हिमायती बने नजर आएंगे। कभी जनता का स्वप्रेरित जनता कर्फ्यू देखने को मिलता है तो कभी अण्णा के समर्थन में बच्चों युवाओं बुजुर्गों की टोली का उत्साह देखते बनता है, फिर दिमाग में एक नेता हरीश क्षेत्रपाल की बात हथोड़े सी बज उठती है -‘‘यह मुर्दों का शहर है प्यारे।‘‘

हालात देखकर लगता है मानो कांग्रेस भाजपा सहित सारे दलों के नेता भगवान शिव की नगरी सिवनी के निवासियों की अग्निपरीक्षा ले रहे हैं। यह अग्निपरीक्षा का दौर आखिर कब समाप्त होगा? सभी को इंतजार है कि यह जल्दी ही समाप्त हो जाए। वरना अगर भगवान शिव के इस सिवनी जिले में जनता ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया तो . . .।