बुधवार, 15 मई 2013

कांग्रेस के आधार स्तंभ दादा ठाकुर पंच तत्व में विलीन


कांग्रेस के आधार स्तंभ दादा ठाकुर पंच तत्व में विलीन

राजकीय सम्मान के साथ हरवंश सिंह को दी नम आखों ने अंतिम बिदाई

सिवनी (साई)। जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी की धुरी बन चुके हरवंश सिंह ठाकुर को आज हजारों की तादाद में नम आखों ने विदाई दी। ज्ञातव्य है कि सोमवार और मंगलवार की दर्मयानी रात में उनका निधन हो गया था। प्रत्तुत है समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो से संजीव प्रताप सिंह, पीयूष भार्गव, महेश रावलानी और शरद खरे उनके गृह ग्राम बर्रा, छपारा, छपारा खुर्द जिला चिकित्सालय सिवनी से आखों देखा हाल।
मध्य्ाप्रदेश विधानसभा के उपाध्य्ाक्ष स्व. हरवंश सिंह का अंतिम संस्कार आज सिवनी जिले में उनके गृह ग्राम बर्रा के निकट ग्राम छपाराखुर्द में पूर्ण राजकीय्ा सम्मान के साथ संपन्न हुआ। स्व. श्री सिंह के ज्य्ोष्ठ पुत्र्ा रजनीश ठाकुर ने उन्हें मुखाग्नि दी। मुख्य्ामंत्र्ाी शिवराज सिंह चौहान सहित बडी संख्य्ाा में राजनेताओं तथा जन-सामान्य्ा ने अंत्य्ोष्टि में भाग लिय्ाा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा के एक सामाजिक कार्यक्रम में शिरकत करने के उपरांत हरवंश सिंह सिवनी के बस स्टेंड स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर पहुंचे। युवा भाजपा नेता नरेंद्र ठाकुर ने बताया कि लक्ष्मी नारायण मंदिर में हरवंश सिंह ठाकुर ने काफी लंबा समय बिताया, जहां उन्होंने लोगों से चर्चा भी की।
हरवंश सिंह के पारिवारिक सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि रात में उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई जहां से उन्हें समीपस्थ छपारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में उन्हेें आक्सीजन लगाई गई। चिकित्सकों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें सिवनी रिफर कर दिया।
सिवनी में गहन चिकित्सा इकाई, आईसीयू में डॉ.ए.के.तिवारी ने उनका परीक्षण किया किन्तु उन्हें नहीं बचाया जा सका। रात लगभग दो बजकर चालीस मिनिट पर चिकित्सकों ने उनकी मोत की पुष्टि की।
जैसे ही रात में हरवंश सिंह की तबियत बिगड़ने की खबर लोगों को मिली रात में एक के बाद एक मोबाईल घनघनाने लगे। देखते ही देखते लोग अस्पताल में जमा होने लगे। सुबह होते होते अस्पताल में हरवंश सिंह के समर्थकों, पत्रकारों, उनके चाहने वालों का हुजूम लग गया था।
सुबह लगभग पांच बजकर बीस मिनिट पर उनके पार्थिव शरीर को आईसीसीयू से बाहर निकालकर एंबूलेंस से उनके गृह ग्राम बर्रा भेज दिया गया।
आज दिन भर बर्रा में व्हीव्हीआईपी पर्सन का आना जाना लगा रहा। एनएचएआई की सड़क से उनके गृह ग्राम तक सड़क पर वाहनों की रेलम पेल देखते ही बन रही थी। लोग बमुश्किल उनके गावं तक पहुंच पा रहे थे। जब उनके पार्थिव शरीर को बाहर निकाला गया तब उनके समर्थक गगन भेदी नारे लगाते देखे गए। इसी दौरान उन्हें सलामी गारद ने उनके शरीर पर तिरंगा उढाकर सलामी दी।
इसी दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह, कमल नाथ के ज्येष्ठ पुत्र नकुल नाथ, उनके निज सचिव राजेंद्र मिगलानी भी वहां पहुंच गए। उनके पार्थिव शरीर के साथ विधि विधान चल ही रहा था कि वाहन की रेलमपेल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहन भी अपने चिरपरिचित सादगी भरे अंदाज में पैदल ही वहां पहुंचे।
इसके बाद पुलिस के वाहन में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ ले जाया गया। रास्ते भर उनके समर्थकों की भीड़ का सैलाब इस कदर उमड़ा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस महानिरीक्षक संजय झा एवं उप महानिरीक्षक उमेश जोगा, पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला को खुद मैदान संभालना पड़ा।
रास्ते पर उनके समर्थकों की भीड़ को देखते हुए सिवनी से जबलपुर जाने वाले यातायात को कुछ समय तक रोक दिया गया। जब उनका पार्थिव शरीर छपारा खुर्द में बैनगंगा के तट पर पहुंचा तो वहां वाहनों का तांता देखते ही बना। लगभग एक हजार से ज्यादा दुपहिया चौपहिया वाहनों की कतारें पहले से ही वहां लगी थी।
मुख्य्ामंत्र्ाी ने स्व. हरवंश सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किय्ाा और उनकी अर्थी को कांधा भी दिय्ाा। ग्राम बर्रा से छपाराखुर्द तक करीब ७ किलोमीटर की शवय्ाात्र्ाा में भी मुख्य्ामंत्र्ाी शामिल रहे। शोक सभा में स्व. हरवंश सिंह को श्रद्घांजलि अर्पित करते हुए मुख्य्ामंत्र्ाी श्री चौहान ने कहा कि स्व. श्री सिंह दलगत राजनीति से सर्वथा परे थे। वह शालीनता और शिष्टाचार की राजनीति के प्रतीक थे। वे एक कर्मठ राजनेता थे। इसके साथ-साथ वे एक नितांत उच्च कोटि के समन्वय्ाक भी थे और सबको साथ लेकर चलने की उन्हें एक अद्भुत महारत हासिल थी। उनके निधन से प्रदेश ने एक कर्मठ और समर्पित नेता हमेशा के लिय्ो खो दिय्ाा है। मुख्य्ामंत्र्ाी श्री चौहान ने कहा कि १७ मई को सिवनी जिले में होने वाले वैनगंगा महोत्सव में आने के लिय्ो स्वं. श्री सिंह ने उन्हें आमंत्र्ाित भी किय्ाा था और इसी सिलसिले में वे १७ मई को सिवनी आने वाले थे। परन्तु स्व. श्री सिंह के अकस्मात निधन से उन्हें इस तरह बर्रा आना पडेगा, य्ाह कभी सोचा नहीं था। उन्होंने स्व. श्री सिंह के शोक संतप्त परिवार को इस गहन दुःख को सहन करने की शक्ति देने तथा दिवंगत आत्मा की शांति के लिय्ो ईश्वर से प्रार्थना की।
स्व. हरवंश सिंह की अंत्य्ोष्टि में विधानसभा अध्य्ाक्ष ईश्वरदास रोहाणी, पशुपालन मंत्र्ाी अजय्ा विश्नोई, स्वास्थ्य्ा एवं संसदीय्ा कायर््ा मंत्र्ाी नरोत्तम मिश्रा, लोक स्वास्थ्य्ा य्ाांत्र्ािकी एवं सहकारिता मंत्र्ाी गौरीशंकर बिसेन, स्कूल शिक्षा राज्य्ा मंत्र्ाी एवं सिवनी जिले के प्रभारी मंत्र्ाी नानाभाऊ मोहोड, कृषि राज्य्ा मंत्र्ाी श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, बालाघाट-सिवनी के सांसद के.डी. देशमुख, मंडला-सिवनी के सांसद  बसोरी सिंह मसराम तथा राज्य्ासभा सदस्य्ा फग्गन सिंह कुलस्ते, विधाय्ाक श्रीमती नीता पटेरिय्ाा, श्रीमति शशि ठाकुर, कमल मर्सकोले, संजय्ा पाठक, दीपक सक्सेना, लखन घनघोरिय्ाा, मध्य्ाप्रदेश राज्य्ा वित्त आय्ाोग के अध्य्ाक्ष डॉ. ढाल सिंह बिसेन, महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्य्ाक्ष नरेश दिवाकर और अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्य्ाक्ष इंद्रेश गजभिय्ो भी शामिल हुए। स्व. हरवंश सिंह को मध्य्ाप्रदेश कांग्रेस के अध्य्ाक्ष कांतिलाल भूरिय्ाा, प्रदेश के पूर्व मुख्य्ामंत्र्ाी दिग्विजय्ा सिंह, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय्ा सिंह राहुल’, एमपी बार कोंसिल के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर नीखरा, कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ, आय्ाुक्त जनसम्पर्क राकेश श्रीवास्तव, संभागाय्ाुक्त जबलपुर दीपक खांडेकर, आई.जी. संजय्ा झ्ाा, जिला पंचाय्ात अध्य्ाक्ष सिवनी मोहन चंदेल, जिला केन्द्रीय्ा सहकारी बैंक के अध्य्ाक्ष अशोक तेकाम, पूर्व भाजपा अध्य्ाक्ष सुजीत जैन, नपाध्य्ाक्ष राजेश त्र्ािवेदी, अन्य्ा वरिष्ठ अधिकारी और बडी संख्य्ाा में लोगों ने अंत्य्ोष्टि में भाग लेकर स्व. श्री सिंह को अपनी भावभीनी श्रद्घांजलि अर्पित की।
अंत्य्ोष्ठी स्थल पर भी स्व. श्री हरवंशसिंह जी के पार्थिव शरीर को गार्ड आफ आनर और तीन बार फाय्ार कर सलामी दी गई। मोक्षधाम स्थल पर मुख्य्ामंत्र्ाी श्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य्ा मंत्र्ाीगणों ने भी पुष्प चक्र अर्पित कर दिवंगत श्री सिंह को अपनी श्रंद्वाजलि अर्पित की।
0 राज्य्ापाल की ओर से ओ.एस.डी. ने पुष्प चक्र अर्पित किय्ाा
मध्य्ा प्रदेश के राज्य्ापाल रामनरेश य्ाादव की ओर से उनके ओ.एस.डी. ने आज मध्य्ाप्रदेश विधानसभा के उपाध्य्ाक्ष हरवंश सिंह के पार्थिव शरीर पर अंत्य्ोष्टी स्थल में पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें राय्ापाल महोदय्ा की ओर से भावभीनी श्रंद्वाजलि अर्पित की।
0 सिवनी जिले में राष्ट्रीय्ा ध्वज आधे झ्ाुकें रहे, शासकीय्ा कायर््ाालय्ाों में अवकाश रहा
राज्य्ा शासन द्वारा म.प्र. विधानसभा के उपाध्य्ाक्ष श्री हरवंश सिंह के निधन पर उनकी राजकीय्ा शवय्ाात्र्ाा एवं अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय्ा सम्मान के साथ करने का निर्णय्ा लिय्ो जाने के परिप्रेक्ष्य्ा में १४ मई को सिवनी जिले में राष्ट्रीय्ा ध्वज आधे झ्ाुके रहें और शासकीय्ा कायर््ाालय्ाों में भी पूरे दिन का अवकाश रहा।
0 रात में ही रजनीश गये थे भोपाल
बताया जाता है कि ठा. हरवंश सिंह के बड़े पुत्र ठा. रजनीश सिंह रात के समय भोपाल के लिये रवाना हुये थे, जिसके चलते ठा. हरवंश सिंह के अंतिम समय में वह उनके पास नहीं रह सके। जब डॉक्टर तिवारी ने यह पुष्टि की कि श्री सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे तो फिर बमुश्किल ठा. रजनीश को यह बताया गया कि दादा ठाकुर शांत हो गये।
0 अस्पताल पहुंचे नेता
मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह को गंभीर अवस्था में जिला चिकित्सालय लाने के समाचार हाजी सोहेल पाशा को सबसे पहले लगी, तब उन्होंने इसकी जानकारी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी के साथ साथ अन्य नेताओं को भी दी। इसके बाद कुछ नेता जिला चिकित्सालय पहुंच गये। वहीं पर जब इस बात की पुष्टि हुई कि ठा. हरवंश सिंह का निधन हो चुका है। इसके पश्चात रात के समय ही धीरे- धीरे सैकड़ों लोग अस्पताल पहुंच गये, जिन्में प्रमुख रूप से हीरा आसवानी, राजकुमार खुराना, मो. असलम, प्रसन्न मालू, समी ठेकेदार, सुरेंद्र करोसिया, जकी अनवर खान, संतोष पंजवानी, विष्णु करोसिया, राजिक अकील, महेश डहेरिया, इब्राहिम पार्षद, नरेंद्र ठाकुर, अजय बाबा पाण्डेय सहित मीडिया के लोग मौजूद थे।
0 प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचे
मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह के निधन का समाचार सुनते ही जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला, प्रभारी कलेक्टर श्रीमती प्रियंका दास सहित अन्य अधिकारी अस्पताल पहुंचे और श्री सिंह के निधन पर शोक जताया।
0 लक्ष्मीनारायण मंदिर में किया अंतिम दर्शन
13 मई को श्री सिंह अक्षय तृतीया के मौके पर छिंदवाडा में आयोजित एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सिवनी वापस आए और देर रात हरवंश सिंह बस स्टेंड स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर गये, जहां उन्होंने काफ ी देर तक समय बिताया और वहां मौजूद लोगों से चर्चायें की। इसके पश्चात वह एक अन्य विवाह समारोह में शामिल होने चले गये।
0 एक बेटी के विवाह में हुए थे शामिल
लक्ष्मीनारायण मंदिर से निकलने के बाद ठा. हरवंश सिंह सिमरिया निवासी देवराम डहेरिया की पुत्री के विवाह समारोह में शामिल होने सिमरिया गये और उन्होंने वहां श्री डहेरिया की पुत्री को आर्शीवाद दिया और लगभग 15 से 20 मिनट तक वहां रहने के पश्चात वह बर्रा के लिये रवाना हुए।
0 मुझसे जो गलती हुई क्षमा करना
26 अप्रैल को मधुबन कृषि फार्म में हुई प्रेसवार्ता जिले के सभी मीडिया कर्मियों को याद होगी। जब ठा. हरवंश सिंह ने अपने दोनों हाथों को जोड़कर सभी पत्रकारों से विनम्रता पूवर्क कहा था कि यह मेरे जीवन का आखिरी कार्यक्रम है, इसलिए मेरे जीवन में आज से पहले जो भी गलतियां हुई हो उसे क्षमा करें। श्री सिंह द्वारा कहे ये इस जुमले को सुन कमोबेश सभी पत्रकार स्तब्ध रह गये थे। तभी से श्री सिंह का अधिकांश समय धार्मिक कार्यक्रमों में ही गुजर रहा था। 28 मई से 04 अप्रैल तक आप स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज के सानिध्य में रहे। उनके जाने के पश्चात ठा. हरवंश सिंह अपने गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज की सेवा में लग गये। कुल मिलाकर अप्रैल के अंतिम सप्ताह से मई के द्वितीय सप्ताह तक वह संतों के सानिध्य में ही रहे, जिसे देखकर ऐसा महसस हुआ मानो ठा. हरवंश सिंह को इस बात का एहसास पहले ही हो चुका था कि अब उनकी सांसे थमने वाली है और वह संतों के सानिध्य के बाद ईश्वर के सानिध्य में जाना चाहते हैं।
0 धर्म के प्रति संवेदनशील रहे हैं हरवंश सिंह
जिले के गांव-गांव मे युवाओं से लेकर बुजुर्गों के बीच अपनी सीधी पहचान रखने वाले ठाकुर हरवंश सिंह इस जिले के लाड़ले नेता से दादा ठाकुर तक की उपमाएं पा चुके हैं। जिले का शायद ही कोई गांव हो जहां पूरी निकटता के साथ उनकी पहचान के 10-25 लोग (जिनमें महिलाएं तक शामिल) मिल ही जायेंगी। राजनीति के अलावा सामाजिक गतिविधियों और धार्मिक आयोजनों में भी उनकी कार्यकुशलता अद्वितीय रही है। द्विपीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य के शिष्य होने के नाते उन्होंने अपने पहले मंत्रित्व कार्यकाल में शंकराचार्य की जन्म स्थली दिघौरी को उन्होंने गुरूधाम जैसे तीर्थ के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका  निभाई। इस आयोजन के दौरान न केवल सनातन धर्म के दो अन्य शंकराचार्यों को उन्होंने यहां आमंत्रित किया था, वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी बुलाने में सफलता पाई थी। इसके पूर्व वे अपने ही गृहग्राम में शंकराचार्य के मुखारविंद से श्रीमद भागवत कथा का ऐसा आयोजन कर चुके थे, जिसमें प्रदेश और देश के कई प्रतिष्ठित जनप्रतिनिधि उपस्थित हुये थे। गुरूधाम के बाद हरवंश सिंह ने मझगवां के मौनी बाबा आश्रम में बैनगंगा महोत्सव प्रतिवर्ष मनाने की परंपरा प्रारंभ की है। हाल ही में उन्होंने अपने गृहग्राम में न केवल 28 मार्च से 4 अप्रैल तक विश्वविख्यात रामकथा वाचक अवधेशानंद गिरी के मुखारबिन्द से लोगों को रामकथा का रसपान कराया, वहीं बिछुआ में एक देवी मंदिर का निर्माण में सहयोग देकर द्विपीठाधीश्वर के करकमलों से वहां उन्होंने सिंहवाहिनी देवी की प्रतिमा भी स्थापित कराई है। रामकथा के आयोजन के दौरान अपने संबोधन में हरवंश सिंह ने इस कार्यक्रम को अपना अंतिम धार्मिक कार्यक्रम भी बताया था। अपनी धर्मनिष्ठा के चलते ठाकुर हरवंश सिंह ने न सिर्फ सनातन धर्म के साधुसंतों बल्कि जैन धर्म के कड़वे प्रवचन देने वाले मुनि तरूण सागर, रावतपुरा सरकार और रामदेव बाबा जैसों से भी अपने सीधे संबंध होने का प्रमाण भी दिया है।


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सेवादल से आरंभ किया था राजनैतिक सफर
कांग्रेस सेवादल के सदस्य के रूप में सिवनी से कांग्रेस की राजनैतिक यात्रा प्रारंभ करने वाले ठाकुर हरवंश सिंह का जन्म 1949 में छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम बिंदरई में हुआ था। कुछ ही समय बाद उनके पिता बर्रा आकर रहने लगे और अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद ठाकुर हरवंश सिंह सिवनी में रहकर महाविद्यालय और फिर विधि की शिक्षा पूरी की। इसी दौरान वे कांग्रेस संगठन से जुड़ गये थे और संवादल के अध्यक्ष बनने के साथ ही उन्होंने जिले के विभिन्न पदों पर रहकर प्रदेश की राजनीति में भी अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। धीरे-धीरे हरवंश सिंह का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और वे सिर्फ जिले ही नहीं संभाग और प्रदेश में अपनी एक खास जगह बनाने में सफल भी हो गये। हरवंश सिंह जिले के पहले ऐसे नेता हैं जो बिना चुनाव लड़े ही प्रदेश के दर्जा प्राप्त मंत्री होने का गौरव रखते थे। वर्ष 1981-82 में अर्जुनसिंह के मुख्य मंत्रित्वकाल में उन्हें हाथ करघा समिति का अध्यक्ष बनाया जाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। इसके बाद उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महत्वपूर्ण पद दिये जाकर कई स्थानों चुनाव प्रभारी भी बनाया जाता रहा। 1990 में सबसे पहले उन्हें सिवनी विधानसभा से इंका प्रत्याशी के रूप में उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन इस चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। 1993 में सम्पन्न हुये दसवीं विधानसभा के चुनाव में हरवंश सिंह को केवलारी विधानसभा से उम्मीदवार बनाया गया और तब से लेकर अब तक वे न सिर्फ इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, बल्कि दिग्विजय सरकार के 10 वर्षीय कार्यकाल में वे लोक स्वास्थ्य परिवहन, वन, पर्यावरण जैसे विभागों के मंत्री भी रहे। इसी दौरान उन्होंने तेंदूपत्ता बोनस के कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुये लखनादौन जैसे स्थान में सोनिया गांधी को आमंत्रित कर अपनी उच्च स्तरीय राजनैतिक पहुंच का प्रमाण दिया है। वर्तमान विधानसभा में आपकी वरिष्ठता को ध्यान में रख प्रदेश सरकार ने उन्हें विधानसभा का उपाध्यक्ष जैसा गरिमामय और संवैधानिक पद सौंपा गया। इन सभी जिम्मेदारियों को वे पूरी कुशलता के साथ निर्वहन करते आ रहे थे।

शोक संवेदनाओं का दौर जारी
जिले व कांग्रेस के कद्दावर नेता ठा.हरवंश सिंह के निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष सहित अनेक केंद्रीय नेताओं मंत्रियों ने अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की है जिले के जनप्रतिनिधियों राजनैतिक दलों ने भी उनके निधन पर अपना गहरा शोक व्यक्त करते हुए शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति की कामना कर शोक संतप्त परिजनों को इस दारूण दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना परमपिता परमेश्वर से की है।
0 जिला भाजपा
जिले एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह का आकस्मिक निधन स्तब्धकारी है। उनका निधन जिले के लिए अपूर्णीय क्षति है। शालीनता के पर्याय और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हरवंश सिंह के एका-एक निधन से जिले की राजनीति में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हा गया है।
हरवंश सिंह के निधन पर जिला भाजपा अपनी गहन शोक संवेदना व्यक्त कर उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती है। दुःख के इन क्षणों में भाजपा जिला अध्यक्ष नरेश दिवाकर, वरिष्ठ नेता डॉ.ढाल सिंह बिसेन, सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, लखनादौन विधायक श्रीमति शशि ठाकुर, बरघाट विधायक कमल मर्सकोले, पूर्व जिला अध्यक्ष वेदसिंह ठाकुर, सुदर्शन बाझल, सुजीत जैन, सहकारी बैंक अध्यक्ष अशोक तेकाम, नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी मीडिया प्रभारी श्रीकांत अग्रवाल नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी सहित निलेश द्वारा जिला भाजपा के सभी जन-प्रतिनिधियों पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं द्वारा शोक संवेदना व्यक्त की गई है।
0 जिला गोंगपा
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी म.प्र. विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह के हृदयाघात के कारण हुये आकस्मिक निधन से सिवनी जिला ही नहीं मध्य प्रदेश को भी अपूर्णीय क्षति हुई है, उक्त जारी बयान में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष दादा हीरा सिंह मरकाम की ओर से निज सचिव श्याम सिंह मरकाम ने शोक भरे उद्गार व्यक्त करते हुये कहा कि राजनैतिक नेतृत्व के माध्यम से देश व प्रदेश में सिवनी जिले की पहचान बनाने में ठाकुर हरवंश सिंह का विशेष योगदान रहा है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बड़ादेव से प्रार्थना करती है कि विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह के शोकसंतप्त परिवारजनों को इस दुःख की घड़ी में सहन शक्ति प्रदान करें एवं हरवंश सिंह की आत्मा को शांति मिलें। विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह के आकस्मिक निधन पर गोंडवाना गण्धतंत्र पार्टी मध्यप्रदेश अध्यक्ष कमल मरावी, प्रदेश महासचिव पूनम सिंह भार्वे, जिला अध्यक्ष सिवनी हरिश्चंद उईके , श्याम परते, जिला कार्यवाहक अध्यक्ष, पूर्व विधायक रामगुलाम उईके, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष मो.ईस्माईल खान, धनौरा ब्लॉक अध्यक्ष दादा संतराम उईके, केवलारी ब्लॉक अध्यक्ष सी.आर.उईके, लखनादौन ब्लाक अध्यक्ष गौतम शाह मरावी, घंसौर ब्लाक अध्यक्ष जय सेवा गुरू जी, छपारा ब्लाक अध्यक्ष सदम सिंह बरकड़े, सिवनी ब्लाक अध्यक्ष कृष्ण कुमार धुर्वे, बरघाट ब्लाक अध्यक्ष सुरेन्द्र शरणागत कुरई ब्लाक कार्यवाहक अध्यक्ष, ओमप्रकाश मेश्राम, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष रामेश्वर तुमराम, मातृशक्ति प्रकोष्ठ अध्यक्ष मेमबती अहाके, कार्यवाहक मातृशक्ति प्रकोष्ठ अध्यक्ष हेमंतकुमारी बरकड़े सहित समस्त गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने शोक संवेदना व्यक्त कर शोक संतप्त परिवार को सहन शक्ति प्रदान करने हुतु प्रार्थना कर मृत आत्मा की शांति हेतु कामना की है।
शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में इंका नेता आशुतोष वर्मा, राजकुमार खुराना, पूर्व मंडी अध्यक्ष दिलीप बघेल, जनपद सदस्य कीरथ सिंह बघेल, जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया, चांवल मंडी के सुनील बघेल, भाजपा नेत्री श्रीमती पुष्पा मेंहदीरत्ता, युवक कांग्रेस के राजा बघेल, नगर अध्यक्ष इमरान पटेल, जिलाध्यक्ष हीरा आसवानी व पार्टी प्रवक्ताद्वय ओमप्रकाश आदि का समावेश रहा।

शलाका पुरूष हरवंश सिंह


शलाका पुरूष हरवंश सिंह

(लिमटी खरे)

ठाकुर हरवंश सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं। हरवंश सिंह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना सूरज को रोशनी दिखाने जैसा ही होगा। हरवंश सिंह ठाकुर ने गरीब परिवार में जन्म लेकर हर मायने में जिन उचाईंयों को छुआ है वह हर किसी के बस की बात नहीं है। इस मार्ग में उन्हें ना जाने कितने शूल निकालने पड़े, ना जाने कितने नश्तर चुभे होंगे, ना जाने कितनी प्रतिकूल धाराओं का सामना करना पड़ा होगा यह तो वे ही जानें पर हरवंश सिंह कभी डिगे नहीं, रूके नहीं।
सिवनी में कांग्रेस का एक बड़ा तबका हर गल्ति को ठाकुर साहेब के मत्थे मढ़कर अपने दायित्वों और कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। दरअसल, सिवनी में एक अजीब सी परंपरा का आगाज हो चुका है। सिवनी में हरवंश सिंह के निधन से एक रिक्तता आई है, जिसे जल्द ही सिवनी के कांग्रेस के नेता महसूस करने लगेंगे।
सिवनी में विमला वर्मा के उपरांत हरवंश सिंह ही थे जो कांग्रेस को जिंदा रखते थे। दलगत सामंजस्य भी वे बेहतर तरीके से ही बनाने में सक्षम थे। आज उनके निधन के उपरांत उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़ ने साबित कर दिया है कि हरवंश सिंह वाकई शलाका पुरूष थे।
संगठन में उनकी पकड़ का कोई सानी नहीं था। एक वाक्या याद पड़ता है। एक बार एक काम के सिलसिले में प्रदेश के तत्कालीन वित्त मंत्री कर्नल अजय नारायण मुश्रान के पास जाना हुआ। वहां प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठनात्मक ढांचे के बारे में उनसे एक अन्य मंत्री चर्चा कर रहे थे। हमारे अभिवादन को कर्नल साहेब ने मुस्कुराकर जवाब दिया और कुर्सी पर बैठने का संकेत किया। इसके उपरांत उन्होंने कहा कि राजा साहेब (तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह) ंके पास इतना समय नहीं है कि वे संगठन को देख सकें। ऐसी परिस्थितियों में हरवंश सिंह ही दूसरे सक्षम व्यक्तित्व हैं जो संगठन में जान डाल सकते हैं। बकौल कर्नल साहेब, दिग्विजय सिंह और हरवंश सिंह ही दो ऐसे राजनेता हैं जो हर कार्यकर्ता को नाम से पहचानते हैं।
हरवंश सिंह की संगठन क्षमता और कार्यकर्ताओं पर पकड़ के साथ ही साथ सभी को साथ लेकर चलने की सभी मुक्त कंठ से तारीफ किया करते थे। एक समय था जब वे कुंवर अर्जन सिंह के करीब थे। इसके बाद वे कमल नाथ के करीब आए फिर राजा दिग्विजय सिंह के नौरत्नों में शामिल हो गए। एक साथ तीन तीन क्षत्रपों को साधे रखना कोई हंसी खेल नहीं था। जब तिवारी कांग्रेस बनी तब कांग्रेस और तिवारी कांग्रेस के बीच तालमेल भी हरवंश सिंह जैसी शख्सियत के बलबूते की ही बात थी।
हरवंश सिंह ने चुनौतियों को सदा ही स्वीकारा है। उन्होंने कभी भी कठिन समय में धैर्य नहीं खोया। एक बार उन्हें जब मंत्री पद से महरूम रखा गया था तब भी उन्होंने इसे बहुत ही धैर्य के साथ स्वीकार करते हुए इसे समय का चक्र ही माना। इतने बड़े बड़े पदों पर रहने के बाद भी अहंकार मानो उन्हें छू भी नहीं सका था।
ऐसा नहंी कि हरवंश सिंह के विरोधी नहीं थे। हरवंश सिंह के विरोधियों की तादाद बहुत अधिक थी। हरवंश सिंह का नीतिगत और छद्म विरोध करने वाले आज उनकी शवयात्रा में दुखी मन से शामिल हुए जो इस बात का परिचायक है कि हरवंश सिंह का विरोध राजनैतिक था, व्यक्तिगत नहीं।
वे जब भी किसी से मिलते सहज भाव से नाम लेकर उसे पुकारते जिससे अपनत्व का बोध होता था। पिछले दिनों रामकथा के दौरान उन्होंने मोबाईल पर रामकथा में आने का न्योता दिया। पत्रकार वार्ता में उन्होंने इस आयोजन को अंतिम आयोजन की संज्ञा दी और लोगों से भूल चूक के लिए क्षमा भी मांगी। लगता है मानों उन्हें आभास हो गया था कि वे इस संसार को छोड़कर जाने वाले हैं।
हरवंश सिंह के निधन से अब कांग्रेस के अंदर रिक्कता आ गई है। यह वेक्यूम कैसे भरेगा? कांग्रेस की स्थिति क्या होगी? इस बारे में विस्तार से मनन बाद में किया जाएगा। वर्तमान में ईश्वर से प्रार्थना है कि हरवंश सिंह जैसे शलाका पुरूष की आत्मा को शांति प्रदान करते हुए उनके परिजनों को इस दुख को सहन करने की क्षमता प्रदान करे। ऊॅ शांति . . .