शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

84 के दंगों की बैसाखी पर मनमोहन!


84 के दंगों की बैसाखी पर मनमोहन!


(लिमटी खरे)

जब जब मनमोहन सिंह संकट में आए हैं तब तब 1984 के सिख दंगों का जिन्न निकलकर बाहर आया है। वर्तमान में भी जब राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने की कवायद चरम पर है तब भी 84 के दंगों में जगदीश टाईटलर को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया में टाईटलर अपनी सफाई पेश करते फिर रहे हैं कि वे निर्दोष हैं। हालात चीख चीख कर कह रहे हैं कि सोनिया गांधी ही सर्वोच्च सत्ता का केंद्र हैं मनमोहन सिंह तो महज एक रिमोट कंट्रोल आपरेटेड इक्यूपमेंट हैं। 1884 में इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत सिखों के विरोध में घृणा का वातावरण निर्मित कर कांग्रेस ने अभूतपूर्व मेजारिटी हासिल अवश्य की थी कांग्रेस ने 416 सीट पाई थी, पर यह सब कुछ सिखों के विरोध में फैलाई गई वितृष्णा के बूते हुआ। 84 के दंगों ने बटवारे की यादें ताजा कर दीं। यह ठीक उसी तरह हुआ जिस तरह मुहम्मद अली जिन्ना ने 1947 में लोगों के मन में जहर के बीच प्रस्फुटित करवा कर पाकिस्तान को नक्शे पर लाया गया था।

देश में सियासी तूफान मचा हुआ है। सियासत में सत्ता का केंद्र मनमोहन ंिसह के बजाए राहुल गांधी को बनवाने का जतन हो रहा है। राहुल गांधी को आगे कर उनका नाम भुनाकर सियासी पायदान चढ़ने वाले कांग्रेस के आलंबरदार उन्हें वजीरे आजम बनवाने की जुगत में हैं। मनमोहन सिंह को अपनी कुर्सी पर खतरा सामने से ही मंडराता दिख रहा है। जब जब मनमोहन सिंह पर संकट के बाद बादल छाए हैं तब तब 84 के सिख दंगों का जिन्न जिंदा ही हुआ है।
84 के दंगे भारत गणराज्य के सियासी इतिहास का सबसे बड़ा स्याह धब्बा है। कांग्रेस द्वारा प्रियदर्शनी की हत्या से उपजी घृणा की लहर को कैश करवाया जा रहा था। सिखों के साथ कत्लेआम मचा था और कांग्र्रेस के आलंबरदार हाथ पर हाथ रखे ही बैठे थे। उस समय की परिस्थितियों पर अगर गौर किया जाए तो उस वक्त उन सियासी लोगों के घरों पर भी हमले हो रहे थे जो इन दंगों की मुखालफत कर रहे थे। इस फेहरिस्त में प्रणव मुखर्जी, राम विलास पासवान, चंद्रशेखर आदि के घर इनमें शामिल थे।
1984 के दंगों के बारे में जिन्होंने भी सुना या देखा है वह पीढ़ी आज भी जीवित ही है। इस पीढ़ी ने अपने अध्ययन अध्यापन के दौरान इतिहास भी पढ़ा होगा। याद पड़ता है कि जिस तरह नादिरशाह और चंगेज खान या हिटलर ने लोगों पर कहर बरपाया था उसी तर्ज पर कांग्रेस के नेताओं की शह पर 1984 में सिर्फ और सिर्फ सिखों को ही निशाना बनाकर उन्हें मारा और लूटा जा रहा था।
1984 के दंगों के बाद हुए आम चुनावों में कांग्रेस को अशातीत सफलता मिली। कांग्रेस के रणनीतिकार फूले नहीं समा रहे थे। राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने सभी आतुर थे, पर असली खालिस कांग्रेसी जानते थे कि यह जीत कांग्रेस की नहीं वरन् कांग्रेस के लोगों द्वारा सिखों के खिलाफ पैदा की हुई नफरत की बुनियाद पर हासिल की गई थी। इस बात को प्रधानमंत्री के इर्द गिर्द रहने वाले भली भांति जानते समझते हैं। यही कारण है कि सिखों के रिसते जख्मों को बार बार हरा किया जाता है ताकि सिख प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह अपनी कुर्सी बचा सकें।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का सत्ता और शक्ति का शीर्ष केंद्र आज भी 10 जनपथ यानी सोनिया गांधी का सरकारी आवास ही बना हुआ है। अब यह कांग्रेस के बजाए सरकार की शक्ति और सत्ता का शीर्ष केंद्र बन चुका है। मनमोहन सिंह सिर्फ रिमोट से चलने वाले एक इंस्टूमेंट से ज्यादा कुछ नहीं हैं। मनमोहन जुंडाली इस बात को भली भांति जानती है कि सोनिया के आगे प्रधानमंत्री होते हुए भी मनमोहन मिमियाते ही नजर आते हैं।
कांग्रेस में आजादी के बाद सत्ता की धुरी नेहरू गांधी परिवार के इर्द गिर्द ही सिमटी रही है। वर्तमान में भी सत्ता की धुरी सोनिया गांधी के हाथों में ही है, उनके पुत्र राहुल गांधी नंबर दो पर विराजमान हैं। मनमोहन सिंह वैगरा का नंबर इनके उपरांत ही लगता है। देखा जाए तो मनमोहन सिंह सरकार में कांग्रेस के प्रतिनिधि हैं, उस लिहाज से उनकी प्राथमिकताएं और प्रतिबद्धताएं कांग्रेस के प्रति होना लाजिमी है पर कांग्रेस के लाभ के लिए अगर वे देश को ही गिरवी रखने का प्रयास करें तो यह अनुचित ही होगा।
जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक नेहरू गांधी परिवार ने अपने पास वजीरे आजम का पद रखा और कांग्रेस अध्यक्ष किसी और को बनाया। सोनिया गांधी चूंकि इटली मूल की थीं, शरद पंवार ने उनके विदेशी मूल का मुद्दा उठाया फिर क्या था सोनिया को कदम वापस खेंचने पड़े और फिर मनमोहन सिंह उनकी पसंद बनकर सामने आए।
मनमोहन सिंह पर एक के बाद एक वार होते रहे, और सोनिया गांधी उनकी ढाल बनीं रहीं। अचानक ही सोनिया के सलाहकारों ने सत्ता के दोनों केन्द्र यानी प्रधानमंत्री निवास और 10, जनपथ के बीच खाई खोद दी। यह खाई कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। मनमोहन सिंह पर हमले हुए और 84 के सिख दंगों का जिन्न बाहर आया। 84 के दंगों में सिखों पर मरहम लगाने के लिए ज्ञानी जेल सिंह को देश का पहला नागरिक बनाया गया। अब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हैं, अगर उन्हें हटाया गया तो कांग्रेस को सिखों की बुराई मोल लेनी पड़ सकती है। (साई फीचर्स)

दस करार पर हुई सही


दस करार पर हुई सही

(टी.विश्वनाथन)

बर्लिन (साई)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तीन दिन की बर्लिन यात्रा में भारत और जर्मनी के बीच विभिन्न क्षेत्रों में दस समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। अक्षय ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा रेलवे क्षेत्रों में पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनके अलावा शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग के लिए पांच समझौतों  पर भी दस्तखत किए गए।
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में, सौर ऊर्जा केंद्र तथा फॉरॉनहॉफर ;थ्तंनदीवमितद्ध इंस्टीट्यूट के बीच सोलर फोटोवॉल्टिक, सोलर थर्मल सिस्टम्स तथा हाइड्रोजन और फ्यूल सेल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और आदान-प्रदान के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
पीएम के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जर्मनी के विभिन्न शहरों में वर्ष भर तक चले झ्डेज ऑफ इंडिया इन जर्मनीश् का समापन किया। इस अवसर पर डॉक्टर सिंह ने जर्मनी और यूरोप के अन्य देशों से भारत में निवेश के अवसरों का लाभ उठाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूरोप की आर्थिक स्थिति का पटरी पर लौटना और वैश्विक मामलों में इसकी भूमिका भारत के भी हित में है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक प्रयासों से यूरोप वर्तमान आर्थिक चुनौतियों से निपट सकेगा।
सूत्रों ने साई न्यूज के साथ चर्चा के दौरान कहा कि भारत बारहवीं पंचवर्षीय योजना में आठ प्रतिशत वृद्धि दर पर लौटने के लिए संकल्पबद्ध है और इस बारे में उसने कुछ कड़े फैसले किए हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश के लिए भारत के द्वार खुले हैं और उसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में ढ़ांचागत विकास के लिए करीब एक ट्रिलियन डॉलर का निवेश आकृष्ट करना है। डॉक्टर सिंह ने आशा व्यक्त की कि जर्मनी और यूरोप की कम्पनियां निवेश के इन अवसरों का लाभ उठायेंगी। 

विदेशी निवेशकों का रूख सकारात्मक: प्रणव


विदेशी निवेशकों का रूख सकारात्मक: प्रणव

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में विदेशी निवेशकों का रूख सकारात्मक है। उन्होंने कहा कि वर्ष २०११ की तुलना में २०१२ में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारत में ज्यादा निवेश किया है। २०१२ में एक दशमलव छह लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ था जबकि २०११ में ३९ हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ था।
श्री मुखर्जी ने कहा कि अमरीका और चीन के बाद भारत निवेश के लिए तीसरा सबसे पसंदीदा देश बना हुआ है। उन्होंने कहा कि घरेलू बचत की ज्यादातर राशि सरकारी घाटा पूरा करने में इस्तेमाल हो जाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि राजकोषीय घाटा कम किया जाना चाहिए, ताकि बचत का ज्यादातर हिस्सा निवेश के लिए उपलब्ध हो।
उन्होंने कहा कि यह सच है कि हमारी आर्थिक विकास दर पिछले दो वर्षाे से घट रही है। यह भी सच है कि जबतब वर्तमान सूक्ष्म आर्थिक संकेत जैसे कीमतों का स्तर संतुलन बनाना, चालू खाता, नहीं सुुधरेंगे  तबतक आर्थिक विकास में ९ प्रतिशत की दर पर लाना मुश्किल होगा।

बिहार में 3591 माननीय


बिहार में 3591 माननीय

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। देश में सुरक्षा प्राप्त जनसेवकों की लंबी फेहरिस्त है। देश में सबसे ज्यादा वीआईपी बिहार में है। बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किये गये हलफनामे में ये तथ्य सामने आया है। सुरक्षा के मद्देनजर वीआईपी को अंगरक्षक मुहैया कराये जाते है। जिसमें बिहार में सबसे ज्यादा 3591 वीआईपी को ये सुविधा प्राप्त है। अंगरक्षक मुहैया कराने में सबसे ज्यादा बिहार खर्च करता है इसकी सालना खर्च की जाने वाली राशि 141.95 करोड़ रुपये है।
देश भर में 14,842 श्अति महत्वपूर्णश् व्यक्तियों की सुरक्षा में 47,557 पुलिसकर्मी लगे हुए हैं। इनमें श्अति महत्वपूर्णश् लोगों में बिहार के 3591 शामिल हैं। यानी इसमें क़रीब 20 फ़ीसदी योगदान अकेले बिहार का है। ऐसे 70 लोगों को सरकारी अंगरक्षक मिले हुए हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। यही आंकड़ा राज्य पुलिस-प्रशासन पर सबसे तीखा सवाल उठा रहा है।
साथ ही 382 निजी व्यक्तियों को सरकारी खर्च पर अंगरक्षकों की सुविधा प्राप्त है। इनमें ज़्यादातर व्यवसायी, ठेकेदार और दबंग बाहुबली शामिल हैं। राज्य के पुलिस प्रवक्ता और अपर पुलिस महानिदेशक रविन्द्र कुमार कहा , किसी पर मुक़दमा चल रहा है और दोष साबित नहीं हुआ है तो उनके लिए खतरे के मद्देनज़र, सुरक्षा व्यवस्था करना सरकार का दायित्व हो जाता है।श्श् इस मामले में आम लोगों का गुस्सा साफ नजर आता है लोग कहते है आम जनता की सुरक्षा तो भगवान के भरोसे है। अंगरक्षक रखना इनके लिए स्टेट्स सिंबल है।

आत्मविश्वास से लवरेज है कर्नाटक में कांग्रेस


आत्मविश्वास से लवरेज है कर्नाटक में कांग्रेस

(श्वेता यादव)

बंग्लुरू (साई)। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी जीत को लेकर आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही है। कांग्रेस ने राज्य में 224 सीटों पर होने वाले चुनावों के मद्देनजर अपने 177 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की। सूत्रों के मुताबिक, जल्दी ही वह अपने बाकी कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी करेगी। पार्टी ने टिकट बंटवारे में धांधली के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। गौरतलब है कि खबर आई थी कि कांग्रेस ने एक सीट पर पैसे लेकर टिकट अलॉट किया।
पहली लिस्ट में महिलाओं की तादाद काफी कम है। कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, राज्य में हमेशा से महिला उम्मीदवारों की तादाद काफी कम रही है। पिछली विधानसभा चुनावों में 11 महिलाओं को टिकट दिए गए थे, जिनमें से अधिकांश को हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, राज्य में अल्पसंख्यक वोटों की तादाद को देखते हुए पार्टी ने इस बार पिछली बार के मुकाबले अल्पसंख्यक कैंडिडेट्स को ज्यादा टिकट देने की योजना बनाई है। पिछली बार सिर्फ मुस्लिम उम्मीवारों को टिकट दिए गए थे, वहीं इस बार ईसाई और जैन उम्मीदवारों को भी टिकट देने का फैसला किया गया है।
कांग्रेस ने चुनाव के मद्देनजर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। पार्टी का प्रचार करने के लिए अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भी कर्नाटक जाने की योजना है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के इन स्टार प्रचारकों में से हरेक को दो से तीन संभावित तारीखें दी गई हैं, जिसमें से वे अपनी तारीखें चुनकर बताएंगे।
कांग्रेस का मानना है कि राज्य में बीजेपी की संभावित हार को देखते हुए मोदी ने वहां न आने का फैसला किया है। मोदी पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस के महासचिव और कर्नाटक प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि मोदी समझ रहे हैं कि इन चुनावों में उनकी पार्टी हारेगी। इसके अलावा, मोदी के न आने का एक वजह मैं भी हूं। उन्हें पता है कि अगर वह कर्नाटक आते हैं तो मैं उनकी सारी पोल खोल दूंगा। गौरतलब है कि मिस्त्री खुद गुजरात से हैं।
मौजूदा बीजेपी सरकार पर कुशासन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कांग्रेस उनके खिलाफ एक खास श्चार्जशीटश् लेकर आ रही है। प्रदेश कांग्रेस आगामी 13 अप्रैल को मीटिंग करने जा रही है, जिसमें बीजेपी सरकार के खिलाफ इस चार्जशीट को अंतिम रूप दिया जाएगा। कांग्रेस की योजना इस चार्जशीट के आधार पर मौजूदा राज्य सरकार पर हमला करने की है।

लॉजो एवं किरायेदारों की सुध कब लेगी पुलिस?


लॉजो एवं किरायेदारों की सुध कब लेगी पुलिस?

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जनसेवा और देशभक्ति का जाप रटने वाला पुलिस महकमा इन दिनों सुस्त सा दिखाई दे रही है। वहीं नवागत पुलिस अधीक्षक के आने के बाद कुछ धरपकड़ में तेजी भी आई है, किंतु नगर में ऐसी कई होटलें, लॉजे एवं ऐसे कई अड्डे हैं, जो अपराधियों की शरणस्थली बन चुके हैं। बीते कुछ वर्षों से न तो लॉजों में चौकिंग की गई और न ही उनसे किसी प्रकार की जानकारी मांगी गई है। इतना ही नहीं रात भर चोंगा लगाकर पेट्रोलिंग करने वाली पुलिस बेवजह यात्रियों एवं राहगीरों को परेशान करती है और मजे की बात तो यह है कि रात के सन्नाटे में पुलिस अपने सायरन को इस तरह बजाकर अपराधियों को अपने आने की खबर देती है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष सिवनी नगर में आंध प्रदेश के हैदराबाद में हुए सूरी मर्डर के मोस्ट वांटेड डॉन भानु किरण ने भी छह महीने में किराये के मकान में आराम फरमाया था। इस डॉन ने कटंगी नाका स्थित अभिषेक कालौनी में चंचलेश पाण्डे नामक व्यक्ति का मकान ढाई हजार रूपए प्रतिमाह पर किराए से ले रखा था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस अमला किरायेदारों एवं लॉजों की जानकारी क्यों नहीं लेता? क्या लॉज मालिकों से पुलिस के मधुर संबंध हैं या कोई लेन- देन? खैर जो भी हो, लेकिन नगर की सुरक्षा को देखते हुए पुलिस को ऐसी कार्यवाही करना अत्यंत आवश्यक होगा।
दिन-ब- दिन पुलिस का खुफिया तंत्र फेल होता नजर आ रहा है, जिसका सीधा सा उदाहरण गत दिवस नगर के हड्डीगोदाम क्षेत्र मेें पकड़े गये संदिग्ध हैं, जो बम बनाने का कार्य कर रहे थे। भला हो एटीएस दस्ते का जिसने अपनी मुखबिरी से इन संदिग्धों को पकड़कर नगर में होने वाली अनहोनी से बचा लिया। वहीं सिवनी पुलिस की नींद तब खुलती है, जब बाहर की पुलिस शहर में दस्तक देकर अपराधियों को पकड़ ले जाती है। ऐसे में सवाल यह उठता है आखिर सिवनी पुलिस का खुफिया तंत्र कमजोर है या है ही नहीं? जुएं- सट्टे एवं गौकशी की कार्यवाही तक सीमित रहने वाली पुलिस आखिर कब जागेगी...? अब देखना यह है कि नगर के नवागत पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला इस समस्या पर क्या कार्यवाही हैं? यह तो वक्त ही बतायेगा। 

आबकारी विभाग व शराब माफियाओं की जुगलबंदी


आबकारी विभाग व शराब माफियाओं की जुगलबंदी

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। मायावती के राज में शराब माफिया पोंटी चड्ढा को पूरे प्रदेश के ठेके आवंटित किये गये थे। उस समय जमकर ओवर रेट शराब खरीदने वालों से वसूला जाता था। बाद में सपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ओवर रेट पर रोक लगाने की बात कही थी। अगले एक साल के लिए पूरे प्रदेश के शराब के ठेके दोबारा चड्ढा गु्रप को दिये गये हैं। एक अप्रैल से नगर में शराब के ठेकों पर जमकर ओवर रेट वसूला जा रहा है। इसके साथ ही आबकारी विभाग द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष मंे जारी किया गया शराब का कोटा इस साल भी नये रेट के साथ ओवर रेट लेकर बेचा जा रहा है। इस मामले में आबकारी विभाग चुप्पी साधे बैठा है क्यांेकि चांदी का जूता सिर चढ़कर बोल रहा है। आबकारी विभाग व शराब माफियाओं की जुगलबंदी के चलते शराब उपभोक्ता त्रस्त हैं। पुराने प्रिंट रेट की शराब अगले सीजन में बेचना कानूनन अपराध है क्योंकि यदि शराब का मूल्य बढ़ता है तो पुराने प्रिंट रेटों के स्थान पर आबकारी विभाग द्वारा नये प्र्रिंट रेट की स्लिप चस्पा कराई जाती है तभी वह शराब बिक सकती है। लेकिन सपा सरकार तथा आबकारी विभाग की धींगामस्ती के चलते शराब माफिया जमकर उपभोक्ताआंे का शोषण कर रहे हैं।
करीब चार साल पहले मुख्यमंत्री मायावती ने पूरे प्रदेश के शराब के ठेके पोंटी चड्ढा ग्रुप को आवंटित कर दिये थे और चड्ढा ग्रुप ने शराब के रेटों में भारी बढ़ोत्तरी के साथ ही ओवर रेट भी जमकर वसूला था। शराब की एक बोतल पर प्रिंट रेट से चालीस रूपये ज्यादा वसूले जा रहे थे। बाद में विधानसभा चुनावों के प्रचार में अखिलेश यादव ने शराब पीने वालों से वायदा किया था कि शाम की दवाई सस्ती होगी लेकिन सपा सरकार आते ही हुआ इसके बिल्कुल विपरीत। चड्ढ़ा ग्रुप की घुट्टी के आगे सपा सरकार भी बौनी साबित हुई ओवर रेट तो ज्यों का त्यों रहा ही। एक अप्रैल 2013 से अगले एक वर्ष के लिए प्रदेश के सभी ठेके चड्ढ़ा ग्रुप को दोबारा आवंटित कर दिये गये। एक अप्रैल 2013 से शराब व बीयर के रेटों में वृद्धि भी कर दी गई। लेकिन मजे की बात यह है कि जिले में आबकारी विभाग की मिलीभगत के चलते शराब की दुकानों पर पिछले वर्ष आवंटित किया गया शराब का कोटा इस वित्तीय वर्ष मंे भी नये दामों व ओवर रेट पर बेचा जा रहा है। यदि कोई शराब उपभोक्ता ओवर रेट देने का विरोध करता है तो शराब के ठेकों पर मौजूद सेल्समैन गाली गलौच के साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। नगर में प्रकाश चौक, महावीर चौक, नावल्टी चौक, अलमासपुर तिराहे, रेलवे रोड व द्वारकापुरी मोड़ पर स्थित शराब व बीयर की दुकानों पर गुंडे सेल्समैन तैनात कर दिये गये हैं जो पिछले साल का शराब व बीयर का कोटा उपभोक्ताओं को नये मूल्य व ओवर रेट लेकर दे रहे हैं। ऐसे में शराब उपभोक्ताओं का जमकर शोषण शराब के ठेकों पर किया जा रहा है।
शराब व बीयर की दुकानों पर नई रेट लिस्ट चस्पा कर दी गई है लेकिन पुराने शराब उपभोक्ताओं को जो शराब की बोतलें, हॉफ व र्क्वाटर या बीयर दी जा रही हैं उन पर पुराने रेट ही अंकित हैं। साथ ही ओवर रेट का एक और झटका शराब उपभोक्ता को झेलना पड़ रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश में ग्रीन लेबिल का क्वार्टर सौ रूपये का था। इस बार नई रेट लिस्ट के अनुसार ग्रीन लेबिल का क्वार्टर एक सौ दस रूपये का कर दिया गया है लेकिन सौ रूपये प्रिंट रेट वाला ग्रीन लेबिल का क्वार्टर ओवर रेट सहित उपभोक्ता को दिया जा रहा है। इसी तरह मैक्डोवल नं. वन, इम्पीरियल ब्लू, बैगपाइपर, सिग्नेचर, रॉयल चेलेंज, रॉयल स्टैग के क्वार्टर, हॉफ व बोतलों पर दस से लेकर पचास रूपये तक ओवर रेट आबकारी विभाग की मिलीभगत के चलते वसूला जा रहा है। ओवर रेट को लेकर शराब की दुकानों पर सेल्समैन अक्सर शराब उपभोक्ताओं के साथ मारपीट करते हैं। आबकारी विभाग चांदी के जूते की हनक के सामने मौन बना हुआ है। आबकारी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ओवर रेट वसूलने पर कार्रवाई की बात तो कहते हैं लेकिन चड्ढ़ा गु्रप के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। पिछले कई सालों से जनपद में जमे जिला आबकारी अधिकारी को यह जिला ऐसा रास आ रहा है कि वे अपनी कुर्सी से चिपके बैठे हैं। होली से दो चार दिन पहले एक दो जगह छापामारी कर दूसरे प्रान्तों से लाई गई अवैध शराब की बरामदगी दिखाकर वाहवाही लूटने में लगे आबकारी अधिकारी पुराने पिं्रट की शराब की बोतलें नये प्रिंट रेट सहित ओवर रेट पर बिकवा रहे हैं। डीएम सुरेन्द्र सिंह इस मामले में आबकारी अधिकारियों का पेंच कब कसेंगे यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

स्मार्ट डीएल कार्ड योजना अधर में


स्मार्ट डीएल कार्ड योजना अधर में

(ब्यूरो कार्यालय)

मुजफ्फरनगर (साई)। दो दिन पूर्व डीएम सुरेन्द्र सिंह ने एआरटीओ कार्यालय में स्मार्ट डीएल कार्य योजना का शुभारम्भ किया था। उस दिन दर्जनों अधिकारियों के स्मार्ट डीएल कार्ड एआरटीओ कार्यालय ने जारी किये थे तथा बताया गया था कि बुधवार से आम लोगों के स्मार्ट डीएल कार्ड दो सौ रूपये लेकर बनाये जायेंगे। लेकिन स्मार्ट डीएल कार्ड योजना क्या अधिकारियों के ही मात्र एक दिन चलाई गई थी। बुधवार व बृहस्पतिवार को सैंकड़ों लोग स्मार्ट डीएल कार्ड बनवाने के लिए एआरटीओ कार्यालय पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि अभी आगामी सूचना तक स्मार्ट डीएल कार्ड नहीं बनाये जायेंगे। इस बात से स्मार्ट डीएल कार्ड बनवाने गये लोग परेशान हो गये। जानकारी के अनुसार स्मार्ट डीएल कार्ड बनाने वाली मशीन एआरटीओ कार्यालय में लखनऊ से आ तो गई है लेकिन योजना का शुभारम्भ करते हुए अधिकारियों के स्मार्ट डीएल कार्ड बनाने के लिए कम्प्यूटर ऑपरेटर कहीं बाहर से बुलाया गया था जो शुभारम्भ के बाद अधिकारियों के कार्ड बनाकर चलता बना। आम जनता स्मार्ट कार्ड बनवाने के लिए परेशान घूम रही है क्योंकि उन्हें एआरटीओ कार्यालय की खिड़की नं. सात पर बैठे कर्मचारी ने बता दिया है कि अभी स्मार्ट कार्ड नहीं बन रहे हैं। जब स्मार्ट कार्ड बनेंगे तो सूचना अखबारों में प्रकाशित करा दी जायेगी।
सवाल आखिर यह है कि क्या डीएम सुरेन्द्र सिंह व अन्य अधिकारियों के लिए ही उक्त स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की गई थी। आम जनता की कोई चिन्ता एआरटीओ कार्यालय को नहीं है।

19 अप्रेल,2013 को मनेगी श्री रामनवमी


19 अप्रेल,2013  को मनेगी श्री रामनवमी

(पंडित दयानंद शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार इस बार नवरात्र के आठ दिन तक योग-संयोग की भरमार रहेगी। साथ ही, इस बार नवरात्र का गुरुवार से शुरू होना श्रेष्ठ व समृद्धिकारक माना जा रहा है।

नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ------
नवरात्र का शाब्दिक अर्थ है नौ रात्रियांअर्थात मां जगदंबा के नौ विशिष्ट रूपों का दर्शन, अराधना और पूजन। विभिन्न लग्न, मुहूर्ताे में मंत्र जाप और उपासना का विशिष्ट फल मिलता है।
पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार इस  बार ग्रह चाल और सूर्य-चंद्रमा की गति के कारण नवरात्र घट स्थापना सर्वार्थसिद्धि योग में होगी। इससे मां की आराधना करने वाले सभी भक्तों को योग-संयोग के अनुसार फल मिलेगा। इस बार रामनवमी का पर्व अष्टमी में मनाया जाएगा।
ऐसा अष्टमी तिथि की वृद्धि के कारण होगा। चूंकि मध्याह्न् कालीन नवमी में प्रभु राम का जन्म हुआ था, इसलिए नवरात्र में दो दिन अष्टमी रहेगी। 19 अप्रैल को आ रही दूसरी अष्टमी की तिथि सुबह 6रू55 बजे समाप्त हो जाएगी। इसके बाद नवमी शुरू होगी। 19 अप्रैल शुक्रवार को ही रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा।आने वाले आठ दिनों की योग-संयोगों में 11 को सर्वार्थसिद्धि योग, 12 को राजयोग, 13 व 14 को रवियोग, 15 को सर्वार्थसिद्धि योग व अमृत सिद्धियोग पूरे दिन रहेगा। 16 को फिर रवियोग बनेगा जो 17 को दोपहर 12रू47 तक रहेगा। 18 अप्रैल को सर्वार्थसिद्धि योग पूरे दिन रहेगा।
इसी दिन दोपहर बाद 3रू31 से गुरुपुष्य व अमृत सिद्धि योग शुरू हो जाएगा। १९ को रामनवमी होगी। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य आरंभ और वाहन, स्वर्णाभूषण व प्रॉपर्टी लेन-देन के लिए श्रेष्ठ रहेंगे। वहीं पूजा-अर्चना के लिए श्रेष्ठ फलदायी रहेगा।इस दिन भगवान श्रीराम के साथ हनुमानजी की आराधना करने से शनि की ढैया तथा साढ़ेसाती से प्रभावित जातकों को अनुकूलता प्राप्त होगी
रामनवमी का महत्त्व-----
पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार त्रेता युग में अत्याचारी रावन के अत्याचारो से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था । साधू संतो का जीना मुश्किल हो गया था । अत्याचारी रावण ने अपने प्रताप से नव ग्रहों और काल को भी बंदी बना लिया था । कोई भी देव या मानव रावण का अंत नहीं कर पा रहा था । तब पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने राम के रूप में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया । यानि भगवान श्री राम भगवान विष्णु के ही अवतार थे।
मंगल भवन अमंगल हारी,
दघ्वहुसु दशरथ अजिर बिहारि घ्
अगस्त्यसंहिताके अनुसार चौत्र शुक्ल नवमीके दिन पुनर्वसु नक्षत्र, कर्कलग्घ्नमें जब सूर्य अन्यान्य पाँच ग्रहोंकी शुभ दृष्टिके साथ मेषराशिपर विराजमान थे, तभी साक्षात्घ् भगवान्घ् श्रीरामका माता कौसल्याके गर्भसे जन्म हुआ।चौत्र शुक्ल नवमी का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। आज ही के दिन तेत्रा युग में रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहाँ अखिल ब्रम्हांड नायक अखिलेश ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था।
दिन के बारह बजे जैसे ही सौंदर्य निकेतन, शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किघ्ए हुघ्ए चतुर्भुजधारी श्रीराम प्रकट हुघ्ए तो मानो माता कौशल्या उन्हें देखकर विस्मित हो गघ्ईं। उनके सौंदर्य व तेज को देखकर उनके नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे।
पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार श्रीराम के जन्मोत्सव को देखकर देवलोक भी अवध के सामने फीका लग रहा था। देवता, ऋषि, किन्नार, चारण सभी जन्मोत्सव में शामिल होकर आनंद उठा रहे थे। आज भी हम प्रतिवर्ष चौत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाते हैं और राममय होकर कीर्तन, भजन, कथा आदि में रम जाते हैं।
रामजन्म के कारण ही चौत्र शुक्ल नवमी को रामनवमी कहा जाता है। रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना का श्रीगणेश किया था।भगवान श्रीराम जी ने अपने जीवन का उद्देश्य अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना बताया पर उससे उनका आशय यह था कि आम इंसान शांति के साथ जीवन व्यतीत कर सके और भगवान की भक्ति कर सके। उन्होंने न तो किसी प्रकार के धर्म का नामकरण किया और न ही किसी विशेष प्रकार की भक्ति का प्रचार किया।
पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार रामनवमी, भगवान राम की स्घ्मृति को समर्पित है। राम सदाचार के प्रतीक हैं, और इन्हें ष्मर्यादा पुरुषोतमष् कहा जाता है। रामनवमी को राम के जन्घ्मदिन की स्घ्मृति में मनाया जाता है। राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी पर अजेय रावण (मनुष्घ्य रूप में असुर राजा) से युद्ध लड़ने के लिए आए। राम राज्घ्य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है। रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्घ्या में उनके जन्घ्मोत्घ्सव को मनाने के लिए राम जी की मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान राजा की काव्घ्य तुलसी रामायण में राम की कहानी का वर्णन है।
उस दिन जो कोई व्यक्ति दिनभर उपवास और रातभर जागरणका व्रत रखकर भगवान्घ् श्रीरामकी पूजा करता है, तथा अपनी आर्थिक स्थितिके अनुसार दान-पुण्य करता है, वह अनेक जन्मोंके पापोंको भस्म करनेमें समर्थ होता है।
पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार रामनवमी के मौके पर भारत ही क्या विदेशों के मंदिरों में भी शोभा देखते ही बनती है। ऐसा लगता है पूरी दुनिया श्री राम की भक्ति में डूबी हुई है। हिन्दू धर्म में राम का नाम बहुत महत्त्व रखता है। हिन्दू होने के कारण मैंने भी बचपन से यही देखा है कि किस तरह मेरे घर में कोई भी पूजा राम नाम और घ् जय जगदीश की आरती के बिना पूरी नहीं होती है। अरे! एक राम का नाम पत्थर पर लिख कर पूरी सेना ने इतना बड़ा समुन्दर पार कर लिया था तो हमारी नैया तो पार लग ही जाएगी। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है, जिन्होंने पृथ्वी से पाप और असूरों का नाश करने के लिए जन्म लिया था। भगवान राम कोई और नहीं बल्कि विष्णु भगवान के ही अवतार हैं। और जब बात स्वयं श्री राम के जन्म की हो तो उत्साह और जोश और भी बढ़ जाता है।
भगवान श्री राम की जन्मकुंडली का विवेचन / फलादेश----
पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार भगवान राम का जन्म कर्क लगन में हुआ था। उनके लगन में उच्च का गुरु एवं स्वराशी का चंद्रमा था । भगवान श्री राम का जन्म दोपहर के 12 बजे हुआ था, इसी कारण भगवान राम विशाल व्यक्तित्व के थे और उनका रूप अति मनहोर था ।
लग्न में उच्च का गुरु होने से वह मर्यादा पुरुषोतम बने । चौथे घर में उच्च का शनि तथा सप्तम भाव में उच्च का मंगल था, अतः भगवान श्री राम मांगलिक थे । इसके कारण उनका वैवाहिक जीवन कष्टों से भरा रहा । उनकी कुंडली के दशम भाव में उच्च का सूर्य था, जिससे वे महा प्रतापी थे ।
कुल मिलकर भगवान राम के जन्म के समय चार केन्द्रो में चार उच्च के ग्रह विराजमान थे।आश्चर्य की बात यह है कि जैसी कुंडली भगवान राम की थी वैसी ही रावण की भी थी।
राम की कुंडली कर्क लगन थी और रावन की मेष।
पं. दयानन्द शास्त्री  के  अनुसार विभिन्न राशि के जातक रामनवमी पर क्या करें..??क्या नहीं करें??
मेष- बहुप्रतीक्षित कार्य के सम्पन्न होने से आपके प्रभाव में वृद्धि होगी।
क्या करें- श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ।
क्या न करें- पश्चिम की तरफ सर कर के ना सोएं।
वृष- धन, सम्मान, यश, कीर्ति में वृद्धि होगी।
क्या करें- श्रीराम स्तुति।
क्या न करें- संध्याकाल में अध्यन ना करें।
मिथुन- शिक्षा प्रतियोगिता के क्षेत्र में चल रहे प्रयास फलीभूत होंगे।
क्या करें- इंद्रकृत रामस्त्रोत का पाठ।
क्या न करें- दक्षिण मुख भोजन ना करें।
कर्क- व्यावसायिक प्रयास परिवर्तन की दिशा में हितकर होगा।
क्या करें- श्रीरामाष्टक का पाठ।
क्या न करें- तेल लगाकर शमशान भूमि की तरफ ना जाएं।
सिंह- नया स्थान नए लोग आपके लिए लाभदायी होंगे।
क्या करें- श्रीसीता रामाष्ट्घ्कम का पाठ।
क्या न करें- सोते व्यक्ति को ना जगाएं।
कन्या- सामाजिक कार्याे में रुचि लेंगे।
क्या करें- श्रीराम मंगलाशासनम का पाठ।
क्या न करें- महानिशा (मध्य रात्रि) में स्नान ना करें।
तुला- आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
क्या करें- श्रीराम प्रेमाष्ट्घ्कम का पाठ।
क्या न करें- देर रात किसी उपवन (पार्क) या चौराहे पर ना जाएं।
वृश्चिक- स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
क्या करें- श्रीराम चंद्राष्ट्घ्कम का पाठ।
क्या न करें- सांध्य काल में शयन ना करें।
धनु- संतान के दायित्व की पूर्ति होगी।
क्या करें- जटायुकृत श्री रामस्त्रोत का पाठ।
क्या न करें- टूटी शय्या अर्थात खाट का प्रयोग ना करें, यह दुर्भाग्य कारक है।
मकर- धन, सम्मान, यश, कीर्ति में वृद्धि होगी।
क्या करें- आदित्य हृदय स्त्रोत के साथ श्री रामरक्षा स्त्रोत कवच का पाठ।
क्या न करें- लाल रंग का वस्त्र प्रयोग ना करें।
कुम्भ- जीविका के क्षेत्र में आशातीत सफलता मिलेगी।
क्या करें- सुंदरकांड के साथ श्रीराम रक्षा कवच।
क्या न करें- पितरों का अनादर ना करें।
मीन- मैत्री संबंध प्रगाढ़ होंगे। यात्रा भी संभव है।
क्या करें- अयोध्याकांड के साथ बाल कांड का पाठ।
क्या न करें- किसी का दिल ना दुखाएं।
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यह होंगे लाभ रू-----
रामनवमी पर श्रीराम व हनुमान आराधना से उक्त राशि के जातकों को शत्रु शमन, उच्च पद की प्राप्ति, मानसिक शांति, नेतृत्व क्षमता, मनोबल में वृद्घि, संबंधों में मधुरता तथा प्रगति के अवसरों की प्राप्ति के साथ समय की अनुकूलता प्राप्त होगी।
ऐसे करें पूजा------
पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उस पर कलश को विधिपूर्वक स्थापित करें। कलश पर मूर्ति की प्रतिष्ठा करें। मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति होने की आशंका हो, तो उस पर शीशा लगा दें। मूर्ति न हो तो कलश के पीछे स्वास्तिक व उसके दोनों भुजाओं में त्रिशूल बनाकर दुर्गा जी का चित्र, पुस्तक व शालीग्राम को विराजित कर विष्णु का पूजन करें।
हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा की जाती है। रामनवमी की पूजा के लिए आवश्घ्यक सामग्री रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख हैं। पूजा के बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्घ्य परिवार के सभी सदस्घ्यों को टीका लगाती है। रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और ऐपन चढ़ाया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आघ्रती की जाती है और आरती के बाद गंगाजल अथवा सादा जल एकत्रित हुए सभी जनों पर छिड़का जाता है।
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रामनवमी पर भगवान श्री राम की स्तुति इस प्रकार करें  रू------
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. 1..
कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. 2..
भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् .
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. 3..
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् .
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् ३4..
इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् .
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. 5..