लॉजो एवं
किरायेदारों की सुध कब लेगी पुलिस?
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जनसेवा
और देशभक्ति का जाप रटने वाला पुलिस महकमा इन दिनों सुस्त सा दिखाई दे रही है।
वहीं नवागत पुलिस अधीक्षक के आने के बाद कुछ धरपकड़ में तेजी भी आई है, किंतु नगर में ऐसी
कई होटलें, लॉजे एवं
ऐसे कई अड्डे हैं,
जो अपराधियों की शरणस्थली बन चुके हैं। बीते कुछ वर्षों से न
तो लॉजों में चौकिंग की गई और न ही उनसे किसी प्रकार की जानकारी मांगी गई है। इतना
ही नहीं रात भर चोंगा लगाकर पेट्रोलिंग करने वाली पुलिस बेवजह यात्रियों एवं
राहगीरों को परेशान करती है और मजे की बात तो यह है कि रात के सन्नाटे में पुलिस
अपने सायरन को इस तरह बजाकर अपराधियों को अपने आने की खबर देती है। उल्लेखनीय है
कि गत वर्ष सिवनी नगर में आंध प्रदेश के हैदराबाद में हुए सूरी मर्डर के मोस्ट
वांटेड डॉन भानु किरण ने भी छह महीने में किराये के मकान में आराम फरमाया था। इस
डॉन ने कटंगी नाका स्थित अभिषेक कालौनी में चंचलेश पाण्डे नामक व्यक्ति का मकान
ढाई हजार रूपए प्रतिमाह पर किराए से ले रखा था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर
पुलिस अमला किरायेदारों एवं लॉजों की जानकारी क्यों नहीं लेता? क्या लॉज मालिकों
से पुलिस के मधुर संबंध हैं या कोई लेन- देन? खैर जो भी हो, लेकिन नगर की
सुरक्षा को देखते हुए पुलिस को ऐसी कार्यवाही करना अत्यंत आवश्यक होगा।
दिन-ब- दिन पुलिस
का खुफिया तंत्र फेल होता नजर आ रहा है, जिसका सीधा सा उदाहरण गत दिवस नगर के
हड्डीगोदाम क्षेत्र मेें पकड़े गये संदिग्ध हैं, जो बम बनाने का
कार्य कर रहे थे। भला हो एटीएस दस्ते का जिसने अपनी मुखबिरी से इन संदिग्धों को
पकड़कर नगर में होने वाली अनहोनी से बचा लिया। वहीं सिवनी पुलिस की नींद तब खुलती
है, जब बाहर की
पुलिस शहर में दस्तक देकर अपराधियों को पकड़ ले जाती है। ऐसे में सवाल यह उठता है
आखिर सिवनी पुलिस का खुफिया तंत्र कमजोर है या है ही नहीं? जुएं- सट्टे एवं
गौकशी की कार्यवाही तक सीमित रहने वाली पुलिस आखिर कब जागेगी...? अब देखना यह है कि
नगर के नवागत पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला इस समस्या पर क्या कार्यवाही हैं? यह तो वक्त ही
बतायेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें