गुरुवार, 1 मार्च 2012

सांसद देशमुख उठाएंगे लोकसभा में मामला!


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  74

सांसद देशमुख उठाएंगे लोकसभा में मामला!

कलेक्टर से लेंगे मामले की पूरी जानकारी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। लगभग बीस हजार करोड़ रूपयों की अकूत धनसंपदा के मालिक मशहूर दौलतमंद उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में स्थापित किए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में हुई अनियमितताओं के बारे में बालाघाट सिवनी क्षेत्र के जागरूक संसद सदस्य केशव दयाल देशमुख सिवनी के आदिवासियों के हित में लोकसभा में आवाज बुलंद करेंगे।
सांसद के.डी.देशमुख ने दूरभाष पर चर्चा के दौरान उक्ताशय की बात कहते हुए कहा कि उनके संज्ञान में यह बात लाई गई है कि झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकास खण्ड में लगाए जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट में अनेक अनियमितताएं की गई हैं, इतना ही नहीं क्षेत्र में आदिवासियों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस संबंध में जिला कलेक्टर सिवनी, एसडीएम लखनादौन, घंसौर एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं से सारे तथ्यों पर चर्चा कर इसे लोकसभा के बजट सत्र में ही प्रश्न उठाकर आदिवासियों के हितों पर कुठाराघात करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने की मांग करेंगे। सांसद देशमुख ने कहा कि वे अभी संसदीय क्षेत्र बालाघाट जिले के भ्रमण पर हैं और राजधानी भोपाल में भी कुछ प्रोग्राम्स में उन्हें शिरकत करना है अतः एक दो दिन में ही चर्चा पूरी कर इसे पुरजोर उठाने की कार्यवाही करेंगे।
यहां उल्लखनीय है कि सिवनी जिले का आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर पूर्व में परिसीमन में विलुप्त हुई सिवनी लोकसभा सीट का अंग था जो अब अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित मण्डला लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया गया है। मण्डला संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम कर रहे हैं। विडम्बना यह है कि बसोरी सिंह मसराम खुद अपने ही जात समाज के लोगों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने में अपने आप को अक्षम पा रहे हैं।
इस संबंध में चर्चा के लिए जब उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके डिंडोरी जिले के करंजिया विकास खण्ड स्थित ग्राम बोदर में बतौर सांसद उनके निवास पर लगा दूरभाष 07645 - 280161 आउट ऑफ आर्डर और दिल्ली का मोबाईल 9013180232 बंद मिला।
मध्य प्रदेश के बीएसएनएल मोबाईल 9406772333 पर उनके चालक रवि ने बताया कि सांसद के निवास का भारत संचार निगम लिमिटेड का लेण्ड लाईन काफी दिनों से खराब था अतः सांसद बसोरी सिंह ने उसे कटवाकर उसकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं। रही बात दिल्ली के मोबाईल की तो, दिल्ली वाले नंबर की सिम गुम गई है, जो सांसद के दिल्ली जाने पर ही दुबारा इशु होगी। उन्होंने कहा कि सांसद अभी अपने गृह ग्राम बोदर में विश्राम कर रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

दिग्विजय विरोधी हुए सक्रिय


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 96

दिग्विजय विरोधी हुए सक्रिय

यूपी के परिणाम तय करेंगे राजा का भविष्य



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस की नजर में भविष्य के वज़ीरे आज़म राहुल गांधी के अघोषित गुरू राजा दिग्विजय सिंह की मुखालफत करने वाले अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कांग्रेस के अंदर घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। दिग्विजय सिंह के पतन का इंतजार करने वाले नेताओं ने रणनीति तैयार कर ली है कि अगर यूपी में कांग्रेस के खाते में सौ से कम सीटें मिलीं तो दिग्विजय सिंह पर इसकी गाज गिर सकती है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की जमीनी हालत को देखकर युवराज राहुल गांधी को यूपी में झोंकने आ ओचित्य नहीं था। अगर यूपी में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहता है तो निश्चित तौर पर इससे कांग्रेस को नुकसान के साथ ही साथ युवराज राहुल गांधी की साख को बट्टा लगना तय है। जब सारी बातें सोनिया गांधी के सामने रखीं गईं तब सोनिया की आंखें खुलीं, पर तब तक तीर कमान से निकल चुका था।
सूत्रों ने कहा कि अगर मिशन यूपी में युवराज के हाथ नाकामयाबी लगती है तो कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह को बली का बकरा बनाना तय ही है। दरअसल, दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के आला नेताओं के विरोध के बावजूद भी राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश चुनावों में मैदान में ढकेलने का दबाव बनाया था। दिग्विजय के करीबी सूत्रों का कहना है कि राजा ने अपने बचाव के अस्त्र तैयार कर रखे हैं। राजा यूपी में नाकामयाबी का सेहरा बेनी प्रसाद वर्मा और श्रीप्रकाश जायस्वाल के कांधों पर रख सकते हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि यूपी चुनाव के परिणाम राजा दिग्विजय सिंह के भाग्य का फैसला करेंगे। अगर पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा तो दिग्गी राजा के पर कतरे जा सकते हैं। उनसे उत्तर प्रदेश का प्रभार वापस लिया जा सकता है।
उधर, मध्य प्रदेश से सियासी पायदान चढ़ने वाले दिग्विजय सिंह के खिलाफ सूबाई क्षत्रपों कमल नाथ, सुरेश पचौरी, सुभाष यादव, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी तलवार पजाना आरंभ कर दिया है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के चुनावों के परिणाम आने के बाद कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की महती जवाबदारी दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश विधानसभा में पराजय का मुंह देखने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी रसातल की ओर अग्रसर हुई जो वर्तमान में भी जारी है। मध्य प्रदेश कोटे से केंद्र में राजनीति करने वाले क्षत्रपों ने भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की जहमत नहीं उठाई है। एमपी में दमदार प्रवक्ता के.के.मिश्रा को हटाने से सूबाई कांग्रेस के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया भी संदेह के दायरे में आ चुके हैं।
कांति लाल भूरिया को दिग्विजय सिंह का पट्ठामाना जाता है। इन दिनों एमपीसीसी प्रेजीडेंट भूरिया मीडिया से कन्नी काटे नजर आ रहे हैं। फोन पर मीडिया से बातचीत के दौरान भूरिया ‘‘हैलो . . . हैलो‘‘ कहकर फोन काट रहे हैं। भूरिया के अध्यक्ष बनने के बाद कमल नाथ के प्रभाव वाले छिंदवाड़ा और सत्यव्रत चतुर्वेदी के प्रभाव वाले छतरपुर और टीकमगढ़ में जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों की घोषणा नहीं होने के जवाब शायद उनके पास नहीं हैं।

(क्रमशः जारी)

मौलिक चिंतन का महाजन



मौलिक चिंतन का महाजन

(संजय तिवारी)

समझ साफ हो तो जिंदगी सहज हो जाती है. नासमझी उलझने पैदा करती है. यह बात व्यक्तिगत जीवन में जितना लागू होती है उतना ही सामाजिक क्षेत्र या राजनीतिक चिंतन करते समय भी जरूरी होती है. हमारे आस पास बहुतेरे ऐसे लोग उपलब्ध हैं जो निजी जीवन से लेकर सार्वजनिक जीवन तक उलझे हुए नजर आते हैं. अपने अभी तक के जीवन में दो लोग ऐसे मिले हैं जो सुलझकर सहज हो गये लगते हैं. एक आचार्य नागराज जो कि जीवन विद्या के संस्थापक हैं और दूसरे बजरंगमुनि. आचार्य नागराज के बारे में हमारा समय ज्यादा जान नहीं पाया है लेकिन वे चेतना के जिस धरातल पर हैं वह जागृति की अवस्था है. अगर आप आचार्य नागराज के आस पास रहते हैं तो आपको महसूस होता है कि कम से कम उनके प्रभाव के दायरे में कोई उलझन नहीं है. प्रश्न तिरोहित हो जाते हैं, जिज्ञासाएं तो जैसे बचती ही नहीं है. बजरंगमुनि से मिलते हैं तो भी हमारे सामाजिक और राजनीतिक सवालों को लेकर वही समाधान प्रस्तुत हो जाता है जो आचार्य नागराज के सामने आध्यात्मिक जगत के लिए होता है.
जैसे ही हमारी समझ साफ होती है हम सहज हो जाते हैं और जैसे ही हम सहज होते हैं हमारा चिंतन मौलिक हो जाता है. लौकिक हो जाता है. पारलौकिक विषयों की रहस्यवादी दुनिया और लौकिक विषयों की वास्तविक दुनिया में कोई भेद ही नहीं है. समझ की पैदाइश हो गई तो यह बात बिल्कुल अटपटी नहीं लगती है कि राजनीतिक सुधारों से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है. अभी एक दिन पहले ही अमेरिकी विचारक एर्न्ड्यू कोहेन भी तो यही बोल रहे थे. किसी ने उनसे पूछा कि संसार में समस्याएं क्यों हैं तो उन्होंने कहा कि यह अविकसित रह जाने के कारण है. जैसे ही हमारा विकास पूरा होगा हमारी समस्याएं समाप्त हो जाएगी. एन्ड्रयू जब ऐसा कह रहे थे तो उनका आशय रोटी, कपड़ा और मकान भर से था. सम्यक रूप से भौतिक जरूरतें पूरी हो जाएं तो आध्यात्मिकता को प्रकट होने में वक्त कहां लगता है? भारत जैसे देश में जहां हमारे लिए हमारे राज्य प्रशासन ने अधिकांश जरूरतें पैदा कीं और उन्हें पूरा करने के नाम पर हमें भ्रमित करता है, कम से वहां यह बात अक्षरशरू लागू होती है.
बजरंग मुनि का लौकिक चिंतन इन्हीं मौलिक और मूलभूत जरूरतों को पूरा करने की दिशा में है. आचार्य नागराज की तरह वे किसी आध्यात्मिक उत्थान की शिक्षा नहीं देते. वे तो भारत की वर्तमान समस्या को वर्तमान के नजरिये से ही देख रहे हैं और उसका समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं. उनके चिंतन में अतीत का कोई आवरण नहीं है. निहायत ही मौलिक तरीके से वे जब कहते हैं कि सब सुधरेंगे, तीन सुधारे, नेता कर कानून हमारे. तो एक बारगी हंसी छूट जाती है. यह कौन सा मौलिक चिंतन है? इसमें ऐसा क्या है जो हम नहीं जानते? और उस पर से बजरंग मुनि का तुर्रा यह कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने में उन्होंने तीस साल लगा दिये हैं? तीस साल की तपस्या में ये तीन मामूली सी बातें भला कोई समाधान हो सकती हैं क्या?
लेकिन उनकी ये तीन मौलिक बातें मन में उतरती हैं तो मजा आता है. अगर आप ध्यान से अपनी निजी जिंदगी को देखें तो पायेंगे कि राजनीति, अर्थनीति और कानून हमारे लिए हमारी समस्त परेशानियों का कारण हैं. राजनीति का केन्द्र नेता है. अर्थनीति का केन्द्र कर प्रणाली है और उल्टे सीधे कानूनों के कारण हमारी जिंदगी से मौलिकता कहां गायब हो गई है इसे झक मारकर भी नहीं खोज सकते. मानवीय इतिहास में नेतृत्व एक अनिवार्य सत्य है. किसी भी समाज में नेतृत्व के बिना व्यवस्था संचालित नहीं हो सकती. यह नेतृत्व आकाशीय हो सकता है, कबीलाई हो सकता है, राज व्यवस्था का हो सकता है या फिर लोकतंत्र का. नेतृत्व के बिना मानव समाज अपना उद्धार नहीं कर सकता. मानव जाति की कलेक्टिव इच्छाशक्ति जब घनीभूत होती है तो उन्हीं के बीच से नेतृत्व पैदा होता है. हाल फिलहाल को देखें तो गांधी कोई आसमान से नहीं आये थे. वे हमारी कलेक्टिव इच्छाशक्ति के प्रतीक पुरुष थे. राम हो, पैगम्बर मोहम्मद हो, ईसा हों या फिर कोई महात्मा गांधी या नेल्सन मंडेला. मानव समाज की जितनी मात्रा में कलेक्टिव इच्छाशक्ति होती है उसी अनुपात में हमारे बीच से कोई पुरुष पैदा होता है जो वांछित शक्तियों का वाहक बनकर हमारा नेतृत्व करता है. अगर इस समझ से हम अपने नेता की ओर देखें तो क्या उसे सुधारने की जरूरत नहीं है?
बजरंग मुनि तब बजरंगलाल अग्रवाल होते थे और राजनीतिक व्यक्ति थे. उन्होंने चुनावी राजनीति को तिलांजलि देकर आज से करीब 25 साल पहले अपने आपको राजनीतिक संन्यासी घोषित कर लिया था. वह 25 दिसंबर 1984 था जब उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी सारी राजनीतिक जिम्मेदारियों को पूरा करके खुद को राजनीतिक सन्यासी घोषित कर लिया था. उस वक्त उन्होंने तय किया वे घर परिवार से अलग होकर रहेंगे और राजनीतिक चिंतन करेंगे. अपने जन्मक्षेत्र और बाद में कर्मक्षेत्र बने अंबिकापुर को ही उन्होंने अपना संन्यास क्षेत्र बनाया और खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया. उस वक्त उन्होंने घोषणा किया था कि 2009 तक संविधान संशोधन हो जाएगा और इस संविधान के कारण जो भारतीय मनुष्यों के सामने समस्याएं हैं वे समाप्त हो जाएगी. राजनीतिक सन्यास के दौरान ही उन्होंने संविधान पर जमकर शोध किया और आज वे जो तीन निष्कर्ष बता रहे हैं यह उसी शोध से निकला परिणाम है. उनके शोध के दौरान दिल्ली से भी विशेषज्ञ उनके पास जाते थे और विचार विमर्श तथा शोध करीब 15 साल चला. उनकी योजना थी कि उनका शोध दस साल में पूरा हो जाएगा और वे दस साल में व्यवस्था परिवर्तन का सूत्र समाज को सौंप देंगे. लेकिन जैसा कि होता है अच्छे काम बिना विघ्न के संपन्न नहीं होते. बजरंग मुनि बताते हैं कि जैसे ही मध्य प्रदेश सरकार को यह बात पता चली उन्होंने तरह तरह से परेशान करने की कोशिश की जिसके कारण उनके इस शोध में करीब चार साल और लग गये और नवंबर 1999 में उन्होंने व्यवस्था परिवर्तन का सूत्र समाज को सौंप दिया.
उनका अध्ययन समग्र है. अपने अध्ययन के दौरान उन्होंने समाज से जुड़े हर विषय पर मौलिक चिंतन किया है और उसका निष्कर्ष सामने रखा है. लेकिन इन निष्कर्षों के मूल का निष्कर्ष वही जो हम शुरू में समझ आये हैं. वे मानते हैं कि अगर इस देश में नेता, कर और कानून को ठीक कर दिया जाये हमारे देश की मानवीय समस्याओं का बहुत हद तक निदान हो जाएगा. उन्होंने जो शोध किया वह महज शोध ही नहीं रहा. वे रामानुजगंज के महापौर बने और अपने अध्ययन को अपनी नगरपालिका में लागू भी किया. प्रयोग का यह क्षेत्र भले ही तीन वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में सीमित रहा हो लेकिन उनके सफल प्रयोग से प्रेरित होकर छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार ने भी माना था कि रामानुजगंज में रामराज्य है. बजरंगमुनि का यह प्रयोग भले ही सीमित क्षेत्र में हुआ हो लेकिन उसकी संभावनाएं असीमित क्षेत्र के लिए भी हैं.
बजरंगमुनि का अपना निष्कर्ष है कि भारत में ग्यारह प्रकार की अनियंत्रित समस्याएं हैं जिनपर रोक लगाना बहुत जरूरी है लेकिन क्योंकि इन अनियंत्रित समस्याओं के कारण राजनीतिक हित सधते हैं इसलिए इन पर लगाम लगाने की बजाय हमारी राजनीति इनको बढ़ावा देती है. वे जिन 11 प्रकार की अनियंत्रित समस्याओं की ओर संकेत करते हैं वे हैं- चोरी डकैती, बलात्कार, मिलावट, जालसाजी, हिंसा आतंकवाद, भ्रष्टाचार, चरित्रपतन, सांप्रदायिकता, जातीय कटुता, आर्थिक असमानता और श्रम शोषण. अपने अध्ययन की समाप्ति के बाद वे अपने इन्हीं निष्कर्षों और इसकी व्याख्या को लेकर पूरे देश में जा रहे हैं. पिछले करीब एक दशक से यात्राओं और सभाओं के जरिए उन्होंने देशभर ये बातें समझाने की कोशिश की है कि जिसे हमारी समस्या बताया जा रहा है वह असल में कृतिम समस्या है जबकि हमारी मूल समस्या की ओर सरकारें जानबूझकर न ध्यान देती हैं और न ध्यान देने देती हैं.
हाल में अपनी एक और यात्रा पूरी करके दिल्ली पहुंचे बजरंग मुनि से जब हमने जानना चाहा कि करीब एक दर्जन राज्यों की यात्रा करने के बाद आपको कौन सी बात सबसे अधिक अखरती है तो उन्होंने कहा कि शरीर के व्यायाम पर जितना जोर बढ़ा है बुद्धि का व्यायाम उतना कम हो गया है. बकौल, बजरंगमुनि अब देश में बुद्धि की व्यायामशालाएं खोलने की जरूरत हैं ताकि लोग कम से कम अपने हित और अहित के बारे में निर्णय तो कर सकें. प्रक्षेपित ज्ञान ने हमें इतना आक्रांत कर दिया है कि हमारी अपनी मौलिक चिंतन की क्षमता ही खत्म होती जा रही है. शायद यही कारण है कि आज के विवेकशून्य होते दौर में हमें बजरंग मुनि मौलिक चिंतन के महाजन नजर आते हैं जिन्हें सुनने और समझने की जरूरत है. किसी और के लिए नहीं, बल्कि अपने खुद के लिए.

(लेखक विस्फोट डॉट काम के संपादक )

दो संदिग्ध आतंकी धरे गए


दो संदिग्ध आतंकी धरे गए

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली पुलिस ने बुधवार को  राजधानी में लश्कर-ए-तैयबा के दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्घ्तार किया है। पुलिस ने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। पुलिस ने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से सूचना मिलने के बाद दोनों संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफतार करने के लिये कार्रवाई शुरू की थी।
दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त पी.एन. अग्रवाल ने बताया कि दोनों आतंकवादियों को दस दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। उधर, पुलिस सूत्रों का कहना है कि इन दोनों संदिग्ध लोगों के पास से पुलिस को काफी बड़ा कंसाइमेंट मिला है जिसमें बाम बनाने से संबंधित जो समान चाहिए वो मेट्रिक्स पासपोर्ट, मोबाइल फोन मिले हैं। इनका इरादा बहुत जल्दी ही दिल्ली के एक कराउडे मार्केट में टेरेस्ट एक्शन का था जो इनके पकड़े जाने से प्रिवेंट हुआ है।
केंद्रीय गृहमंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने इस साजिश को नाकाम करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और तीन राज्यों के पुलिस बलों के कार्यों की सराहना की है। चिदम्बरम ने कहा कि देश की एजेंसियां तीनों राज्यों के पुलिसबलों के साथ मिलकर काम कर रही थी जिन्होंने लश्करे तैयबा की आंतकी योजना को नाकाम किया है। ये एक खास माड्यूल था और इसमें दिल्ली में आतंकी हमलों को अंजाम देने की योजना बनाई थी।
नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बम-विस्फोट करने की लश्करे तैयबा की साजिश को विफल कर दिया। उन्होंने लश्करे तैयबा द्वारा किसी प्रमुख हस्ती को निशाना बनाने की संभावना से इंकार किया।
इसके साथ ही साथ, तमिलनाडु में चार गैरसरकारी संगठनों के खिलाफ एफ आई आर के मुद्दे पर गृह मंत्री ने कहा कि इन संगठनों पर आरोप है कि उन्होंने जिन उद्देश्यों के लिए धन प्राप्त किया था, उसे अन्य गतिविधियों पर खर्च किया। श्री चिदम्बरम ने बताया कि सी बी आई को इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये गये है। एक प्रश्न के उत्तर में गृह मंत्री ने कहा कि जर्मनी के नागरिक को पर्यटन वीजा से बाहर की गतिविधियों में शामिल होने के कारण कल वापस भेजा गया।

सीएस डीजी की बैठक नौ को


सीएस डीजी की बैठक नौ को

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। घुरैड़ी के दूसरे दिन नौ मार्च को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र के मुद्दे पर बातचीत के लिए अगले महीने की नौ तारीख को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों की बैठक बुलायी है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र को पहली मार्च से लागू न करने का फैसला किया था।
उधर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान- एम्स से पूछा है कि उसने पिछले वर्ष सितम्बर में उच्च न्यायालय में हुए बम विस्फोटों के पीड़ितों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराने के उसके पिछले आदेच्च का पालन क्यों नहीं किया। न्यायालय की एक पीठ ने पीडितों के वकील की अर्जी पर एम्स का जवाब मांगा है। अर्जी में कहा गया है कि न्यायालय के आदेच्च के बावजूद पीड़ितों के लिए कुछ भी नहीं किया और वे कृत्रिम अंगो के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं।

महिलाओं को दुर्घटना का खतरा कम!


महिलाओं को दुर्घटना का खतरा कम!

(यशवंत श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली सरकार का मानना है कि दुपहिया वाहन में अगर पीछे पुरूष के स्थान पर महिला बैठी है तो दुर्घटना में उसके सर पर चोट नहीं लगेगी। जी हां, यह सच है, दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि दुपहिया वाहन चलाने वाली या उस पर पीछे बैठने वाली महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य नहीं किया जा सकता।
सरकार ने न्यायालय से हेलमेट पहनना पुरूष और महिलाओं दोनों के लिए अनिवार्य करने संबंधी याचिका खारिज करने का आग्रह किया है। इस याचिका के उत्तर में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा है कि उसने इसी तरह की याचिका पर महिलाओं को हेलमेट पहनने से छूट दे रखी है। न्यायालय की पीठ ने याचिकाकर्ता को हलफनामे का अध्ययन करने और २५ अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देच्च दिया है।

पर्यटन के विकास पर दें जोर: पाटिल


पर्यटन के विकास पर दें जोर: पाटिल

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने पर्यटन क्षेत्र में टिकाऊ विकास के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है। नई दिल्ली में राष्ट्रीय पयर्टन पुरस्कार समारोह में पर्यटन मंत्रालय की पहल की सराहना करते हुए कहा कि १२वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक विश्व में पर्यटकों के आगमन में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाकर एक प्रतिशत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस समय यह शून्य दशमलव छह प्रतिशत है। श्रीमती पाटील में कहा कि पर्यटन क्षेत्र में अपेक्षाकृत कम निवेश से रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होते हैं। पर्यटन देश के आर्थिक विकास और प्रगति का वाहक बन सकता है। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा फायदा इसकी रोजगार पैदा करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि इसमें न केवल प्रबंधन और आतिथ्य में कुशल विशेषज्ञों को रोजगार मिलता है, बल्कि ये कुशल और अर्द्धकुशल कर्मियों को भी आजीविका का अवसर देता है। इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस वर्ष से तीन नई श्रेणी के पुरस्कार शुरू किए हैं।

अनेक रोगों में लाभकारी है जीरा


हर्बल खजाना ----------------- 34

अनेक रोगों में लाभकारी है जीरा



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। भारतीय किचन में प्रमुख खाद्य पदार्थाे मे प्रयुक्त किया जाने वाला जीरा एक प्रचलित मसाला है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है। संस्कृत में इसे जीरक कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला। जीरा का वानस्पतिक नाम क्युमिनम सायमिनम है।
भोजन में अरुचि, पेट फूलना, अपच आदि को दूर करने में जीरा विश्वसनीय औषधि है। भुने हुए जीरे को लगातार सूँघने से जुकाम की छीकें आना बंद हो जाती है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है। जीरा गरम प्रकृति का होता है अतरू इसके अधिक सेवन से उल्टी भी हो सकती है।
जीरा कृमिनाशक है ज्वरनिवारक भी होता है। अत्यधिक एसिडिटी होने पर कच्चे और बगैर भुने जीरे की फ़ाँक दिन में ५-६ बार मारने से एसिडिटी सदैव के लिये दूर हो जाती है। डाँग- गुजरात के आदिवासी जीरे व नमक को पीसकर घी व शहद में मिलाकर थोड़ा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगाते है, इनका मानना है कि ऐसा करने से बिच्छु का विष उतर जाता है।
मट्ठे में हींग, जीरा और सेंधा नमक डालकर पीने से गैस और बवासीर में लाभ होता है। साथ ही जीरा पानी में पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाएं, तो और शीघ्र लाभ होगा। थायरॉइड में एक प्याला पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। 

(साई फीचर्स)