मोबाईल टावर करेंगे शालाओं को रोशन
रेडिएशन की परवाह किए बिना सिब्बल झोंकेंगे बच्चों को आग में
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश की शालाओं में विद्यार्थियों को आने वाले दिनों में बिजली की समस्या से दो चार नहीं होना पड़ेगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय जिस कार्ययोजना पर काम कर रहा है उससे देश की अधिकांश शालाओं को चौबीसों घंटे निर्बाध तौर पर बिजली मुहैया हो सकेगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हरियाणा के गुड़गांव में किए गए प्रयोग के उत्साहजनक परिणाम से सिब्बल गदगद हैं।
गौरतलब होगा कि देश के 61 फीसदी प्राथमिक और माध्यमिक शाला इन दिनों बिजली की समस्याओं से जूझ रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि सुदूर ग्रामीण अंचलों में सरकार बिजली नहीं पहुंचा पा रही है, किन्तु निजी तौर पर संचालित होने वाली कंपनियों में मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा अपने नेटवर्क को निर्बाध रखने के लिए वहां मोबाईल टावर लगाकर जनरेटर के माध्यम से बिजली मुहैया करवाई जा रही है।
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के कुछ आंकड़े दर्शाते हैं कि देश मंे बारह लाख स्कूलों में से सात लाख से अधिक स्कूलों में बिजली नहीं है। सिब्बल के निर्देश पर एचआरडी मिनिस्ट्री के आला अधिकारी इस दिशा में काम कर रहे हैं जिसमंे सरकारी स्कूल की छत या पास के मैदान में मोबाईल टावर लगाकर उससे मिलने वाली बिजली से शाला को रोशन किया जा सके। इससे बिजली के साथ ही साथ शाला को आमदनी भी होगी। देश में वर्तमान में लगभग साढ़े चार लाख मोबाईल टावर हैं।
यह योजना जल्द ही इसलिए भी परवान चढ़ सकेगी क्योंकि संचार मंत्रालय का जिम्मा भी मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के पास ही है। जानकारों का कहना है कि आबादी के आसपास मोबाईल टावर लगाने से मानव को खतरा हो सकता है, इसलिए इन टावर्स को आबादी से दूर रखने की मुहिम छेड़ी हुई है। इन टावर्स के रेडिएशन से गोरैया और मधु मख्खी शहरों से दूर हो गई हैं। बावजूद इसके शालाओं में बच्चों के इर्दगिर्द उठने वाले रेडिएशन का दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़े बिना नहीं रहने वाला।