खतरे में भीमगढ़ बांध!
(शरद खरे)
सिवनी जिले के लिए संजय सरोवर परियोजना
वाकई एक नायाब तोहफा है तत्कालीन कबीना मंत्री विमला वर्मा का। एशिया के सबसे बड़े
मिट्टी के बांध की परिकल्पना जिस उद्देश्य को लेकर की गई थी, कालांतर में वह उद्देश्य कुछ फीका सा
पड़ता दिखाई दे रहा है। इस बांध के पानी का उपयोग केवलारी और पलारी क्षेत्र के लोग
ही कर पा रहे हैं। वैसे जिला मुख्यालय में इस बांध से पेयजल प्रदाय किया जा रहा
है।
जिला मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर
दूर अवस्थित भीमगढ़ बांध परियोजना का काम 1972 में आरंभ किया गया था। 243 करोड़ 47
लाख रूपए की प्रस्तावित लागत से उस समय निर्मित इस बांध की लंबाई 3991.15 मीटर है।
यह सिवनी की पुण्य सलिला बैनगंगा नदी के उद्गम मुण्डारा से नदी मार्ग से लगभग साठ
किलोमीटर दूर स्थित है। इसके पक्के बांध की लंबाई 279.81 मीटर, एवं उंचाई 42.67 मीटर है। बांध की पूर्ण
जलस्तर क्षमता 410 मीटर एवं अनुपयोगी जल संग्रहण क्षमता 97 मीटर है।
ज्ञातव्य है कि इस बांध के निर्माण के
दौरान 43 ग्राम डूब क्षेत्र में आये थे लेकिन इस क्षेत्र में संग्रहित पानी से कुल
कृषि योग कमांड क्षेत्र 1 लाख 36 हजार 305 हेक्टेयर है, सिंचाई योग कमांड क्षेत्र 81839
हेक्टेयर है। प्रस्तावित वार्षिक सिंचाई सिवनी जिले में 67630 हेक्टेयर है तथा
बालाघाट में 37623 हेक्टेयर इस तरह इनका योग 105253 हेक्टेयर है।
उल्लेखनीय है कि इस बांध को नहर प्रणाली
से 3 भागों में विभाजित किया गया है, जिनमें भीमगढ़ दायींतट नहर के अंतर्गत
वार्षिक सिंचाई 44 हजार 697 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है, तिलवारा बायीं तट नहर से वार्षिक सिंचाई
18977 हेक्टेयर पर, रूमाल एवं बरगुर नहर से वार्षिक सिंचाई 3956 हेक्टेयर भूमि पर इसी तरह
बालाघाट जिले में भी इसका विभाजन दो नहरों के माध्यम से किया गया है, जिसमें ढूंढी बायीं तट नहर से वार्षिक
सिंचाई 35144 हेक्टेयर भूमि पर एवं ढूंढी दायीं तट नहर से रवि सिंचाई 2479
हेक्टेयर भूमि में की जाती है। सिवनी एवं बालाघाट जिलों में इन नहरों के माध्यम से
सिवनी जिले के 193 ग्राम लाभांवित होते है वहीं बालाघाट जिले के 114 ग्राम इस तरह
307 ग्रामों को इसका लाभ मिलता है। सिंचाई के साथ साथ इस बांध के माध्यम से
प्रस्तावित जल विद्युत क्षमता 4 यूनिट या 3450 किलोवाट की है। गौरतलब बिन्दु यह है
कि इस सरोवर से सिवनी शहर में 5 एम.जी.डी पेयजल सप्लाई किया जाना प्रस्तावित था और
छपारा ग्राम में 0.5 एम.जी.डी. का प्रावधान किया गया था।
इस तरह इतनी सारी खूबियें को अपने अंदर
समेटने वाले भीमगढ़ बांध को कुछ सालों पहले पर्यटन के लिए भी तैयार करवाया जा रहा
था। पर्यटक तो यहां आना चाहते हैं, यहां की खूबसूरत वादियां और अथाह जलराशि
देखते ही बनती है। विदेशी पक्षियों का यहां डेरा होता है जो पर्यटकों को बरबस ही
आकर्षित करता है। विडम्बना ही कही जाएगी कि भीमगढ़ बांध के आसपास पर्यटकों को दिन
दो दिन क्या घंटे दो घंटे रूकने के लिए भी छत मुहैया नहीं होती है। यही कारण है कि
पर्यटक यहां आने से कतराने लगे हैं। अगर भीमगढ़ बांध के आसपास सरकारी और गैर सरकारी
तौर पर रूकने की व्यवस्था उपलब्ध हो जाए तो इस बांध के आसपास चहल पहल बढ़ सकती है।
खुफिया सूत्रों द्वारा यह भी सूचना
सामने आई कि इस बांध पर आतंकी खतरा मण्डरा रहा है। इस बांध को अगर नक्सली या
आतंकियों ने अपना शिकार बना लिया तो निश्चित तौर पर केवलारी और बरघाट विधानसभा
क्षेत्र के साथ ही साथ बालाघाट, भण्डारा जिलों में कहर बरप सकता है। यह
तो संतोष की बात है कि जिला कलेक्टर ने इस बात को संजीदगी से लेकर सिंचाई विभाग के
अधिकारियों को इसकी सुरक्षा के लिए ताकीद कर दिया है।
वैसे भीमगढ़ बांध की सुरक्षा और संधारण
के लिए समय रहते उचित कदम उठाए जाने आवश्यक हैं। बारिश का मौसम है, इस मौसम में भीमगढ़ बांध का जलस्तर तेजी
से बढ़ रहा है। अभी सावन का महीना आरंभ ही नहीं हुआ और भीमगढ़ के दो गेट खोलने पड़ गए
जिससे बारिश के तेज का अंदाजा लगाया जा सकता है। अब सावन भी लग चुका है। सावन और
भादों में पानी गिरेगा ही, इस पानी से भीमगढ़ में जलस्तर तेजी से बढ़ेगा इस बात से इंकार नहीं किया
जा सकता है। भीमगढ़ में पानी के बढ़ते स्तर की सतत मानिटरिंग की जरूरत है।
कहा जा रहा है कि इस बांध के निरीक्षण
के लिए तैनात सरकारी मुलाजिम इस ओर झांकना भी अपनी गरिमा के प्रतिकूल समझते हैं।
बारिश में कई बार भीमगढ़ बांध तक पहुंचना मुश्किल होता है। कई बार तो बारिश का कहर
इतना तेज होता है, कि जलस्तर तेजी से बढ़ने लगता है। इस तरह की परिस्थितियां वाकई विस्फोटक
होती हैं। एक बार मुलताई के एक डेम में जलस्तर तेजी से बढ़ गया था और संबंधित स्टाफ
मौके पर नहीं पहुंच सका था। उस समय यहां भारी तबाही हुई थी।
संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव ने इस
बांध का निरीक्षण भी किया है, जो सराहनीय ही कहा जाएगा। जिला कलेक्टर
से अपेक्षा है कि अथाह जलराशि अपने अंदर समेटे भीमगढ़ बांध की सुरक्षा और संधारण के
लिए सिंचाई विभाग को कड़े निर्देश दें। साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित करें कि उनके
निर्देशों का अनुपालन सही तरीके से हो रहा है। यह वाकई एक संवेदनशील मामला है
जिसमें जरा सी चूक भी भारी तबाही का कारण बन सकती है।