भारी दबाव में काम कर रही है कोतवाली
पुलिस!
(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)
सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय की कोतवाली
पुलिस का स्वास्थ्य बेहतर नहीं माना जा सकता है। कोतवाली पुलिस को भारी दबाव का
सामना करना पड़ रहा है। यह दबाव अपराधियों या जरायमपेशा लोगों का नहीं वरन् सियासी
लोगों का है। जी हां, पुलिस सूत्रों का यही दावा है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को बताया कि कोतवाली सीमा के अंदर होने वाले अपराधों में अपराधी को पकड़कर
कोतवाली लाने के पहले ही जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के पास उन्हें छुड़ाने के लिए
मोबाईल फोन पहुंच जाते हैं। कई बार तो जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को यह भी पता
नहीं होता है कि आखिर फोन किसे और किस जुर्म के तहत पकड़े जाने पर छुड़ाने के लिए
किया जा रहा है।
पुलिस सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि
एक बार तो नगर कोतवाल को शहर में कहीं सार्वजनिक स्थान पर दारू खोरी होने की सूचना
मिलने पर, उन्होंने पुलिस पार्टी इन सुरा प्रेमियों को पकड़ने रवाना की। सूत्रों की
मानें तो पुलिस पार्टी इन दारू खोरों को पकड़कर कोतवाली ला भी नहीं पाई और नगर
कोतवाल के पास फोन पर फोन आने आरंभ हो गए कि फलां को छोड़ दिया जाए।
सूत्रों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी
के शासनकाल में पुलिस पर हर कदम पर बनने वाले इस राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस
कर्मी स्वच्छंद सांसे भी नहीं ले पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ पुलिस
अधिकारी तो अब किसी के लिए भी आने वाले सियासी तौर पर सिफारिशी फोन को मीडिया तक
पहुंचाने का मन भी बना रहे हैं।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि कोतवाली
सिवनी में जबर्दस्त तरीके से राजनैतिक दखलंदाजी बढ़ चुकी है। यह आलम तब है जब सिवनी
जिले के तीन भाजपा विधायकों में से एक भी मंत्री नहीं है। आम आदमी आज अपने साथ हुई
घटना की रपट थाने में लिखवाने से गुरेज ही करने लगा है।
यातायात पुलिस भी चेहरा देख देखकर ही
लोगों के चालान बना रही है। पुलिस अधीक्षक निवास को जिला कलेक्टर के निवास को
जोड़ने वाले सिवनी के अघोषित ‘राजपथ‘ पर सड़क पर ही लोगों द्वारा अपने अपने
वाहन पार्क कर दिए जाते हैं जिससे आवागमन प्रभावित हुए बिना नहीं रहता है। यह
स्थिति तब भी जस की तस ही बनी रहती है जब शाम ढलते ही यातायात पुलिस द्वारा
बाहुबली चौक पर वाहनों की चेकिंग की जाती है।
वहीं, जिला चिकित्सालय के सामने बने शापिंग
कॉम्पलेक्स में रात गहराते ही शोहदों और मनचलों की भीड़ जमा होने लगती है। सियासी
दखलंदाजी के चलते पुलिस का खौफ अब कम हो चुका है। आलम यह होता है कि शहर के ‘राजपथ‘ पर लगने वाले अण्डों के ठेलों और आसपास
की जगहों पर सरेआम मदिरापान किया जाता है। सुबह जब दुकानदार अपने प्रतिष्ठान पहुंचते
हैं तो कई बार उन्हें वहां शराब की साबुत अथवा फूटी बोतलें, डिस्पोजेबल ग्लास, पानी और नमकीन के पाउच पड़े मिलते हैं।
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