शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

डॉ.गर्ग ने फिर चमकाया कर्मचारियों को!

डॉ.गर्ग ने फिर चमकाया कर्मचारियों को!

(प्रवीण सोनी)

लखनादौन (साई)। जिला आयुष अधिकारी डॉ.एस.डी.गर्ग ने एक बार फिर अपने खिलाफ शिकायतों के चलते कर्मचारियों पर दबाव बनाया गया। आज लखनादौन प्रवास पर आए डॉ.गर्ग से मिलने के उपरांत कर्मचारी सहमे सहमे से ही दिखाई दिए।
आयुष कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आज जिला आयुष अधिकारी डॉ.सतीश चन्द गर्ग लखनादौन आए। लखनादौन आगमन के उपरांत उन्होंने आयुष विभाग के कर्मचारियों की तबियत से खैर ली। डरे सहमे कर्मचारियों पर उन्होंने दबाव बनाया कि वे अपनी शिकायत वापस लें। सूत्रों की मानें तो डरे सहमे आधा दर्जन कर्मचारियों से भी डॉ.गर्ग ने बलात अपने पक्ष में कुछ इबारत लिखवाकर दस्तखत करवा लिए।

ज्ञातव्य है कि डॉ.एस.डी.गर्ग की अनेक शिकायतें आज भी लंबित हैं। उनकी शिकायतों की जांच जिला स्तर पर और लखनादौन स्तर पर भी की जा रही है। लखनादौन की अनुविभागीय दण्डाधिकारी लता पाठक के कार्यालय में उनकी शिकायत लंबित है, जिसमें गंभीर अनियमितताओं के आरोप हैं।

अरविंद मेनन चाह रहे दिनेश को भाजपा में लाना

अरविंद मेनन चाह रहे दिनेश को भाजपा में लाना

(नन्द किशोर / दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। ‘‘मैं किसी दल में जाने का विचार नहीं कर रहा हूं। 2008 के विधानसभा चुनावों में तीस हजार लोगों ने मुझ पर भरोसा जताया था, मैं उनसे पूछकर ही कोई कदम उठाउंगा।‘‘ मीडिया में इस बात को प्रचारित करवाने वाले लखनादौन मस्जिद के सरपरस्त, लखनादौन अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष, राय पेट्रोलियम के संचालक, नगर पंचायत लखनादौन के पूर्व अध्यक्ष दिनेश राय उर्फ मुनमुन को भाजपा में बिना शर्त लाने के लिए अरविंद मेनन जमकर प्रयास कर रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व दिनेश राय के कांग्रेस में जाने की बातें सिवनी की फिजां में जमकर उठीं थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे प्रसन्न चंद मालू की जमानत कैसे और किन कारणों से जप्त हुई इस बारे में सभी को बेहतर जानकारी है।
सिवनी के कांग्रेस के क्षत्रप हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के उपरांत अब सिवनी के सियासी समीकरण तेजी से बदल चुके हैं। अब एक मेरी तीन तेरीका फार्मूला कारगर नहीं रह गया है। इन्हीं नए सियासी समीकरणों के कारण भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशियों की सांसें फूलती दिख रही हैं।
पिछले दिनों गांधी वादी समाजसेवी अण्णा हजारे के सिवनी आगमन के पूर्व दिनेश राय और उनके समर्थक जिस तेजी से सक्रिय हुए थे, उसे देखकर लगने लगा था कि अपने ‘‘विशेष‘‘ प्रभाव के जरिए दिनेश राय द्वारा अण्णा के इर्द गिर्द के लोगों को सम्मोहित कर उन्हें अपने पक्ष में कर लेंगे।
इसकी एक बानगी अण्णा हजारे की सिवनी यात्रा के पूर्व सुनीलम द्वारा ली गई पत्रकार वार्ता में देखने को मिली थी। इस पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक सुनीलम द्वारा दिनेश राय को अपने बराबरी का असान दिया था, जिससे अण्णा हजारे से जुड़े सिवनी के युवाओं में तल्ख नाराजगी सामने आई थी।
इसके उपरांत जब अण्णा के प्रोग्राम स्थल की बुकिंग आनन फानन दिनेश राय द्वारा करवा दी गई थी तब भी इन युवाओं ने अण्णा हजारे के गृह ग्राम रालेगण सिद्धि और दिल्ली कार्यालय को संपर्क किया था। कहा जाता है कि दिनेश राय का जादू इन दोनों ही जगह पर सर चढ़कर बोल रहा था, इसलिए कोई भी उनके खिलाफ कुछ सुनना नहीं चाह रहा था।
अण्णा के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि सिवनी के कुछ युवाओं द्वारा वास्तविकता का कच्चा चिट्ठा दिल्ली और रालेगण भेजा तब जाकर धूमा के उपरांत अण्णा का मन बदला और ना तो मंच पर ना ही अन्य स्थानों पर अण्णा ने सिवनी के इन चेहरों को अपने पास फटकने दिया।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय के सूत्रों ने साई न्यूूज को बताया कि अब अरविंद मेनन का मन बन रहा है कि वे दिनेश राय उर्फ मुनमुन को भाजपा की सदस्यता दिलवाएं, किन्तु इसके लिए दिनेश राय की शर्तें आड़े आ रही हैं। अरविंद मेनन आखिर यह क्यों चाह रहे हैं कि दिनेश राय भाजपा में आएं इस बात का खुलासा सूत्र नहीं कर सके।
सूत्रों ने आगे कहा कि अरविंद मेनन ने इस बारे में हाई कमान को इशारे ही इशारे में सारी बातें समझा दी हैं। कहा जा रहा है कि हाई कमान ने कहा है कि भाजपा में सभी का स्वागत है, पर किसी को भी शर्तों पर भाजपा में नहीं लाया जा सकता है, बिना शर्त अगर कोई आता है तो उसका स्वागत होगा। अगर दिनेश राय भाजपा में जाते हैं तो जिला भाजपा की क्या प्रतिक्रिया होगी इस बारे में बातें अभी भविष्य के गर्भ में ही हैं।

दुर्घटनाओं को न्योता देती चरमराई यातायात व्यवस्था

दुर्घटनाओं को न्योता देती चरमराई यातायात व्यवस्था

(शरद खरे)

जिला मुख्यालय सिवनी की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। सिवनी में यातायात व्यवस्था या ट्रेफिक सेंस नाम की चीज नहीं बची है। जिसका जहां मन होता है, वहां वाहन खड़ा कर देता है, जहां मन आया सवारी गाड़ियां सवारी भरती उतारती नजर आती हैं। शहर में जगह जगह बस स्टेंड स्थापित हो गए हैं।
सिवनी शहर में बिगड़ैल यातायात व्यवस्था का सबसे दुखद पहलू यह है कि सिवनी में भारी और हल्के वाहन चौबीसों घंटे फर्राटे भरते नजर आते हैं। अतिक्रमण ने सड़कों को सकरा कर दिया है तो वाहनों की तादाद में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। सिवनी शहर के पॉश इलाके बारापत्थर में भारी वाहन और अर्थ मूवर्स का आवागमन बारहों माह तीसों दिन होता है। पता नहीं सिवनी में इस जगह इन वाहनों का क्या काम?
जिला मुख्यालय सिवनी में जबलपुर रोड़, बरघाट रोड़, नागपुर, रोड़ छिंदवाड़ा रोड़ सहित अनेक मुख्य मार्गों पर विद्यालयों की भरमार है। इन विद्यालयों के लगने और अवकाश के समय यहां वाहनों की रेलमपेल से दुर्घटनाओं की आशंका बनी ही रहती है। स्कूल प्रशासन द्वारा भी इस दिशा में कोई पहल ना किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा।
बरघाट रोड़ पर केंद्रीय विद्यालय है। बरघाट रोड़ से केंद्रीय विद्यालय पहुंच मार्ग की दयनीय दशा किसी से छिपी नहीं है। इस मार्ग में लगभग सौ फिट की सड़क अभी बनी नहीं है। बारिश के कीचड़ में विद्यार्थियों को स्कूल लाने ले जाने वाले आटो कभी भी फिसल सकते हैं, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसी मार्ग में बरघाट रोड़ पर रेल्वे क्रासिंग से डूंडा सिवनी तक सड़क पर भारी वाहनों का जाम देखने लायक होता है। सड़क पर खड़े इन भारी वाहनों से आवागमन बुरी तरह बाधित हुए बिना नहीं रहता है। आलम यह होता है कि सड़क महज एक ओर से ही आने जाने को खुली रहती है, जिससे वाहनों की रेलम पेल में दुर्घटना का भय सदा ही बना रहता है।
वहीं इस मार्ग पर यातायात पुलिस द्वारा पाबंद कारिंदों द्वारा महज दस बीस रूपए के लालच में भारी वाहनों को शहर में आने के लिए अनुमति दे दी जाती है, जिससे दुर्घटना का भय बना ही रहता है। शाला के अवकाश के समय अनेकों बार रेल्वे फाटक भी बंद रहता है जिससे जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है।
इसके अलावा छिंदवाड़ा चौक और कोतवाली के सामने वाले स्कूलों के सामने भी वाहनों की आवाजाही बहुतायत में ही हुआ करती है जिससे दुर्घटना का भय बना रहता है। कोतवाली के सामने वाले स्कूल के समक्ष तो यात्री बस और टेक्सियों में बाकायदा सवारी भी भरी जाती हैं। विडम्बना ही कही जाएगी कि कोतवाली के सामने ही जब आलम यह रहता है तो भला अन्य जगहों के बारे में अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
सबसे भयावह स्थिति कचहरी चौक की हुआ करती है। इस चौक पर जब मिशन उच्चतर माध्यमिक शाला और मिशन कन्या शाला की छुट्टी होती है तो शोहदों की भीड़ के बीच बालाओं को छींटाकशी का भी सामना करना पड़ता है। कचहरी चौक और सर्किट हाउस के बाजू से जिला कलेक्टोरेट जाने वाले मार्ग पर अंधी गति से भागते भारी वाहन विशेषकर डंपर से कभी भी किसी भी तरह की दुर्घटनाओं ेसे इंकार नहीं किया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि जिला या पुलिस प्रशासन इन परिस्थितियों से वाकिफ नहीं है। हर जगह यातायात पुलिस के ट्रेफिक प्वाईंट बने हुए हैं। इन प्वाईंट्स पर यातायात पुलिस के कर्मी अक्सर ही नदारत हुआ करते हैं। इनके स्थान पर आवारा मवेशी ही यहां डेरा डाले दिख जाते हैं। पुलिस महकमा स्टाफ की कमी की बात अक्सर ही कर देता है। इसके लिए सांसद विधायक क्या कर रहे हैं, यह भी विचारणीय प्रश्न ही है।
वर्तमान में विधानसभा का सत्र चल रहा है। अगर विधायकों ने पूर्व में सूचना देकर प्रश्न नहीं लगाया है तो वे शून्यकाल में तो कम से कम इन समस्याओं और पुलिस में स्टाफ की कमी की बात कर ही सकते हैं। वस्तुतः सिवनी जिले की समस्याओं से यहां के जनादेश प्राप्त सांसद विधायकों को कोई सरोकार शायद नहीं बचा है।
जिला कलेक्टर भरत यादव एवं जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला से अपेक्षा ही की जा सकती है कि कम से कम सिवनी शहर में भारी वाहनों के लिए प्रतिबंधित समय में भारी वाहन विशेषकर अंधी गति से भागते डंपरों के प्रवेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही साथ शालाओं के अवकाश के समय यातायात का दबाव कम हो इसके भी प्रयास करें। इसके लिए नगर पालिका प्रशासन को चाहिए कि कम से कम यातायात की दृष्टि से अतिसंवेदनशील इन प्वाईंट्स पर ट्रेफिक सिग्नल लगाने की व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित करे, अन्यथा अगर कोई हादसा होता है तो उन्हें जवाब देते नहीं बनेगा।