गुरुवार, 20 जून 2013

ग्राम पंचायत ने पारित किया था लान हटवाने का प्रस्ताव

0 लूघरवाड़ा में लान बंद कराने की उठी मांग - - - 2

ग्राम पंचायत ने पारित किया था लान हटवाने का प्रस्ताव

(जीतेश अवधवाल)

सिवनी (साई)। सिवनी के उपनगरीय क्षेत्र लूघरवाड़ा में संचालित लान को हटवाने के लिए ग्राम पंचायत की एक बैठक में प्रस्ताव अप्रेल में ही पारित करवा लिया गया था, किन्तु उसके उपरांत भी इस संबंध में कोई कार्यवाही अब तक ना होना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत लूघरवाड़ा के भवन में 14 अप्रेल को हुई ग्राम सभा की बैठक में 61 महिला और 90 पुरूष सदस्य उपस्थित हुए थे। इस सभा में प्रस्ताव नंबर दो में ग्राम वासियों से प्राप्त आवेदन जिजिसमें रजवाड़ा, गुरूकृपा, दादावाड़ी लान को बंद कराने के संबंध में निर्णय लेने का उल्लेख है।
इसमें कहा गया है कि सभा में सरपंच सावित्री विश्वकर्मा से अनुमति लेकर विचार विमर्श किया गया और इस संबंध में निर्णय लिया गया कि यदि पूर्व में ग्र्राम पंचायत द्वारा लान संचालकों को लान संचालन की अनुमति या प्रस्ताव दिया गया हो तो एक बार दी गई स्वीकृति को एक वर्ष की कालावधि की समाप्ति के पूर्व अनुज्ञा को पुर्नवैध कराया जाना था।
इसके साथ ही साथ संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश कार्यालय छिंदवाड़ा की अनुज्ञा के लिए बिना लान या मंगल भवन संचालित कर पंचायत क्षेत्र में मनमाने ढंग से ध्वनि प्रदूषण, आवागमन अवरूद्ध कर व्यवसाय किया जा रहा है, तथा ग्राम पंचायत द्वारा तथा प्रदेश के पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम के तहत बनाए गए नियम शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है। जिसके तहत लान की स्वीकृति निरस्त की जाए।
इस सभा में यह भी कहा गया था कि यदि लान संचालकों द्वारा मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 30 की उपधारा 3 तथा मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम 1984 के नियम 2, 5 एवं 27 (1) के अधीन तथा सिवनी विकास योजना 2011 के निर्दिष्ट प्रावधानों के अंतर्गत यदि अनुज्ञा ली गई हो तो उसे प्रस्तुत किया जाए।

(क्रमशः जारी)

सोलंकी पर लगे महिला कर्मचारी को छेड़ने के आरोप

सोलंकी पर लगे महिला कर्मचारी को छेड़ने के आरोप

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जनपद पंचायत सिवनी में सहायक विकास खण्ड अधिकारी के पद पर पदस्थ बी.एस.सोलंकी पर एक महिला कर्मचारी के साथ आपत्तिजनक हरकत करने के आरोप लगे हैं।
जनपद पंचायत सिवनी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उमर दराज सहायक विकास विस्तार अधिकारी श्री सोलंकी पर एक नवयोवना कर्मचारी के साथ आपत्तिजनक हरकत करने का मामला प्रकाश में आया है। सूत्रों ने बताया कि जनपद पंचायत सिवनी में एक शाखा में पदस्थ एक नवयुवती के घर श्री सोलंकी गए और आपत्तिजनक हरकतें कीं। घटना 13 जून की बताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार इस संबंध में उक्त महिला कर्मचारी ने जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी कंचन डोंगरे, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रियंका दास एवं जिला पंचायत में पदस्थ सुश्री मुड़िया को भी इसकी जानकारी मौखिक रूप से दी थी। तीन तीन महिला अधिकारियों को घटना के बारे में एक महिला कर्मचारी द्वारा बताए जाने के उपरांत भी किसी भी महिला कर्मचारी द्वारा संज्ञान ना लिया जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो उक्त पीड़ित महिला कर्मचारी की मजबूरी है कि वह सहायक विकास विस्तार अधिकारी के साथ भ्रमण पर जाए, क्योंकि उक्त महिला कर्मचारी को सरकारी स्तर पर किसी भी वाहन की व्यवस्था नहीं की गई है।

इस संबंध में जिला कलेक्टर भरत यादव, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रियंका दास एवं जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी कंचन डोंगरे से संपर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु वे उपलब्ध नहीं हो पाए।

30 को आ सकते हैं कमल नाथ

30 को आ सकते हैं कमल नाथ

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। केेंद्रीय मंत्री कमल नाथ एक बार फिर शनिवार 30 जून को दो दिवसीय प्रवास पर सिवनी आ सकते हैं। इस दौरान वे विधानसभाओं में जाकर वहां के कार्यकर्ताओं से रूबरू हो सकते हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि केंद्रीय मंत्री कमल नाथ 13 जून को सिवनी आए थे, और उसके बाद वे लगातार सिवनी की कांग्रेस की हालत पर फीड बैक ले रहे हैं। सिवनी कांग्रेस की दयनीय हालत किसी से छिपी नहीं है।
सिवनी की कांग्रेस की राजनीति में हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के उपरांत आई रिक्तता को भरने के लिए कमल नाथ पुरजोर प्रयास कर रहे हैं और इसी कड़ी में 30 जून को उनके सिवनी आने का कार्यक्रम एक बार फिर बनता दिख रहा है।

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्री कमल नाथ 30 जून को सिवनी आकर दो दिनों तक चारों विधानसभाओं में जाकर वहां के कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुनेंगे। विधानसभा के पूर्व एवं हरवंश सिंह के अवसान के उपरांत कमल नाथ की इस तरह की सक्रियता से भारतीय जनता पार्टी में हड़कंप मचना स्वाभाविक ही माना जा रहा है।

उत्तराखण्ड में फंसे हैं सिवनी के चार परिवार!

उत्तराखण्ड में फंसे हैं सिवनी के चार परिवार!

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश के कहर ने लोगों की जान निकालकर रख दी है। मीडिया भी इससे संबंधित खबरों से पटा हुआ है। सिवनी के चार परिवार भी उत्तराखण्ड में बाढ़ में फंसे हैं जिनका कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आमिर खान ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी के तीन अधिवक्ता और एक व्यापारी का परिवार उत्तराखण्ड में फंसा हुआ है। श्री खान ने बताया कि अधिवक्ता गुलीश गौली, वेदान्त सनोडिया, हुकुम सिंह ठाकुर एवं एक व्यापारी विनय सनोडिया का परिवार उत्तराखण्ड भ्रमण पर था जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
अधिवक्ता आमिर खान ने बताया कि ये चारों परिवार संभवतः 9 जून को तीर्थ दर्शन के लिए सिवनी से निकले थे। उन्होंने बताया कि 15 जून को गुनीश गौली की अपने ससुराल वालों से बात हुई तब वे बद्रीनाथ के दर्शन कर कैदारनाथ को कूच कर गए थे। उस वक्त वे फाटा नामक स्थान पर थे, जो कैदारनाथ से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर है।
इस संबंध में अधिवक्ताओं ने कल जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला से भेंट कर उन्हें इस बात से आवगत कराया था। पुलिस अधीक्षक ने तत्काल अपने स्तर पर कार्यवाही आरंभ कर दी थी। आज अधिवक्ताओं ने जिला कलेक्टर भरत यादव को इस संबंध में जानकारी दी है। जिला प्रशासन अपने स्तर पर कार्यवाही कर रहा है।

बताया जाता है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय में बनाए गए कंट्रोल रूम में प्रभारी हरिरंजन राव एवं नीरज वशिष्ठ को इन चारों परिवारों के बारे में आवगत करा दिया गया है। साथ ही साथ दिल्ली में बुरदलोई मार्ग पर स्थित मध्य प्रदेश भवन में बनाए गए कंट्रोल रूम में शैलेंद्र सिंह को भी इस संबंध में आवगत कराया जा चुका है।

रहिमन पानी राखिए . . .

रहिमन पानी राखिए . . .

(शरद खरे)

गुजरे जमाने के प्रख्यात कवि रहीम के दोहों से कौन नहीं परिचित होगा। रहीम ने कहा है
रहिमन पानी राखिए!
बिन पानी सब सून!!
पानी बिना ना उबरे!!!
मोती मानस चून!!!!
पानी की महत्ता आदि अनादि काल से ही सभी को पता है। पानी के लिए ना जाने क्या क्या जतन होते आए हैं। पानी एक ऐसी चीज है जिसके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है।
सिवनी शहर आज भी प्यासा ही है। सालों साल से सिवनी में पानी के संकट को झेल रहे हैं यहां के निवासी। अस्सी के दशक में जब भीमगढ़ बांध से पानी सिवनी में नहीं आता था, उस वक्त बबरिया और लखनवाड़ा से सिवनी को पानी प्रदाय किया जाता रहा है।
समय के साथ आबादी बढ़ी और सिवनी में पानी का संकट गहराने लगा। इसके लिए कांग्रेस के शासनकाल में नब्बे के दशक में सुआखेड़ा से लगभग 32 किलोमीटर लंबी पाईप लाईन डालकर सिवनी पानी लाया गया। इसमें बिजली की खपत बहुत अधिक होती है।
इसके साथ ही साथ सिवनी से लगभग 22 किलोमीटर दूर श्रीवनी में बने फिल्टर प्लांट से पानी साफ कर सिवनी लाया जा रहा है। यह बात किसी की समझ में नहीं आ पा रही है कि आखिर 22 किलोमीटर लोहे के पाईप में पानी साफ होकर कैसे बह रहा होगा। सियासी दलों के लिए पानी साफ आ रहा है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
श्रीवनी के फिल्टर प्लांट से सिवनी तक आने वाली पाईप लाईन को मार्ग में पड़ने वाले गांवों के लोगों ने जहां तहां तोड़ दिया है। यह पाईप लाईन जब तब फूट जाती है। आज लोगों के घरों में पानी के साथ केंचुए और अन्य कीड़े निकल रहे हैं, पर सियासी दलों के लोगों के लिए पानी पूरी तरह साफ ही आ रहा है।
प्रदेश में भाजपा सत्ता में है, और कांग्रेस विपक्ष में। भाजपा का मौन यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि नगर पालिका प्रशासन जो कि भाजपा के कब्जे वाली है में लोगों को साफ सुथरा पानी प्रदाय किया जा रहा है। वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी मौन है जिससे यह लगता है कि लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला अब बचा ही नहीं है कोई।
जिला चिकित्सालय सहित निजी चिकित्सालयों और चिकित्सकों के दरवाजे पर आंत्रशोध, पीलिया, गेस्टोइंटाईटिस आदि के मरीजों की लंबी लाईन शायद किसी अन्य वजह से ही दिखाई पड़ती है। जब कांग्रेस मौन है भाजपा संतुष्ट है तब यह मानना मजबूरी ही है कि इन बीमारियों की वजह पानी नहीं हो सकता है।
नगर पालिका परिषद द्वारा हर साल करोड़ों रूपए की फिटकरी से पानी का शोधन किया जाता है। युवा एवं उर्जावान जिला कलेक्टर अगर किसी के भी घर से एक बाल्टी पानी सामने से भरवाएं और उसमें फिटकरी घुमा दें, तथा आधे घन्टे बाद वे उस पानी को देखें तो पाएंगे कि बाल्टी की तली में काला मटमैला कचरा बैठा हुआ है।
समझदार और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग तो फिटकरी या क्लोरीन का प्रयोग कर लेते हैं, पर गरीब आखिर कहां से लाए फिटकरी, या क्लोरीन! वह तो सीधे सीधे नलों से आने वाले पानी को गटक जाता है और तीन चार दिन बाद उसकी हालत बिगड़ने लगती है। लोगों को सिवनी में अमीबाईसिस की सबसे अधिक शिकायत का सामना करना पड़ता है।
नगर पालिका प्रशासन के साथ ही साथ शहर में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने भी इस संबंध में मौन ही साधे रखा है। देखा जाए तो पीएचई का यह दायित्व है कि वह लोगों को साफ पेयजल मुहैया हो, इस बारे में सुनिश्चित करे। घरों घर जाकर द्रव की शक्ल में शीशी में आने वाला क्लोरीन बांटे।
ऐसा नहीं कि पीएचई के पास क्लोरीन की शीशियां नहीं आती हैं, पर वे आती हैं तो कहां चली जाती हैं, यह शोध का विषय है। ऐसा नहीं कि जिला कलेक्टर सहित प्रशासन के अधिकारियों के घरों में अलग से पाईप लाईन डली हो। इनके घरों में भी पानी गंदा ही आता होगा, पर यह पानी निस्तार में चला जाता होगा। पीने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के घरों और कार्यालय में मंहगे फिल्टर लगे होंगे।
भारत गणराज्य में जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन की अवधारणा प्रचलित है। इस लिहाज से प्रशासनिक अधिकारियों और जनसेवकों को अपनी सुविधाएं बाद में देखना चाहिए, पहले उन्हें आम जनता की सुध लेना चाहिए। विडम्बना ही है कि यहां उलट बंसी ही बज रही है। जिला कलेक्टर से जनापेक्षा है कि सिवनी के नागरिकों को कम से कम साफ पानी पीने को मिल सके इस तरह की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करवाई जाएं।