मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

‘जय हिन्द‘ का स्थान लिया ‘ठीक है‘ ने


जय हिन्दका स्थान लिया ठीक हैने

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य के वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह को कथित तौर पर महान अर्थशास्त्री माना जाता है पर देखा जाए तो वे एक परिपक्तव राजनेता हैं। मनमोहन सिंह ने जिस तरह मौनी बाबा के रूप में आठ साल पूरे कर लिए हैं उससे लगने लगा है कि उनका ब्रम्ह वाक्य मौन से बड़ा कोई दूसरा मित्र और अस्त्र नहीं है, हो गया है। देश में भ्रष्टाचार, अनाचार, घपले घोटालों पर मनमोहन सिंह का मौन सर्व विदित है। दिल्ली में हुए बलात्कार पर मनमोहन सिंह ने मुंह खोला तो राष्ट्र के नाम उनके संदेश में उनकी धूर्तता इस बात से साफ हो गई कि संदेश के अंत में वे बोले - ‘‘ठीक है।‘‘ और चालाक चतुर सूचना प्रसारण मंत्री के कारिंदों ने इसे जस का तस प्रसारित करवा दिया। सूचना प्रसारण मंत्रालय का अनुभाग ‘‘आकाशवाणी‘‘ या दूरदर्शनकभी संसदीय कार्य मत्री कमल नाथ को वाणिज्य उद्योग मंत्री बताता है तो कभी प्रधानमंत्री के देश के नाम संबोधन में पार्श्व में मोबाईल की धुन सुनाता है। महात्मा गांधी के देश में सोनिया गांधी के राज में पुलिस के डंडे की हुकूमत से देश में रोष और असंतोष के साथ ही साथ भय का वातावरण निर्मित हो चुका है।

सालों पुराना एक किस्सा याद आया है। बात 1987 की है, उस वक्त हम देश के हृदय प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के उप संपादक हुआ करते थे। उस वक्त मालिक महोदय के एक मित्र आए और अपने मकान या दुकान बेचने का एक विज्ञापन प्रकाशित करने को दिया। मालिक ने उस विज्ञापन के नीचे निशुल्क लिखकर विज्ञापन विभाग को दे दिया। विज्ञापन विभाग ने उसे कंपोजिंग के लिए भिजवा दिया। कंपोजिंग के बाद पू्रफ रीडिंग के दौरान प्रूफ रीडर की हिम्मत नहीं हुई कि मालिक के लिखे निशुल्क को काट सके। अंत में विज्ञापन प्रकाशित हुआ और दूसरे ही दिन मालिक के मित्र आए और विज्ञापन विभाग के पास जाकर उन्होंने विज्ञापन के पैसे देने चाहे! मामला मालिक जी के पास तक पहुंचा, मालिक को पता नहीं था कि माजरा क्या है? उन्होंने अखबार बुलवाया और विज्ञापन के नीचे निशुल्कदेखकर अपना माथा पकड़ लिया।
कमोबेश यही स्थिति दिल्ली में सामूहिक बलात्कार के बाद उपजी परिस्थितियों में मजबूरन डॉ.मनमोहन सिंह को देश को संबोधति करने के दौरान उतपन्न हुईं। मनमोहन सिंह ने देश को अपना सादगी भरा चेहरा दिखाते हुए संबोधित किया, किन्तु जब उनका संबोधन समाप्त हुआ तब मनमोहन सिंह ने कहा -‘‘ठीक है।‘‘ अर्थात हो गई तुम्हारे मन की, झुका लिया मुझे। चलो अब बाद में देखते हैं।
प्रधानमंत्री देश का सबसे ताकतवर संवैधानिक पद है। इस पद पर बैठे व्यक्ति के द्वारा देश को संबोधित किया जाता है और उस दौरान पार्श्व में मोबाईल की सुरीली धुन बजती रहती है। अब आप ही बताएं कि प्रधानमंत्री के पद की गरिमा क्या बची है? प्रधानमंत्री के अधीन आने वाले सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी प्रधानमंत्री को कितने हल्के में ले रहे हैं। प्रधानमंत्री के भाषण को रिकार्ड करने के उपरांत उसकी जांच की जाती है। कांट छांट की जाती है।
विडम्म्बना ही कही जाएगी कि प्रधानमंत्री के भाषण को रिकार्ड करने के बाद बिना एडिट किए ही उसका प्रसारण करवा दिया जाता है। प्रधानमंत्री के भाषण के अंत में ‘‘जय हिन्द‘‘ आना चाहिए पर अंत में सुनाई दिया ठीक है।यह वाकई भारत के संवैधानिक इतिहास में बहुत ही बड़ी त्रूटी मानी जाएगी। इस त्रुटी के लिए भी सूचना प्रसारण मंत्रालय शायद ही कोई कदम उठाए।
ज्ञातव्य है कि इसके पहले तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के एक साक्षात्कार का फोटो सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर जारी किया गया था। इस फोटो में एक पुरूष को महामहिम के साथ वाली कुर्सी में तो एक महिला को महामहिम की कुर्सी से हाथ टिकाकर खड़ा दिखाया गया था। यह प्रतिभा पाटिल का सवाल नहीं सवाल महामहिम राष्ट्रपति के ओहदे का है।
इसके उपरांत सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन आने वाले आकाशवाणी ने अपनी एक नायाब कारस्तानी दिखाई। आकाशवाणी ने शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ को वाणिज्य और उद्योग मंत्री करार दे दिया। यह किसी निजी संस्थान द्वारा किया गया होता तो भी गलत था पर जब देश की गरीब जनता से एकत्र करों से भारी भरकम वेतन पाने वाले भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी ही एसा करें तो फिर भला किसी को क्या दोष दिया जाए।
दिल्ली में चलती बस में हुए गेंग रेप के बाद उपजे माहौल के नौ दिन बाद देश के संवेदनशीलप्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह का पौरूष कथित तौर पर जाग गया और उन्होंने सरकारी समाचार माध्यम दूरदर्शन के जरिए देश को संबोधित किया। पीएम का संबोधन वाकई मायने रखता है। पीएम की रिकार्डिंग के लिए अनुभवी कर्मचारियों और भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अफसरान की पूरी टीम होती है।
पीएम के संबोधन को रिकार्ड करने के उपरांत उसे बारीकी के साथ सुना जाता है फिर उसमें कांट छांट कर उसे संपादित कर प्रसारण योग्य बनाया जाता है। इस बार एसा क्यों नहीं हुआ यह शोध करना प्रधानमंत्री कार्यालय में काम के बिना निठल्ले बैठ एक लाख रूपए प्रतिमाह वजीफा लेने वाले मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी का काम है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि मनमोहन सिंह की मिट्टी खराब करने टीम राहुल के अहम सदस्य और देश के सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी द्वारा जतन किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अतिविश्स्त कमल नाथ को भी डिफेम करने मंत्रीमण्डल की ताकतें सक्रिय होती दिख रही हैं।
यह बात समझ से परे ही है कि एक लाख रूपए हर माह का टीका होने के बाद भी पीएम के मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी एवं लाखों रूपए प्रतिमाह का वेतन और अन्य सुविधाएं लेने वाले अखिल भारतीय सेवा (भारतीय सूचना सेवा) के आला अफसरों की लंबी चौड़ी फौज के रहते एक साक्षात्कार के दौरान महामहिम प्रतिभा पाटिल की संसदीय मर्यादाएं ध्वस्त करने वाली फोटो जारी हो जाती है वह भी सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर। इसके आद वाणिज्य उद्योग मंत्री बता दिया जाता है शहरी विकास मंत्री कमल नाथ को।
अब तो हद ही हो गई। सहारा समय में लालू प्रसाद यादव एक साक्षात्कार देकर फारिग हुए। वहां से उठते समय उन्होंने एंकरिंग करने वाले पत्रकार से हंसी ठठ्ठा आरंभ किया। बातों ही बातों में कुछ आपत्ति जनक बातें सामने आईं यह सब कुछ चल रहा था तब जबकि वह वार्तालाप भी ऑन एयर यानी प्रसारित हो रहा था। फिर क्या था उसकी सीडी पहुंची साहारा श्री के पास, हो गई एंकरिंग करने वाले सज्जन की छुट्टी।
यह निजी तौर पर चेनल्स की व्यवस्था है, किन्तु जहां सरकारी सिस्टम काम करता है वहां तो कुछ भी कहना मुहाल है। जब लगभग एक पखवाड़े पहले आकाशवाणी द्वारा शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ को वाणिज्य और उद्योग मंत्री करार दिया जाता है और अब तक उस मामले में सूचना प्रसारण मंत्रालय तक मौन है तो क्या कहा जाए?
सही कहा है किसी ने सारे सरकारी कओं में भांग घुली हुई है तो फिर क्या किया जा सकता है? कांग्रेस आज गांधी के नाम पर मर मिटी है। देखा जाए तो महात्मा गांधी अहिंसा के पुजारी थे। आधी लंगोटी और अहिंसा के बल पर उन्होंने उन गोरे ब्रितानियों को झुका दिया था जिनके बारे में किंवदंती थी कि गोरे ब्रितानियों का सूरज कभी डूबता नहीं है। आजादी के उपरांत कांग्रेस ने अपनी सत्ता की धुरी गांधी उपनाम के आसपास ही केंद्रित रखी है। पर कांग्रेस की हरकतों से साफ हो गया है कि उसे महात्मा गांधी से कोई लेना देना नहीं है।
आजादी के उपरांत जब भी किसी नेता या मंत्री ने अपना संबोधन दिया है उसके उपरांत अंत में जय हिन्दकहने की परंपरा लंबे समय से है। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को इसके लिए जवाबदेह माना जाए या फिर मनीष तिवारी के नेतृत्व वाले सूचना प्रसारण मंत्रालय को, कि जय हिन्द की उद्घोष के साथ भाषण समाप्त करने की परंपर अब बदलती दिख रही है। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा जय हिन्द के उपरांत ठीक है कहना रिकार्डिंग का हिस्सा हो सकता है पर उसका प्रसारण कर भारत सरकार क्या दिखाना या साबित करना चाह रही है यह बात समझ से परे ही मानी जा रही है? (साई फीचर्स)

मेरी क्रिसमस की चहुंओर धूम


मेरी क्रिसमस की चहुंओर धूम

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। क्रिसमस का त्यौहार आज दुनियाभर में मनाया जा रहा है। ईसा मसीह के जन्म की याद में कल आधी रात से ही गिरजाघरों में प्रार्थनाएं हो रही हैं। पोप बेनेडिक्ट ने सेंट पीटर्स बेसेलिका में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर प्रार्थना की। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि नए नए उपकरणों से भरी अपनी तेज रफ्तार जिन्दगी में ईश्वर को भी कुछ समय दें।देशभर में क्रिसमस समारोह कल आधी रात से शुरू हो गए।
देश भर से क्रिसमस के त्योहार को बहुत ही आनंद और उल्लास के साथ मनाए जाने की खबरें मिल रही हैं। पणिजिम से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो सुनील सोनी ने बताया कि क्रिसमस मनाने के लिए बड़ी संख्या में देसी और विदेशी पर्यटक गोआ आए हैं। क्रिसमस के अवसर पर गोआ के सारे गिरिजाघरों में कल मध्यरात्रि विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई, जिसमें लोगों ने बड़े पैमाने पर श्रद्धापूर्वक हिस्सा लिया। गोआ के अनेक होटलों में डांस पार्टीज भी आयोजित की गई।
गोवा में त्यौहार का उत्साह बढ़ाने के लिए लोगों ने अपने घर तथा गिरिजाघर रोशनी से सजाए हैं। राज्य सरकार ने इस त्यौहार को मद्देनजर रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। तिरूअनंतपुरम से साई ब्यूरो से सविता नायर ने बताया कि राज्य में ईसा के जन्म को धूमधाम से मनाया जा रहा है। उधर, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने क्रिसमस पर देशवासियों को बधाई दी है।

गुजरात में करोपति और अपराधी चुने गए विधायक


गुजरात में करोपति और अपराधी चुने गए विधायक

(जलपन पटेल)

अहमदाबाद (साई)। भले ही कांग्रेस भाजपा सहित सारे राजनैतिक दलों द्वारा राजनीति में साफ सुथरे लोगों के आने और अपराधियों को इससे दूर रखने की बात कही जाती हो पर प्रत्यक्षतः यह सब होता नहीं दिखता। गुजरात में इस बार चुने गए एक विधायक के खिलाफ रेप का मामला है। पिछली बार के मुकाबले इस बार न सिर्फ करोड़पति विधायकों की तादाद अधिक है बल्कि क्राइम रेकॉर्ड वालों की संख्या भी अधिक है।
चुनाव सुधार की दिशा में काम करने वाली संस्था एडीआर ने सोमवार को इस बारे में रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार 182 विधायकों में 134 करोड़पति हैं।  जबकि 57 विधायकों का कहना है कि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं। इसमें से 24 के खिलाफ तो गंभीर और संगीन अपराध के मामले दर्ज हैं। पिछली बार यह संख्या 47 थी।
इसमें एक गंभीर आरोप यह है कि भाजपा के एक विधायक के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज है। गुजरात को दिशा देने वाले  21 विधायकों ने कभी अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है। महिलाओं के प्रति राजनैतिक दल कितने संजीदा हैं इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 182 में से सिर्फ 16 महिला विधायक निर्वाचित हुई हैं। 

सस्ती दवाएं हुईं बाजार से नदारत


सस्ती दवाएं हुईं बाजार से नदारत

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। दवाओं की कीमतें तय करने की नई नीति को मंजूरी मिलने के बाद कम रेट की कई जरूरी दवाएं बाजार से गायब हो गई हैं। सूत्रों का कहना है कि दवा कंपनियों ने अब पहले के मुकाबले ज्यादा दाम पर दवाएं बेचने के मकसद से फिलहाल इनकी सप्लाई रोक दी है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि आम जनता को इन दवाओं के विकल्प कई गुना ज्यादा कीमतों पर खरीदने पड़ रहे हैं।
सालब्यूटामोल का इस्तेमाल खांसी और ब्रॉन्काइटिस का इलाज करने के लिए किया जाता है। यह अब बाजार में आसानी से नहीं मिल रही है। मेट्रोनिडाजोल कई किस्म के बैक्टीरियल इन्फेक्शन में दी जाती है। यह भी बाजार से गायब है। इसी तरह अस्थमा, एलर्जी और आर्थराइटिस में प्रयोग होने वाली बीटामीथासोन, दर्द निवारक दवा पेंटाजोसाइन और सांस की बीमारियों, सूजन व कई अन्य दिक्कतों में दी जाने वाली टेक्सामीथासोन की भी बाजार में किल्लत हो गई है। इसके अलावा खून के दौरे को दुरुस्त रखने के लिए इस्तेमाल होने वाली पेंटॉक्सीफायलिन भी बाजार में आसानी से नहीं मिल रही है। ये सभी जेनरिक दवाएं हैं और इनकी कीमतों पर मूल्य नियंत्रण के प्रावधान लागू होते हैं।
सरकार ने हाल में ही मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली दवाओं के दाम तय करने के लिए नई नीति का ऐलान किया है। पहले ऐसी दवाओं के रेट तय करने के लिए कॉस्ट को आधार बनाया जाता था। अब इनके मूल्य इनके बाजार मूल्य के आधार पर तय किए जाएंगे। सरकार अब बाजार मूल्य के आधार पर इस दायरे में आने वाली हर दवा का अधिकतम मूल्य तय कर देगी। कंपनियों को इस कीमत या इससे कम कीमत पर अपनी दवाएं बेचने की आजादी होगी। मूल्य नियंत्रण के दायरे में पहले 74 बल्क ड्रग्स को रखा गया था। अब इनकी संख्या 348 कर दी गई है। इसमें कैंसर और टीबी की दवाएं भी शामिल की गई हैं।
रेट तय करने की नई नीति से हर दवा की न्यूनतम कीमत बढ़ना तय है। सूत्रों का कहना है कि इसी कारण कई कंपनियां पुराने रेट पर दवाएं सप्लाई करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। इसके कारण आम लोगों को इन दवाओं के विकल्प ज्यादा कीमत पर खरीदने पड़ रहे हैं। मसलन सालब्यूटामोल की 10 टैबलेट की कीमत 1.80 रुपये है। पेशंट को अब इसका विकल्प 6 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। एंटीबायोटिक दवाओं के मामले में यह अंतर और भी ज्यादा है। 

देश में शीत लहर का प्रकोप


देश में शीत लहर का प्रकोप

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। देश भर में अब ठण्ड ने अपना असर दिखाना आरंभ कर दिया है। देश भर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर शेष स्थानों में तापमान तेजी से लुढ़क रहा है। यह तो अच्छा है कि स्कूली बच्चों के अवकाश आरंभ हो गए हैं तो बच्चों और पालकों को कुछ राहत है।
शिमला से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से रीता वर्मा ने बताया कि प्रदेश में मौसम दूसरे सप्ताह भी सामान्य बना हुआ है। दिन के समय अच्छी धूप खिल रही है व तापमान में भी कहीं बढ़ोतरी तो कहीं गिरावट दर्ज की जा रही है। इस वर्ष 25 दिसंबर क्रिसमस के अवसर पर बर्फबारी होने की कोई संभावना नहीं है, जिससे क्रिसमस के लिए राजधानी पहुंच रहे पर्यटकों में भी निराशा है। हालांकि मौसम विभाग 26 दिसंबर को ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना जरूर जता रहा है।
व्हाइट न्यू ईयर की बात करें तो 2002 में 31 दिसंबर को हिमपात हुआ था, मगर इसके बाद पिछले नौ साल से हर बार मौसम की बेरुखी सैलानियों को निराश कर रही है। मौसम विभाग के आंकड़ों की बात करें तो इससे पहले 2000, 2010 में 31 दिसंबर को हिमपात दर्ज किया गया था। मौसम के मिजाज को देख कर इस वर्ष भी नए साल पर बर्फबारी होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार प्रदेश में 26 दिसंबर को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से प्रदेश के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों सहित कम ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी व मैदानी क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना है। विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान अधिकतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है, जबकि न्यूनतम तापमान में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं हुआ है। सोमवार को राजधानी शिमला में सुबह से ही मौसम साफ रहा और दिन भर अच्छी धूप खिली रही। राजधानी घूमने आए पर्यटक व स्थानीय लोगों ने दिन भर अच्छी खिली धूप का आनंद उठाया।
हिमाचल प्रदेश में जनजातीय लाहौल स्पीति जिले में किलोंग सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान शून्य से 10 डिग्री नीचे तक पहुंच गया।  मौसम विभाग के अनुसार शिमला एवं धर्मशाला में न्यूतनम तापमान 3।4 डिग्री रहा।  भुंतर, मनाली एवं सुंदरनगर में न्यूनतम तापमान क्रमशरू शून्य, 0।2 एवं 0।5 डिग्री सेल्सियस रहा। उना एवं कल्पा में न्यूनतम तापमान 1।4 डिग्री रहा, जो सामान्य से दो से तीन डिग्री कम है। पंजाब के अमृतसर में पारा 2।2 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया, जबकि नारनौल में न्यूनतम तापमान 3।5 डिग्री सेल्सियस रहा। पाटियाला में 4।6, लुधियाना में 5।2, भिवानी में छह डिग्री तथा अंबाला में 6।4 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान रहा।
रिम्स में मरीजों के परिजनों को सर्द हवा में वार्ड के बाहर कॉरीडोर में फर्श पर सोना पड़ रहा है। कई परिजन बैठ का रात बिताने को विवश है। अस्पताल में मरीज के परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यह समस्या हुई है। लेबर रूम एवं बच्च विभाग के एसएनसीयू में भरती बच्चों के परिजन को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके अलावा हड्डी विभाग, न्यूरो एवं सजर्री विभाग में मरीजों का अत्यधिक लोड होने के कारण, ये वार्ड की गैलरी में फर्श पर सो रहे है। हालांकि रिम्स प्रबंधन ने वार्ड में प्रत्येक भरती मरीजों के परिजनों को कंबल मुहैया करने का दावा किया है। रिम्स निदेशक डॉ तुलसी महतो ने बताया कि अस्पताल में पेईंग वार्ड का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें मरीज अपने परिजन के साथ इलाज करा सकते हैं।
वहीं रांची से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से नीलिमा सिंह ने बताया कि राज्य में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। न्यूनतम तापमान लगातार गिर रहा है। रविवार को राजधानी के शहरी क्षेत्र का तापमान 6.5 रिकार्ड किया गया। वहीं बीएयू के तापमापी यंत्र ने कांके में न्यूनतम तापमान 2.2 डिग्री सेसि रिकार्ड किया। कांके में शिमला से ज्यादा ठंड है, क्योंकि वहां का न्यूनतम तापमान 3.4 डिग्री सेसि है। राजधानी का अधिकतम तापमान 20 से 23 डिग्री सेसि के बीच रहा। कड़ाके की ठंड का असर आम जनजीवन पर भी दिख रहा है।  शाम ढलते सड़कें खाली हो जा रही हैं।  अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रशासन ने शहर के 31 चौक-चौराहों पर  अलाव की व्यवस्था की है।
कांके में कई स्थानों पर बर्फ जम गयी है। करकट्टा में पुआल पर दोपहर तक बर्फ जमी रही। ग्रामीणों ने बताया कि सब्जियों के खेतों में ओस की बूंदें जमा थी। इससे सब्जियों के नुकसान की उम्मीद भी किसानों ने जतायी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम ढलते यहां लोग घरों में दुबक जा रहे हैं।
जम्मू एवं काश्मीर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से विनोद नेगी ने बताया कि कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश के कईजिलों में हो रही जबरदस्त बर्फबारी का असर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में दिख रहा है। श्रीनगर, लेह, लद्दाख, कुल्लू आदि स्थानों पर तापमान शून्य से नीचे हो रहा है। उत्तर-पश्चिमी हवा बह रही है। इस कारण हवा में कनकनी है। सर्द हवा सीधे हड्डी कंपकंपा रही है।
वहीं ऑनलाइन हेल्थ काउंसलिंग में रविवार को शिशु रोग विशेषज्ञ सह जेनरल फिजिशियन डॉ अनिल कुमार ने पाठकों को ठंड के मौसम में होनेवाली समस्याओं और उससे बचाव के बारे में जानकारी दी। कहा, हर उम्र के लोग ठंड के प्रभाव में आ रहे हैं। मौसमी बीमारियों का खतरा ज्यादा है। इसलिए सभी को ठंड से बचने का प्रयास करना चाहिए। इन दिनों बच्चों पर वायरस का असर ज्यादा हो रहा है। वे बुखार, सर्दी, खांसी, वायरल डायरिया, निमोनिया जैसी बीमारियों की चपेट में आसानी से आ रहे हैं। हालांकि, समय से इलाज होने पर तीन से पांच दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं।
पंजाब के समाचार एजेंसी ऑफ ब्यूरो से विक्की आनंद ने बठिंडा साई ब्यूरो के हवाले से बताया कि मौसम की पहली धुंध ने ही आवागमन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सबसे ज्यादा असर रेलगाड़ियों पर पड़ा है। अधिकतर गाड़ियां निर्धारित समय से घंटों देरी से चल रही हैं। लंबी दूरी की गाड़ियां तो दस से सोलह घंटे तक लेट चल रही हैं। सड़क यातायात का भी यही हाल है। सड़कों पर वाहन रेंगने को मजबूर हैं।
धुंध के कारण श्रीगंगानगर-हावड़ा के दरम्यान चलने वाली 3008/3007 उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस बारह से सोलह घंटे देरी से चल रही है। बठिंडा सुबह 3.40 बजे पहुंचने वाली यह ट्रेन शाम को आठ बजे पहुंची। यही हाल मुंबई-फिरोजपुर पंजाब मेल का रहा, जोकि दस घंटे देरी से देर रात 12.30 बजे पहुंची। रेलवे ने धुंध के कहर से निपटने के लिए गाड़ियों की रफ्तार दस किलोमीटर प्रति घंटा कम कर दी है।
गाड़ियों की लेटलतीफी से यात्रियों की आफत है। बेचारे कड़कती ठंड के बीच घंटों इंतजार को विवश हैं। पशोपेश में घिरी सवारियां बार-बार पूछताछ में उलझी रहीं, जबकि हर अनाउंसमेंट गाड़ी की देरी ही बढ़ाता चला गया। वहीं स्टेशन पर अपने परिचितों-रिश्तेदारों को स्टेशन पर लिवाने आए लोगों को भी अतिथियों के समय पर न पहुंच पाने की चिंता सताती रही। लोग बार-बार मोबाइल पर उनके पहुंचने की जानकारी लेते रहे। दुविधा में फंसे यात्री टिकट कैंसिल करवाने की भी हालत में नहीं क्योंकि इन्हें अपने गंतव्यों तक पहुंचने में सबसे सुरक्षित रेलगाड़ी ही है जबकि बस एवं अन्य वाहनों के पहिए भी धुंध ने जमा दिए हैं।
गाड़ियों की लेटलतीफी से यात्रियों की आफत है। बेचारे कड़कती ठंड के बीच घंटों इंतजार को विवश हैं। पशोपेश में घिरी सवारियां बार-बार पूछताछ में उलझी रहीं, जबकि हर अनाउंसमेंट गाड़ी की देरी ही बढ़ाता चला गया। वहीं स्टेशन पर अपने परिचितों-रिश्तेदारों को स्टेशन पर लिवाने आए लोगों को भी अतिथियों के समय पर न पहुंच पाने की चिंता सताती रही। लोग बार-बार मोबाइल पर उनके पहुंचने की जानकारी लेते रहे। दुविधा में फंसे यात्री टिकट कैंसिल करवाने की भी हालत में नहीं क्योंकि इन्हें अपने गंतव्यों तक पहुंचने में सबसे सुरक्षित रेलगाड़ी ही है जबकि बस एवं अन्य वाहनों के पहिए भी धुंध ने जमा दिए हैं।

फिर होंगी संवैधानिक मर्यादाएं तार तार!


फिर होंगी संवैधानिक मर्यादाएं तार तार!

(अंकित)

सागर (साई)। कांग्रेस संगठन में जान फूंकने की कवायद एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांति लाल भूरिया द्वारा की जा रही है। इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए कांग्रेस के सिवनी जिले के केवलारी से चौथी बार चुने गए हरवंश सिंह ठाकुर जो कि मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष भी हैं, आने वाले दो दिन में सागर आने वाले हैं।
कांग्रेस के महासम्मेलन की तैयारी की कमान संभालने एक-दो दिन में पूर्व मंत्री हरवंशसिंह सागर आ रहे है। सम्मेलन के दौरान गड़बड़ी न हो और स्थानीय कांग्रेस नेताओं में सामंजस्य कायम हो इस उद्देश्य से प्रदेश कांग्रेस के कुछ और नेताओं को सम्मेलन के पहले सागर में डेरा डालने के निर्देश दिए गए है। इधर वरिष्ठ कांग्रेस नेता डा. सुशील तिवारी एवं अशोक श्रीवास्तव ने एक प्रेस बयान में कहा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के नेतृत्व में पार्टी मिशन 2013 पूरा करेगी। भाजपा सरकार को उखाड़ फेंक कांग्रेस सरकार बनाएगी। उन्होंने 27 दिसंबर को आयोजित महासम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने की अपील कांग्रेस कार्यकर्ताओं से की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि क्योंकि हरवंश सिंह विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर विराजमान हैं यह पद संवैधानिक दृष्टि से काफभ् अहम और महत्वपूर्ण होता है अतः इस पद की मर्यादा को बनाए रखने के लिए इस पर विराजे किसी भी नेता को पार्टीगत प्रोग्राम्स से अपने आपने आप को विरक्त ही रखना चाहिए। चूंकि मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी भी पार्टी के प्रोग्राम्स में शिरकत करते हैं इसलिए कांग्रेस के विधायक हरवंश सिंह भी पार्टी के उन प्रोग्राम्स को जिनमें पहुंचना या उपस्थित होना उनके लिए असुविधा का कारक नहीं होता में पहुंच ही जाते हैं।

मिशन गोल्ड कप 2012 का समापन रहा धमाकेदार


मिशन गोल्ड कप 2012 का समापन रहा धमाकेदार

(काबिज खान)

सिवनी (साई)। सिवनी के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक चलने वाली क्रिकेट प्रतियोगिता का समापन हजारों की भीड़ में सम्पन्न मिषन बॉयज क्लब के तत्वधान में खेली जाने वाली क्रिकेट प्रतियोगिता जो कि 17 नवम्बर से प्रारंभ हुई और 22 दिसम्बर को समाप्त हुई, जिसमें सिवनी की उन सभी टीमों ने भाग लिया जिसमें सिवनी जिले की 64 टीमें ने भाग लिया वहीं महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की आमंत्रित टीमों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया लगभग 36 दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में जहां एक ओर जिले की हर टीमों ने बढ़ चढ़ कर अपनी कला व खेल का प्रदर्शन किया वहीं दूसरी ओर इस प्रतियोगिता में सिवनी जिले सहित आसपास के सभी जिलों को दर्शकों ने भी लगातार मिशन स्कूल ग्राउण्ड में संगीत के धुन पर होने वाली पहली प्रतियोगिता में शिर्कत फरमायें जहां एक ओर आयोजन समिति ने प्रतियोगिता में सम्मलित होने वाले खिलाड़ियों को हर मैचों में पुरूस्कृत किया वहीं दूसरी ओर दर्शकों ने भी बहतर खिलाड़ियों का उत्सा वर्धन पुरूस्कार देकर किया जिससे प्रतीत होता है कि सिवनी में क्रिकेट किस जूनून के साथ पंसद किया जाता है। यू तो पूरी प्रतियोगिता में लगभग 87 टीमों ने हिस्सा लिया लेकिन खिताबी जंग के लिये मध्यप्रदेश की दो उत्कृष्ट टीमें जिसमें भोपाल की ए.जे.फैन्स क्लब जिसमें राजधानी के चुने हुए बहतर गेंदबाज और बल्लेबाज शामिल थे गौरतलब हो कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पांच ऐसी टीमें हैं जिन्होंने न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि सम्पूर्ण भारत में अपना नाम कमाया है। मिशन गोल्ड कप 2012 के फाईनल मुकाबले में उतरी ए.जे.फैन्स क्लब भोपाल की टीम में उन पांचों ही टीमों के कप्तानों ने मिलकर एक टीम बनाई और सिवनी जिले के पहले एतिहासिक प्रतियोगिता मिशन गोल्ड कप के फाईनल मुकाबले में उतारी जो कि सिवनी के लिये गौरव की बात थी जहां आयोजन समिति ने उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सिवनी की सरज़मी पर मध्यप्रदेश के बहतर खिलाड़ियों का प्रदर्शन दिखाने के लिये इन टीमों को आमंत्रित किया वहीं दूसरी ओर सिवनी की उभरती हुई मिशन बॉयज क्लब टीम थी जिसमें सिवनी जिले के वह उत्कृष्ट खिलाड़ी थे जिन्होंने बहतरीन खेल के बदोलत सिवनी के पुराने क्लब जिसमें यलगार क्लब, डायमण्ड, युनिक, साईनिंग, आजाद, लखनादौन जैसे 63 टीमों को पछाड़कर अपना नाम मिशन गोल्ड कप प्रतियोगिता के फाईनल मुकाबले अपनी टीम का नाम दर्ज कराये जो कि मिशन बॉयज क्लब के उत्कृष्ट खेल का जीता जागता उधाहरण है जिसे फाईनल मुकाबले में पहुंची दर्शकों की उमड़ी भीड़ ने मिशन बॉयज क्लब का लोहा माना और प्रसन्सित किया।
22 दिसम्बर 2012 को होने वाले इस प्रतियोगिता के फाईनल मुकाबले का इन्तेजार यू तो उन सभी क्लबों को था जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लिया साथ ही सिवनी जिले से जुड़े क्रिकेट खेल प्रेमियों को भी था क्योंकि इस फाईनल मुकाबले में मध्यप्रदेश के सबसे बहतर गेंदबाज और बल्लेबाज अपना प्रदर्शन दिखाने वाले थे और जो हुआ भी। आयोजन समिति द्वारा इस समापन समारोह को एतिहासिक बनाने के लिये मिशन स्कूल ग्राउण्ड को दुल्हन की तरह सजाया गया था। 22 तारीख की सुबह 12 बजे से शुरू होने वाले जंगी खिताबाी मुकाबले को देखने के लिये दर्शकों ने सुबह 7 बजे से ही मिशन स्कूल ग्राउण्ड पहुंचकर अपनी जगह सुनिश्चित करने की होड़ दिखने लगी थी। जैसे जैसे समय बढ़ता जा रहा था वैसे-वैसे दर्शकों का जन सेलाब मिशन स्कूल ग्राउण्ड की ओर बड़ता जा रहा था। यहां तक कि सिवनी के इतिहास में पहली बार देखा गया कि किसी क्रिकेट प्रतियोगिता में शामिल होने के लिये मिशन स्कूल ग्राउण्ड के आस पास के सभी मार्ग खचाखच भर चुके थे यातायात विभाग जहां एक ओर एस.बी.आई. बैंक के सामने मार्ग परिवर्तित करने में लगा वहीं दूसरी ओर यातायात विभाग के सैनिकों को एस्टे हाईवे नियंतरण करने में काफी मसक्कत झेलनी पड़ी आखिर कर दोपहर 12 बजे हजारो का जन सेलाब एवं आयोजन समिति के सदस्यों एवं मुख्य अतिथियों के बीच जिसमें महाकौशल प्राधीकरण के अध्यक्ष श्री नरेश दिवाकर जी, नगरपालिका प्रमुख राजेश त्रिवेदी जी, महाराष्ट्र से आये अतिथि एस.सतपति जी, राजा बघेल, नानू पंचवानी, सोहेल पाशा, आशीष गोलू सक्सेना, मुम्ताज अली एवं अन्य अतिथियों ने दोनो ही टीम के कप्तान मिशन बॉयज के आसिफ पटेल एवं ए.जे.फैन्स क्लब भोपाल के धर्मेन्द्र राजपूत के बीच टॉस की प्रक्रिया सम्पन्न कर फाईनल मुकाबले का आग़ाज़ कराया। मैच के दौरान टॉस जीतकर भोपाल की टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया और बॉयज क्लब के कप्तान को फिल्डिंग के लिये आमंत्रित किया। हजारो जन सैलाब के बीच मिशन स्कूल ग्राउण्ड में बॉयज क्लब के कप्तान ने फाईनल मुकाबले की शुरूआत बहतर रणनीति से प्रारंभ की और मैच की पहली ही गेंद में भोपाल के स्टार बल्लेबाज जो कि पहले बल्लेबाजी करने उतरे थे विकेट हासिल कर लिया। बॉयज क्लब की ओर से पहले गेंदबाजी करने आये अंकुश और सिवनी का गौरव मध्यप्रदेश का सबसे तेज़ गेंदबाज रणजी खिलाड़ी चन्द्रकांत साकुरे अपने-अपने ओवर फैकते हुए काफी कसी गेंदबाजी करते हुए राजधानी से आये बल्लेबाजों को बांध कर रख दिया। दोनों गेंदबाजों ने अपने पहले-पहले स्पेल में कम रन देते हुए जनता के बीच में अपने बहतर गेंदबाज होने का सबूत दिया। 20 ओवर खेलने उतरी भोपाल की टीम ने 6 विकेट खोकर मिशन बॉयज क्लब की टीम के सामने 254 रनों का लक्ष्य रखा। भोपाल की ओर से बहतरीन बल्लेबाजी करते हुए ताबड़ तोड़ छक्के चौकों की मदद से बन्टी ने 18 गेंदों में 61 रन और धर्मेन्द्र ने 34 गेंदों में 67 रन वहीं राजा ने मात्र 15 गेंदों में 51 रनों की धुआधार पारी खेली वहीं दूसरी पारी खेलने उतरी बॉयज क्लब के पहले बल्लेबाज क्षितिज कटरे और नफीस खान ने बहतरीन शुरूआत दी और लगातार छक्के चौके जड़कर दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। जहां भोपाल टीम ने राजधानी के दिग्गत गेंदबाज जो कि मध्यप्रदेश की टीम की ओर से अपना प्रदर्शन दिखाते हैं साथ ही रणजी प्रतियोगिताओं में देश को अपनी बहतर गेंदबाजी से रोमांचित करते हैं भोपाल से आये हुए इन गेंदबाजों का सामना करते हुए बॉयज के बल्लेबाजों ने मात्र 8 ओवरों में सैक्ड़ा पार कर लिया था। लेकिन भोपाल की ओर से दिये हुए लक्ष्य को पार नहीं कर सके और इस एतिहासिक खिताबी मुकाबले में ए.जे.फैन्स क्लब भोपाल ने अपना नाम दर्ज कर लिया। फाईनल मुकाबले में बन्टी को मैन ऑफ द मैच उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन के आाार पर दिया गया वहीं धर्मेन्द्र राजपूत और उसकी टीम को आयोजन समिति की ओर से 51000 रूपये नगद एवं चमचमाती हुई मिशन गोल्ड कप ट्रीफी के साथ अन्य कई पुरूस्कार व सील्ड  दी गई। वहीं उपविजेता टीम के कप्तान आसिफ पटेल को 25000 रूपये नगद व चमचाती सील्ड के साथ अन्य पुस्रूकार भी दिये गये। 36 दिनो तक चलने वाली प्रतियोगिता में सबसे बहतरीन खेलका प्रदर्शन दिखाने वाले खिलाड़ी चन्द्रकांत साकुरे को आयोजन समिति द्वारा मैन ऑफ द सिरीज से नावाज़ा गया।
प्रतियोगिता की मुख्य झलकियां-
बेस्ट फिल्डर/बेस्ट कैचर- श्री अब्दुल काबिज़ खान जिन्होंने सभी मुकाबलों में बहतर बल्लेबाजी कर पूरी प्रतियोगिता में पहली ही गेंद में छक्के लगाने का रिकार्ड बनाया है साथ ही इस प्रतियोगिता की सबसे तेज़ और फुर्तीली फिल्डिंग का प्रदर्शन किया है और अब तक का सबसे बहतर कैच लपकर दर्शाकों के दिल में जगह बनाई।
बेस्ट कीपर-नफीस खान मिशन बॉयज क्लब सिवनी
बेस्ट प्रदर्शन-मन्नू नाविक सिवनी आज कल सिवनी
बेस्ट कप्तान- आनंद पजवानी इन्पैक्ट क्लब सिवनी
बेस्ट बॉलर- पुनित ए.जे.फैन्स क्लब भोपाल
बेस्त बल्लेबाज- तोसीब खान पेप्सी क्लब परासिया एवं साईनिंग स्टार के बन्टी सराठे ।
मिशन गोल्ड कप प्रतियोगिता नहीं आंदोलन है- अब्दुल काबिज़ खान
मिशन गोल्ड कप प्रतियोगिता के मुख्य आयोजक अब्दुल काबिज़ खान लगातार प्रतियोगिता के प्रारंभ से समापन तक माईक से सिर्फ एक ही बात बार-बार दोहराते रहे यह प्रतियोगिता नहीं एक आंदोलन है ये आंदोलन है उन खिलाड़ियों का जिन्हें हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा खेले जाने वाला खेल क्रिकेट जिसका एक भी ग्राउण्ड सिवनी नगर में नहीं है। जबकि देखा जाये तो सिवनी जिले के गांव-गांव में नगरों की गली गली में क्रिकेट का खेल खेला जाता है लेकिन ये सिवनी के लिये बतकिस्मति है कि सिवनी जिले में बड़े बड़े नेता होने के बावजूद भी एक भी क्रिकेट का ग्राउण्ड नहीं है जबकि सिवनी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हॉकी ग्राउण्ड है साथ ही राष्ट्रीय स्तर का फुटबॉल ग्राउण्ड है लेकिन क्रिकेट का एक भी ग्राउण्ड नहीं। इसी मांग को लेकर काबिज़ खान एवं उनके सहयोगियों द्वारा इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें सम्पूर्ण जिले के क्लबों ने एवं क्रिकेट प्रमियों ने बढ़चढ़ कर एक आवाज़ में ये सफल आयोजन करके अपनी मांग को आला नेताओं के सामने रखा। समापन समाराह में श्री खान ने कहा कि हमारे सिवनी शहर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन ज़रूरत है उन प्रतिभाओं को निखारने की और उन्हें बढ़ाने की, मिशन गोल्ड कप 2012 को आयोजित करने के लिये आयोजन समिति से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों का उद्देश्य सिर्फ नाम या पैसा कमाना नहीं बल्कि साहित्यिक, सांस्कृतिक खेलकूद गतिविधियों को सकारात्मक सोच के साथ बढ़ावा देना है हमारी इसी सोच के चलते जिले के प्रबुद्ध एवं विकास शील लोगों ने पहले भी हमारा साथ दिया है तभी हमने राष्ट्रीय स्तर का यश भारत गोल्ड कप जैसा ऐतिहासिक आयोजन किया था जिससे हौसला मिलने के बाद बॉयज़ क्लब सिवनी के तत्वाधान में 17 नवम्बर 2012 से मिशन गोल्ड कप 2012 क्रिकेट प्रतियोगिता का शुभारंभ मिशन स्कूल मैदान में किया और आज इसका भव्य समापन हम कर रहे हैं। हमारे अब तक के सफर में आपकी दुआ का असर रहा है, हमारे सकारात्मक कदमों में आपकी दुआ, आपका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ होगा इसी उम्मीद के साथ सभी दर्शकों एवं आयोजन में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी लोगों का धन्यवाद प्रेषित किया।
सम्मान समारोह
मिशन गोल्ड कप 2012 प्रतियोगिता के मुख्य आयोजक अब्दुल काबिज़ खान सहसचिव असफाक अली डॉन एवं एम.एस.माईनिंग ग्रुप के प्रमुख सतपति जी द्वारा क्रिकेट के महाकुंभ के समापन अवसर पर उन सभी परिवारों को सम्मानित किया गया जिनके परिवार के लोगों ने अपने नपौनिहालो को खेल एवं अन्य विधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये प्रोत्साहित किया।
और इसी तारतम्य में आयोजन समिति ने सम्मानित किया समस्त समाचार पत्र प्रमुखों और संवाददाताओं को और न्यूज चैनल को जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में आयोजन समिति के साथ कदम से कदम मिलाकर भरपूर सहयोग दिया।

कर्मयोगी थे स्व. राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह


कर्मयोगी थे स्व. राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह

(सचिन धीमान)

भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी ने अपनी माता से प्राप्त की शिक्षा में से उन्हें जो तीन बातों का ज्ञान दिया गया है वह हमेशा उन्हें ध्यान में रखकर आगे बढे और अपने अन्तिम सांसों तक उन्होंने अपनी माता से प्राप्त की शिक्षा से ओतप्रोत होकर देशहित में कार्य किया। उनके मन में बचपन से ही उनके हृदय में देशप्रेम भावना थी और वह अंग्रेजों तथा राजाओं से नपफरत किया करते थे इसलिए वह देश के सर्वोच्चत पद पर रहते हुए भी भारत के प्रथम नागरिक कहलाने के बाद भी वह एक आम नागरिक की तरह जीवन जिया करते थे। उनके ज्ञान का भंडार विशाल था और वे वास्तविक रूप से ‘‘धनी ही थे’’ आध्यात्मिक क्षेत्रा उनका अध्ययन गहन था। उन्होंने भारत के सभी प्रमुख र्ध्मो और मतों का अध्ययन किया। सिखमत के तो वे पारम्गत वि(ान और ज्ञानी थे ही, बौ( जैन, सनातन और वैदिक मत के सि(ांतों से भी उनका पूरा परिचय था। इतना ही नहीं ज्ञानी जी ने कुरान शरीपफ का भी अध्ययन किया हुआ था।
 भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी इस महान राष्ट्र के एक महान राष्ट्रपति रहे है। ज्ञानी जी का जन्म पंजाब में संध्वा नाम के एक छोटे से गंाव में 5 मई 1916 को विश्वकर्मावंश के रामगढिया के साधरण परिवार में माननीय श्री किशन सिंह जी के तीसरे पुत्रा के रूप में हुआ। ज्ञानी जी का असली नाम जन रैल सिंह था। ज्ञानी जी बचपन से ही होनहार प्रतिभाशाली व गुणी थे। ज्ञानी जी को अपनी मां के प्रतिबडी श्रद्वा और प्रेम था। ज्ञानी को उनकी मंा ने उन्हें विशेष रूप से तीन बातों की शिक्षा दी थी- परमात्मा, अपनी माता और मातृभूमि के लिए सच्चा प्रेम इन्हीं बातों की प्रेरणा से ज्ञानी जी ने 1928 को पंजाब रियासत प्रजा-मंडल की स्थापना की और जब 23 मार्च 1931 भारत मां के तीन सपूतों-भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने पफंासी दे दी तो उनके हृदय में देश प्रेम की ज्वाला भडक उठी और उन्हें अंग्रेजो और राजाओं से नपफरत हो गई। ज्ञानी जी का गंाव भी तत्कालीन पफरीदकोट रियासत के राजा के आध्ीना था।वे भारत की स्वतंत्राता के लिए संघर्ष कर रहे, क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये और मोमबत्तियों की लौ पर हाथ रखकर कसम खाई कि मैं भारत मां की स्वतंत्राता के लिए बलिदान देने के लिए प्रस्तुत हूं। इसलिए 1932 में रियासती अकाली जत्था के उप प्रधान बने तथा 1934 को फरीदकोट के राजा हरींद्र सिंह के विरू( संघर्ष का शुभारम्भ किया और इसी वर्ण 6 अगस्त 1934 को उनका विवाह हो गया। जब वे जेल में थे तो एक बार किसी बात पर क्रु( होकर जेलर ने इनसे इनका नाम पूछा तो वे सीनातान कर बोले जेल सिंह जेलर ने गुस्से में कहा क्या मतलब जनरैल सिंह ने पिफर कहा ‘‘जेल सिंह’’ मतलब जेल का शेर जनरल सिंह को यातनाएं मिलती रही और वह चिख-चिख कर बोलते रहे जेल सिंह-जेलसिंह दूसरे कैदियों ने जब इनके इस अदम्य साहस को देखा तो बाद में सब उन्हें जेल सिंह के नाम से पुकारने लगे यही से इनका नाम जनरैल सिंह से ज्ञानी जैल सिंह हो गया। 1936 में ज्ञानी के सर से पिता का साया उठ गया तथा अगस्त 1636 में ही उन्हें सैक्रेट्री, जिला पफरीदकोट अकाली जत्थ चुना गया और दो सितम्बर 1936 को स्वर्गपुरी कोटपुरा में एक विशाल सभा को आयोजन किया और 24 जुलाई 1938 में ज्ञानी जी ने जमीदार सभा की स्थापना की और 1938 में ज्ञानी जी दूसरी बार गिरफ्रतार हुए 1943 तक कठौर कारावास सहन कर अमृतसर, लाहौर, पंजाब साहिब की यात्रा कर 1943 तक मिशनरी के रूप में प्रचार कार्य किया और इसी वर्ष 8 अपै्रल 1943 को राष्ट्रध्वजरोहण के लिए विशाल जनसभा का आयोजन किया तथा 8 मई 1943 में ही पफरीदकोट में रोण दिवस का आयोजन कर पं. जवाहर लाल नेहरू को आमन्त्रिात किया तथा 1947 में अपने द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘हम क्या चाहते है’’ का विमोचन किया तथा 30 जनवरी 1948 को उनके गांध्ी जी के बलिदान के कुछ समय पूर्व सेठ रामनाथ, बाबू ब्रजभान, इंद्रसिंह चक्रवर्ती के साथ भेंट कर उनसे राष्ट्र के प्रतिशिक्षा ग्रहण की 29 पफरवरी 1948 को पफरीदकोट के राजा के विरू( एक विशाल सभा एवं जुलूस का ज्ञानी जी द्वारा समायोजन किया गया और 1 मार्च 1948 को ऐतिहासिक बलिदान दिवस समानांतर सरकार की स्थापना तथा 20 जनवरी 1948 को ज्ञानी जी को राणे वाला के मंत्रिमंडल में मंत्राी बनाया और 23 मई थे। वे एक विलक्षण प्रतिभा के ध्नी थे। भलेही उन्हें किसी विद्यालय या कालेज में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर न मिला हो। उनके ज्ञान का भंडार विशाल था और वे वास्तविक रूप से ‘‘धनी ही थे’’ आध्यात्मिक क्षेत्रा उनका अध्ययन गहन था। उन्होंने भारत के सभी प्रमुख र्ध्मो और मतों का अध्ययन किया। सिखमत के तो वे पारम्गत वि(ान और ज्ञानी थे ही, बौ( जैन, सनातन और वैदिक मत के सि(ांतों से भी उनका पूरा परिचय था। कुरान शरीपफ उन्होंने  जेल में पढी और बाइबिल का भी अध्ययन किया अपनी मृत्यु से कुछ ही दिन पूर्व वे कोटा में एक चर्च का शिलान्यास कर लौटे थे। 24 जनवरी 1968 को ज्ञानी जी की रिटायर्ड जस्टिस गुरूदेव कमीशन के रू-ब-रू पेसी हुई तथा 8 अगस्त 1972 को गुरूदेव कमीशन की वैद्यता को पंजाब हाईकोर्ट में चुनौती दी तथा 8 अक्टूबर 1972 केा गुरूदेव कमीशन द्वारा गैरजामनती वारंट जारी हुआ तथा 9 अक्टूबर 1978 को उनकी गिरफ्रतारी की पेशगी जमानत जनवरी 1980 में वे लोकसभा सदस्य चुने गए और 14 जनवरी को भारत सरकार के गृहमंत्राी चुने गए गृहमंत्राी बनते ही उन्होंने स्वतंत्राता सेनानियों को दी जाने वाली पेंशन की शर्ताें का उदार बनाया और इसे ‘‘स्वतंत्राता सेनिक सम्मान पेंशन ’’ का नाम दिया। उनका कहना था कि यह कोई दान नहीं है। ज्ञानी जी स्वतंत्राता सेनानियों को अपने परिवार का सदस्य मानते  थे।
गृहमंत्राी काल में ही ज्ञानी जी कानपुर के विश्वकर्मा सम्मेलन के मुख्य अतिथि बने तथा 12 जुलाई 1988 को राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रत्याशी चुना गया तथा 25 जुलाई 1982 को उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में शपथ  ग्रहण की। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने सभी स्वतंत्राता सेनानियों को राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया। उन्होंने यह परम्परा भी डाली कि स्वतंत्राता दिवस गणतंत्रा दिवस के अवसरोपंरात पहले दिन स्वतंत्राता सेनानियों के सम्मान में पार्टी का आयोजन हुआ करेगा। वे लोकतंत्रा के पक्के समर्थक थे। वे कहते थे कि ‘‘विपक्ष को कभी शत्राु नहीं समझना चाहिए लोकतंत्रा की सपफलता में विपक्ष का भी सहयोग होता है। इसलिए राष्ट्रपति बनने के बाद वे सभी राजनैतिक दलों के साथ निष्पक्ष रूप से मिलते थे क्योंकि उनका कोई राजनैतिक दल नहीं रह गया था। बाद में भी इसी नियम पर कायम रहे। 30 सितम्बर-31अक्टूबर 1982 को वे अमेरिका में दिल का आपरेशन कराने गए। टैक्सांस हार्ट इंस्टीट्यूट हास्टेन में सपफल ऑपरेशन हुआ। 16 अक्टूबर 1985 में उन्होंने लक्ष्मद्वीप  की यात्रा की 21 जुलाई 1983 को नेपाल यात्रा की और पुनः 30 अक्टूबर 1983 को विदेशों में यात्रा की। मेहनत परिश्रम व लगन के बल पर एक छोटे से परिवार से उठकर ज्ञानी जी भारत के सच्चे सपूत सि( हुए। ज्ञानी जी कहा करते थे कि ‘‘परिश्रम का कोई विकल्प नहीं’’ इसीलिए उन्होंने पूरे जीवन संघर्ष किया। संत ज्ञानी जैल सिंह विश्वकर्मा समाज के अमूल्य रत्न ही नहीं बल्कि देश के महानायक भी थे। कौन जानता था कि 27 नवम्बर 1994 को यमुना नगर के खालसा कालेज के प्रांगण में कालेज की रजत जयंती के अवसर पर दिए उनके भाषण के यह अंतिम शब्द उनके जीवन की संध्या के संकेत थे। ‘‘उजाले उनकी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाये’’
उस दिन वे बडे प्रसन्नचित और स्वस्थ नजर आये थे। उसी दिनशाम को वे चंडीगढ राजभवन में विश्राम के लिए चले आये। यहां वह दो दिन के विश्राम के लिए आये थे। किन्तु किसे पता था कि 29 नवम्बर 1994 को आनंद साहिब में मत्था टेककर वापस आते समय दुर्भाग्य वश रोपण के निकट एक सडक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाने के बाद चंडीगढ के पीजीआई अस्पताल में 26 दिनों तक जीवन मृत्यु का अंतिम संघर्ष में 25 दिसम्बर 1994 को प्रातः सात बजकर 24 मिनट पर हम सबसे तथा राष्ट्र से बिदा हो गए। ज्ञानी जी अपनी कृतियों के लिए हम सबके बीच सदा-सदा के लिए अमर रहेंगे। (साई फीचर्स)