बुधवार, 9 अक्टूबर 2013

रिलायंस से बड़ा याराना लगता है वन विभाग का!

रिलायंस से बड़ा याराना लगता है वन विभाग का!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले में फोर जी केबल डाल रही मोबाईल और वायर्ड लाईन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंसपर वन विभाग ज्यादा ही मेहरबान नजर आ रहा है। जंगल की छाती छलनी कर रही रिलायंस कंपनी के खिलाफ शिकायत के लगभग तीन सप्ताह बाद वन विभाग का अमला हरकत में आया और उसने जांच के लिए अधिकारी रवाना किए।
ज्ञातव्य है कि छपारा और बंजारी के बीच रिलायंस कंपनी द्वारा फोर जी भूमिगत केबल डालने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। यह वही भूभाग है जिस पर सड़क निर्माण के लिए केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी फोरलेन के लिए अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है।
उत्तर सिवनी सामान्य वन मण्डलाधिकारी वाय.पी.सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि इस भूभाग में सड़क के किनारे मशीनों से हो रही खुदाई की शिकायत, पत्रकार राजेश स्थापक द्वारा 20 सितम्बर को लिखित तौर पर की गई थी। इस शिकायत के बाद भी वन विभाग द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही न करते हुए रिलायंस कंपनी को अपना काम संपादित करने के लिए अघोषित तौर पर खुली छूट प्रदान कर दी गई थी।
उल्लेखनीय होगा कि 23 सितम्बर को समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया और हिन्द गजट द्वारा रक्षित वन क्षेत्र में धडल्ले से हो रही खुदाईशीर्षक से खबर प्रसारित और प्रकाशित की गई थी। सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि जब बार-बार सोशल मीडिया में यह मामला उछला तो मजबूरी में वन विभाग को इस पर एक्शन लेना पड़ा।
डीएफओ वाई.पी.सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि अत्याधिक दबाव के बाद उन्होंने आज एसडीओ वन को इसकी जांच के लिए मौके पर भेजा है। सूत्रों की मानें तो डीएफओ वाई.पी.सिंह द्वारा जांच अधिकारी को यह भी निर्देशित किया गया है कि सड़क के किनारे वन विभाग के आधिपत्य वाली जमीन पर पचास इंच के बाद खुदाई की अनुमति दी गई है, किन्तु दो स्थानों पर कंपनी ने पचास के बजाए पचहत्तर इंच खोद दिया गया है, उसे ओवरलुककर दिया जाए। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक यह पता नहीं चल सका है कि जांच अधिकारी ने मौके पर क्या देखा और क्या पाया?
वहीं विभाग में यह चर्चा भी तेज हो गई है कि अरबों खरबों के स्वामित्व वाली रिलायंस कंपनी का वन विभाग से ऐसा कैसा याराना है कि वन विभाग द्वारा शिकायत के पूरे तीन सप्ताह तक इस मामले में संज्ञान नहीं लिया गया! हो सकता है कि इस मामले में कहीं सैटिंग का भी समावेश किया गया हो।

सोई कांग्रेस नहीं भुना पा रही भीड़ जुटाने का मामला!

सोई कांग्रेस नहीं भुना पा रही भीड़ जुटाने का मामला!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की जिला इकाई की तंद्रा चुनाव की घोषणा के बाद भी टूट नहीं सकी है। जिला कांग्रेस के हाथ चुनावी बेला में आए एक शानदार मुद्दे को उसके द्वारा भुनाने का प्रयास भी न किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। जिला कांग्रेस ने अब तक इस मामले में न तो कोई ज्ञापन ही जिला निर्वाचन अधिकारी को सौंपा है और न ही धरना प्रदर्शन जैसी कोई कवायद ही की है।
ज्ञातव्य है कि 29 सितम्बर को सिवनी आई, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा, विवादों में आ गई है। मुख्यमंत्री की इस यात्रा के लिए प्रशासन के आदेश पर लोगों की भीड़ जुटाने का मामला सामने आया है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के पास आए दस्तावेजों के अनुसार सिवनी ज़िले में 29 सितंबर को हुईं उनकी रैलियों के लिए भीड़ जुटाने का काम प्रशासन ने किया था।
गौरतलब है कि सिवनी ज़िले की धनौरा जनपद के सीईओ की ओर से सभी पंचायतों के सरंपच और सचिवों को लिखित में आदेश जारी किया गया था, इस आदेश में उन्हें हर पंचायत से कम से कम 150 लोगों की भीड़ लाने के लिए कहा गया। इतना ही नहीं बल्कि लोगों को लाने ले जाने के लिए गाड़ियों का इंतजाम करने तक के लिए कहा गया। इस आदेश पत्र में जिला पंचायत सीईओ के निर्देश पर इसे जारी करने का जिक्र भी किया गया है।
जनपद सीईओ की ओर से जारी इस आदेश की एक-एक प्रति जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और एसडीएम को भी भेजी गई थी। इस मामले में जब आदेश जारी करने वाले जनपद के सीईओ से बात करने की कोशिश को तो उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया।
इस बारे में एक निजी चेनल से बातचीत में जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में उनके द्वारा कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। प्रकरण को आयुक्त जबलपुर के पास भेज दिया गया है। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि कलेक्टर सिवनी ने सीईओ धनौरा से चुनावी कार्य लेकर उसे तहसीलदार को सौंप दिया है। वहीं जिला कलेक्टर भरत यादव ने सीईओ धनौरा की मानसिक हालत पर ही प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया है।

भाजपा जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि मुख्यमंत्री का आगमन हो रहा है वह उनका कार्यक्रम अच्छे से अच्छा करें, ज्यादा से ज्यादा लोग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सुनने पहुंचे। वहीं दूसरी ओर कांग्रेसी नेता राजकुमार खुराना ने कहा कि उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग को इस संबंध में शिकायत की है, और वे ये मांग करते हैं कि चुनाव आयोग इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर इस अधिकारी के खिलाफ कड़ा क़दम उठाए।

पैसों की मांग को लेकर दादू निखिलेंद्र ने, व्यक्तिगत विद्वेष के कारण लगाए अनर्गल आरोप: राजेश त्रिवेदी

पैसों की मांग को लेकर दादू निखिलेंद्र ने, व्यक्तिगत विद्वेष के कारण लगाए अनर्गल आरोप: राजेश त्रिवेदी

दादू राघवेंद्र नाथ सिंह की जमीन पर सड़क बनाने पालिका से मांगे पैसे, दादू धर्मशाला पर बकाया है करोड़ों

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। अधिवक्ता दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह के द्वारा गत दिवस दिए गए राजेश त्रिवेदी के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्जशीर्षक से प्रकाशित समाचार में, सिवनी नगर के प्रथम नागरिक राजेश त्रिवेदी द्वारा अपना पक्ष रखा गया है। नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी द्वारा जारी विज्ञप्ति अक्षरशः इस प्रकार है।
आज कुछ समाचार पत्र्ाों में प्रकाशित समाचार लोकाय्ाुक्त में प्रकरण दर्ज के विषय्ा में आम जनता को सच्चाई से अवगत कराने हेतु य्ाह प्रेस विज्ञप्ति पहली बार मेरे द्वारा दी जा रही है। य्ाह कि दादू निखिलेंद्र नाथ सिंह जो कि व्य्ाक्तिगत मुझ्ा पर आए  दिन आरोप-प्रत्य्ाारोप लगाते चले आ रहे हैं। इनके संपूर्ण वाक्य्ाा से जनता को रूबरू होना अतिआवश्य्ाक हो गय्ाा है। य्ाह कि एफसीआई रोड जिसमें हजारों लोग रहते हैं उनकी भावनाओं को लेकर य्ाह विवाद शुरू हुआ, य्ाह रोड इनके कहे अनुसार इनकी पैतृक संपत्ति है और वहां के लोगों के द्वारा य्ाह कहा जाता है कि य्ाह दान में आमजनता के सुखाधिकार हेतु दी गई है, जब हम य्ाह रोड के मामले को सुलझ्ााने पहुंचे तो इनके द्वारा हमसे लिखित रूप से 4,79, 106.10 रू. की मांग की गई जिसकी छाय्ााप्रति भी इस पत्र्ा के साथ संलगन है।
उक्ताशय्ा की प्रतिक्रिय्ाा देते हुए राजेश त्र्ािवेदी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताय्ाा है कि दादू निखिलेंद्रनाथ सिंह के ऊपर भगतसिंह वार्ड स्थित दादू धर्मशाला में भी लाखों रू. का टैक्स बकाय्ाा है, जिसे भी समाय्ाोजित करने हेतु इनके द्वारा मेरे ऊपर लगातार दबाव बनाय्ाा गय्ाा। जब मेरे द्वारा इन महोदय्ा की इस इच्छापूर्ति के लिए मना किय्ाा गय्ाा तो इन्होंने कभी मेरा पुतला जलाय्ाा, तो कभी फेसबुक में मुझ्ो गधा, नालाय्ाक, सुअर, आवारा जानवर, अनपढ़, भ्रष्टाचारी जैसे शब्द लिखे तो कभी इन्होंने व्य्ाक्तिगत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भला बुरा कहा। इसके बाद इनके द्वारा लगभग 60 सूचना के अधिकार के तहत आवेदन नगर पालिका में लगाय्ो गय्ो एवं इसके बाद से हमने जो भी कायर््ा नगर विकास के लिए किए, सभी मंे हमें तरह-तरह के आरोपों से सुसज्जित किय्ाा।
दलसागर तालाब जो आज हमने किनारे पर इतना सौंदयर््ाीकरण किय्ाा वहां पर जो सुलभ बनवा रहे थे, उसमें भी इन महोदय्ा के द्वारा ही कानूनन स्टे की प्रक्रिय्ाा से इसे रोका गय्ाा, जब इससे भी दिल नहीं भरा तब इन्होंने मुझ्ा पर एवं मेरे परिवार पर तरह- तरह के झ्ाूठे आरोप लगाकर 5.7.2013 को लोकाय्ाुक्त में शिकाय्ात की गई जिसके संपूर्ण जवाब भी मेरे द्वारा दिय्ो जा चुके हैं। अब मैं आम जनता और आप सभी से पूछना चाहता हूं कि क्य्ाा मेरे द्वारा नगर विकास के संपूर्ण कायर््ा सिर्फ इन महोदय्ा को रोकने से बंद कर देना चाहिए य्ाा इनको य्ाह राशि देकर इनका मुंह बंद करके आगे काम करना चाहिए। य्ादि आम जनता इस बात का इनका समर्थन करती है। एफसीआई रोड के रहने वाले लोग इस बात का समर्थन करें तो बात आम जनता के हाथों में छोड़ता हूं।

य्ाह कि मैं भाजपा की प्रेरणा से ओत-प्रोत होकर काम करने वाला कायर््ाकर्ता हूं, हमारी पार्टी द्वारा लगातार विकास कायर््ा किय्ो जा रहे हैं, य्ो अपनी कांग्रेस पार्टी को गर्त में देखकर मुझ्ा पर एवं मेरी पार्टी पर जो आरोप लगा रहे हैं, वे पूर्णतः अनर्गल हैं। उपरोक्त शिकाय्ात आज से लगभग 6 माह पूर्व की गई थी पर आज चुनाव को नजदीक देखते हुए य्ो महोदय्ा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आपको भटका रहे हैं एवं मुझ्ो एवं मेरी पार्टी की छवि को धूमिल करने का प्रय्ाास कर रहे हैं, जिसका जवाब जनता इन्हें तीसरी बार हार के स्वरूप में देगी, ऐसा ही मुझ्ो पूर्ण विश्वास है।

नरेंद्र के स्वागत योग्य सुझाव

नरेंद्र के स्वागत योग्य सुझाव

(शरद खरे)

युवा एवं उत्साही भाजपा कार्यकर्ता नरेंद्र ठाकुर की सकारात्मक सोच का एक और नायाब उदाहरण सामने आया है। नरेंद्र ठाकुर ने इस बार चुनावों के दौरान बिल पर शराब बेचने की बात कही है। नरेंद्र का यह सुझाव स्वागत योग्य है। चुनावों के दौरान शराब देकर प्रलोभन देना नई बात नहीं है। आजादी के उपरांत कुछ दशकों के बाद ही नेताओं द्वारा मतदाताओं को रिझाने के लिए शराब का सहारा लिया जाने लगा। एक रात के क्षणिक नशे के लिए लोगों द्वारा अपने जमीर को भी गिरवी रखा जाने लगा। शराब इस तरह की चीज है कि लोग इसके मोहपाश से अपने आपको दूर नहीं रख पाते हैं।
नरेंद्र ठाकुर का कहना सही है कि कम से कम चुनाव के दौरान ही सही प्रशासन को शराब के विक्रय पर नजर रखनी चाहिए। वैसे तो आबकारी महकमा इसके लिए पर्याप्त माना जा सकता है, किन्तु आबकारी विभाग में भी बड़े बड़े छेद हैं। आबकारी विभाग अगर अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी के साथ निभाता तो शायद ही शराब ठेकेदार अवैध शराब बेचकर धन्ना सेठ बने होते। अवैध शराब जो कई बार जहरीली भी होती है, से न जाने कितने लोग आज तक काल कलवित हो चुके हैं।
सिवनी में जनसंपर्क विभाग द्वारा जिला कलेक्टर भरत यादव के हवाले से यह भी कहा गया, कि कलेक्टर द्वारा चुनाव को देखते हुए, अवैध शराब के विक्रय को जिला कलेेक्टर द्वारा पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। लोग आश्चर्यचकित हैं कि क्या चुनाव पूर्व अवैध शराब बेचने पर पाबंदी नहीं थी। सरकारी विज्ञप्ति जारी करने के लिए जनसंपर्क विभाग को अधिकृत किया गया है। जनसंपर्क विभाग में भारी तनख्वाह लेने वालों की लंबी चौड़ी फौज कार्यरत है। इन कर्मचारियों के जिम्मे बस एक ही काम है, कि सरकारी योजनाओं और सूचनाओं को मीडिया के जरिए जनता तक पहुंचाया जाए। जिला जनसंपर्क अधिकारी के पद के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक या स्नात्कोत्तर की उपाधि आवश्यक होती है। पत्रकारिता महाविद्यालय में पत्रकारिता की बारीकियां समझाई और सिखाई जाती हैं। बावजूद इसके पता नहीं इस तरह की भूल, भला कैसे हो जाती है सरकारी नुमाईंदों से।
सिवनी में अवैध शराब का वितरण एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा होता है। सिवनी में कुछ विशेष शराब ठेकेदारों द्वारा निर्धारित दुकानों के अलावा गांव गांव में चौपहिया वाहन खड़े करवाकर शराब बेची जा रही है, जो पूरी तरह अवैध ही है। आबकारी विभाग द्वारा लगभग डेढ़ दशक के पहले तक लगातार अवैध शराब पकड़ी जाती रही है। सालों से इक्का दुक्का मामलों में ही आबकारी विभाग द्वारा अवैध शराब पकड़ने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। एक समय था जब लहान और शराब जप्त करने की खबरों से समाचार पत्र पटे रहते थे, आज महीनों इस तरह की खबरें, अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाती हैं।
नरेंद्र ठाकुर का यह सुझाव स्वागत योग्य है कि चुनाव तक तो कम से कम शराब को बिल पर ही बेचा जाए। इससे अनेक तरह के प्रतिबंध लग जाएंगे। अव्वल तो यह कि आज युवा और नाबालिग पीढ़ी जो शराब के प्रति आकर्षित हो रही है, वह बिल के डर से कम से कम दुकान में जाने से कतराएगी। वहीं दूसरी ओर बल्क में एक साथ शराब खरीदने वालों को भी डर ही रहेगा कि अगर शराब कहीं पकड़ी गई तो क्या जवाब देंगे। इतना ही नहीं पकड़ी गई शराब किस दुकान या ठेकेदार के पास से खरीदी गई है, यह बात भी पता चल जाएगी जिससे उसके खिलाफ भी कार्यवाही हो सकेगी।
वर्तमान में तो अवैध शराब पकड़ ली जाती है। उसके बाद न तो आबकारी न पुलिस और न ही प्रशासन द्वारा यह पता करने का प्रयास शायद ही किया जाता हो कि वह शराब आखिर आई तो आई किस ठेकेदार के पास से। इसका कारण यह है कि शराब गेंहू चावल नहीं या परचून नहीं है, जो हर जगह मिल पाए। शराब अगर सिवनी जिले में प्रवेश कराई गई है तो वह निश्चित तौर पर किसी न किसी शराब ठेकेदार के वैध या अवैध परमिट पर ही लाई गई होगी। अवैध शराब ले जाने वाले से ज्यादा दोष उस शराब ठेकेदार का है, जो इसे बेच रहा है।
अगर आप जाकर एक या दो पेटी यानी 12 या 24 बोतल शराब एक साथ शराब दुकान से उठाएंगे तो शराब के ठेकेदार सहित वहां मौजूद लोग आपको आश्चर्य के साथ देखेंगे। अगर आप निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब ले जा रहे हों तो आपको उसके लिए अलग से परमिट लेना ही होगा। बिना परिमिट के निर्धारित मात्रा में शराब ले जाना, अवैध शराब परिवहन की श्रेणी में ही आता है। अवैध शराब ले जाने वाले से यह पूछना जरूरी है कि आखिर उसके पास शराब आई कहां से!
वैसे चुनाव तक पेट्रोल और डीजल को भी बिल पर ही बेचा जाना चाहिए। जिले भर के शराब ठेकेदारों सहित पेट्रोल पंप संचालकों को भी यह निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे भी बिना बिल काटे एक बूंद शराब या डीजल, पेट्रोल न बेचें। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी को स्वतः ही संज्ञान लेना होगा। चुनाव के चलते जिले भर के ढाबों और होटलों की भी औचक और सघन चेकिंग की जाकर अवैध रूप से संग्रहित शराब को पकड़ा जाना जरूरी है। शराब को पकड़ने के बाद उन संस्थानों के नामों के साथ जनसंपर्क विभाग के द्वारा समाचार जारी किए जाएं, ताकि बदनामी के डर से ये होटल ढाबा संचालक अवैध रूप से संग्रहित शराब रखने के लिए हतोत्साहित होंगे।

सब कुछ निर्भर करता है प्रशासन की मंशा पर। नरेंद्र उर्फ गुड्डू ठाकुर एक आम नागरिक हैं, और जिम्मेदार नागरिक के बतौर उन्होंने अपना सुझाव समाचार पत्र के माध्यम से सार्वजनिक किया है, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। जिला प्रशासन से कड़े कदमों की अपेक्षा की जा सकती है।