नफरत फैलाने वालों को दें मुंहतोड़ जवाब
(लिमटी खरे)
भगवान शिव की नगरी सिवनी की फिजां में अमन चैन सदा से ही रचा बसा है। नफरत फैलाने वाले तत्वों को सदा ही सिवनी वासियों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। इतिहास गवाह है कि जब भी सांप्रदायिक सोहाद्र बिगड़ने की नौबत आई है, सिवनी वासियों ने गजब के धेर्य और संयम का परिचय दिया है, यही कारण है कि सिवनी के इतिहास में कफर््यू के काले दाग महज दो मर्तबा ही लग पाए हैं। दोनों ही बार सभी धर्म, मजहब, संप्रदाय के लोगों ने आपसी भाईचारे, सद्भावना की मिसाल कायम करते हुए सिवनी की फिजां में जहर घोलने वाले तत्वों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। सिवनी में दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस, गुरूनानक जयंती, कबीर जयंती, महावीर जयंती बहुत ही धूमधाम के साथ सभी मजहब, धर्म, संप्रदाय, पंथ के लोगों द्वारा मनाई जाती है। सांप्रदायिक एकता की मिसाल सिवनी जिले में जो देखने को मिलती है, वह शायद ही किसी जिले में देखने को मिले।
बाबरी ढांचे के बारे मंे फैसला आने के उपरांत उपजने वाली परिस्थितियों को लेकर तरह तरह की आशंकाएं पनप रहीं हैं। राज्य शासन ने सिवनी जिले को भी संवेदनशील जिलों की फेहरिस्त में शामिल कर दिया है। सिवनी में एक बात तो साफ तौर पर सामने आ रही है कि हर वर्ग, मजहब, पंथ, धर्म, संप्रदाय का आदमी हर हाल में शांति ही चाह रहा है। जिला एवं पुलिस प्रशासन की पहल पर जिला मुख्यालय में मोहल्ला मोहल्ला स्तर पर हो रही बैठकें इस बात का घोतक हैं कि आम आदमी इस तरह की नफरत की आग से इतर सुख शांति और सोहाद्र का वातावरण ही चाहता है।
इस्लाम धर्म की विश्व प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश के देवबंद की दारूल उलूम ने भी लोगों से संयम और शांति बरतने की अपील की है। राष्ट्रीय स्तर पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने भी अपील की है कि राम जन्म भूमि बावरी मस्जिद मामले में माननीय न्यायलय के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। अदालत के फैसले के उपरांत किसी तरह के विरोध, प्रदर्शन आदि को कहीं किसी भी स्तर पर स्थान नहीं दिया जाना चाहिए। इन सारे संगठनो की अपील का अर्थ यही है कि सारे लोग अदालत के फैसले पर आस्था व्यक्त करते हुए उसका सम्मान करें।
दूसरी तरफ हिन्दूवादी संगठनों का रूख भी कमोबेश यही है। हिन्दुवादी संगठन भी चाहते हैं कि फैसला चाहे जो आए, उसका सम्मान किया जाना चाहिए न कि फिजा में जहर घोलने के प्रयास होने चाहिए। राम मंदिर बनाने के प्रमुख पैरोकार समझे जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आड़वाणी का भी साफ कहना है अयोध्या मामले में अदालत के फैसले का पूरा पूरा सम्मान किया जाएगा।
कुल मिलाकर हर धर्म, संप्रदाय, सम्भाव को मानने वाले चाहते हैं कि फैसला चाहे जो आए, देश का अमन चैन हर कीमत पर बरकरार रहे। यह भी सच है कि जैसे ही इस मामले में फैसले की घड़ी पास आती जा रही है, वैसे वैसे समाज में अमन चैन बिगाड़ने वाले तत्वों की हरकतों में इजाफा होने लगा है। शासन प्रशासन इन तत्वों से सख्ती से निपटने के लिए चाक चौबंद दिखाई पड़ रहा है।
कल से मोबाईल पर जाने वाले एसएमएस की रफ्तार थम सी गई है। अफवाहांे को फैलाने के सबसे बड़े संवाहक हैं मोबाईल, एसएमएस और लेण्ड लाईन फोन। इस मामले में प्रशासन को एहतियातन कदम उठाने होंगे, ताकि फिजा बिगाड़ने वालों को रोका जा सके। 1992 में सी डॉट एक्सचेंज की स्थापना के साथ ही शहर भर में बीएसएनएल के लेण्ड लाईन फोन की घंटियां लगातार घनघनाती रहीं थीं, जिससे माहौल में कड़वाहट ही घुली थी।
इस मामले का सबसे दुखद पहलू यह सामने आ रहा है कि किसी भी राजनैतिक दल के नेता ने अब तक पुरजोर तरीके से इस बात को नहीं उठाया है कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद का इस मामले में आने वाला फैसला अंतिम नहीं है। इससे अगर असंतुष्ट हुआ जाएगा तो मामले के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत के दरवाजे अभी खुले हुए हैं। अगर इस तरह की बात किसी दल के नेता द्वारा कह दी जाती तो विध्वंस फैलाने वाली ताकतों की हवा काफी हद तक निकाली जा सकती थी। दुर्भाग्य है कि न तो सोनिया गांधी न ही प्रधानमंत्री डॉ. मन मोहन सिंह, न एल.के.आड़वाणी आदि ने ही इस बात को रेखांकित किया है।
यह निश्चित तौर पर एक परीक्षा की घड़ी है। परीक्षा आम आदमी के धेर्य, संयम की। अब सिवनी वासियों को साबित करना है कि वे अनुशासनप्रीय हैं, सांप्रदायिक सद्भाव बनाने के लिए हर तरह से वचन बद्ध हैं। वे किसी भी अफवाह पर ध्यान कतई नहीं देगें। कोई अगर अफवाह फैलाता है तो वे उसे हवा नहीं देंगे।
हमारा कहना महज इतना ही है कि इस तरह के संवेदनशील मामले में किसी भी दल को सियासत करने की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती है। 1992 का उदहारण हमारे सामने है। उस दौरान जो कुछ हुआ सभी ने देखा। मध्य प्रदेश की संुदर लाल पटवा के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। कांग्रेस के कदमताल को देखकर लगता है कि मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ की सरकारें कांग्रेस के निशाने पर हैं। थोड़ी भी स्थिति बिगड़ने पर सरकारों की शामत आ सकती है। यद्यपि यह जुदा मसला है, किन्तु फिर भी हर देशवासी का यह फर्ज है कि हर कीमत पर सांप्रदायिक सोहाद्र, अमन चैन बरकरार रहे।
सवाल यह उठता है कि जब साल में 365 दिन लोग अपने आप को किसी धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखते हैं, तो फिर दिन विशेष के अवसर पर इस तरह की भावनाएं हमारे मन में आए ही क्यों? क्या एसा करके फिरकापरस्त ताकतों को हम अपने उपर हावी नहीं कर रहे हैं। किसी भी अनिष्ट की आशंका से निपटने प्रशासन ने अपने स्तर पर सारे प्रबंध कर लिए हैं। हम सिवनी वासियों को संकल्प लेना होगा कि हम सांप्रदायिक सोहाद्र को बिगाड़ने वाली ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देंगे। यह जवाब सिवनी में हर कीमत पर अमन चैन बरकरार रखकर ही दिया जा सकता है। हम किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं दें्रगे।