शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

गोद लेकर गोद पुत्र का गला घोंटना कमल नाथ की फितरत: प्रेम तिवारी

गोद लेकर गोद पुत्र का गला घोंटना कमल नाथ की फितरत: प्रेम तिवारी

जनता को प्रभावित करने में नाकाम रहे कांग्रेसी नेता

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। गोद लेकर गोद पुत्र का गला घांेटना कमल नाथ की फितरत है। जिस बंठाढार पुरूष के शासन में लोग बिजली के तारों में कपडे़ सुखाते थे, वे आज प्रदेश को रोशन करने की बात कर रहे हैं। विधानसभा में चुप रहने वाले अजय सिंह हांे या लोकसभा में मौन धारण करने वाले भूरिया हों, सदन से मुहं चुराना और सदन के बाहर झूठ बोलना इनकी आदत है। झाबुआ पावर प्लाटं के मालिक के आगे दुम हिलाने वाले सिंधिया को आज आदिवासियों के हितों की चिन्ता हो गई है। सिवनी वासियों को गुमराह करने आया अवसरवादी कांग्रेसियों का यह दल लोगों को गुमराह करके और झूठे आश्वासन परोसकर अगले 5 सालों के लिये फिर विलुप्त हो गया है। इस आशय की बात भाजपा नगर अध्यक्ष श्री प्रेम तिवारी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कही गई है।

सिवनी र्की इंटों से ही छिन्दवाड़ा में बना विकास का महल
पार्टी मीडिया प्रभारी श्रीकांत अग्रवाल के हवाले से जारी विज्ञप्ति में प्रेम तिवारी ने आरोप लगाया कि कमलनाथ वही शख्स है, जो पिछले 15 वर्षों से अनेक बार सिवनी को गोद लेने की घोषणा कर चुके हैं, और अब वे सिवनी को छिन्दवाड़ा बनाने का सपना दिखा रहे हैं। यदि कमलनाथ सिवनी से उसका हक ही न छीनते, तो भी उनका जिलेवासियों पर उपकार होता। कमलनाथ ने तो सिवनी र्की इंटों से ही छिन्दवाड़ा में विकास का महल खडा किया है।
इस जिले से फोरलाईन को छीनने वाले कमलनाथ ऐसे बेशर्म नेता हैं, जो इस मुद्दे पर अपनी प्रतीकात्मक अर्थी निकलने के बावजूद सिवनी वासियों से नजरे मिला रहे हैं। जिन हाथों ने इनकी अर्थी उठाई थी, उन्ही हाथों से ये फूलमाला पहन रहे हैं। गोद लेकर गोद पुत्र का गला कैसे घोंटा जाता है, इसकी मिसाल कमलनाथ ही हैं, जिन्हांेनेे न सिर्फ फोरलाईन बल्कि इस जिले के किसानों की जीवन दायिनी पेंच परियोजना को भी अपने प्रभाव से रोकने का कार्य किया है। इन्ही की करतूतों का परिणाम है, कि ब्राडगेज की घोषणा होने के बाद भी, रेल की पटरी की एक पांत भी नहीं लग सकी है।

उद्योग मंत्री रहते सिवनी रहा उद्योग विहीन
श्री तिवारी ने कहा की यह हास्यप्रद है कि कमलनाथ उद्योग और रोजगार की बात कर रहे हैं, जबकि इनके केन्द्र में उद्योग मंत्री रहते न तो सिवनी में उद्योग की एक इकाई लगी, और न ही जिले के किसी बेरोजगार को इनके अपने क्षेत्र में लगाये गये उद्योगों में रोजगार मिला। बेशर्मी की पराकाष्ठा है कि कमलनाथ अपने भाषण में जिले के युवाओं के विवेक पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुये यह कह रहे हैं, कि यहां के लोग जल्दी गुमराह हो जाते हैं, शायद इसी का फायदा उठाते हुये कमलनाथ सिवनी वासियों को पूर्व की भांति चुनावी झुनझुना पकड़ाते हुये गुमराह कर रहे हैं।

जहां रहेगा दिग्गी वहां जलेगी चिमनी
श्री तिवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भर में बंठाढार पुरूष के नाम से कुख्यात दिग्गीराजा आज प्रदेश के विकास की बात कर रहे हैं। उनके शासन में सड़कें गायब थीं और लोग बिजली के तारों पर कपड़े सुखाते थे। आज वे अपने साम्प्रदायिक और खूनी एजेन्डे से सŸाा का रास्ता बनाने की कोशिश कर हैं, जबकि प्रदेश में अमन चेन और भाईचारे की बयार बह रही है।

झाबुआ प्लांट को सिंधिया से ही मिली है अनापत्ति
श्री तिवारी ने कहा कि गांधी खानदान के आगे पीछे दुम हिलाने वाले सामंतशाही ज्योतिरादित्य सिंधिया को एकाएक झाबुआ पावर प्लांट को लेकर जिले के आदिवासियों की चिन्ता हो गई है, जबकि ये देश के ऊर्जा मंत्री हैं, और इन्हीं की अनापŸिा के बाद यह प्लांट चालू हुआ है। यदि आदिवासियों के साथ छल हुआ है, तो इन्हें अनापŸिा के पूर्व प्लांट मालिक से आदिवासियों का हक उन्हेें दिलाना था। हकीकत तो यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस प्लांट के मालिक गौतम थापर को प्रधानमंत्री से मिलवाया था और तब इनके साथ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे। इन्टरनेट में यह तस्वीर श्री सिंंिधया की हकीकत को बयां करने के लिए काफी है।

सदन में मौन रहने वाले अजय सिंह और भूरिया जनता को कर रहे गुमराह
श्री तिवारी ने कहा कि अपनी बदजुबानी, झुठ बोलने और गुमराह करने की आदत से मजबूर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के खिलाफ न्यायालय ने मानहानि का मुकदमा प्रारंभ कर दिया है। अजयसिंह विधानसभा में चुप रहते हैं और विधानसभा से निकलते ही झूठ बोलना प्रारंभ कर देते हैं, क्यांेकि ये जानते हैं कि सदन में इनके बेबुनियाद आरोपों की धज्जियां उड़ जायेंगी। यही हाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कान्तिलाल भूरिया का है, जो लोकसभा में प्रदेश के मुद्धों पर मौन धारण किये रहते हैं, और सदन के बाहर मध्यप्रदेश में आदिवासियों के हितों की बात करते हैं, जबकि कांग्रेस ने ही आदिवासियों का शोषण किया है।

काली कमाई को बहाया पानी की तरह

श्री तिवारी ने कहा कि केन्द्र में भ्रष्टाचार के माध्यम से कमाये गये रूपयों को कैसे पानी के तरह बहाया जाता है, इसका नमूना बीते दिवस जिले वासियों को तब देखने को मिला, जब जिलेवासियों के परहेज के चलते सैकड़ों वाहनों में बालाघाट और छिन्दवाड़ा से लोगों को ढोकर लाया गया था। कांग्रेस की इस रैली में जमा नेता अवसरवादी और मौकापरस्त लोगों का जमघट मात्र था, जो अपने चेहरे तो लोगों को दिखा सकता था लेकिन जनता को प्रभावित करने की क्षमता उनमें नहीं थी।
जिला क्रिकेट संघ भंग हो चुका है, अतः कांग्रेसीकरण का प्रश्न ही नहीं उठता: कलाम खान

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। दैनिक हिन्द गजट के 10 अक्टूबर के अंक में डीसीए का हुआ कांग्रेसीकरणशीर्षक से प्रकाशित समाचार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जिला क्रिकेट एॅसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष कलाम खान ने कहा है कि जिला क्रिकेट संघ तीन साल पहले ही भंग हो चुका है, अतः इसके कांग्रेसीकरण का अब सवाल ही नहीं उठता है।
खेल जगत की जानी मानी हस्ती कलाम खान ने आगे कहा कि कुछ सालों पहले जिला क्रिकेट संघ का गठन किया गया था, किन्तु तीन साल तक डीसीए की कोई बैठक का आयोजन ही नहीं किया गया जिससे संघ के संविधान के अनुसार डीसीए स्वतः ही भंग हो गया है।
कलाम खान ने आगे कहा कि जिला क्रिकेट संघ जब भंग ही हो चुका है तो इसके कांग्रेसीकरण का प्रश्न ही नहीं उठता है। और अगर ऐसा हो भी रहा है तो ऐसे राजनीतिकरण करने के प्रयासों को कतई सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संघ के अस्तित्व में न होने के कारण आधिकारिक तौर पर इसकी गतिविधि जिले में शून्य ही हैं।
जब कलाम खान से पूछा गया कि क्या प्रदेश क्रिकेट एॅसोसिएशन के अध्यक्ष और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही साथ कांग्रेस के अन्य क्षत्रपों के स्वागत की अपील करना क्या उचित है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है, और वे इसकी निंदा करते हैं।
कलाम खान ने कहा कि संघ के नवीन संगठन के गठन के बाद मीडिया को अवश्य ही सूचित किया जाएगा। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि संघ की ओर से अगर कोई विज्ञप्ति भी आती है तो पहले इसे सत्यापित अवश्य किया जाए फिर प्रकाशित किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करने पर समाचार पत्र पर कानूनी कार्यवाही हेतु वे स्वतंत्र होंगे। चर्चा के साथ ही उन्होंने एक विज्ञप्ति भी हिन्द गजट को दी है, जिसमें कलाम खान के अलावा डीसीए के पूर्व उपाध्यक्ष राकेश जैन, पूर्व सहसचिव शरद खरे, पूर्व मुख्य चयनकर्ता जय श्रीवास्तव के हस्ताक्षर भी हैं।

क्या टीमें अवैध रूप से भेजी गईं!
अगर डीसीए के पूर्व उपाध्यक्ष कलाम खान की बात को सच माना जाए तो पिछले तीन सालों में डीसीए के बेनर तले जो कुछ भी हुआ या टीमें जो चयनित की गई हैं वे अवैध हैं? इस बारे में तरह तरह की चर्चांए आरंभ हो गई हैं।

क्या भाजपाई भी थे कांग्रेस के नेताओं के स्वागत में शामिल

वहीं दूसरी ओर यह चर्चा भी तेज हो गई है कि गत दिवस परिवर्तन यात्रा में आए केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य कांग्रेस के क्षत्रपों के स्वागत की अपील और स्वागत करने में भाजपा के नेता भी शामिल थे, क्योंकि जिला क्रिकेट संघ में भाजपा के जिला स्तर के अनेक नामचीन लोगों का समोवश है।

पावर प्लांट के रहते अंधेरे में घंसौरवासी

पावर प्लांट के रहते अंधेरे में घंसौरवासी

(प्रेम कुमार जैन)

घंसौर (साई)। सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड घंसौर में प्रदेश में बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा डाले जा रहे पावर प्लांट के रहते हुए भी तहसील मुख्यालय घंसौर में कल चार बजे से इन पंक्तियों के लिखे जाने तक बिजली गोल ही है।
गौरतलब है कि वर्तमान में दुर्गा पूजा उत्सव चल रहा है। दुर्गा उत्सव के चलते घंसौर में आसपास के जिलों से भी घंसौर में दुर्गा उत्सव देखने सैकड़ों लोग उमड़ रहे हैं। गत शाम से अंधेरे में ही ग्रामों के लोगों द्वारा दुर्गा प्रतिमाओं का भ्रमण किया गया। दुर्गा पूजा में उमड़ रही भारी भीड़ के बाद भी शासन प्रशासन द्वारा घंसौर में बिजली आ जाए, इस संबंध में शायद ही कोई प्रयास किए गए हों।
उल्लेखनीय होगा कि घंसौर के बरेला में आदिवासियों की जमीनें हथियाकर मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा बिजली उत्पादन के लिए संयंत्र की स्थापना का काम वर्ष 2009 में आरंभ किया गया था। बताया जाता है कि इस साल फरवरी में ही इस संयंत्र से बिजली का उत्पादन आरंभ हो जाना चाहिए था।
आरोपित है कि बरेला का पावर प्लांट रक्षित वन में ही संस्थापित हो रहा है। इस पावर प्लांट के लिए किसानों के उपयोग के लिए एकत्र किए गए बरगी बांध के पानी का उपयोग किया जा रहा है। इसके लिए गड़ाघाट से पाईप लाईन बिछाई जा रही है। बरेला पावर प्लांट के अंदर न जाने कितने गरीब गुरबे अब तक दम तोड़ चुके हैं। इसके अंदर एक हिरण का शावक भी मृत अवस्था में मिला था।
हाल ही में परिवर्तन यात्रा में आए केंद्रीय उर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा भी पावर प्लांट द्वारा आदिवासियों के शोषण की बात कही गई थी। यह निश्चित तौर पर जिला कांग्रेस कमेटी के लिए शर्मनाक स्थिति ही कही जा सकती है कि जिला स्तर पर इसका विरोध न कर कांग्रेस द्वारा परोक्ष तौर पर आदिवासियों के हितों पर हो रहे कुठाराघात में संयंत्र का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया जा रहा है।
बताया जाता है कि जब इस संयंत्र की स्थापना के लिए आदिवासियों सहित स्थानीय स्तर पर लोगों की जमीनें अधिग्रहित की जा रही थीं, उस वक्त लोगों को यह प्रलोभन दिया गया था कि इस पावर प्लांट के डलने के साथ ही साथ घंसौर क्षेत्र में बिजली की कमी पूरी तरह दूर हो जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि घंसौर के इस पावर प्लांट का काम इस साल फरवरी में पूरा किया जाकर उत्पादन आरंभ किया जाना चाहिए था, किन्तु अब तक यह काम आरंभ नहीं हो सका है। इसके साथ ही साथ इसमें उत्पादित होने वाली बिजली का एक भी अंश घंसौर या सिवनी जिले की झोली में नहीं जाने वाला है।
सूत्रों ने आगे बताया कि घंसौर के मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के इस पावर प्लांट द्वारा उत्पादित की जाने वाली बिजली को प्रदेश या केंद्र सरकार को गौतम थापर द्वारा बेचा जाएगा। अगर कुछ हिस्सा प्रदेश को दिया भी जाएगा तो वह सिवनी जिले को कतई नहीं मिलने वाला है।

बहरहाल लगभग तीस घंटे से घंसौर क्षेत्र में बिजली नहीं है, और दूसरी ओर प्रदेश की भाजपा सरकार के निजाम शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश में अटल बिजली योजना का श्रेय बटोरा जा रहा है। इस मामले का दुखद पहलू यह सामने आ रहा है कि घंसौर में बिजली नहीं है, और विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी इसके लिए न तो कोई कार्यवाही ही कर रही है और न ही ज्ञापन, धरना या प्रदर्शन जैसा कोई काम कर रही है।

कौन लेगा मंडियों की सुध!

कौन लेगा मंडियों की सुध!

(शरद खरे)

सिवनी जिले में जितनी भी मंडियां वैध रूप से काम कर रही हैं, वे सारी की सारी बदहाल हैं। अवैध मंडियां यानी क्रिकेट सट्टा, जुंआ, देह व्यापार की मंडियां जो अवैध रूप से संचालित हैं, पूरी तरह गुलजार कही जा सकती हैं। मंडियों के हालात इस कदर खराब है कि बारिश के दिनों में यहां घुसना दुष्कर ही साबित होता है। जिले की हर मंडी चाहे वह फुटकर सब्जी मंडी हो, थोक सब्जी मण्डी या फिर कृषि उपज मण्डी, हर ओर अव्यवस्थाओं का आलम पसरा हुआ है।
सिवनी की थोक सब्जी मण्डी जीएन रोड़ पर स्थित है। इस मण्डी में माल लेकर आने वाले भारी वाहनों की धमाचौकड़ी से यातायात बुरी तरह प्रभावित होता है। यह सब जनता देखती है, नगर पालिका देखती है, पर नहीं दिखता तो यातायात पुलिस के कर्मचारियों को। वहीं फुटकर सब्जी मण्डी भी जीएन रोड पर ही स्थित है। इस सब्जी मण्डी में अगर आप बारिश के दिनों में घुस जाएं तो तीन दिन खाना खाने से परहेज ही करेंगे। इस कदर गंदगी से बजबजा रही है यह सब्जी मण्डी।
मजे की बात तो यह है कि दोनों ही सब्जी मण्डियों में आवारा मवेशी विशेषकर सुअरों का आतंक जबर्दस्त तरीके से है। स्वाईन फ्लू के लिए जवाबदेह सुअर, सब्जी मण्डी में फलों सब्जियों में मुंह मारकर उन्हें गंदा करने से नहीं चूकते हैं। आसमान छूते सब्जी के दामों के चलते सब्जी विक्रेता इन सुअर-कतरी सब्जियों को फेंकने के बजाए इन्हें सुआ (मिट्ठू) कतरी बताकर बेच दिया करते हैं।
इस सब्जी मण्डी के बाहर जीएन रोड़ पर खड़े ठेले और रेहड़ी वालों के आतंक के चलते यहां पार्किंंग की सुविधा नहीं हो पाती है। सड़कों पर लगने वाली दुकानों से नगर पालिका परिषद् द्वारा बकायदा अस्थाई दखल शुल्क वसूला जाता है, पर इसे अतिक्रमण मानकर कार्यवाही करने से सदा ही बचा जाता है। पार्किंंग के अभाव में सब्जी मण्डी के अंदर दो पहिया वाहन चालक अपने वाहनों में ही जाकर सब्जी खरीदने पर विवश हैं। सब्जी मण्डी की सकरी गलियों में वाहनों की रेलमपेल से पैदल सब्जी खरीद करने वालों को परेशानी उठानी पड़ती है। बारिश के दिनों में इस तरह से लोगों के कपड़े जब तब कीचड़ से सन जाया करते हैं।
पिछले दिनों प्रशासन द्वारा पुराने एलआईबी तिराहे से जीएन रोड़ मार्ग पर लगने वाले अस्थाई सब्जी बाजार (जो नगर पालिका की उदासीनता से लगभग पांच सालों से लग रहा था) को हटवाया गया। इसके बाद प्रशासन शांत हो गया और एक बार फिर वहां सब्जी की छिटपुट दुकानें लगना आरंभ हो गई हैं। इसी तरह का एक अस्थाई बाजार बारापत्थर में तिकोना पार्क से स्टेट बैंक जाने वाले मार्ग पर लगने लगा था।
दरअसल, सिवनी जिले में विकास के मायने यह हो गए हैं कि अपने घर पर एक दुकान खोल ली जाए। नपुंसक नगर पालिका प्रशासन के कारण सिवनी अब शटर्स का शहर बन गया है। जिस घर में देखो एक शटर अवश्य ही दिख जाएगी। पता नहीं वार्ड के पार्षद इस बात पर आपत्ति क्यों नहीं लेते। आखिर इन्हें अपने घर में व्यवसायिक गतिविधि संचालित करने की अनुमति कैसे मिल जाती है। क्या नगर पालिका प्रशासन ने अब तक इस बात को चिन्हित किया है कि शहर के कितने घरों में व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं, अगर व्यवसायिक गतिविधि संचालित हो रही है, तो पालिका को चाहिए कि दूरसंचार विभाग और बिजली विभाग को इसकी सूचना दे, और यहां संस्थापित टेलीफोन और होने वाली बिजली की खपत को, व्यवसायिक टैरिफ से वसूला जाए।
सिवनी की थोक सब्जी मण्डी के हाल तो बुरी तरह बेहाल हैं। यहां आने वाले माल के बारे में किसी को भी पता नहीं होता है। यहां रोजाना लाखों रूपयों का धंधा होता है। इसमें से कितना आयकर, कितना विक्रयकर जमा किया जाता है, इस बारे में शायद ही कोई जानता होगा। यहां बैठे बड़े बड़े सब्जी व्यवसाईयों की मोनो पल्ली सालों से चली आ रही है। कोई नया व्यापारी अगर सब्जी के धंधे में उतरने का साहस करता है, तो इनकी साम, दाम, दण्ड और भेद की नीति की भेंट चढ़ जाता है बिचारा।
फुटकर और थोक सब्जी मण्डी में खराब हो चुकी सब्जी को व्यवसाईयों द्वारा सड़कों पर इस तरह फेंक दिया जाता है, मानो वह एक बड़ा सा डस्ट बिन हो। सड़कों पर सड़ रही सब्जियों में जब आवारा मवेशी विशेषकर सुअर टूट पड़ते हैं तब आने जाने वालों को इनके काटने और दुर्घटना का भय बना रहता है। सड़क किनारे पड़ी, सड़ी गली सब्जी को अगले दिन सुबह ही पालिका कर्मचारियों द्वारा साफ किया जाता है। दिन भर इससे उठने वाली दुर्गन्ध से राहगीर परेशान हुए बिना नहीं रहते हैं। इस तरह गंदगी फैलाती, सड़ी सब्जियों के लिए जिम्मेदार व्यापारियों के खिलाफ कार्यवाही करना या चालान बनाना नगर पालिका की शान के शायद खिलाफ ही है। थोक सब्जी मण्डी जाने वाले मार्ग का द्वार इतना सकरा है कि वहां से एक बार में अगर एक भारी वाहन आता है तो लगभग आधे घंटे के लिए पूरा यातायात अवरूद्ध हो जाता है। देखा जाए तो सुबह सात बजे के पहले यहां भारी वाहनों से सब्जी उतरना चाहिए किन्तु यहां तो दिन उगने से दिन ढलते तक यह सिलसिला जारी रहता है।
कुल मिलाकर सिवनी शहर की ही सब्जी मण्डियों के हाल बुरी तरह बेहाल हैं। विपक्ष में बैठी कांग्र्रेस के नेताओं को स्थानीय समस्याओं से शायद लेना देना नहीं रह गया है, यही कारण है कि वे हर समय प्रदेश स्तर के प्रवक्ताओं के काम में दखलंदाजी कर शिवराज सिंह चौहान को कोसते नजर आते हैं। स्थानीय विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, जिला भाजपाध्यक्ष नरेश दिवाकर सहित नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी एवं अन्य पार्षदों को भी आम जनता को होने वाली समस्याओं से ज्यादा लेना देना नहीं दिखता है। चुनाव की बेला में भाजपा द्वारा किसानों को नाराज किया जाना आश्चर्यजनक ही है।