शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

माले मुफ्त का जमकर उपयोग किया राज परिवार ने


माले मुफ्त का जमकर उपयोग किया राज परिवार ने

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य में आधी से ज्यादा आबादी को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं है पर देश के राजपरिवार के सदस्यों द्वारा जनता के गाढ़े पसीने से संचित राजस्व का जमकर दुरूपयोग किया है। जी हां, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके सुकुमार पुत्र राहुल गांधी ने अपने अधिकारों और देश के नियम कायदों को बलाए ताक रख देश की रक्षा के लिए पाबंद वायूसेना के विमानों चौपरों में जमकर उड़ान भरी है। सादगी का दिखावा करने राहुल और सोनिया दोनों ही ‘कैटल क्लास‘ या शताब्दी का सफर करें पर जब बारी आती है सादगी ओढ़ने की तो राजपरिवार के सदस्य मलाई खाने से नहीं चूकते हैं। चूंकि इस तरह की बातें सार्वजनिक नहीं हो पाती हैं इसलिए देश की जनता यह नहीं जान पाती है कि उनके आदर्श आखिर उनके साथ क्या सलूक कर रहे हैं। सूचना के अधिकार में सामने आई हैरत अंगेज जानकारियों से लगता है कि देश के रक्षा मंत्री भी भारत गणराज्य के प्रति निष्ठा रखने के बजाए 10 जनपथ की स्वामिभक्ति को ही अपना आदर्श मान रहे हैं।

आर्थिक असमानता भारत गणराज्य में आज भी दिखाई देती है। गरीब और अमीर के बीच की दीवार आजादी के साढ़े छः दशकों में और मजबूत तथा बड़ी हो चुकी है। गरीब और गरीब हुआ है, अमीर की तिजोरी में धन धान्य पहले की तुलना में कई गुना बढ़ चुके हैं। आर्थिक असमानता को दूर करने का प्रयास किसी भी शासक ने नहीं किया है। हाकिमों ने अपने अपने घरों को ही भरा है, देश की जनता पर करों का बोझ लादकर हाकिमों ने अपने आराम की ही सोची है।
हाल ही में सूचना के अधिकार में हैरत अंगेज जानकारियां सामने आईं हैं। भारतीय वायुसेना का काम आकाश मार्ग से देश की हिफाजत करना है। पर भारतीय वायूसेना के विमानों का ही कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके युवराज पुत्र राहुल गांधी ने जमकर दुरूपयोग किया है। पिछले तकरीबन सात सालों में दोनों मां बेटों ने आधा सैकड़ा से अधिक बार भारतीय वायूसेना के विमान और हेलीकाप्टर में उड़ान भरीं हैं।
मजे की बात यह है कि सोनिया या राहुल गांधी के सहयात्री के बतौर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने भी लगभग दो दर्जन यात्राएं की हैं। चूंकि सोनिया गांधी या राहुल गांधी को वायू सेना में यात्रा करने की पात्रता नहीं है अतः इन दोनों के द्वारा पात्र लोगों को साथ में रखकर यात्रा करनी पड़ती है। पहले भी अनेक एसे उदहारण हैं जिनमें मंत्रियों के नाम से गैर पात्र लोगों द्वारा यात्राएं की गईं हैं। सूचना के अधिकार में अगर वे जानकारियां निकलवा ली जाएं तो पता चल जाएगा कि जिस दिन मंत्री के नाम से विमान या हेलीकाप्टर का उपयोग किया गया है उस दिन वे उससे विपरीत दिशा में भूमिपूजन या शिलान्यास कर रहे थे।
वैसे देखा जाए तो, वायुसेना के मुताबिक, नियमों के तहत वायुसेना के विमानों का उपयोग करने के पात्र व्यक्ति अपनी यात्रा के उद्देश्यों के लिए किसी व्यक्ति को अपने साथ ले जा सकते है। केंद्र सरकार के अन्य मंत्री भी प्रधानमंत्री से मंजूरी प्राप्त कर वायुसेना के विमानों का उपयोग कर सकते हैं और सरकारी कार्याे के लिए जरूरत के अनुरूप किसी व्यक्ति को अपने साथ ले जा सकते हैं। प्रधानमंत्री के बाद सोनिया गांधी के साथ सबसे ज्यादा यात्रा करने का सौभाग्य रक्षा मंत्री एके एंटनी और पूर्व विदेश एवं वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी (अब राष्ट्रपति) को मिला। इन दोनों के साथ सोनिया गांधी ने छह-छह बार वायुसेना के विमान एवं हेलीकाप्टर से यात्रा की।
गौरतलब है कि सात मई 2012 को रक्षा मंत्री ए.के. अंटनी ने संसद में जो बताया था उसके अनुसार नियमों के तहत, प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री सरकारी कामकाज के लिए वायुसेना के विमानों का उपयोग करने के पात्र हैं जबकि गैर सरकारी कार्यों के लिए केवल प्रधानमंत्री वायुसेना के विमानों का उपयोग कर सकते हैं।
हरियाणा के हिसार के निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने रक्षा मंत्रालय एवं वायुसेना मुख्यालय से वायुसेना के वीआईपी वायुयान और हेलीकाप्टरों से सोनिया गांधी और राहुल गांधी की यात्रा एवं खर्च के बारे में जानकारी मांगी थी। उन्हें जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक, 30 सितंबर 2012 तक सोनिया गांधी की यात्रा के किराये के मद में कर्नाटक सरकार पर एक करोड़ 17 लाख 15 हजार 83 रूपये और राहुल गांधी की यात्रा के मद में असम सरकार पर आठ लाख 26 हजार 457 रूपये बाकी है। चूंकि दोनों कांग्रेस नेताओं ने इनके नाम पर विमान आरक्षित कराकर यात्रा की थी इसलिए देनदारी भी इन्हीं दोनों सरकारों की बनती है।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चतुर सुजान सलाहकरों ने दोनों को तबियत से भारतीय वायूसेना के विमानों का मजा दिलवाया। सोनिया गांधी ने 49 बार वायुसेना के विमान की सेवाएं ली जिसमें 42 बार उन्होंने इन सेवाओं का उपयोग प्रधानमंत्री या किसी ऐसे पात्र व्यक्ति के नाम पर किया जिन्हें इसके बदले कोई भुगतान नहीं करना पड़ता है। उन्होंने सात बार प्रधानमंत्री की स्वीकृति से ऐसे मंत्रियों आदि के साथ यात्रा की जिन्हें इसके बदले वायुसेना को भुगतान देय होता है। ऐसे ही छह मामलों में किराये के रूप में 96 लाख रूपये का भुगतान किया गया। जबकि एक बार की यात्रा का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।
अब इस गरीब गुरबों के देश में हवाई यात्राएं वह भी कभी प्रधानमंत्री को तो कभी किसी मंत्री को साथ रखकर या फिर अपात्र मंत्री या मुख्यमंत्रियों के साथ सरकारी यात्रा के बाद भी इन नेताओं की मोटी चमड़ी पर कोई असर नहीं हुआ। अगर प्रधानमंत्री या पात्र व्यक्ति ने इनके साथ यात्रा की है तो वह भी सरकारी धन का अपव्यय ही है। अगर अपात्र व्यक्ति ने यात्रा की है तो उसका भोगमान सरकार या तो राज्य या केंद्र ही भुगतेगी, यह भी सरकारी धन की होली ही माना जाएगा।
क्या यह सोनिया गांधी को शोभा देता है कि वे सरकारी धन पर एश करें? जबकि गरीब गुरबों की महारानी सोनिया गांधी विश्व की चौथी सबसे अमीर राजनेता हैं। कहते हैं कि सोनिया गांधी के पास इतना धन है कि वे चाहें तो देश के लाखों करोड़ों गरीबों को सालों तक बिठाकर खिला सकती हैं। बावजूद इसके सोनिया गांधी सरकारी धन को अपना निजी धन समझकर बेदर्दी से खर्च करने में भी गुरेज नहीं करती हैं।
लोगों को दिखाने के लिए मंदी के दौर में सोनिया गांधी द्वारा सादगी का शानदार प्रहसन किया गया। सोनिया ने दिल्ली से मुंबई की यात्रा विमान की इकानामी क्लास जिसे उनके सहयोगी और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कैटल क्लास यानी जानवरों का बाड़ा की संज्ञा दी थी में की। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सोनिया के पीछे दुम हिलाने वाले मीडिया ने सोनिया के इस कदम को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया पर किसी ने भी सोनिया या कांग्रेस से यह नहीं पूछा कि सोनिया केटल क्लास में बीस सीटों को खाली रखवाकर मुंबई गईं थीं, और किसी मीडिया ने इस बारे में ना तो जानने की जहमत उठाई ना ही लोगों को बताया कि आखिर मुंबई से दिल्ली की वापसी का सफर सोनिया ने कैसे तय किया।
इसी तरह कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी सादगी के प्रहसन में अपनी माता से पीछे नहीं रहे। राहुल गांधी ने भी उसी दौर में दिल्ली से चंडीगढ़ तक का सफर शताब्दी एक्सप्रेस से तय किया था। राहुल की शान में कशीदे गाड़ने के लिए मीडिया उनके आगे पीछे चिरौरी करता नजर आया। सभी ने राहुल के इस कदम को एतिहासिक करार दिया। किसी ने भी इस बात को रेखांकित करने का साहस नहीं जुटाया कि आखिर राहुल गांधी शताब्दी की पूरी बोगी बुक करके चडीगढ़ गए थे। बोगी बीच में थी इसलिए यात्री एक से दूसरे डब्बे में नहीं जा सके। इस बोगी को बुक करने में हुए खर्च का भोगमान किसने भोगा इस बारे में भी कोई नहीं जानता है।
यक्ष प्रश्न यह है कि कांग्रेस के सियासी बियावान में क्या किसी नेता के पास हेलीकाप्टर या विमान नहीं है? अगर हैं तो जनसेवा का दम्भ भरने वाले ये नेता आखिर अपने विमान या हेलीकाप्टर को सोनिया राहुल की सेवा में क्यों नही लागाते। चंदे को सार्वजनिक करने से डरने वाली कांग्रेस के अंदर क्या इतनी नैतिकता नहीं बची है कि वह निजी उड्डयन कंपनियों से विमान या चौपर किराए पर लेकर राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी या युवराज राहुल गांधी को हवाई सैर करवाते? क्या वायूसेना के उड़नखटोलों का उपयोग सोनिया और राहुल ने देश को अपनी ताकत दिखाने के लिए किया है? अब सबसे अहम बात यह है कि इस मामले में 53 ग्रेड की सीमेंट के मानिंद सैट होने वाले विपक्ष की भूमिका! अब देखना है कि विपक्ष इस मामले को कितनी गंभीरता और संजीदगी के साथ उठाता है? (साई फीचर्स)

. . . मतलब पुलिस चाहे तो कर सकती है तेजी से काम!


. . . मतलब पुलिस चाहे तो कर सकती है तेजी से काम!

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले में कल साकेत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। एक हजार से अधिक पन्नों के आरोप पत्र में १६ दिसम्बर को हुए इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ अपराधों और आरोपों का विस्तृत विवरण है।
इन आरोपियों पर हत्या, हत्या की  कोशिश, सामूहिक दुष्कर्म, अपहरण, डकैती और सबूत मिटाने के आरोप लगाये गये हैं। छठे अभियुक्त के खिलाफ अलग से आरोप पत्र दाखिल किया जायेगा। उसके बालिग या नाबालिग होने के बारे में पता लगाने के लिए उसकी हड्डियों का विश्लेषण किया जा रहा है। आरोप पत्र में कहा गया है कि डी. एन. ए. की रिपोर्ट से सभी छह अभियुक्तो के इस जघन्य अपराध में शामिल होने की पुष्टि हुई है।
दिल्ली में पुलिस की इस तत्परता के बाद समूचे देश में एक बात पर चर्चा आरंभ हो रही है कि पुलिस चाहे तो समय सीमा में अपना काम कर सकती है। पुलिस भी तब तक नहीं हिलती जब तक उसे हिलाया ना जाए। कहा जा रहा है कि अगर पुलिस इसी तरह मुस्तैदी के साथ काम करे तो लोगों में कानून का जो डर खत्म हुआ है वह वापस आ सकता है।
वहीं दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि समाज में महिलाओं के प्रति अपराधों में काफी बढ़ोतरी हुई है और इस पर अंकुश तभी लगाया जा सकता है जब अधिकारी महिलाओं की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों। न्यायालय ने कल एक निचली अदालत के उस आदेश को कड़ाई से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि पत्नी के साथ मार-पीट विवाहित जीवन का सामान्य हिस्सा है। न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता में न्यायालय की पीठ ने कहा कि संविधान और अन्य कानूनों से महिलाओं को संरक्षण का फायदा केवल तभी हो सकता है, जब न्याय प्रणाली की जिम्मेदारी निभाने वाले अधिकारी महिलाओं की समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील हों।
केंद्र सरकार भी इस मामले में अब संजीदा होती दिख रही है। गृह मंत्रालय ने आज नई दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराधों और अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों का सम्मेलन आयोजित किया है।
सम्मेलन में महिलाओं के प्रति अपराधों, इज्जत के नाम पर होने वाली हत्याओं, एसिड हमलों और पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा होगी। सम्मेलन को गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री कुमारी शैलजा और महिला तथा बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ के अलावा गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी संबोधित करेंगे।
गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी में हर थाने में दो महिला सब इंस्पेक्टर और सात महिला कांस्टेबल नियुक्त की जाएं। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कल नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस बारे में फाइल को मंजूरी दे दी है। शिन्दे ये भी कहा कि दिल्ली पुलिस जल्दी ही महिला सिपाहियों और अफसरों की भर्ती का विशेष अभियान चलाएगी और महिलाओं में विश्वास पैदा करने के लिए पुलिस थानों में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी तैनात करेगी।

ओवैसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज


ओवैसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज

(रितु सक्सेना)

हैदराबाद (साई)। आंध्र प्रदेश पुलिस ने मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन विधायक अकबरूद्दीन ओवैसी द्वारा कुछ दिन पहले एक संप्रदाय विशेष के प्रति भड़काऊ भाषण देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। राज्य के पुलिस महानिदेशक दिनेश रेड्डी ने हैदराबाद में कहा कि कल शाम निजामाबाद और आदिलाबाद जिलों में दो अलग-अलग एफ आई आर दर्ज की गई हैं, जहां विधायक ने पिछले महीने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए थे। ओवैसी को जांच अधिकारियों के सामने अपना बयान दर्ज कराने के लिए पेश होने के नोटिस जारी किए गए हैं।
वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने ओवैसी के भाषण को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक राजनीतिक नेता ने ऐसा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वे कहना चाहते है। कि देश की एकता और अखंडता बनाये रखने के लिए सांप्रदायिक सद्भाव बहुत जरूरी है। मामला अदालत में दर्ज करा दिया गया है और कोर्ट अपना निर्णय लेगा।

ठण्ड ने फिर दिखाए तीखे तेवर


ठण्ड ने फिर दिखाए तीखे तेवर

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली में ठंड हर दिन रेकॉर्ड तोड़ रही है। गुरुवार को पारा 43 साल का रेकॉर्ड तोड़ते हुए 4.4डिग्री तक लुढ़का, तो आज सुबह साढ़े पांच बजे पारा मौसम के सबसे निचले स्तर 2.7 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। आज का न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस कम है।
कल न्यूनतम तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 12.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। मौसम अधिकारियों ने अनुमान व्यक्त किया है कि कल भी इसी तरह का मौसम रहेगा और तापमान चार से लेकर 15 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहेगा। उधर, ठंड के साथ कोहरे की मार भी जारी है। कोहरे का असर ट्रेनों की आवाजाही पर भी पड़ा है। ट्रेनों और फ्लाइट्स का लेट होने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को भी दिल्ली आने-जाने वाली 12 ट्रेनें रद्द कर दी गईं, जबकि 26 ट्रेनें लेट हैं।
हलांकि सुबह दस बजे के लगभग सूर्यदेव ने अपनी झलक दिखला दी थी लेकिन संडे को देखना है कि वह भी बाहर आएंगे या अपने घर दुबके रहेंगे। बादल छा सकते हैं। मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विभाग का अनुमान है कि दोपहर में गुलाबी धूप और हवा की तेजी में कमी के कारण ठंड का कहर कुछ हद तक कम हो सकता है।
मौसम विभाग के सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि आने वाले तीन चार दिनों में अधिकतम तापमान भी 13-14 डिग्री तक बना रहने की संभावना है। आज सुबह हवा का रुख कल और परसों के मुकाबले कम तेज था। हवा की रफ्तार एक से चार किलोमीटर प्रति घंटे की बनती बिगड़ती रही। सुबह कल की तरह कोहरे का नामोनिशां दूर दूर तक नहीं था। विजिबिलिटी साफ थी।
वैसे कल सुबह बर्फीली हवाओं के बाद दोपहर बाद को जब सूर्य देव ने दर्शन दिए, तो तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सुबह के मुकाबले शीत लहर में कमी आई, लेकिन ठंडक बनी रही। इस ठंडक की परवाह न करते हुए लोग जरा सी धूप किसी तरह बदन को छू भर जाए, सी हसरत लिए बाहर सड़कों और पार्कों तक पहुंच गए। मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दो एक दिन तक इसी तरह का सिलसिला चलता रहेगा। कभी ठंडी हवा हौले हौले चलेगी तो कभी तेज झोंका देकर ठिठुरने को मजबूर कर देगी।
मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि, आज दिन भर आसमान साफ रहेगा। अधिकतम तापमान 13 डिग्री और दिन भर तक न्यूनतम 4 और 5 डिग्री सेल्सियस तक बना रहने की संभावना है। कल और परसों यही हाल रहेगा। विभाग ने चेतावनी दी है आने वाले कुछ घंटों में दिल्ली सहित, पंजाब, हरियाणा, वेस्ट उत्तर प्रदेश, नॉर्थ राजस्थान और नॉर्थ वेस्ट मध्य प्रदेश में पडऩे वाले कोहरे के कारण विजिबिलिटी 200 मीटर या कुछ कम रह सकती है। दो रातों में नॉर्थ राजस्थान, हरियाणा के कई इलाकों और वेस्ट उत्तर प्रदेश के आसपास के कुछ इलाकों जमीनी कोहरा परेशान कर सकता है।

छोटा पाकिस्तान और लादेन नगर है भारत गणराज्य में!


छोटा पाकिस्तान और लादेन नगर है भारत गणराज्य में!

(निधि नायक)

मुंबई (साई)। शिवसेना और मनसे का गढ़ माने जाने वाली मुंबई में छोटा पाकिस्तान और लादेन नगर है? जी हां, निजी तौर पर नहीं वरन् सरकारी रिकार्ड में दर्ज हैं ये दोनों नाम। इन दोनों नामों की बस्तियां अस्तित्व में हैं। मुंबई के नाला सोपारा की झुग्गियों के बिजली के बिल इसी नाम की कालोनी के आते हैं।
न सिर्फ दिए गए हैं बल्कि इन्हें आधिकारिक रूप से अपना भी लिया गया है। राज्य की पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी यानी महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन कम्पनी में इन बस्तियों को इसी नाम से जाना भी जाता है। एक निजी समाचार चेनल के मुताबिक यह मामला तब सामने आया जब आधार कार्ड के रजिस्ट्रेशन के लिए रेजिडेंस प्रूफ के तौर पर यहां के लोगों ने अपने बिजली के बिल जमा करवाए। 
इन इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। इलाके के लोग इस बात से आहत हैं कि उनका नाम पाकिस्तान और अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के साथ जोड़ा जा रहा है। बताया गया कि इस इलाके का असली नाम लक्ष्मी नगर है। 
स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद, किसी भी सरकारी अधिकारी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। उनका आरोप है कि इस घपले की जानकारी महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को थी लेकिन वहां के अधिकारियों ने इसे ऐसे ही जाने दिया। 
जब आगे जांच की गई तो सामने आया कि संतोष नगर और पश्चिमी एक्सप्रेस हाइवे के बीच की इस जगह पर कुछ समय पहले यहां के लोकल बिल्डर माफिया और पुलिस के बीच काफी टेंशन चल रही थी। उसी दौरान पुलिस ने इस इलाके का नाम छोटा पाकिस्तान रख दिया और यह नाम प्रचलन में आ गया। 

युवराज के राजतिलक को लेकर कांग्रेस दो फाड़!


युवराज के राजतिलक को लेकर कांग्रेस दो फाड़!

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के राजतिलक को लेकर कांग्रेस में अंदर ही अंदर सुगबुगाहट आरंभ हो गई है। 16 दिसंबर को एक अनाम बाला के साथ जघन्य बलात्कार फिर उसकी हत्या के मामले में राहुल गांधी की चुप्पी से भी कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग खासा नाराज है। कांग्रेस के अंदर इस बात को लेकर भी जमकर कोहराम मचा हुआ है कि देश में उस पीडिता को श्रृद्धांजली दी जा रही थी और कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता, पदाधिकारी, मंत्री ब्रितानी नए साल पर छुट्टियां मनाने विदेश यात्रा पर थे।
दिल्ली में दामिनी के साथ हुए गैंगरेप और उसकी मौत के बाद बदले हालात में राहुल गांधी की भूमिका को लेकर कांग्रेस खासी दुविधा में है। रणनीतिकार मंथन में लगे हैं कि अब उनको लेकर क्या किया जाये? इस कारण जयपुर चिंतन शिविर और कांग्रेस की बैठक को लेकर भी दुविधा है। जयपुर बैठक में राहुल की बड़ी जिम्मेदारी के साथ कांग्रेस की नयी टीम पर मुहर लगनी है। सूत्रों का कहना है कि राहुल के एक दो दिन में दिल्ली लौटने पर फैसला होगा कि करना क्या है?
कांग्रेस संगठन में लंबे समय से बदलाव लंबित है। चिंतिन शिविर और जयपुर में होनेवाली बैठक की घोषणा की बाद उम्मीद बढ़ी कि घोषणा जल्द होगी, लेकिन बदले हालात ने राहुल को लेकर दुविधा बढ़ा दी। संकट में बचते हैं बड़े राज्यों में हार व उसके बाद गैंगरेप कांड से उपजे हालात पार्टी राहुल के लिए शुभ नहीं मान रही है। राहुल यूं भी संकट के समय सामने आने से बचते रहे हैं। रेप कांड में भी उनकी चर्चा एक दो मौकों पर हुई।
पीड़िता की मौत के बाद पार्टी ने उनका बयान जारी कर रस्म ही निभायी। यह स्थिति तब है, जब पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव अभियान समिति का मुखिया बनाया है। पार्टी दुविधा में है कि पुरानी टीम के साथ एआइसीसी की बैठक का मतलब नहीं होता है। वहीं,कांग्रेस पार्टी में बदलाव होता है और राहुल को जिम्मेदारी नहीं दी जाती है तो कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा।
इधर, द्रमुक द्वारा पी चिदंबरम को पीएम पद का संभाव्य उम्मीदवार बताये जाने के मद्देनजर कांग्रेस ने कहा है कि राहुल गांधी सहित कांग्रेस आलाकमान पार्टी के अगले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का निर्णय करेगा। पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि पार्टी में पीएम बनने योग्य अनेक नेता हैं लेकिन फैसला नविनयुक्त सांसदों और कांग्रेस आलाकमान द्वारा किया जायेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राहुल गांधी के राजतिलक के लिए यह वक्त इसलिए माकूल नहीं है क्योंकि दिल्ली गैंगरेप में केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार का रवैया लोगों को भड़काने वाला ही रहा है, एवं दोनों जगह ही कांग्रेस है। इसके साथ ही साथ राहुल गांधी भी पीडिता वाले मामले में मौन ही रहे हैं।

शासकीय सेवकों की विभागीय परीक्षा ७ जनवरी से


शासकीय सेवकों की विभागीय परीक्षा ७ जनवरी से

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। प्रदेश के सभी शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की विभागीय परीक्षायें ७ जनवरी से प्रारंभ होगी। यह परीक्षायें १५ जनवरी तक चलेंगी। ये विभागीय परीक्षायें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उश्जैन, रींवा, सागर, नर्मदापुरम् होशंगाबाद एवं शहडोल संभागीय मुख्यालयों में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होगी। इन विभागीय परीक्षाओं में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों को उत्तीर्ण होने के लिये जरूरी पाङ्क्षसग मार्कस में १० प्रतिशत अंकों तक छूट दी जायेगी।

अनुसूचित वर्ग के छात्रों हेतु कैरियर गाइडेंस शिविर


अनुसूचित वर्ग के छात्रों हेतु कैरियर गाइडेंस शिविर

(शिवेश नामदेव)

नई दिल्ली (साई)। जिले के अनुसूचित जाति, जनजाति छात्र-छात्राओं को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति वितरण एवं विभागीय योजनाओं की जानकारी व कैरियर गाईडेंस के लिये जागृति शिविर आयोजित किये जायेंगे। ये शिविर जिले के सभी विकासखंडों में लगाये जायेंगे। जो निर्धारित तिथियों में नियमित रूप से प्रातरू १०.३० बजे से प्रारंभ होकर शाम ५.३० बजे तक चलेंगे। 
कलेक्टर अजीत कुमार ने जिले के सभी शासकीय व अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्याे सहित प्राचार्य, पॉलीटेक्निक कालेज, जिले की समस्त शासकीय/अशासकीय उश्चतर माध्यमिक शालाओं के प्राचार्याे एवं आई.टी.आई. प्राचार्याे को पत्र प्रेषित कर कहा है कि वे इन शिविरों में पो.मैट्रिक छात्रवृत्ति के शत-प्रतिशत भुगतान, कैरियर गाईडेंस के लिये अनु.जाति, जनजाति के पात्र छात्र-छात्राओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण, प्रतियोगी परीक्षाओं की कोङ्क्षचग के लिये चयन प्रक्रिया की जानकारी विषय विशेषज्ञों के माध्यम से दें, साथ ही साथ प्रशिक्षण एवं रोजगार प्रदायकर्ता संस्थाओं को भी इन जागृति शिविरों में आमंत्रित करें। कलेक्टर ने विकासखंड मुख्यालयों में इन जागृति शिविरों के आयोजन की तिथियां भी निर्धारित कर दी है। इसके अनुसार ये जागृति शिविर कुरई जनपद में १६ जनवरी को उत्कृष्ट विद्यालय कुरई में, छपारा जनपद में १८ जनवरी को उत्कृष्ट विद्यालय छपारा में, सिवनी जनपद में १९ जनवरी को कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सिवनी के उपर हॉल में, लखनादौन जनपद में २२ जनवरी को उत्कृष्ट विद्यालय लखनादौन में, केवलारी जनपद में २३ जनवरी को उत्कृष्ट विद्यालय केवलारी में, बरघाट जनपद में २४ जनवरी को उत्कृष्ट विद्यालय बरघाट में, धनौरा जनपद में २९ जनवरी को उत्कृष्ट विद्यालय धनौरा में तथा घंसौर जनपद में ३० जनवरी को जनपद सभाकक्ष घंसौर में आयोजित होंगे। इन जागृति शिविरों में संबंधित विकासखंड क्षेत्र में स्थापित सभी महाविद्यालय एवं उश्चतर माध्यमिक शालायें शामिल होंगी। इन जागृति शिविरों के लिये विकासखंड अधिकारियों व क्षेत्र संयोजकों को शिविर प्रभारी बनाया गया है। उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्याे को इन जागृति शिविरों के आयोजन के लिये शिविर प्रभारियों का सहयोगी बनाया गया है। कलेक्टर ने उक्त सभी प्राचार्याे से कहा है कि वे अपनी संस्थाओं के अनुसूचित वर्ग के अधिक से अधिक विद्याघ्थयों, बेरोजगार युवाओं को इन शिविरों से जोडें और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी इन शिविरों में उपस्थित होने के लिये कहें। साथ ही इन शिविरों में आवश्यक जानकारी के साथ स्वंय भी उपस्थित रहे। कलेक्टर ने विकासखंड अधिकारियों एवं क्षेत्रीय मंडल संयोजकों को भी निर्देशित किया है कि वे शिविर दिनांकों एवं स्थलों पर आवश्यक व्यवस्थायें करें।

पुलिस आयुक्त के इस्तीफे की मांग पर हिन्दू महासभा ने किया पुलिस मुख्यालय पर प्रचण्ड प्रदर्शन


पुलिस आयुक्त के इस्तीफे की मांग पर हिन्दू महासभा ने किया पुलिस मुख्यालय पर प्रचण्ड प्रदर्शन

(सुमित माहेश्वरी)

नई दिल्ली (साई)। पुलिस आयुक्त नीरज कुमार से इस्तीफा मांगते हुये अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र के सान्निध्य और दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पुलिस मुख्यालय पर प्रचण्ड प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी दोपहर एक बजे पुलिस मुख्यालय पर एकत्र हुये और रविन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में जमकर नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुये रविन्द्र द्विवेदी ने कहा कि दामिनी बलात्कार काण्ड के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं पर पुलिस का बर्बर अत्याचार और दिल्ली को देश का बलात्कार के मामले में अव्वल राज्य घोषित करना बेहद शर्मनाक है। दिल्ली में कानून व्यवस्था चरमरा गयी है जिसके लिये पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है। इस जिम्मेदारी के आधार पर उन्होने पुलिस आयुक्त नीरज कुमार से इस्तीफा मांगा।
रविन्द्र द्विवेदी ने थाना सराय रोहिल्ला पर न्यायिक आदेश की अवमानना करने का आरोप लगया और दोषी पुलिसकर्मियों को दण्डित करने की मांग की। उन्होने कहा कि तीस हजारी न्यायालय और कड़कड़डूमा न्यायालय से तीन बार अभियुक्त दिनेश कुमार को गिरफ्तार करने का न्यायिक आदेश जारी हुआ जिसका पालन करने में स्थानीय पुलिस असफल रही, जो न्याय की हत्या है। उन्होने कहा कि पुलिस अभियुक्त दिनेश कुमार को बचाने में अपनी वर्दी की ताकत का इस्तेमाल कर रही है। उन्होने अभियुक्त दिनेश कुमार को तत्काल गिरफ्तार कर उसकी पत्नी सुधा कुमारी को न्याय दिलाने की मांग की।
हिन्दू महासभा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील मिश्र ने अपने संबोधन में बुराड़ी थाना का मामला उठाते हुये कहा कि जनवरी 2010 से लापता ममता और उसके परिवार का पता लगाने और एफआईआर दर्ज करने से संबंधित कई बार ज्ञापन दिया गया। पुलिस एफआईआर दर्ज नही कर रही और न ही लापता परिवार की तलाश करने में रूचि ले रही है। उन्होने तत्काल मामले की एफआईआर दर्ज कर ममता और उसके परिवार का पता लगाने की मांग की।
 प्रदर्शनकारियों को हिन्दू महासभा उत्तर भारत के विधि परामर्शदाता अधिवक्ता संजया शर्मा, दिल्ली प्रदेश के प्रभारी स्वामी जयनाथ औघड़वीर, वरिष्ठ प्रदेश महामंत्री रोहित राघव, प्रदेश महामंत्री दर्शन शेर सिंह भल्ला, प्रदेश संगठन मंत्री अधिवक्ता संजय चौधरी, हिन्दू स्वराज्य सेना के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रविन्द्र भाटी, ऑल इण्डिया क्राइम हाई लाइटिंग एण्ड सोशल वेलफेयर आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष अधिवक्ता शिव कुमार खिच्ची, जनता की आवाज के अध्यक्ष कवि श्याम बनारसी सहित अनेंक वक्ताओं ने संबोधित किया और थाना सराय रोहिल्ला के प्रभारी को बर्खास्त करने और पुलिस आयुक्त से इस्तीफे की मांग की आवाज बुलंद की।
प्रदर्शनकारियों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री पं0 नंद किशोर मिश्र के नेतृत्व में पुलिस मुख्यालय को अपनी मांगों का ज्ञापन दिया। ज्ञापन में उपरोक्त मांगों के अलावा थाना तिमारपुर पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न रोकने और महासभा नेता कन्हैया लाल राय और मदन लाल गुप्ता पर बनाये फर्जी मामले वापस लेने तथा थाना बिंदापुर के हेड कांस्टेबल  महेंद्र के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की गयी। प्रतिनिधि मंडल में अधिवक्ता संजया शर्मा, जयनाथ औघड़ वीर, अधिवक्ता संजय चौधरी और श्रीमती सुधा कुमारी शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने पुलिस मुख्यालय को चेतावनी देते हुये कहा कि एक सप्ताह में समस्त मांगे नही मानी जाती तो हिन्दू महासभा अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन तेज करेगी।
प्रदर्शन में हिन्दू संत सभा के प्रचारक बाबा विजय बहादुर सिंह सेगर, रमेश बाल्मीकि, श्रीमती गुरमीत कौर, श्रीमती सुधा कुमारी, उ0प्र0 हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता ओंकार नाथ उपाध्याय सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं और महिलाओं ने हिस्सा लिया।

सर्दी में पानी की किल्लत से जूझ रहे क्योड़क वासी


सर्दी में पानी की किल्लत से जूझ रहे क्योड़क वासी

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। कड़ाके की सर्दी में भी गांव क्योड़क में लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। पानी की समस्या व गांव की गलियों में लगे गंदगी के ढेरों से परेशान वाल्मीकि समुदाय के लोग कई बार सरपंच से शिकायत कर चुके है, लेकिन उनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। गांव वासी प्रदीप क्योड़क, दीपक सिंगला, सुनील रोहिला, जस्सा सरदार, अमरीक सरदार, ओमा प्रजापत, पाला कुम्हार, मोहनलाल रोहिला, रोहित तंवर, बाला देवी, कमलेश देवी, शांति देवी, गुड्डी देवी, गीता रानी आदि ने बताया कि बस्ती में पानी की किल्लत के चलते महिलाओं को दिनचर्या के कामों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पानी की समस्या को दूर करवाने की मांग को लेकर वह मंत्री रणदीप सुरजेवाला सहित कई अधिकारियों के चक्कर काट चुके हैं, परंतु उन्हें मात्र आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। क्योड़क वासी बलविंद्र कौर, रघुबीर ङ्क्षसह, गुरमीत कौर, निर्मला देवी, फूलकली, राजेश, शांति देवी आदि ने प्रशासन से उनकी पानी की किल्लत की समस्या व गंदगी की सफाई करवाने की मांग की है।

सर्दी में पानी की किल्लत से जूझ रहे क्योड़क वासी


सर्दी में पानी की किल्लत से जूझ रहे क्योड़क वासी

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। कड़ाके की सर्दी में भी गांव क्योड़क में लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। पानी की समस्या व गांव की गलियों में लगे गंदगी के ढेरों से परेशान वाल्मीकि समुदाय के लोग कई बार सरपंच से शिकायत कर चुके है, लेकिन उनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। गांव वासी प्रदीप क्योड़क, दीपक सिंगला, सुनील रोहिला, जस्सा सरदार, अमरीक सरदार, ओमा प्रजापत, पाला कुम्हार, मोहनलाल रोहिला, रोहित तंवर, बाला देवी, कमलेश देवी, शांति देवी, गुड्डी देवी, गीता रानी आदि ने बताया कि बस्ती में पानी की किल्लत के चलते महिलाओं को दिनचर्या के कामों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पानी की समस्या को दूर करवाने की मांग को लेकर वह मंत्री रणदीप सुरजेवाला सहित कई अधिकारियों के चक्कर काट चुके हैं, परंतु उन्हें मात्र आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। क्योड़क वासी बलविंद्र कौर, रघुबीर ङ्क्षसह, गुरमीत कौर, निर्मला देवी, फूलकली, राजेश, शांति देवी आदि ने प्रशासन से उनकी पानी की किल्लत की समस्या व गंदगी की सफाई करवाने की मांग की है।

इक्कीसवीं सदी अभी कोसों दूर है भारत गणराज्य में


इक्कीसवीं सदी अभी कोसों दूर है भारत गणराज्य में

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य की स्थापना को 63 साल पूरे होने को हैं पर आज भी हुक्मरान इस बात को दावे के साथ नहीं कह पा रहे हैं कि भारत गणराज्य इक्कीसवीं सदी में पहुंच गया है। आज संचार क्रांति का युग आ चुका है। इंटरनेट और कंप्यूटर फ्रेंडली हो चुकी है युवा पीढ़ी। देश की सरकारें पेपरलेस काम को बढ़ावा दे रही हैं। इस सबके बाद भी देश के लगभग दस फीसदी जिलों की अपनी वेब साईट ही नहीं है। एक अनुमान के अनुसार देश में साठ से ज्यादा जिलों की वेब साईट ही नहीं है। जिनकी वेब साईट हैं वहां एक निश्चित सैट फारमेट के अभाव में जिलाधिकारियों की मनमानी के हिसाब से चल रही हैं उनकी वेब साईट। अनेक जिलों की वेब साईट तो हैं पर वे अपडेट ही नहीं होती। इस तरह जिलों की जानकारियां बासी पुरानी ही परोसी जा रही हैं इंटरनेट पर।

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भविष्यदृष्टा की अघोषित उपाधि पाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सबसे पहले इक्कीसवीं सदी में जाने की परिकल्पना कर लोगों को अत्याधुनिक उपकरणों आदि के बारे में सपने दिखाए थे। आज वास्तव में उनकी कल्पनाएं साकार होती दिख रही हैं। विडम्बना यह है कि स्व।राजीव गांधी की अर्धांग्नी पिछले डेढ दशक से अधिक समय से कांग्रेस की कमान संभाले हुए हैं किन्तु कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ही आज इक्कीसवीं सदी में नहीं पहुंच सकी है।
आधुनिकता के इस युग में जब कम्पयूटर और तकनालाजी का जादू सर चढकर बोल रहा है, तब भारत गणराज्य भी इससे पीछे नहीं है। भारत में आज कंप्यूटर इंटरनेट का बोलबाला हर जगह दिखाई पड जाता है। जिला मुख्यालयों में भले ही बिजली कम ही घंटों के लिए आती हो पर हर एक जगह इंटरनेट पार्लर की धूम देखते ही बनती है। शनिवार, रविवार और अवकाश के दिनों में इंटरनेट पार्लर्स पर जो भीड उमडती है, वह जाहिर करती है कि देशवासी वास्तव में इंफरमेशन तकनालाजी से कितने रूबरू हो चुके हैं।
भारत गणराज्य की सरकार द्वारा जब भी ई गवर्नंसकी बात की जाती है तो हमेशा एक ही ख्वाब दिखाया जाता है कि ‘‘अब हर जानकारी महज एक क्लिक पर‘‘, किन्तु इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। कुछ समय पहले तक देश के कुल 626 जिलों में से 565 जिलों की अपनी वेव साईट है, आज भी 61 जिले एसे हैं जिनके पास उनकी आधिकारिक वेव साईट ही नहीं है। भारत में अगर किसी जिले के बारे में कोई जानकारी निकालना हो तो इंटरनेट पर खंगालते रहिए, जानकारी आपको मिलेगी, पर आधिकारिक तौर पर कतई नहीं, क्योंकि वेव साईट अपडेट ही नहीं होती है।
ई गवर्नंस के मामले में सबसे खराब स्थिति बिहार की है। बिहार के 38 जिलों में से महज 6 जिलों की ही आधिकारिक वेव साईट है, जबकि यहां के मुख्यमंत्री नितीश कुमार खुद ही अपने ब्लाग पर लोगो से रूबरू होते हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश के 23 में से 19, असम के 27 में से 24, छत्तीसगढ के 18 में से 16, झारखण्ड के 24 में से 20, कर्नाटक के 28 में से 27, मध्य प्रदेश के 50 में से 49, मिजोरम में 8 में पांच, पंजाब में 20 में 18 और तमिलनाडू के 31 में से 30 जिलों की अपनी वेव साईट है।
भारत गणराज्य के जिलों में आधिकारिक वेव साईट के मामले में सबसे दुखदायी पहलू यह है कि केंद्र सरकार के डंडे के कारण वेव साईट तो बना दी गई हैं, किन्तु इन्हें अद्यतन अर्थात अपडेट करने की फुर्सत किसी को नहीं है। जिलों में बैठे अप्रशिक्षित कर्मचारियों के हाथों में इन वेव साईट्स को अपडेट करने का काम सौंपा गया है, जिससे सब ओर अपनी ढपली अपना राग का मुहावरा ही चरितार्थ होता नजर आ रहा है।
वस्तुतः समूचा मामला ही केंद्रीय मंत्रालयों के बीच अहं की लडाई का है। अदूरदर्शिता के चलते सारा का सारा गडबडझाला सामने आने लगा है। जब नेशनल इंफरमैटिक संेटर (एनआईसी) का गठन ही कंप्यूटर इंटरनेट आधारित प्रशासन को चलाने के लिए किया गया है तब फिर इस तरह का घलमेल क्यों? एनआईसी का कहना है कि उसका काम मूलतः किसी मंत्रालय या जिले की अथारिटी के मशविरे के आधार पर ही वेव साईट डिजाईन करने का है। इसे अद्यतन करने की जवाबदारी एनआईसी की नहीं है।
देखा जाए तो एनआईसी के जिम्मे ही वेव साईट को अपडेट किया जाना चाहिए। जब देश के हर जिले में एनआईसी का एक कार्यालय स्थापित है तब जिले की वेव साईट पर ताजा तरीन जानकारियां एनआईसी ही करीने से अपडेट कर सकता है। चूंकि इंटरनेट  और कम्पयूटर के मामले में जिलों में बहुत ज्यादा प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती नहीं है इसलिए या तो ये अपनी अपनी वेव साईट अपडेट नहीं कर पाते हैं, या फिर तकनीक की जानकारी के अभाव के चलते करने से कतराते ही हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में गौतम बुद्ध नगर पूर्व में (नोएडा) में न्यू का एक साईन लिए टेंडर नोटिस लगा हुआ है, जिसमें 2008 का एक टेंडर जो 2009 में जारी कर दिया गया है आज भी विद्यमान है। इसी तरह अनेक जिलों की वेव साईट में भी सालों पुरानी जानकारियां आज भी लगी हुई हैं।
इसके अलावा एक और समस्या मुख्य तौर पर लोगों के सामने आ रही है। हर जिले की वेव साईट अलग अलग स्वरूप या फार्मेट में होने से भी लोगों को जानकारियां लेने में नाकों चने चबाने पड जाते हैं। फार्मेट अलग अलग होने से लोगों को जानकारियां जुटा पाना दुष्कर ही प्रतीत होता है। अगर शिक्षा पर ही जानकारियां जुटाना चाहा जाए तो अलग अलग जिलों में प्रदेश के शिक्षा बोर्ड और कंेद्रीय शिक्षा बोर्ड के अधीन कितने स्कूल संचालित हो रहे हैं, उनमें कितने शिक्षक हैं, कितने छात्र छात्राएं हैं, यह जानकारी ही पूरी तरीके से उपलब्ध नहीं हो पाती है।
दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू काश्मीर, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, उडीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल आदि सूबों में शत प्रति जिलों की अपनी वेव साईट हैं, पर यह कोई नहीं बात सकता है कि ये कब अद्यतन की गई हैं। लचर व्यवस्था के चलते सरकारी ढर्रे पर चलने वाली इन वेव साईट्स से मिलने वाली आधी अधूरी और पुरानी जानकारी के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति निर्मित होना आम बात है।
देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस जिसने देश पर आधी सदी से अधिक तक राज किया है को चाहिए कि देश भर के समस्त जिलों, संभागों की आधिकारिक वेव साईट को एक सेट फार्मेट में बनाए, और इसको अपडेट करने की जवाबदारी एनआईसी के कांधों पर डालें क्योंकि इंफरमेशन टेक्नालाजी के मामले में एनआईसी के बंदे ही महारथ हासिल रखते हैं। इसके साथ ही साथ केंद्र सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ये वेव साईट समय समय पर अपडेट अवश्य हों, इसके लिए जवाबदेही तय करना अत्यावश्यक ही है, वरना आने वाले समय में लोग कांग्रेस के भविष्य दृष्टा स्व।राजीव गांधी के बाद वाली नेहरू गांधी परिवार की पीढी को बहुत इज्जत, सम्मान और आदर की नजर से देखेंगे इस बात में संदेह ही है। (साई फीचर्स)

इक्कीसवीं सदी अभी कोसों दूर है भारत गणराज्य में


इक्कीसवीं सदी अभी कोसों दूर है भारत गणराज्य में

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य की स्थापना को 63 साल पूरे होने को हैं पर आज भी हुक्मरान इस बात को दावे के साथ नहीं कह पा रहे हैं कि भारत गणराज्य इक्कीसवीं सदी में पहुंच गया है। आज संचार क्रांति का युग आ चुका है। इंटरनेट और कंप्यूटर फ्रेंडली हो चुकी है युवा पीढ़ी। देश की सरकारें पेपरलेस काम को बढ़ावा दे रही हैं। इस सबके बाद भी देश के लगभग दस फीसदी जिलों की अपनी वेब साईट ही नहीं है। एक अनुमान के अनुसार देश में साठ से ज्यादा जिलों की वेब साईट ही नहीं है। जिनकी वेब साईट हैं वहां एक निश्चित सैट फारमेट के अभाव में जिलाधिकारियों की मनमानी के हिसाब से चल रही हैं उनकी वेब साईट। अनेक जिलों की वेब साईट तो हैं पर वे अपडेट ही नहीं होती। इस तरह जिलों की जानकारियां बासी पुरानी ही परोसी जा रही हैं इंटरनेट पर।

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भविष्यदृष्टा की अघोषित उपाधि पाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सबसे पहले इक्कीसवीं सदी में जाने की परिकल्पना कर लोगों को अत्याधुनिक उपकरणों आदि के बारे में सपने दिखाए थे। आज वास्तव में उनकी कल्पनाएं साकार होती दिख रही हैं। विडम्बना यह है कि स्व।राजीव गांधी की अर्धांग्नी पिछले डेढ दशक से अधिक समय से कांग्रेस की कमान संभाले हुए हैं किन्तु कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ही आज इक्कीसवीं सदी में नहीं पहुंच सकी है।
आधुनिकता के इस युग में जब कम्पयूटर और तकनालाजी का जादू सर चढकर बोल रहा है, तब भारत गणराज्य भी इससे पीछे नहीं है। भारत में आज कंप्यूटर इंटरनेट का बोलबाला हर जगह दिखाई पड जाता है। जिला मुख्यालयों में भले ही बिजली कम ही घंटों के लिए आती हो पर हर एक जगह इंटरनेट पार्लर की धूम देखते ही बनती है। शनिवार, रविवार और अवकाश के दिनों में इंटरनेट पार्लर्स पर जो भीड उमडती है, वह जाहिर करती है कि देशवासी वास्तव में इंफरमेशन तकनालाजी से कितने रूबरू हो चुके हैं।
भारत गणराज्य की सरकार द्वारा जब भी ई गवर्नंसकी बात की जाती है तो हमेशा एक ही ख्वाब दिखाया जाता है कि ‘‘अब हर जानकारी महज एक क्लिक पर‘‘, किन्तु इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। कुछ समय पहले तक देश के कुल 626 जिलों में से 565 जिलों की अपनी वेव साईट है, आज भी 61 जिले एसे हैं जिनके पास उनकी आधिकारिक वेव साईट ही नहीं है। भारत में अगर किसी जिले के बारे में कोई जानकारी निकालना हो तो इंटरनेट पर खंगालते रहिए, जानकारी आपको मिलेगी, पर आधिकारिक तौर पर कतई नहीं, क्योंकि वेव साईट अपडेट ही नहीं होती है।
ई गवर्नंस के मामले में सबसे खराब स्थिति बिहार की है। बिहार के 38 जिलों में से महज 6 जिलों की ही आधिकारिक वेव साईट है, जबकि यहां के मुख्यमंत्री नितीश कुमार खुद ही अपने ब्लाग पर लोगो से रूबरू होते हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश के 23 में से 19, असम के 27 में से 24, छत्तीसगढ के 18 में से 16, झारखण्ड के 24 में से 20, कर्नाटक के 28 में से 27, मध्य प्रदेश के 50 में से 49, मिजोरम में 8 में पांच, पंजाब में 20 में 18 और तमिलनाडू के 31 में से 30 जिलों की अपनी वेव साईट है।
भारत गणराज्य के जिलों में आधिकारिक वेव साईट के मामले में सबसे दुखदायी पहलू यह है कि केंद्र सरकार के डंडे के कारण वेव साईट तो बना दी गई हैं, किन्तु इन्हें अद्यतन अर्थात अपडेट करने की फुर्सत किसी को नहीं है। जिलों में बैठे अप्रशिक्षित कर्मचारियों के हाथों में इन वेव साईट्स को अपडेट करने का काम सौंपा गया है, जिससे सब ओर अपनी ढपली अपना राग का मुहावरा ही चरितार्थ होता नजर आ रहा है।
वस्तुतः समूचा मामला ही केंद्रीय मंत्रालयों के बीच अहं की लडाई का है। अदूरदर्शिता के चलते सारा का सारा गडबडझाला सामने आने लगा है। जब नेशनल इंफरमैटिक संेटर (एनआईसी) का गठन ही कंप्यूटर इंटरनेट आधारित प्रशासन को चलाने के लिए किया गया है तब फिर इस तरह का घलमेल क्यों? एनआईसी का कहना है कि उसका काम मूलतः किसी मंत्रालय या जिले की अथारिटी के मशविरे के आधार पर ही वेव साईट डिजाईन करने का है। इसे अद्यतन करने की जवाबदारी एनआईसी की नहीं है।
देखा जाए तो एनआईसी के जिम्मे ही वेव साईट को अपडेट किया जाना चाहिए। जब देश के हर जिले में एनआईसी का एक कार्यालय स्थापित है तब जिले की वेव साईट पर ताजा तरीन जानकारियां एनआईसी ही करीने से अपडेट कर सकता है। चूंकि इंटरनेट  और कम्पयूटर के मामले में जिलों में बहुत ज्यादा प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती नहीं है इसलिए या तो ये अपनी अपनी वेव साईट अपडेट नहीं कर पाते हैं, या फिर तकनीक की जानकारी के अभाव के चलते करने से कतराते ही हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में गौतम बुद्ध नगर पूर्व में (नोएडा) में न्यू का एक साईन लिए टेंडर नोटिस लगा हुआ है, जिसमें 2008 का एक टेंडर जो 2009 में जारी कर दिया गया है आज भी विद्यमान है। इसी तरह अनेक जिलों की वेव साईट में भी सालों पुरानी जानकारियां आज भी लगी हुई हैं।
इसके अलावा एक और समस्या मुख्य तौर पर लोगों के सामने आ रही है। हर जिले की वेव साईट अलग अलग स्वरूप या फार्मेट में होने से भी लोगों को जानकारियां लेने में नाकों चने चबाने पड जाते हैं। फार्मेट अलग अलग होने से लोगों को जानकारियां जुटा पाना दुष्कर ही प्रतीत होता है। अगर शिक्षा पर ही जानकारियां जुटाना चाहा जाए तो अलग अलग जिलों में प्रदेश के शिक्षा बोर्ड और कंेद्रीय शिक्षा बोर्ड के अधीन कितने स्कूल संचालित हो रहे हैं, उनमें कितने शिक्षक हैं, कितने छात्र छात्राएं हैं, यह जानकारी ही पूरी तरीके से उपलब्ध नहीं हो पाती है।
दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू काश्मीर, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, उडीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल आदि सूबों में शत प्रति जिलों की अपनी वेव साईट हैं, पर यह कोई नहीं बात सकता है कि ये कब अद्यतन की गई हैं। लचर व्यवस्था के चलते सरकारी ढर्रे पर चलने वाली इन वेव साईट्स से मिलने वाली आधी अधूरी और पुरानी जानकारी के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति निर्मित होना आम बात है।
देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस जिसने देश पर आधी सदी से अधिक तक राज किया है को चाहिए कि देश भर के समस्त जिलों, संभागों की आधिकारिक वेव साईट को एक सेट फार्मेट में बनाए, और इसको अपडेट करने की जवाबदारी एनआईसी के कांधों पर डालें क्योंकि इंफरमेशन टेक्नालाजी के मामले में एनआईसी के बंदे ही महारथ हासिल रखते हैं। इसके साथ ही साथ केंद्र सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ये वेव साईट समय समय पर अपडेट अवश्य हों, इसके लिए जवाबदेही तय करना अत्यावश्यक ही है, वरना आने वाले समय में लोग कांग्रेस के भविष्य दृष्टा स्व।राजीव गांधी के बाद वाली नेहरू गांधी परिवार की पीढी को बहुत इज्जत, सम्मान और आदर की नजर से देखेंगे इस बात में संदेह ही है। (साई फीचर्स)

सरकार के बजाए संगठन की सेवा से उपकृत हो रहे सेवानिवृत अधिकारी


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 36

सरकार के बजाए संगठन की सेवा से उपकृत हो रहे सेवानिवृत अधिकारी

(विनय डेविड)

भोपाल (साई)। अंततः वही हुआ जिसकी आशंका एक साल पहले जताई जा रही थी। मध्य प्रदेश जनसंपर्क के एक अधिकारी को संगठन की सेवा करने के एवज में 51 हजार रूपए प्रतिमाह का पारितोषक दिया जा रहा है। दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश राज्य के सूचना केंद्र से सेवानिवृत हुए संयुक्त संचालक सुरेंद्र कुमार द्विवेदी जनसंपर्क विभाग ने पुर्ननियुक्ति प्रदान कर दी है।
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार की छवि चमकाने के बजाए भाजपा संगठन और विशेषकर मध्य प्रदेश भाजपा के निजाम प्रभात झा की चाकरी में ज्यादा समय बिताने वाले अधिकारियों को उपकृत करने की कवायद की जा रही थी।
गौरतलब है कि देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के मंहगे व्यवसायिक इलाके कनाट सर्कस के बाबा खड़क सिंह मार्ग पर  स्थित मध्य प्रदेश सरकार के सूचना केंद्र के प्रभारी रहे सुरेंद्र कुमार द्विवेदी के कार्यकाल में सूचना केंद्र पर अघोषित तौर पर भाजपा कार्यालय बनने के आरोप मीडिया में जब तब लगते रहे हैं। कहा जाता है कि दिल्ली में मध्य प्रदेश बीट कव्हर करने वाले पत्रकारों को सूचना केंद्र द्वारा सुविधाएं सहूलियत देने के बजाए भाजपा के सांसद और विधायकों पर अपना ध्यान केंद्रित रखा गया था।
आरोप तो यहां तक भी हैं कि मध्य प्रदेश सरकार से अपात्र लोगों को अधिमान्यता की अनुशंसा भी सूचना केंद्र के तत्कालीन प्रभारी सुरेंद्र कुमार द्विवेदी द्वारा की गई है। चर्चा है कि चहेतों को रेवड़ी बांटने के चक्कर में सूचना केंद्र प्रभारी द्विवेदी द्वारा अपात्र लोगों को मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग से अधिमान्यता करवा दी गई। वहीं दूसरी ओर असल और पात्र मीडिया कर्मियों की अधिमान्यता के बारे में द्विवेदी ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
श्री द्विवेदी के कार्यकाल में दिल्ली में मध्य प्रदेश बीट कव्हर करने वाले पत्रकार उस वक्त हैरान रह जाते जब किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की पत्रकार वार्ता की सूचना उन्हें दूसरे दिन समाचार पत्रों के माध्यम से उनके जाने के उपरांत मिलती। कहा जाता है कि भाजपा मानसिकता वाले मीडिया कर्मियों को ही सूचना केंद्र द्वारा पूरी तवज्जो, सहूलियत और सुविधाएं प्रदान की जाती रही हैं।
चर्चाएं तो यहां तक हैं कि द्विवेदी के कार्यकाल में मध्य प्रदेश सूचना केंद्र द्वारा मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की छवि निखारने, सरकार की योजनाओं की जानकारी देने के बजाए इसे अघोषित तौर पर भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों के क्रिया कलापों के प्रचार प्रसार का अड्डा बना दिया गया था।
मध्य प्रदेश जनसंपर्क संचालनालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सेवानिवृति के उपरांत सुरेंद्र कुमार द्विवेदी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर ली गई हैं, एवं उन्हें इक्यावन हजार रूपए प्रतिमाह भी प्रदान किया जा रहा है। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि जनसंपर्क विभाग की जिला इकाईयों में सहायक जनसंपर्क अधिकारी का काम सूचना सहायक संभाल रहे हैं, वहां कर्मचारियों को तैनात करने के बजाए सेवानिवृत एक वरिष्ठ अधिकारी जिन्हें खासी पेंशन भी मिल रही है को इक्यावन हजार में फिर से विभाग में छः माह के लिए तैनात कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि उक्त अधिकारी का कार्यक्षेत्र क्या है? ये क्या काम कर रहे हैं? इन्हें क्या जवाबदारी दी गई है? इनका कक्ष कौन सा है? ये बातें या तो उक्त अधिकारी ही जानते हैं या फिर जनसंपर्क विभाग के आयुक्त राकेश श्रीवास्तव। पर यह सच है कि लगभग एक साल पहले इस आशंका को मीडिया में व्यक्त किया गया था कि सरकार के बजाए संगठन की सेवा करने वाले अधिकारियों को जनसंपर्क विभाग में सेवानिवृति के उपरांत उपकृत किया जा सकता है।