शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

. . . मतलब पुलिस चाहे तो कर सकती है तेजी से काम!


. . . मतलब पुलिस चाहे तो कर सकती है तेजी से काम!

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले में कल साकेत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। एक हजार से अधिक पन्नों के आरोप पत्र में १६ दिसम्बर को हुए इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ अपराधों और आरोपों का विस्तृत विवरण है।
इन आरोपियों पर हत्या, हत्या की  कोशिश, सामूहिक दुष्कर्म, अपहरण, डकैती और सबूत मिटाने के आरोप लगाये गये हैं। छठे अभियुक्त के खिलाफ अलग से आरोप पत्र दाखिल किया जायेगा। उसके बालिग या नाबालिग होने के बारे में पता लगाने के लिए उसकी हड्डियों का विश्लेषण किया जा रहा है। आरोप पत्र में कहा गया है कि डी. एन. ए. की रिपोर्ट से सभी छह अभियुक्तो के इस जघन्य अपराध में शामिल होने की पुष्टि हुई है।
दिल्ली में पुलिस की इस तत्परता के बाद समूचे देश में एक बात पर चर्चा आरंभ हो रही है कि पुलिस चाहे तो समय सीमा में अपना काम कर सकती है। पुलिस भी तब तक नहीं हिलती जब तक उसे हिलाया ना जाए। कहा जा रहा है कि अगर पुलिस इसी तरह मुस्तैदी के साथ काम करे तो लोगों में कानून का जो डर खत्म हुआ है वह वापस आ सकता है।
वहीं दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि समाज में महिलाओं के प्रति अपराधों में काफी बढ़ोतरी हुई है और इस पर अंकुश तभी लगाया जा सकता है जब अधिकारी महिलाओं की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों। न्यायालय ने कल एक निचली अदालत के उस आदेश को कड़ाई से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि पत्नी के साथ मार-पीट विवाहित जीवन का सामान्य हिस्सा है। न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता में न्यायालय की पीठ ने कहा कि संविधान और अन्य कानूनों से महिलाओं को संरक्षण का फायदा केवल तभी हो सकता है, जब न्याय प्रणाली की जिम्मेदारी निभाने वाले अधिकारी महिलाओं की समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील हों।
केंद्र सरकार भी इस मामले में अब संजीदा होती दिख रही है। गृह मंत्रालय ने आज नई दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराधों और अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों का सम्मेलन आयोजित किया है।
सम्मेलन में महिलाओं के प्रति अपराधों, इज्जत के नाम पर होने वाली हत्याओं, एसिड हमलों और पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा होगी। सम्मेलन को गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री कुमारी शैलजा और महिला तथा बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ के अलावा गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी संबोधित करेंगे।
गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी में हर थाने में दो महिला सब इंस्पेक्टर और सात महिला कांस्टेबल नियुक्त की जाएं। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कल नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस बारे में फाइल को मंजूरी दे दी है। शिन्दे ये भी कहा कि दिल्ली पुलिस जल्दी ही महिला सिपाहियों और अफसरों की भर्ती का विशेष अभियान चलाएगी और महिलाओं में विश्वास पैदा करने के लिए पुलिस थानों में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी तैनात करेगी।

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