शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

माले मुफ्त का जमकर उपयोग किया राज परिवार ने


माले मुफ्त का जमकर उपयोग किया राज परिवार ने

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य में आधी से ज्यादा आबादी को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं है पर देश के राजपरिवार के सदस्यों द्वारा जनता के गाढ़े पसीने से संचित राजस्व का जमकर दुरूपयोग किया है। जी हां, कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके सुकुमार पुत्र राहुल गांधी ने अपने अधिकारों और देश के नियम कायदों को बलाए ताक रख देश की रक्षा के लिए पाबंद वायूसेना के विमानों चौपरों में जमकर उड़ान भरी है। सादगी का दिखावा करने राहुल और सोनिया दोनों ही ‘कैटल क्लास‘ या शताब्दी का सफर करें पर जब बारी आती है सादगी ओढ़ने की तो राजपरिवार के सदस्य मलाई खाने से नहीं चूकते हैं। चूंकि इस तरह की बातें सार्वजनिक नहीं हो पाती हैं इसलिए देश की जनता यह नहीं जान पाती है कि उनके आदर्श आखिर उनके साथ क्या सलूक कर रहे हैं। सूचना के अधिकार में सामने आई हैरत अंगेज जानकारियों से लगता है कि देश के रक्षा मंत्री भी भारत गणराज्य के प्रति निष्ठा रखने के बजाए 10 जनपथ की स्वामिभक्ति को ही अपना आदर्श मान रहे हैं।

आर्थिक असमानता भारत गणराज्य में आज भी दिखाई देती है। गरीब और अमीर के बीच की दीवार आजादी के साढ़े छः दशकों में और मजबूत तथा बड़ी हो चुकी है। गरीब और गरीब हुआ है, अमीर की तिजोरी में धन धान्य पहले की तुलना में कई गुना बढ़ चुके हैं। आर्थिक असमानता को दूर करने का प्रयास किसी भी शासक ने नहीं किया है। हाकिमों ने अपने अपने घरों को ही भरा है, देश की जनता पर करों का बोझ लादकर हाकिमों ने अपने आराम की ही सोची है।
हाल ही में सूचना के अधिकार में हैरत अंगेज जानकारियां सामने आईं हैं। भारतीय वायुसेना का काम आकाश मार्ग से देश की हिफाजत करना है। पर भारतीय वायूसेना के विमानों का ही कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और उनके युवराज पुत्र राहुल गांधी ने जमकर दुरूपयोग किया है। पिछले तकरीबन सात सालों में दोनों मां बेटों ने आधा सैकड़ा से अधिक बार भारतीय वायूसेना के विमान और हेलीकाप्टर में उड़ान भरीं हैं।
मजे की बात यह है कि सोनिया या राहुल गांधी के सहयात्री के बतौर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने भी लगभग दो दर्जन यात्राएं की हैं। चूंकि सोनिया गांधी या राहुल गांधी को वायू सेना में यात्रा करने की पात्रता नहीं है अतः इन दोनों के द्वारा पात्र लोगों को साथ में रखकर यात्रा करनी पड़ती है। पहले भी अनेक एसे उदहारण हैं जिनमें मंत्रियों के नाम से गैर पात्र लोगों द्वारा यात्राएं की गईं हैं। सूचना के अधिकार में अगर वे जानकारियां निकलवा ली जाएं तो पता चल जाएगा कि जिस दिन मंत्री के नाम से विमान या हेलीकाप्टर का उपयोग किया गया है उस दिन वे उससे विपरीत दिशा में भूमिपूजन या शिलान्यास कर रहे थे।
वैसे देखा जाए तो, वायुसेना के मुताबिक, नियमों के तहत वायुसेना के विमानों का उपयोग करने के पात्र व्यक्ति अपनी यात्रा के उद्देश्यों के लिए किसी व्यक्ति को अपने साथ ले जा सकते है। केंद्र सरकार के अन्य मंत्री भी प्रधानमंत्री से मंजूरी प्राप्त कर वायुसेना के विमानों का उपयोग कर सकते हैं और सरकारी कार्याे के लिए जरूरत के अनुरूप किसी व्यक्ति को अपने साथ ले जा सकते हैं। प्रधानमंत्री के बाद सोनिया गांधी के साथ सबसे ज्यादा यात्रा करने का सौभाग्य रक्षा मंत्री एके एंटनी और पूर्व विदेश एवं वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी (अब राष्ट्रपति) को मिला। इन दोनों के साथ सोनिया गांधी ने छह-छह बार वायुसेना के विमान एवं हेलीकाप्टर से यात्रा की।
गौरतलब है कि सात मई 2012 को रक्षा मंत्री ए.के. अंटनी ने संसद में जो बताया था उसके अनुसार नियमों के तहत, प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री सरकारी कामकाज के लिए वायुसेना के विमानों का उपयोग करने के पात्र हैं जबकि गैर सरकारी कार्यों के लिए केवल प्रधानमंत्री वायुसेना के विमानों का उपयोग कर सकते हैं।
हरियाणा के हिसार के निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने रक्षा मंत्रालय एवं वायुसेना मुख्यालय से वायुसेना के वीआईपी वायुयान और हेलीकाप्टरों से सोनिया गांधी और राहुल गांधी की यात्रा एवं खर्च के बारे में जानकारी मांगी थी। उन्हें जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक, 30 सितंबर 2012 तक सोनिया गांधी की यात्रा के किराये के मद में कर्नाटक सरकार पर एक करोड़ 17 लाख 15 हजार 83 रूपये और राहुल गांधी की यात्रा के मद में असम सरकार पर आठ लाख 26 हजार 457 रूपये बाकी है। चूंकि दोनों कांग्रेस नेताओं ने इनके नाम पर विमान आरक्षित कराकर यात्रा की थी इसलिए देनदारी भी इन्हीं दोनों सरकारों की बनती है।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चतुर सुजान सलाहकरों ने दोनों को तबियत से भारतीय वायूसेना के विमानों का मजा दिलवाया। सोनिया गांधी ने 49 बार वायुसेना के विमान की सेवाएं ली जिसमें 42 बार उन्होंने इन सेवाओं का उपयोग प्रधानमंत्री या किसी ऐसे पात्र व्यक्ति के नाम पर किया जिन्हें इसके बदले कोई भुगतान नहीं करना पड़ता है। उन्होंने सात बार प्रधानमंत्री की स्वीकृति से ऐसे मंत्रियों आदि के साथ यात्रा की जिन्हें इसके बदले वायुसेना को भुगतान देय होता है। ऐसे ही छह मामलों में किराये के रूप में 96 लाख रूपये का भुगतान किया गया। जबकि एक बार की यात्रा का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।
अब इस गरीब गुरबों के देश में हवाई यात्राएं वह भी कभी प्रधानमंत्री को तो कभी किसी मंत्री को साथ रखकर या फिर अपात्र मंत्री या मुख्यमंत्रियों के साथ सरकारी यात्रा के बाद भी इन नेताओं की मोटी चमड़ी पर कोई असर नहीं हुआ। अगर प्रधानमंत्री या पात्र व्यक्ति ने इनके साथ यात्रा की है तो वह भी सरकारी धन का अपव्यय ही है। अगर अपात्र व्यक्ति ने यात्रा की है तो उसका भोगमान सरकार या तो राज्य या केंद्र ही भुगतेगी, यह भी सरकारी धन की होली ही माना जाएगा।
क्या यह सोनिया गांधी को शोभा देता है कि वे सरकारी धन पर एश करें? जबकि गरीब गुरबों की महारानी सोनिया गांधी विश्व की चौथी सबसे अमीर राजनेता हैं। कहते हैं कि सोनिया गांधी के पास इतना धन है कि वे चाहें तो देश के लाखों करोड़ों गरीबों को सालों तक बिठाकर खिला सकती हैं। बावजूद इसके सोनिया गांधी सरकारी धन को अपना निजी धन समझकर बेदर्दी से खर्च करने में भी गुरेज नहीं करती हैं।
लोगों को दिखाने के लिए मंदी के दौर में सोनिया गांधी द्वारा सादगी का शानदार प्रहसन किया गया। सोनिया ने दिल्ली से मुंबई की यात्रा विमान की इकानामी क्लास जिसे उनके सहयोगी और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कैटल क्लास यानी जानवरों का बाड़ा की संज्ञा दी थी में की। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सोनिया के पीछे दुम हिलाने वाले मीडिया ने सोनिया के इस कदम को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया पर किसी ने भी सोनिया या कांग्रेस से यह नहीं पूछा कि सोनिया केटल क्लास में बीस सीटों को खाली रखवाकर मुंबई गईं थीं, और किसी मीडिया ने इस बारे में ना तो जानने की जहमत उठाई ना ही लोगों को बताया कि आखिर मुंबई से दिल्ली की वापसी का सफर सोनिया ने कैसे तय किया।
इसी तरह कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी सादगी के प्रहसन में अपनी माता से पीछे नहीं रहे। राहुल गांधी ने भी उसी दौर में दिल्ली से चंडीगढ़ तक का सफर शताब्दी एक्सप्रेस से तय किया था। राहुल की शान में कशीदे गाड़ने के लिए मीडिया उनके आगे पीछे चिरौरी करता नजर आया। सभी ने राहुल के इस कदम को एतिहासिक करार दिया। किसी ने भी इस बात को रेखांकित करने का साहस नहीं जुटाया कि आखिर राहुल गांधी शताब्दी की पूरी बोगी बुक करके चडीगढ़ गए थे। बोगी बीच में थी इसलिए यात्री एक से दूसरे डब्बे में नहीं जा सके। इस बोगी को बुक करने में हुए खर्च का भोगमान किसने भोगा इस बारे में भी कोई नहीं जानता है।
यक्ष प्रश्न यह है कि कांग्रेस के सियासी बियावान में क्या किसी नेता के पास हेलीकाप्टर या विमान नहीं है? अगर हैं तो जनसेवा का दम्भ भरने वाले ये नेता आखिर अपने विमान या हेलीकाप्टर को सोनिया राहुल की सेवा में क्यों नही लागाते। चंदे को सार्वजनिक करने से डरने वाली कांग्रेस के अंदर क्या इतनी नैतिकता नहीं बची है कि वह निजी उड्डयन कंपनियों से विमान या चौपर किराए पर लेकर राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी या युवराज राहुल गांधी को हवाई सैर करवाते? क्या वायूसेना के उड़नखटोलों का उपयोग सोनिया और राहुल ने देश को अपनी ताकत दिखाने के लिए किया है? अब सबसे अहम बात यह है कि इस मामले में 53 ग्रेड की सीमेंट के मानिंद सैट होने वाले विपक्ष की भूमिका! अब देखना है कि विपक्ष इस मामले को कितनी गंभीरता और संजीदगी के साथ उठाता है? (साई फीचर्स)

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