प्रभात झा पर लटक रही है तलवार!
शिव प्रभात की जुगलबंदी
में हो रहे भ्रष्टाचार को पचा नहीं पा रहे आल नेता
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी के नेशनल
प्रेजीडेंट नितिन गड़करी को भले ही दूसरा टर्म मिल जाए पर सूबों के अध्यक्षों पर यह
बात लागू होगी अथवा नहीं इस मामले में पार्टी की गाईड लाईन अभी स्पष्ट नहीं है। देश
के हृदय प्रदेश में 2008 में कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के बाद भाजपा की जड़ें अब उखड़ने
लगीं हैं। इसका कारण एक के बाद छोटे बड़े नौकरशाहों से करोड़ों अरबों रूपए बरामद होना
है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दिल्ली में झंडेवालान
स्थित मुख्यालय ‘केशव कुंज‘ के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि वैसे तो
गड़करी के दूसरे टर्म पर आम सहमति बन गई है, पर येदयीरप्पा के मामले में जिस तरह गड़करी
के नागपुर स्थित आवास पर खड़ी उनकी कार से बच्ची के शव मिलने की बात फिर उछाली जा रही
है इससे गड़करी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सूत्रों ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश सहित
पांच राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन लचर ही माना जा रहा है। बावजूद इसके गड़करी को दूसरा
टर्म देने पर संघ की सहमति के पीछे आड़वाणी जुंडाली और सुषमा, जेतली, अनन्त कुमार,
वेंकैया नायडू जैसे धुरंधरों को साईज में लाने की मंशा साफ दिख रही है।
संघ के सूत्रों ने कहा कि गड़करी पर संघ प्रमुख
इसलिए भी दांव लगाने को आतुर दिख रहे हैं क्योंकि घपलों, घोटालों और भ्रष्टाचार
में आकंठ डूबी कांग्रेसनीत संप्रग सरकार अपना कार्यकाल शायद ही पूरा कर पाए। संघ को
मिले फीडबैक के आधार पर पिछले दिनों महामंत्री राम लाल ने पाधिकारियों की बैठक में
इस मसले को उठाया था।
सूत्रों ने कहा कि पार्टी संविधान में तब्दीली
के मसौदे पर संघ की मुहर लग चुकी है। इसे मुंबई के अधिवेशन में पेश किया जाएगा। इसमें
पार्टी अध्यक्ष के कार्यकाल में संशोधन की बात अवश्य लाई गई है किन्तु इसके जरिए सूबाई
निजामों को राहत मिलेगी इस मामले में मौन ही साधे रखा गया है।
उधर, मध्य प्रदेश के संबंध
में संघ के सूत्रों का कहना है कि भले ही प्रदेश में विपक्ष में बैठी कांग्रेस निष्क्रीय
हो या भाजपा के मैनेज करने पर उदासीन होने का स्वांग रच ही हो, पर सूबे में भाजपा
का जनाधार गिरने की खबर संघ के आला नेताओं को मिली है। संघ के आला नेता इस बात से खासे
परेशान हैं कि मध्य प्रदेश में संघ के तैनात नुमाईंदों के मुंह में सत्ता की मलाई का
स्वाद लग गया है। अनेक जिलों में पदस्थ संगठन मंत्री तो सत्ता की ही भाषा बोलने लगे
हैं।
सूत्रों ने यह भी कहा कि एमपी के मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपाध्यक्ष प्रभात झा के बीच जबर्दस्त सामांजस्य होना
अच्छी बात है किन्तु संघ के आला नेता इसे पचा नहीं पा रहे हैं। सत्ता और संगठन मिलकर
सूबे में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। रोज किसी ना किसी नौकरशाह की तिजोरी करोड़ों
रूपए उगल रही है, इसका संदेश भाजपा के प्रतिकूल ही जा रहा है।
अगर यह भाजपा के सत्ता में आते ही होता तो
निश्चित तौर पर यह कांग्रेस के कुशासन के बतौर पेश किया जाता किन्तु नौ सालों से प्रदेश
में भाजपा का राज है इसलिए यह मामला भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ ही जा रहा
है। इसके चलते जमीनी कार्यकर्ता जनता से नजरें मिलाने में हिचक रहे हैं।