0 घंसौर को झुलसाने
की तैयारी पूरी . . . 85
जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
किसानों के शोषण में
सहभागी बना है प्रशासन
(शिवेश नामदेव)
सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम
थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड
द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य घंसौर
विकास खण्ड के ग्राम बरेला में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के कोल आधारित
पावर प्लांट में जमीनों की खरीद फरोख्त में किसानों को छलने वाले किसानों का जिला प्रशासन
सिवनी ने अप्रत्यक्ष तौर पर साथ देने का मामला प्रकाश में आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बरेला में निर्माणाधीन
पावर प्लांट के लिए आदिवासी किसानों की जमीनों की खरीद फरोख्त में दलालों की पौ बारह
हो गई। इन दलालों को जबलपुर और नरसिंहपुर के कांग्रेस और भाजपा नेताओं का वरद हस्त
होना बताया जा रहा है। ये दलाल पहले तो किसानों को बहला फुसला कर उनकी जमीन संयंत्र
प्रबंधन के हाथों में बिकवा दी फिर उस जमीन की कीमत मांगने पर मारपीट पर उतारू हो गए।
घंसौर में संयंत्र के सामने बैठे आंदोलनकारी
आदिवासी किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन सिवनी अपना पल्ला यह कहकर झाड़ रहा है कि
यह सौदा चूंकि संयंत्र प्रबंधन और किसानों के बीच सीधे सीधे हुआ है अतः इसमें जिला
प्रशासन की कोई भूमिका ही नहीं रह जाती है, पर कागजी हकीकत और कुछ बयां कर रही है।
अनशन पर बैठे एक किसान ने घंसौर अनुविभाग
के अनुविभागीय दण्डाधिकारी और भूअर्जन अधिकारी का 5 नवंबर 2010 का वह नोटिस दिखाया
जिसमें साफ तौर पर वर्णित था कि ग्राम गोरखपुर की 4.66 हेक्टैयर जमीन को
पावर प्लांट को देने के लिए चिन्हित किया गया है। अतः क्यों ना भू अधिग्रहण नियमों
के तहत उसके प्रकाश में यह जमीन लेकर कंपनी के हवाले कर दिया जाए। इस खेल में तहसीलदार
और एसडीओ की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।
गौरतलब है कि संसद की एक समिति ने गुरूवार
17 मई को कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र के उपयोग के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं करना
चाहिए। भारतीय जनता पार्टी की सुमित्रा महाजन की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास विभाग
की स्थायी समिति ने विधेयक के बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भूमि अधिग्रहण के
सभी मामलों में उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए और जिनकी जमीन ली जाती है, उनका तथा अन्य प्रभावित
लोगों का उचित पुनर्वास और बंदोबस्त किया जाना चाहिए।
आदिवासियों के हितों का दावा करने वाली कांग्रेस
और भाजपा की जिला इकाई भी इस मामले में अपना मुंह सिले हुए है। यह सब देखने सुनने के
बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार,
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख
विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक
जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय
सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक
एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख
रहे हैं।
(क्रमशः जारी)
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