शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2011

रथ के पहिए निकालने में जुटे भाजपाई


रथ के पहिए निकालने में जुटे भाजपाई

सुषमा अस्पताल में, जेतली भी पड़े बीमार

सुनियोजित तरीके से फ्लाप करने में जुटी भाजपा

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। राजग के पीएम इन वेटिंग एल.के.आड़वाणी की रथ यात्रा को कांतिविहीन करने की जुगत में भाजपाई ही जुट गए हैं। भाजपा के आला नेता ही रथ यात्रा से कन्नी कट चुके हैं, वहीं दूसरी ओर आड़वाणी के रथ में भी तकनीकि खराबी बताई जा रही है। मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओं को आड़वाणी के बढ़ते कद से परेशानी महसूस हो रही है।

मध्य प्रदेश की विदिशा संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमति सुषमा स्वराज बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गई थी। बाद में उन्होंने इस बात का खण्डन भी किया कि वे अस्पताल नहीं गईं। उधर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेतली भी बीमारी के चलते रथ यात्रा से खुद को प्रथक रखे हुए हैं।

बीता दिनों सतना में रथ यात्रा का पाजेटिव कव्हरेज देने के लिए पत्रकारों को लिफाफे दिए जाने का मामला भी तूल पकड़ने लगा है। यह सब मध्य प्रदेश में किसके इशारे पर किया गया यह निश्चित तौर पर शोध का विषय है। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में ही आड़वाणी की रथ यात्रा में पलीता लगाया जा रहा है इसके पीछे निहितार्थ कुछ और हैं।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश के क्षत्रप सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान एवं प्रभात झा आड़वाणी के बढ़ते कद से चिंतित हैं। सूत्रों का कहना है कि भले ही आड़वाणी ने अपने आप को राजग के पीएम इन वेटिंग के पद से हटा लिया हो, किन्तु वे किसी ओर को इस पद के लिए नामांकित नहीं होंगे। वैसे अगर मोका मिला तो आड़वाणी 7, रेसकोर्स रोड़ में प्रधानमंत्री के निवास को अपना आशियाना बनाने से नहीं चूकेंगे।

आड़वाणी जुंडाली मध्य प्रदेश में रथयात्रा को खराब किए जाने की चर्चाओं से बुरी तरह आहत है। अब आड़वाणी जैसे तैसे यह यात्रा निपटाएंगे फिर बाद में इस पर कार्यवाही कर सकतें हैं।

प्रणव भी हुए मनमोहन के खिलाफ


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 4

प्रणव भी हुए मनमोहन के खिलाफ

नोट प्रकरण में की सोनिया से शिकायत

मनमोहन की मश्कें कसेंगे पुलक चटर्जी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। टूजी मामले में पीएमओ के रवैए को देखकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तारणहार प्रणव मुखर्जी भी अब उनकी मुखालफत पर उतर आए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की कार्यप्रणाली से क्षुब्द प्रणव मुखर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी से चर्चा के दौरान बहुत से राज पर से पर्दा उठाया है जिसके चलते प्रधानमंत्री की बिदाई के मार्ग प्रशस्त होते प्रतीत हो रहे हैं।

कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दुर्गा पूजा पर अपने गृह सूबे की राजधानी कोलकता जाने के पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है। प्रणव मुखर्जी ने सोनिया से शिकायती लहजे में कहा कि उन्हें खबर मिली है कि पीएमओ द्वारा कुछ माहों से जानबूझकर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव जिन्हें हाल ही में प्रधानमंत्री ने राज्य मंत्री का दर्जा देकर अपना सलाहकार बना दिया है पर निशाना साधते हुए मुखर्जी ने साफ कहा कि टूजी वाली चिट्ठी एक नोट के अलावा और कुछ भी नहीं था। इसे एक षणयंत्र के तहत लीक किया गया है।

सूत्रों के अनुसार जब सोनिया गांधी ने नायर द्वारा एसा करने का कारण पूछा तो प्रणव मुखर्जी मानो फट पड़े। उन्होंने कहा कि नायर और अनिल अंबानी अच्छे मित्र हैं। मुकेश अंबानी प्रणव के अच्दे मित्र हैं, इस लिहाज से अनिल अंबानी के निशाने पर प्रणव मुखर्जी सदा ही रहते हैं। यह चिट्ठी उन्होंने जेपीसी के हवाले भी नहीं की और वह मीडिया में कैसे आ गई। एसा करके पीएम की शह पर नायर ने चिदम्बरम को प्रणव के खिलाफ मोर्चा खोलने के रास्ते बना दिए।

वैेसे पुलक चटर्जी के पीएमओ में आमद देने से गदगद प्रणव मुखर्जी का कहना था कि अब पुलक बाबू आ गए हैं वे सारी स्थितियों को संभाल लेंगे। बीमार सोनिया ने प्रणव मुखर्जी की बातें बेहद ध्यान से सुनीं। अंत में आई विल लुक इन दिस मेटरकहकर उन्होंने प्रणव मुखर्जी को वहां से रूखसत कर दिया।

अनुसुईया की उपेक्षा करते शिव


अनुसुईया की उपेक्षा करते शिव

जीएडी नहीं दे रहा अनसुईया की मांग पर ध्यान

अनसुईया के रिटायरमेंट की प्रतीक्षा में शिवराज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। राजनैतिक दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश के अतिसंवेदनशील और महत्वपूर्ण छिंदवाड़ा जिले की निवासी और भाजपा की राज्यसभा सदस्य सुश्री अनुसुईया उईके की मांग पर शिवराज सिंह चौहान कान नहीं दे रहे हैं। सूबे का सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) भी सुश्री उईके की सेवानिवृति की प्रतीक्षा कर रहा है, ताकि उसके बाद इस मांग को नस्तीबद्ध कर दिया जाए।

ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश से राज्य सभा सदस्य सुश्री अनुसुईया उईके लंबे समय से मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार से यह मांग कर रहीं हैं कि सांसदों के द्वारा सूबाई सरकार को लिखे गए पत्रों पर की गई कार्यवाही को ऑन लाईन कर दिया जाए ताकि सभी इसे देख सकें और संसद सदस्यों एवं राज्य सरकार की पारदर्शिता बढ़ जाए।

यहां उल्लेखनीय होगा कि मध्य प्रदेश ही एसा सूबा है जहां ई शासन और गुड गर्वनेंस पर आधारित काम लंबे समय से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा पत्र अब सूबे के सामान्य प्रशासन विभाग में पड़ा धूल ही खा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर इसे ऑन लाईन कर दिया गया तो यह राजनैतिक दृष्टि से उचित नहीं होगा क्योंकि आपस में लड़ाई करने वाले अनेक सियासी दलों के नेता अंदर ही अंदर एक ही थैली में रहते हैं।

2006 में राज्य सभा के लिए चुनी गईं सुश्री अनुसुईया उईका का कार्यकाल अगले साल 2 अप्रेल को समाप्त हो रहा है। अनुसुईया उईके के करीबियों का कहना है कि वे इस व्यवस्था के माध्यम से छिंदवाड़ा के सांसद कमल नाथ को घेरना चाह रहीं हैं, पर शिवराज सिंह चौहान इस काम में उनकी मदद नहीं कर रहे हैं। उधर निराशाजनक प्रदर्शन के चलते अनुसुईया उईको को अगले साल फिर से राज्य सभा का टिकिट मिलना मुश्किल ही प्रतीत हो रहा है।

यूपी में उमा को हकालते भाजपाई


यूपी में उमा को हकालते भाजपाई

राजनाथ भी नहीं हैं उमा से खुश

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भाजपा की तेज तर्रार नेत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के दिन वाकई खराब चल रहे हैं। पहले तो तिरंगा प्रकरण में उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी गई, फिर उनकी भारतीय जनशक्ति पार्टी भी कोई करिश्मा नहीं कर पाई। जैसे तैसे वे भाजपा में वापस आईं तो ढेर सारी शर्तें उन पर लाद दी गईं। अब उत्तर प्रदेश में ही उनका विरोध पार्टी के अंदर आरंभ हो गया है।

गौरतलब है कि भाजश की असफलता के बाद उमा भारती भाजपा में वापस आने बेताब रहीं। कई बार उनकी वापसी टाली गई। जैसे तैसे वे भाजपा में वापस आईं तो उन पर शर्त लाद दी गई कि वे अपने गृह सूबे मध्य प्रदेश की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देंगीं। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार तक ही वे अपने आप को सीमित रखेंगे। यूपी की निजाम बनने का सपना भी वे नहीं देखेंगी।

फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती ने चंद दिनों में ही उत्तर प्रदेश में धमाल मचा दिया है। उनकी सक्रियता पार्टी के सूबाई नेताओं को खलने लगी है। उमा के तेवरों और उनके आगे पीछे उमड़ने वाली भीड़ ने सूबे के आला भाजपा नेताओं की नींद ही उड़ा दी है। उमा के कदम ताल से लगने लगा है कि वे उत्तर प्रदेश में भाजपा की डूबती नैया को सहारा दे सकती हैं।
इसी बीच उत्तर प्रदेश भाजपाध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने एक बयान देकर ठहरे हुए पानी में लहरें पैदा कर दीं कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो उत्तर प्रदेश का ही व्यक्ति मुख्यमंत्री बनेगा। इसके समर्थन में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी बयान दे मारा कि उत्तर प्रदेश का ही व्यक्ति सीएम बनेगा। कुल मिलाकर सारी बयानबाजी उमा भारती के लिए हो रही है। वहीं उमा समर्थक इसी बात को मध्य प्रदेश में भी हवा देने के मूड में दिख रहे हैं कि एमपी मूल का व्यक्ति ही एमपी में सीएम होगा।