धूमकेतू के मानिंद
उभर रहे हैं महाराजा
सिंधिया कैंप में
लग सकता है हाऊस फुल का बोर्ड
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में इस समय एक धूमकेतू का उदय हुआ है, जिसकी चमक के आगे
बाकी के सारे तारे सितारों की चमक फीकी पड़ती दिख रही है। देश के हृदय प्रदेश में
चुनावों से लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व सियासी उबाल आ रहा है, माना जा रहा है कि
दो तीन माह में जब यह उफान शांत होगा तब सियासी परिदृश्य काफी हद तक साफ हो सकता
है कि आने वाला समय किसका है?
ज्ञातव्य है कि
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के महाबली क्षत्रपों में पूर्व मुख्यमंत्री और महासचिव
राजा दिग्विजय सिंह,
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ अगली पंक्ति में स्थापित नेता हैं तो
इनके उपरांत सुरेश पचौरी, सत्यव्रत चतुर्वेदी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया, अरूण यादव, अजय सिंह, गजेंद्र सिंह
राजूखेड़ी जैसे नेता अपने अपने समर्थकों की सेनाओं के साथ डटे हुए हैं।
लगभग एक दशक से
मध्य प्रदेश से पर्याप्त दूरी बना चुके कांग्रेस के क्षत्रपों के समर्थकों में
भारी निराशा साफ देखी जा रही है। इन क्षत्रपों के समर्थक जब अपने आकाओं के दिल्ली
दरबार में झिड़कियां पाते हैं तो वापसी के दौरान नई दिल्ली या निजामुद्दीन रेल्वे
स्टेशन से ही इन नेताओं को लानत मलानत भेजना आरंभ कर देते हैं।
पिछले एक साल से
मध्य प्रदेश के सारे नेताओं के समर्थकों को नए मजबूत ठौर की दरकार साफ दिखाई दे
रही है। कुंवर अर्जुन सिंह के निधन के उपरांत उनकी राजनैतिक विरासत काफी हद तक
उनके पुत्र अजय सिंह ने संभाल ली है। कुंवर अर्जुन सिंह के छिटके समर्थकों ने राजा
दिग्विजय सिंह के खम्ब के पास ही अपने आप को सुरक्षित महसूस किया।
वर्ष 2012 के आगाज
से साथ ही मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण तेजी से बदलना आरंभ हुए। कांग्रेस की नजर
में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी की किचिन कैबनेट में शामिल मीनाक्षी नटराजन
के अपने संसदीय क्षेत्र में ही बवाल मचने के चलते उनके समर्थक छितरा कर बिखर गए।
यही कारण है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का कोई खास प्रभाव
देखने को नहीं मिल रहा है।
कमल नाथ को प्रदेश
का सर्वमान्य नेता माना जाता रहा है। मालवा, महाकौशल, विन्ध्य, बुंदेलखण्ड आदि
क्षेत्रों में कमल नाथ की पूर्व में हुई रेलियों ने अन्य क्षत्रपों को हिलाकर रख
दिया था। विडम्बना ही कही जाएगी कि कमल नाथ के समर्थक भी उनके 1, तुलगल रोड़ स्थित
दरबार में तवज्जो ना मिल पाने से खासे निराश नजर आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो
कमल नाथ खेमे के कद्दावर नेता सज्जन सिंह वर्मा, दीपक सक्सेना, कल्पना पारूलेकर
आदि ने सिंधिया खेमे में दिलचस्पी बढ़ा दी है।
उधर प्रदेश के
पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह भी प्रदेश में कमजोर होते दिख रहे हैं।
दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में सीएम हाउस के चाणक्य कहे जाने वाले मालवा
के एक दिग्गज ने सुरेश पचौरी का दामन थाम लिया, तो महाकौशल में
राजा के खासुलखास सिपाहसलार ने उनका दामन छोड़ अपना ही गुट बना लिया है।
उधर, सुरेश पचौरी से
टूटकर बिखरने वाले नेताओं का बड़ा वर्ग कमल नाथ और सिंधिया की देहरी पर दिखाई देने
लगा है। पचौरी के खासुल खास सांसद राव उदय प्रताप सिंह आजकल कमल नाथ के आवास की
शोभा बढ़ाते दिख रहे हैं। 66 बसंत देख चुके कमल नाथ के सामने महाराजा काफी युवा
हैं। सियासी गलियारों में राजा दिग्विजय सिंह की बात कि साठ साल के बाद सियासी
नेताओं को स्वेच्छिल सेवानिवृत्ति ले लेना चाहिए चटखारे लेकर कही जा रही है।
अखिल भारतीय
कांग्रेस कमेटी मुख्यालय 24, अकबर रो़ड में एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम
उजागर ना करने की शर्त पर खुलासा करते हुए कहा कि वर्ष 2013 में होने वाले
विधानसभा चुनावों को लेकर बिछात बिछने लगी है। पिछले बार चुनाव में अनेक क्षत्रप
अपने अपने समर्थकों को टिकिट नहीं दिलवा पाए थे। इस बार वे सारे दावेदार मजबूत
कांधों को तलाश कर रहे हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में इस समय पाला बदल
प्रतियोगिता चल रही है।
उधर, कांग्रेस के नए
शक्ति केंद्र 12, तुगलक लेन
(राहुल गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हर हाल में मध्य
प्रदेश पर फतह चाह रही है। इसके लिए राहुल गांधी द्वारा करवाए गए सर्वे के अनुसार
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक टीआरपी वाले नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सभी
को पीछे छोड़ दिया है।
सिंधिया के बाद
लंबे अंतराल में कमल नाथ का नाम है। बाकी नेताओं की टीआरपी बेहद कम बताई गई है।
जुगल जोड़ी में कराए गए सर्वेक्षण में भी अजय सिंह राहुल और ज्योतिरादित्य को ही
सबसे अधिक तवज्जो मिली बताई जा रही है। सिंधिया की बढ़ती लोकप्रियता और लोगों में
उनके प्रति दीवानगी देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले समय में ज्योतिरादित्य
सिंधिया केंप में ‘हाउस फुल‘ का बोर्ड लग जाए तो
किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि
राहुल गांधी ने मन बना लिया है कि आने वाले समय में ज्योतिरादित्य सिंधिया का धवल, निर्विवादित चेहरा
सामने कर कांग्रेस एमपी में चुनाव लड़ेगी। रही बात प्रदेश के आदिवासी दलित मतदाताओं
की तो इसके लिए वह कांग्रेस का ही कोई निर्विवादित किन्तु सक्रिय चेहरा सामने लाने
पर विचार कर रही है।