उत्तगराखण्डं भाजपा
विधायक शीघ्र होगें कांग्रेस में शामिल, भाजपा में हडकम्प
(चन्द्रशेखर जोशी)
देहरादून (साई)।
नागपुर में 28 अप्रैल को उत्तराखण्ड के मुख्घ्यमंत्री विजय बहुगुणा ने खुलासा किया
कि बहुगुणा उनका उपनाम नहीं है, बल्कि उनके पूर्वज मूलतः बंगाली ब्राह्मण
बनर्जी थे, नागपुर में उत्तराखण्ड के
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा दिये गये बयान से राजनीतिक अर्थ निकालते हुए विजय
बहुगुणा का बयान साफ इशारा कर रहा है कि वह उधम सिंह नगर जनपद की बंगाली बाहुल्य
सीट से विधानसभा चुनाव लड सकते हैं, जो 18 मई को सत्य साबित हुआ। भाजपा इस खबर
के प्रति अंजान बनी रही जिसका नुकसान उसे अपने भाजपा विधायक के नुकसान से उठाना
पडा।
विगत सप्ताह
उत्तराखण्ड के राजनीतिक परिद़श्य में कुछ महत्वपूर्ण घटनायें घटी, उत्तराखण्ड
कांग्रेस अध्यक्ष तथा काबिना मंत्री यशपाल आर्य भाजपा के गढ में सेंध लगाने में
सफल हुए, कांग्रेस
में शामिल होने जा रहे सितारगंज क्षेत्र से भाजपा विधायक मंडल ने सरकार के समक्ष
जो कुछ शर्ते रखी हैं उनमें से अधिकतर राजस्घ्व मंत्री यशपाल आर्य के विभाग से ही
संबंधित है, जिस पर
यशपाल आर्य ने समस्घ्त मांगों को प्रमुखता से मानने का वचन दिया, इससे भाजपा विधायक
के कांग्रेस में आने की मुहिम परवान चढ सकी।
18 मई 2012 को
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी तीन माह की कवायद के बाद उत्घ्तराखण्घ्ड
में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर रानीखेत के विधायक और पूर्व मंत्री अजय भट्ट को
चुनने का फैसला ले रहे थे, उस समय उत्घ्तराखण्घ्ड भाजपा में कांग्रेस सेंधमारी करने के
आपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे रही थी,
वहीं दूसरी ओर घटे
घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को फोन पर मिली धमकी में ‘सरकार’ शब्द पर विशेष जोर
देते हुए कहा गया ‘सरकार
बनाने का ख्वाब देखना छोड़ दो। अब किसी भी हाल में सरकार नहीं बनने वाली। अगला
चुनाव भी नहीं देख सकोगे।’ निशंक का इस पर
कहना है वह सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं या नहीं, इससे किसी आम आदमी
का क्या लेना-देना। उन्हें आशंका है उनके खिलाफ कोई बड़ी राजनीतिक साजिश हो रही है।
यह धमकी कोई आम आदमी अथवा अपराधी की नहीं, इसके पीछे और भी कुछ है।
इसके अलावा फेसबुक
में चल रही जनचर्चा के अनुसार बीजेपी के एक विधायक द्वारा विजय बहुगुणा के लिए सीट
खाली करने में बीजेपी के बडे नेताओं का भी आशीर्वाद माना जा रहा है। इन सब से
अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्घ्तराखण्घ्ड के राजनीतिक पटल पर राजनीतिक साजिशों
का ताना बाना बुना जा रहा है जिसकी परिणति सितारगंज के भाजपा विधायक द्वारा
कांग्रेस के खेमे में जाने के रूप में सामने आयी है।
वही तेजी से घटे
घटनाक्रम में सितारगंज से भाजपा विधायक किरण मंडल की गुमशुदगी को भाजपा ने
कांग्रेस द्वारा अपने विधायक के अपहरण का आरोप लगाकर अपनी खाल बचाने की कोशिश की, रही है, जबकि चर्चा थी कि
किरण मंडल को दिल्ली ले जाया गया है और वह वहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से
मुलाकात कर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी शनिवार
को दिल्ली पहुंच गये। भाजपा की असफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट का बयान था कि सितारगंज के भाजपा विधायक किरण मंडल के
मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को खुद पहल कर यह जांच करानी चाहिए
कि किरण मंडल कहां हैं? किरण मंडल भाजपा के
वरिष्ठ विधायक व अनुशासित सिपाही हैं और वह पूरी तौर पर पार्टी विधायक दल के साथ
हैं हालांकि अजय भट्ट यह भी स्वीकार कर रहे थे कि किरण मंडल से संपर्क नहीं हो पा
रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने
आरोप लगाया कि वह दूसरी पार्टियों के विधायकों को झूठे पल्रोभन देकर अपने साथ
मिलाने का प्रयास कर रही है परन्घ्तु भाजपा के नेता प्रतिपक्ष इस बात का जवाब नहीं
दे पाये कि भाजपा ने खुद कांग्रेस विधायक लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) टीपीएस रावत से
अपने मुख्यमंत्री खंडूड़ी के लिए सीट छु़ड़वाई थी, इस पर उन्होंने कहा
कि टीपीएस रावत बुद्धिजीवी वर्ग से आते हैं।
इसका मतलब किरण मंडल बुद्विजीवी नहीं है तो उनको भाजपा से इस्घ्तीफा देने
का हक नहीं है ।
वहीं अजय भट्ट भाजपा प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि
इस तरह की अपुष्ट जानकारी सामने आ रही है कि कांग्रेस के कुछ नेता भाजपा के
विधायकों को डरा-धमका रहे हैं और उन्हें प्रलोभन भी दे रहे हैं। उनके इस बयान से
यह अर्थ निकाला जा सकता है कि भाजपा के कुछ और विधायक डर कर या प्रलोभन से
कांग्रेस में जा सकते है । चर्चा यह भी है कि अंदरखाने से कांग्रेस में जाने के
लिए भाजपा विधायकों को कोई शह मिल रही है ।
भाजपा अपने विधायक
द्वारा उनके संबंध तोडने को लोकतंत्र की हत्या का प्रयास व अपहरण
जैसा नाम दे रहे है भाजपा तमाम कोशिशों के बाद अपने विधायक से संपर्क करने
में कामयाब नहीं हो पाई। इस पर पार्टी ने राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्ष से पार्टी
विधायक की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
जबकि कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को अपने विधायकों पर ही भरोसा नहीं रहा
है, इसीलिए वह
कांग्रेस पर इस तरह के अनर्गल आरोप लगा रही है। कांग्रेस का आपरेशन मंडल अंजाम की
ओर अग्रसर नजर आ रहा है। भाजपा के विधायक किरण मंडल को पार्टी से तोड़ने की इस
मुहिम की सफलता के लिए सरकार ऊधमसिंह नगर जिले में बसे बंगाली समुदाय को भूमिधरी
अधिकार देने की कवायद में जुट गई है तो केंद्र सरकार से संबंधित मांगों को लेकर
पार्टी ने एक वरिष्ठ नेता को दिल्ली भेज दिया है।
वहीं दूसरी ओर सितारगंज के भाजपा विधायक किरण
मंडल के इस्तीफे की चर्चा के बीच यह खबर भी आयी है कि भाजपा विधायक मंडल ने सरकार
के समक्ष कुछ शर्ते रखी हैं। इनमें मुख्य है राज्य में बंगाली समुदाय को भूमिधरी
अधिकार देना। इसके अलावा नमोरूशूद्र जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करना व
क्षेत्र में आपदा प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज की डिमांड भी शर्ताे में शुमार
बताई जा रही है। दूसरी मांग केंद्र से
संबंधित है, जिसके लिए
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता को दिल्ली भेज दिया गया है। इन शर्ताे में भूमिधरी
अधिकार संबंधी शर्त मुख्य है और राज्य सरकार के राजस्घ्व मंत्री यशपाल आर्य ने
तेजी से इसके लिए कदम भी बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।
राजस्घ्व मंत्री ने
सितारगंज के भाजपा विधायक की कांग्रेस में आने की शर्ताे को पूरा करने हेतु राजस्व
विभाग और ऊधमसिंह नगर जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस संबंध में कार्यवाही आरंभ
करने के निर्देश दे दिए हैं। ज्ञात हो कि 1971 में पूर्वी बंगाल, यानी बांग्लादेश की
स्थापना के बाद भारत सरकार ने वहां के शरणार्थियों को वर्तमान ऊधमसिंह नगर जिले
में कई स्थानों पर पुनर्वासित करने के आदेश दिए थे। इन लोगों को रिहायशी भवनों के
अलावा खेती के लिए भूमि के पट्टे दिए गए। इन पट्टों के भूमिधरी अधिकार सौंपे जाने
की मांग लंबे समय से उठती रही है। यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, हालांकि इसके लिए
केंद्र सरकार की मंजूरी भी जरूरी है। वर्तमान में केंद्र व राज्य, दोनों जगह कांग्रेस
सत्ता में है, लिहाजा
राज्य सरकार आसानी से इस मामले का निबटारा कर सकती है।
वहीं दूसरी ओर
सितारगंज के भाजपा विधायक किरण मंडल के कांग्रेस में शामिल होने की पुख्घ्ता खबर
आने से उत्घ्तराखण्घ्ड में पार्टी सकते व मुंह छिपाऊ स्घ्थिति में है। प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल व पूर्व
मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने
कमान संभाल कर उनसे संपर्क की कोशिशें की
परन्घ्तु सम्घ्पर्क नहीं हो पाया इस पर सतीश लखेड़ा, प्रवक्ता, उत्तराखंड भाजपा ने
कहा कि सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के इशारे पर विधायक किरण मंडल को दबाव बनाकर
चंडीगढ़ भेज दिया गया है।
विधायक किरन चंद्र
मंडल के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के लिए सीट छोड़ने की अटकलों के बीच भाजपा के
वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में हुई कार्यकर्ताओं की बैठक में तीखी प्रतिक्रिया
व्यक्त करते हुए कहा गया कि मंडल का बंगाली समाज व विधानसभा क्षेत्र के
लोगों के साथ यह विश्वासघात होगा परन्घ्तु बंगाली समाज भाजपा के इस तर्क से सहमत
नजर नहीं आ रहा है।
भाजपा के गदरपुर विधायक अरविंद पांडे ने यह विशेषकर बंगाली समुदाय के साथ विश्वासघात
होगा। पूर्व सांसद बलराज पासी ने आरोप
लगाया कि यह काग्रेस की सोची-समझी साजिश है। कहा कि भाजपा ने मंडल को टिकट देकर
बंगाली समाज का सम्मान किया। यदि वह सीट छोड़ते हैं तो बंगाली समाज उन्हें माफ नहीं
करेगा। वहीं शक्तिफार्म में विधायक किरन
चंद्र मंडल के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के लिए सीट छोड़ने की अटकलों के कारण तीखी
प्रतिक्रियाओं के मद्देनजर उनके आवास पर पुलिस तैनात कर दी गई।
इसके अलावा
शक्तिफार्म में भाजपा विधायक किरन चंद्र मंडल के कांग्रेस में शामिल होकर
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के लिए विधानसभा सीट रिक्त करने की चर्चाओं के मध्य
क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों ने कहा कि श्री मंडल समस्याओं के हल होने की शर्त पर
विधायक विधानसभा से इस्तीफा देते हैं तो यह स्वागत योग्य है। बंगाली समाज ने
विधायक द्वारा अपनी सीट की कुर्बानी को असामान्य मानते हुए स्घ्वागतयोग्घ्य कदम
बताया है।
बंगाली कल्याण
समिति के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्रनाथ सरकार के आवास पर हुई बैठक में लोगों ने
कहा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं शक्तिफार्म में भूमिधरी अधिकार लागू करना, प्रदेश में रह रहे
बंगाली नमोशूद्र उपजातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाना, सितारगंज में
महाविद्यालय एवं रोडवेज स्टैंड निर्माण, सिरसा से सिडकुल तक मार्ग एवं सूखी नदी में
पुल निर्माण, बाढ़ से
बचाव के लिए सूखी,
बैगुल नदी में तटबंध की समस्या से निजात पाने के लिए लोगों ने
एकमत होकर किरन मंडल की जीत सुनिश्चित की थी। कहा कि विधायक मंडल ने मुख्यमंत्री
के लिए सीट रिक्त करने के एवज में इन समस्याओं को पूरा करने की शर्त रखी है। लोगों
का कहना है 50 वर्षों से जूझ रहे समस्याओं को हल कराने के लिए विधायक द्वारा अपनी
सीट की कुर्बानी असामान्य घटना है और इससे समाज के लोगों का हित निहित है।
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