मंगलवार, 25 अगस्त 2009

कांग्रेस द्वारा भाजपा का सरेआम दोहन

0 केंद्र सरकार का उपक्रम दे रहा राज्य सरकार को अलसेट

0 समूचे प्रदेश में बांट दिए करोड़ों के चेक

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के एक उपक्रम द्वारा मध्य प्रदेश में संचालिए केंद्र सरकारक की महात्वाकांक्षी परियोजना प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में जमकर पलीता लगाया जा रहा है। इस कंपनी द्वारा सौ फीसदी काम को ही सबलेट कर पेटी कांटेक्टर्स को प्रदाय कर दिया गया है।प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय संचार मंत्रालय की एक सहयोगी कंपनी टेलीकम्यूनिकेशन कंसलटेंट इं लिमिटेड (टीसीआईएल) द्वारा मध्य प्रदेश में पीएमजीएसवाय के तहत लगभग आधे प्रदेश में अपना साम्राज्य कायम कर लिया है। बताया जाता है कि उक्त कंपनी द्वारा लगभग 5 जिलों में सड़क निर्माण का काम किया जा रहा है।राजधानी दिल्ली स्थित ग्रेटर कैलाश पार्ट वन के टीसीआईएल भवन स्थित इस कंपनी के मुख्यालय में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार इस सरकारी उपक्रम द्वारा मध्य प्रदेश में 2005 के उपरांत करोड़ों रूपयों के सड़क निर्माण के कार्यों के ठेके प्राप्त किए हैं।टीसीआईएल के सूत्रों का कहना है कि अचानक अस्तित्व में आई इस कंपनी को प्री क्वालिफिकेशन सार्टिफिकेट (पीक्यू) कैसे हासिल हो गया। सूत्रों के अनुसार चूंकि यह सरकार एक उपक्रम है अत: इस बारे में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ज्यादा खुर्दबीनी नहीं की गई है।सूत्रों ने यह भी बताया कि उक्त कंपनी द्वारा अर्जित किए गए सड़क निर्माण के ठेकों को सबलेट कर पेटी कांटेक्टर्स को दे दिया गया है। बताया जाता है कि कंपनी को दिया गया सौ फीसदी काम ही सबलेट पर निर्मित हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि नियमानुसार 25 फीसदी से अधिक का काम सबलेट नहीं किया जा सकता है।बताया जाता है कि उक्त सरकारी उपक्रम द्वारा पूर्व में सड़क निर्माण जैसा कोई काम नहीं किया गया है, फिर इसे किस आधार पर इतनी व्यापक मात्रा में सड़कों के ठेके आंख मूंदकर प्रदाय कर दिए गए हैं। चर्चाएं तो यहां तक है कि इस कंपनी की पीक्यू भी फर्जी हो सकती है।मध्य प्रदेश में चल रही बयार के अनुसार उक्त कंपनी द्वारा जिन पेटी कांटेक्टर्स के माध्यम से सड़क निर्माण का काम कराया जा रहा है, वह भी घटिया गुवणत्ता का है। कंपनी के पास योग्य कंसलटेंट, अनुभवी तकनीकि जानकारी वाले इंजीनियर्स आदि तंत्र के अभाव में कंपनी द्वारा पेटी कांटेक्टर्स के कार्य की गुणवत्ता का आंकलन नहीं किया जा पा रहा है।इतना ही नहीं मध्य प्रदेश सरकार का संबंधित अमला भी इस घटिया गुणवत्ता वाले काम को आंख मूंदकर संपादित होने दे रहा है।