गुरुवार, 1 नवंबर 2012

आज भी ममता ही चला रहीं भारतीय रेल!

आज भी ममता ही चला रहीं भारतीय रेल!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और भारत गणराज्य की पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी ने भले ही अपने स्थान पर अपने गणों को रेल महकमा सौंपा हो, फिर केंद्र सरकार से अलग होकर अपने गणों को केंद्र सरकार से हटा लिया हो पर आज भी हकीकत यही है कि ममता बनर्जी के बिठाए गए कारिंदे ही भारतीय रेल को हांक रहे हैं।
भारतीय रेल्वे बोर्ड के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू एवं तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्रालय का कामकाज संभालते ही रेल्वे भर्ती बोर्ड के अध्यक्षों की तत्काल प्रभाव से छुट्टी कर अपनी पसंद के रेल्वे बोर्ड के अध्यक्ष देश भर में नियुक्त कर दिए थे।
इसके बाद जैसे ही यह कमान लालू यादव के पास से त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के पास आई उन्होंने भी यही कदम उठाया और लालू प्रसाद यादव के बिठाए गए सारे रेल्वे भर्ती बोर्ड के अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखा दिया और अपनी पसंद के लोगों को इस पर काबिज करवा दिया गया। सूत्रों ने यह भी बताया कि देश भर में 20 रेल्वे बोर्ड काम कर रहे हैं, एवं इनका कार्यकाल तीन साल का होता है।
ममता बनर्जी के रेल्वे से हटने के उपरांत दिनेश त्रिवेदी, फिर श्री राय और फिर सी.पी.जोशी के उपरांत रेल विभाग अब पवन बंसल के पास आ गया है। ममता के उपरांत त्रणमूल द्वारा इन रेल्वे बोर्ड के अध्यक्षों को नहीं बदलना तो समझ में आता है पर जब यह मंत्रालय कांगेस के जोशी ओर फिर बंसल के पास आ गया है तब इन अध्यक्षों को ना बदलना यही साबित कर रहा है कि आज भी रेल मंत्रालय में ममता बनर्जी ही ही तूती बोल रही है।
गौरतलब है कि अहमदाबाद के रेल्वे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डी.एन.गुप्ता, अजमेर के वी.डीएस.केवासन, इलाहाबाद के एस.के.माथुर, बिलासपुर के नितिन ढिमोले, बंग्लुरू के पी.यू.के.रेड्डी, भुवनेश्वर के जी.एम.त्रिपाठी, भोपाल में डी.सी.पंत, कोलकता में आरत्र राजगोपाल, चंडीगढ़ रेल्वे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष राजीव सोनी एवं चेन्नई के एस.रामसुब्बू हैं।
इसी तरह गोरखपुर के राजीव किशोर, गुवहाटी के टी.के.मण्डल, जम्मू में सुरेंद्र कुमार, मादला में डी.के.मण्डल, मुंबई में बी.के.दादाबोय, मुजफ्फरपुर में वी.पी.एन.तिवारी, पटना रेल्वे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.श्रीप्रकाश, रांची में दिनेश कुमार, सिकन्दराबाद में वी.वी.रेड्डी, त्रिवेंद्रम रेल्वे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष सुश्री नीनू इथीरह एवं सिलिगुडी में एम.एल.खान को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था ममता बनर्जी द्वारा।
ये सारे ममता बनर्जी की नियुक्ति वाले रेल्वे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष आज भी बदस्तूर ही काम कर रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि रेल्वे भर्ती बोर्ड पर सदा ही परीक्षा और भर्ती के दौरान गफलत एवं भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। ना तो इस ओर पूर्व मंत्री सी.पी.जोशी और ना ही रेल्वे के वर्तमान निजाम पवन बंसल की निगाहें इस ओर इनायत हो सकी हैं।

सरकार के खिलाफ खबरें छापने पर बंद हो जाते हैं एडवरटाइजमेंट

लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ---- 2

सरकार के खिलाफ खबरें छापने पर बंद हो जाते हैं एडवरटाइजमेंट


भोपाल (साई)। सबसे बड़े अखबार में सत्ता-विरोधी खबर छपते ही पहुंचते हैं ऑइल फैक्ट्री पर खाद्य अधिकारी वहीं दूसरी ओर एक अखबार ने डेढ़ साल खबरें छापी तो उसका मॉल ही डाइनामाइट लगाकर उड़ा दिया। जनसंपर्क विभाग में शिवराज में लूट मची है। कारण यह कि उसने चुनिंदा अफसरों को विज्ञापन देने से लेकर पैकेज देने के अधिकार दे रखे हैं। ऐसा कहते हैं कि घर की लाज पत्नी बचाती है, पर जनसंपर्क की लाज एक पति बचा रहा है। इसका अनुभव बड़े से लेकर छोटे अखबार तक के सभी संपादकों को अच्छी तरह याद है। दो साल पहले इस लाज को बचाने वाले पति या जनसंपर्क विभाग को पतित करने वाले इस अफसर की लड़की की शादी ग्वालियर मेें हुई थी। उसमें अखबार मालिकों ने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की ज्वैलरी गिफ्ट में दी थी।
शिवराज सिंह अपने सलाहकारों के कहने पर समय-समय पर प्रकारांतर से मीडिया को चमकाते रहते हैं। देश का सबसे बड़ा अखबार समूह जब जरा-सी भी सरकार विरोधी चलता है तो उसकी ऑइल फैक्ट्री पर खाद्य विभाग के अधिकारी पहुंच जाते हैं। उसके माल की नपती होने लगती है। वहां टीएनसीपी और सिटी प्लानर पहुंच जाते हैं। विगत दो-ढाई सालों से एक अखबार सत्ता विरोधी चल रहा था तो डाइनामाइट लगाकर उसका मॉल गिरवा दिया। इधर, राजस्थान से मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाले एक नए-नवेले अखबार के आते ही उसमें सत्ता-विरोधी खबरें लगीं तो वह जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन के रेट के लिए तरसता रहा। जब रेट आ गए तो उसे विज्ञापन नहीं दिए गए। विज्ञापन बंद कर दिए गए। इसे कहते हैं, सोफिस्टिकेटेड-वे में धमकाना। शिवराज सिंह को यह सीख स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने तो नहीं दी होगी।
दरअसल, यह सीख छोटू, जनसंपर्क विभाग लज्जाजनक आहूजा, गिरा हुआ गिरजा और इकबाल ने दी है। भगवान करे शिवराज कि तुम्हारा इकबाल बुलंद रहे। मैं तो बहुत ही छोटा-सा अखबार चलाता हूं। मेरी अल्पबुद्धि में जो समझ में आता है, उस हिसाब से सभी अखबारात को और इलेक्ट्रॉनिक चौनलों को सरकारी विज्ञापन लेने का मौलिक अधिकार है। प्रसार संख्या के अनुसार राज्य सरकार को विज्ञापन देना ही होगा, ऐसा मैं नहीं कहता। कुछ माह पूर्व कुछ अखबार मालिकों ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू से यह शिकायत की थी कि हमारे विज्ञापनों का पेमेंट राज्य  सरकारों के जनसंपर्क विभाग द्वारा इसलिए रोक दिया गया है कि हमने सत्ता-विरोधी खबरें छापी थीं।
इस पर श्री काटजू की दलील थी कि विज्ञापन लेना अखबारों का अधिकार है और सत्ता-विरोधी खबरों के कारण सरकारें विज्ञापन न दें, यह गलत है। अब अखबार मालिकों के विवेक पर है कि वे राज्य सरकार के अघोषित आपातकाल को झेलकर और अपमानित होकर धनबल के हस्तिनापुर से बंधे रहें अथवा मुखर हों। यह मैं उनके विवेक पर छोड़ता हूं।
(बिच्छू डॉट काम से साभार)

नीलम ने ले ली 11 की जान!


नीलम ने ले ली 11 की जान!

(प्रीति सक्सेना)

चेन्नई (साई)। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में चक्रवाती तूफान नीलम से अब तक ११ लोग मारे गए हैं। तमिलनाडु में आठ और आंध्र प्रदेश में तीन लोगों की जान गई है। महाबलीपुरम के निकट उत्तरी तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों पर  तूफान का व्यापक असर पड़ा है। कल तूफान शुरू होने पर चेन्नई में सर्वाधिक ७५ किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज हवाएं चलीं।
तूफान के कारण मुम्बई से चला प्रतिभा कावेरी जहाज भटक गया। जहाज से १७ लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। इसमें सवार ३७ में से बीस लोगों ने जान बचाने के लिए पानी में छलांग लगा दी। सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दो लोगों की मौत हो गई और छह लोग लापता हैं।
तूफान का यह आलम था कि चेन्नई में कल शाम से आधी रात तक बिजली गुल रही। तेज हवाओं से संचार नेटवर्क ठप्प होने और बिजली के खंभे टूटने के कारण लोगों का घर पहुंचना मुश्किल हो गया। रास्ते साफ करने के लिए पेड़ों और अन्य मलबों को हटाना पड़ा।
सिग्नल नहीं होने के कारण न्यूज चौनलों को संदेश भेजना भी एक चुनौती रहा। मौसम विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चेन्नई और तटीय जिलों में अगले २४ घंटों में बारिश होने की संभावना है। राज्य सरकार ने तटीय जिलों के स्कूल और कॉलेज आज बंद रखने की घोषणा की है।
वहीं दूसरी ओर हैदराबाद से समाचा एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने खबर दी है कि नागपट्टिनम में ८० हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल बरबाद हो गई है। तीन हजार से अधिक लोग राहत शिवरों में पहुंचाए गए हैं। प्रशासन ने अभी तूफान से हुए वास्तविक नुकसान का आकलन नहीं किया है। आंध्र प्रदेश में तूफान के असर में कमी आई है, लेकिन मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि राज्य के दक्षिणी तटवर्ती क्षेत्रों में अगले १२ घंटे तक भारी वर्षा हो सकती है। हमारी हैदराबाद संवाददाता ने बताया कि समुद्र तट कई स्थानों पर दो सौ मीटर तक कट गया है।
राज्य में हालांकि अब तूफान का असर कम हुआ है लेकिन इसके प्रभाव से दक्षिण तटवर्ती इलाके में नेल्लोर, चित्तूर, प्रकासम जिलों और रॉयलसीमा क्षेत्र में भारी बारिश हुई है। कृष्णपट्टिनम, वदरेवू और निजाम पट्टिनम में लगा तीन नंबर का चेतावनी संकेत जारी रहेगा। मछुआरों को अगले २४ घंटे तक समुद्र में न जाने की चेतावनी दी गई है।
तूफान से संचार लाइनों को मामूली नुकसान पहुंचा लेकिन कच्चे मकानों और धान तथा मूंगफली जैसी खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है। चेन्नई, विजयवाड़ा रेल मार्ग पर कई रेलगाड़ियां देर से चल रही हैं। भारी वर्षा के कारण कुछ रेलगाड़ियां रद्द भी कर दी गई हैं। इस बीच, तूफान के कारण समुद्र में लापता हुए तमिलनाडु के लगभग ६० मछुआरों को प्रकासम तट पर सुरक्षित निकाल लिया गया है।
चेन्नई तट पर आए एक बड़े तेल टैंकर एमटी प्रतिभा कावेरी का लंगर टूट गया। इस पर नाविकों को जहाज से जाने को कहा गया। लाइफबोट से जहाज के चालक दल के 22 सदस्य तट पर आए। तूफानी समुद्र में ज्यादा भार के कारण लाइफबोट पलट गई। कोस्ट गार्ड वहां मौजूद नहीं था। मुछुआरे नाविकों की जान बचाने को लपके लेकिन वे 16 को ही बाहर ला सके। शाम को 730 बजे एक नाविक का शव पानी से निकाला जा सका।
चेन्नई में तूफान ने 200 से अधिक पेड़ व 50 बिजली के खंभे उखाड़ दिए। इससे यातायात अवरूद्ध हो गया। प्रशासन को सड़क साफ करने में कई घंटे लगे। बिजली बोर्ड ने करीब आठ घंटे तक चेन्नई के अधिकांश इलाकों में बिजली काटे रखी। स्कूल व कॉलेज सोमवार को ही बंद कर दिए गए थे। ये अब शुक्रवार तक खुलेंगे।
तूफान के आने से पहले ही प्रशासन ने मल्लापुरम से 4 हजार लोगों को राहत केंद्रों में भेज दिया था। ट्रेफिक से अफरा-तफरी न हो इसलिए कई सरकारी कार्यालयों कई निजी संस्थानों में तीन बजे ही छुट् टी कर दी गई।

अबलाओं की मांग का सिंदूर पोंछ रहे गौतम थापर!


अबलाओं की मांग का सिंदूर पोंछ रहे गौतम थापर!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाला और उद्योग जगत में देश के स्थापित अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के पावर प्लांट में सुरक्षा मानकों की सीधी सीधी अव्हेलना की जा रही है।
संयंत्र के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस संयंत्र में 1000 फिट उंची चिमनी के निर्माण कार्य में अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा मजदूरों की गिरकर मौत हो चुकी है। ये मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के बताए जाते हैं। संयंत्र के एक जिम्मेदार कर्मचारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि यहां हो रहे कामों का जिम्मा जबलपुर और नरसिंहपुर के कांग्रेस भाजपा नेताओं के पास है, जिससे संयंत्र में होने वाली गड़बडियों की जांच दबा दी जाती है।
बताया जाता है कि विगत दिवस भी लगभग सौ फिट उंची चिमनी पर चढ़कर काम करने वाले 21 वर्षीय गाजियाबाद निवासी विजय पिता चतर सिंह का संतुलन बिगड़ा और वह सीधे जमीन पर जा गिरा। बताया जाता है कि गिरते ही उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे।
स्थानीय मजदूरों ने इसकी सूचना घंसौर थाने में देने की बात कही गई किन्तु ठेकेदार द्वारा उक्त मृत विजय को जीवित बताकर सीधे जबलपुर ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि संयंत्र के निर्माण स्थल पर संयंत्र प्रबंधन द्वारा कोई चिकित्सक की तैनाती की गई है? अगर की गई है तो विजय के गिरने के बाद उसने इस संबंध में अपना क्या मत दिया था?
अगर वहां किसी भी चिकित्सक की तैनाती नहीं है तो ठेकेदार द्वारा विजय को बजाए घंसौर के प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर प्रथमिक उपचार कराए जाने के बजाए सीधे जबलपुर ले जाया जाना अनेक संदेहों को जन्म देता है। इस संबंध में घंसौर पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध इसलिए है कि इसके पहले संयंत्र के अंदर हुई दुर्घटना में मोतों पर भी पुलिस ने कोई कार्यवाही अब तक नहीं की है।
(क्रमशः जारी)