आवारा मवेशी, कुत्ते, सुअर मस्त, नगर पालिका पस्त
(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)
सिवनी (साई)। ‘जिला मुख्यालय में
जिला प्रशासन की नाक के नीचे नगर पालिका परिषद ने आवारा पशुओं कुत्तों, सुअरों आदि को
पकड़ने की कार्यवाही भले ही दिखावे के लिए की हो पर की तो सही।‘ उक्ताशय की चर्चाएं
अब शहर भर में होना आरंभ हो गई हैं। दैनिक हिन्द गजट द्वारा ‘पालिका के लिए
मायने नहीं रखते कलेक्टर के निर्देश‘ शीर्षक से समाचार के प्रकाशन के उपरांत नगर
पालिका प्रशासन हरकत में आया और फिल्टर प्लांट में जग खा रही पशुओं को पकड़ने वाली
विशेष ट्राली को सड़कों पर उतारा गया।
शुक्रवार और शनिवार
को इस विशेष तरह की ट्राली और पालिका के कारिंदे, लोगों के लिए
कोतुहल का विषय बने हुए थे। बुधवारी बाजार से लेकर कटंगी नाका क्षेत्र, मठ मंदिर, छिंदवाड़ा चौक आदि
क्षेत्र में इस ट्राली ने सीमित मात्रा में कुत्तों की धर पकड़ की। गौरतलब है कि
बिना किसी पूर्व सूचना के की गई इस कार्यवाही की तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ
रही हैं।
लोगों का कहना है
कि नगर पालिका परिषद को बाकायदा इसके लिए समय समय पर मुनादी पीटी जाना चाहिए कि
नागरिक पालतू जानवरों को बांधकर रखें, उन्हें खुला ना छोड़ें। शहर में कांजी हाउस
कहां है, यह बात लोग
भूल ही चुके हैं। बताया जाता है कि नगर पालिका परिषद द्वारा आवारा कुत्तों को
नागपुर रोड पर कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया गया, जिससे मार्ग में पड़ने वाले गांवों में ये
आवारा कुत्ते कोहराम मचा रहे हैं।
शुक्रवार को खबर के
प्रकाशन के बाद संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के कोप का भाजन बनने से बचने के
लिए संभवतः नगर पालिका परिषद द्वारा दिखावे के लिए प्रतीकात्मक तौर पर यह
कार्यवाही की गई है। लोगों का आरोप है कि आज भी शहर के हर गली मोहल्ले में कुत्तों
की टोली आतंक बरपा रही है। लोग विशेषकर छोटे बच्चे इन आवारा कुत्तों का शिकार बन
रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर शहर भर
में घूमते आवारा मवेशी भी लोगों का जीना मुहाल किए हुए हैं। आवारा गाय बैल वैसे
हैं तो पालतू किन्तु पालकों द्वारा नगर पालिका परिषद के घृतराष्ट्र बनने का फायदा
उठाकर इन्हें घरों में बांधकर नहीं रखा जाता है, परिणामस्वरूप ये
आवारा मवेशी शहर भर में घूम घूमकर ना केवल लोगों के घरों में घुसकर उत्पात मचा रहे
हैं, वरन् सड़कों
के बीच बैठकर आवागमन प्रभावित भी कर रहे हैं।
नमाज़ियों की परेशनी
का सबब!
आवारा मवेशी और
कुत्तों का आतंक इस कदर है कि पाक रमज़ान के महीने में अलह सुब्बह सेहरी के उपरांत
जब मुस्लिम धर्मावलंबी नमाज अता करने मस्जिदों की ओर कूच करते हैं तो आवारा कुत्ते
इन्हें परेशान करने से नहीं चूकते हैं। बताया जाता है कि गत दिवस बस स्टैंड में
फिरोज जहाज नामक युवक को आवारा कुत्तों ने काट लिया।
छोटी मस्जिद चौक, ईदगाह, ज्यारत नाका, एकता कालोनी, बड़ी मस्जिद, कटंगी रोड़ की
मस्जिद, सब्जी
मण्डी के सामने वाली मस्जिद, भैरोगंज मस्जिद आदि में धर्मावलंबी नमाज अता
करने जाते हैं। रास्ते में आवारा मवेशी और आवारा कुत्ते मुंह अंधेरे इबादत करने जाने
वाले इन धर्मावलंबियों को परेशान करने से नहीं चूकते हैं।
विद्यार्थियों में
भय
मुंह अंधेरे सुबह
साढ़े छः बजे से शहर की शालाओं के विद्यार्थियों को लाने ले जाने वाले आटो घरों घर
से बच्चों को एकत्र कर शाला की ओर प्रस्थान करते हैं। मोहल्लों में अपने आटो या बस
का इंतजार करने वाले बच्चों को इन आवारा कुत्तों से सदा ही खतरा बना रहता है। ये
आवारा कुत्ते छोटे बच्चों की ओर भौंकते हुए दौड़ते हैं। डर के कारण भागते बच्चे कई
बार गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं। अनेक बच्चों को इन आवारा कुत्तों द्वारा काटे
जाने की खबरें भी मिली हैं।
स्वाईन फ्लू को
बढ़ावा दे रही पालिका
यह बात स्पष्ट हो
चुकी है कि स्वाईन फ्लू का वायरस सुअरों के माध्यम से ही तेजी से फैलता है। शहर
में मलेरिया के उपरांत डेंगू के मरीज मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, दूसरी ओर शहर में
आवारा घूमते सुअरों से स्वाईन फ्लू के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है। जाने
अनजाने में राजेश त्रिवेदी के नेतृत्व में नगर पालिका प्रशासन लोगों को बहुत बड़ी
बीमारी की मुश्किल में ढकेलता नजर आ रहा है।
25 - 30 का होता है झुण्ड!
बारिश को कुत्तों
के प्रजनन का मौसम माना जाता है। इस मौसम में कुत्ते वंशवृद्धि के लिए अपना
जीवनसाथी चुनते हैं। अमूमन कुत्ते एक झुण्ड बनाकर ही प्रजनन के लिए साथी तलाशते
हैं। इनमें ताकतवर नर श्वान ही सहवास कर पाता है। ताकत की जंग में कुत्तों में आपस
में लड़ाई आम बात है। इस लड़ाई में अनेक कुत्ते घायल भी हो जाते हैं। इन कुत्तों के
बीच में फंसकर पालतू कुत्ते भी अनेक बार घायल हुए हैं। अक्सर इस तरह के कुत्ते 10 से तीस कुत्तों के
झुण्ड में घूमतेे दिख जाएं तो आम बात ही है। शहर की कथित वैध और अवैध कालोनियों
में इन कुत्तों का आतंक देखते ही बनता है। इस तरह झुण्ड में घूमने वाले कुत्तों
द्वारा अपनी भूख मिटाने के लिए पालतू मुर्गे मुर्गियां, बकरी, सुअर, आदि को भी अपना
शिकार बनाया जाता है। ये कुत्ते घरों के खुले दरवाजे देखकर, घरों में घुसकर
आतंक बरपाते नजर आते हैं।
जरूरी है कुत्तों
की नसबंदी
आवारा कुत्ते पकड़ने
का काम मूलतः नगर पालिका परिषद का ही है, किन्तु कमीशन के चक्कर में उलझे नगर पालिका
के कारिंदों का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। सारे शहर में एक ही चर्चा तेज है कि नगर
पालिका परिषद में चल रहा ‘कमीशन‘ का ‘गंदा धंधा‘ लोगों का अमन चैन
छीन रहा है। सारा शहर नरक बन चुका है पर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष राजेश
त्रिवेदी द्वारा कभी पार्षदों के साथ ना देने का रोना रोया जाता है तो कभी संगठन
द्वारा कथित तौर पर ‘उंगली‘ करने की बात कही जाती है। नगर पालिका परिषद
ने अब तक कितने श्वान पकड़े और कितनों की नसंबदी कराकर उन्हें कहां छोड़ा इस बारे
मेें कोई जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराई जाती है।
नहीं पिटवाई जाती
मुनादी
नगर पालिका परिषद
में कमीशन के गंदे धंधे के चलते पालतू पशुओं को घरों में बांधकर रखने की ना तो
मुनादी पीटी जाती है और ना ही समाचार पत्रों में इस तरह की सूचनाएं ही प्रकाशित
करवाई जाती हैं। हालात देखकर लगने लगा है मानो नगर पालिका परिषद द्वारा आम जनता की
बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के स्थान पर निर्माण कार्य, खरीदी आदि को ही
सर्वोच्च प्राथमिकता बना लिया गया है। कहा जाता है कि इस काम में एक बार फिर कमीशन
का गंदा धंधा ही कारिंदों को फायदा दिलाता है।
कांजी हाउस पर
कितना खर्च!
शहर के अंदर नगर
पालिका परिषद के स्वामित्व में एक कांजी हाउस भी है। यह कहां है इस बारे में आज की
युवा पीढ़ी को शायद ही पता हो। इस कांजी हाउस पर नगर पालिका प्रशासन द्वारा हर साल
कितना खर्च किया जाता है इस बारे में भी शायद ही किसी को कोई जानकारी हो। इस कांजी
हाउस में नगर पालिका की कमान राजेश त्रिवेदी के संभालने के उपरांत कितने मवेशी
पकड़कर रखे गए हैं इस बारे में भी नगर पालिका के पास शायद ही कोई रिकार्ड हो।