शनिवार, 19 मई 2012

सड़क, रेल नहीं हवाई मार्ग से जाएं मोगली लेण्ड!


सड़क, रेल नहीं हवाई मार्ग से जाएं मोगली लेण्ड!

भाजपा कांग्रेस की सिवनीवासियों को अनुपम सौगात

सड़क रेल का ठिकाना नहीं, एयर स्ट्रिप बनकर तैयार!

(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। जनता के हितों की सच्ची संवर्धक होने का दावा करने वाली कांग्रेस और भाजपा को जनता की कितनी चिंता है इस बात का अंदाजा मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य सिवनी जिले को देखकर लगाया जा सकता है। सनातन पंथियों के धर्मगुरू जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी की जन्म स्थली होने के बाद सिवनी जिला आज रिसते घावों से बुरी तरह कराह रहा है। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने प्रसिद्ध लेखक रूडयार्ड किपलिंग की मशहूर किताब जंगल बुकके किरदार मोगलीकी कर्मभूमि जाने के लिए सड़क और रेल मार्ग बंद करने का कुत्सित प्रयास किया तो धनाड्यों के लिए हवाई यात्रा का पुख्ता इंतजाम कर दिया है।
शेरशाह सूरी के शासनकाल में लगभग साढ़े चार सौ साल पुरानी उत्तर से दक्षिण को जोड़ने वाली सड़क जो पहले नेशनल हाईवे नंबर सात हुआ करती थी, अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के शासनकाल की अभिनव और महात्वाकांक्षी परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे का हिस्सा है में षणयंत्र को अंजाम देकर इसका निर्माण तो दूर रखरखाव भी रोक दिया गया है।
आरोपित है कि वर्ष 2008 में तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि के एक आदेश के तहत इस सड़क में वृक्षों की कटाई का काम रोक दिया गया था, जो आज तक प्रभावशील है। विधि के जानकारों का कहना है कि इस तरह के मामलों में एक जिलाधिकारी का आदेश दूसरा जिलाधिकारी निरस्त नहीं कर सकता है। इसके लिए राजस्व मण्डल की पूर्वानुमति की आवश्यक्ता होती है। इस संबंध में कुछ लोगों द्वारा संभागायुक्त के दरवाजे खटखटाए गए।
विडम्बना ही कही जाएगी कि भाजपा के शासनकाल में कांग्रेस के क्षत्रपों के इशारों में मध्य प्रदेश के नौकरशाह उनकी चौखट पर मुजरा कर रहे हैं। संभागायुक्त द्वारा इस संवेदनशील मामले को लंबित कर दिया गया। संभागायुक्त कार्यालय के एक कर्मचारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि तत्कालीन संभागायुक्त को महाकौशल के एक कांग्रेसी क्षत्रप ने जो घुटी पिलाई उसके बाद इस नस्ती पर धूल की परत जमना आरंभ हो गया।
इस सड़क के निर्माण के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लगी याचिका का निष्पादन भी कर दिया गया है, फिर भी सड़क पर एक गिट्टी भी डालकर इसका निर्माण नहीं करवाया जाना आश्चर्य का विषय है। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान दंभ भरते हैं कि भले ही सूरज पश्चिम से निकल जाए सड़क यहीं से बनेगी। उनकी इस दंभोक्ति के दो साल बाद भी हालात जस के तस ही हैं। इतना ही नहीं शिवराज के एक बेहद करीबी बिल्डर ने सिवनी जिले में अपना बेस केम्प बनाकर इस सड़क के निर्माण का काम पेटी पर लिया था, वे भी अपना बोरिया बिस्तर समेटकर भोपाल कूच कर गए हैं।
मध्य प्रदेश भाजपा के निजाम प्रभात झा भी तत्कालीन भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को घेरने में नाकाम ही रहे। उन्होंने भी दो मर्तबा घोषणा की कि एनएच पर मानव श्रंखला बनाई जाएगी, हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, फिर प्रधानमंत्री से मिला जाएगा। सियासी गोदे (अखाड़े) के जादूगर कमल नाथ के सामने आते ही यह आंदोलन हो ही नहीं पाया। इसके बाद प्रभात झा ने घोषणा की थी कि सिवनी में फोरलेन बनाने के लिए भाजपा का प्रदेश स्तरीय महिला मोर्चा आगे आकर आंदोलन करेगा।
इस घोषणा से सिवनी वासियों का ढाढस बंधा क्योंकि मध्य प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष और कोई नहीं, वरन् परिसीमन में समाप्त हुई सिवनी लोकसभा की अंतिम सांसद और सिवनी की वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया थीं। प्रभात झा की घोषणा महज घोषणा ही साबित हुई। ना नौ मन तेल आया और ना ही राधा नाची!
अलबत्ता इस सड़क की दुर्दशा को देखकर सिवनी जिले की आदिवासी विधानसभा बरघाट के विधायक कमल मस्कोले ने अवश्य ही क्रमिक अनशन का आगाज किया। यह अनशन भी प्रदेश संगठन की भेंट चढ़ गया बताया जाता है। प्रदेश भाजपा के सूत्रों का कहना है कि जिस दिन कमल मस्कोले द्वारा अमरण अनशन आरंभ किया जाना था उसी दिन भाजपा के निजाम ने कमल मस्कोले को जमकर लताड़ा।
इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम के तहत कमल मस्कोले के अनशन में एनएचएआई के अधिकारी पहुंचे और लिखित आश्वासन देकर उनका अनशन तुड़वाया। यहां उल्लेखनीय होगा कि कमल मस्कोले के संज्ञान में यह बात अवश्य होगी कि एनएचएआई के अधिकारियों को जब न्यायालय में झूठा शपथ पत्र देने से गुरेज नहीं तो फिर विधायक को लिखकर देने में उन्हें क्या परेशानी!
इसी तरह जनता के हित चिंतक होने का दावा करने वाले शराब व्यवसाई और नगर पंचायत लखनादौन के पूर्व अध्यक्ष दिनेश राय मुनमुन ने लखनादौन में चकाजाम किया था। तत्कालीन अपर कलेक्टर अलका श्रीवास्तव के लिखित आश्वासन के बाद उन्होंने अनशन तोड़ा। जिला प्रशासन का लिखित आश्वासन चतुर सुजान दिनेश राय मुनमुन ने कांग्रेसी क्षत्रपों के इशारे पर मढवा लिया होगा जो अब उनके बैठक खाने की शान बढ़ा रहा होगा, वरना क्या कारण है कि तीन साल बाद भी उस आश्वासन को लेकर शराब व्यवसाई दिनेश राय आज तक जिला प्रशासन की देहरी चढ़ने नहीं गए।
यही आलम रेल मार्ग का है। सिवनी जिले की सीमाएं छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, जबलपुर, मण्डला, बालाघाट और नागपुर जिलों से घिरीं हैं। इनमें मण्डला को छोड़कर शेष सभी जिलों में रेल्वे की ब्राड गेज आ चुकी है। छिंदवाड़ा से परासिया बड़ी रेल लाईन होने से अब कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र जिला छिंदवाड़ा से नई दिल्ली के लिए एक रेलगाड़ी रोजाना ही दौड़ रही है। इसके अलावा एक रेल गाड़ी में एक कोच लगकर दिल्ली तक जाता है। इसी तरह नरसिंहपुर, जबलपुर और नागपुर पहले से ही बड़ी रेल लाईन के मामले में समृद्ध हैं।
कमल नाथ की कृपादृष्टि बालाघाट पर पड़ी और बालाघाट से कटंगी और बालाघाट से गोंदिया तक रेल मार्ग का अमान परिवर्तन हो गया। बालाघाट से जबलपुर तक के अमान परिवर्तन के लिए एक उद्योगपित प्रयासरत हैं। बताया जाता है कि अवंथा समूह के मालिक मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका इकबाल सियासी गलियारों में खासा बुलंद है, इस मार्ग के अमान परिवर्तन का काम युद्ध स्तर पर करवाने प्रयासरत इसलिए हैं क्योंकि आदिवासियों के सीने पर पैर रखकर वे केंद्र शासन की छटवीं अनुसूची में शामिल घंसौर विकासखण्ड में 6800 करोड़ रूपए की लागत से एक पावर प्लांट लगाने जा रहे हैं।
अमान परिवर्तन के मामले में सिवनी जिला आज भी बाबा आदम के युग की छोटी खिलौना रेलगाड़ी में जी रहा है। सिवनी में ना सड़क है और ना ही बड़ी रेल लाईन। भेडिया बालक मोगली की कर्मभूमि होने के कारण सिवनी को अंतर्राट्रीय नक्शे में स्थान मिल गया है। पेंच नेशनल पार्क स्थित मोगली की कथित कर्मभूमि में पहुंचने वाले पर्यटकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
संभवतः देशी विदेशी पर्यटकों को लुभाने और उद्योगपतियों की सुविधा को मद्देनजर रख सिवनी जिले में हवाई पट्टी का निर्माण सड़क और रेल मार्ग को पूरा करने के पहले ही पूरा कर लिया गया है। एविएशन विभाग के सूत्रों का कहना है कि सिवनी जिले के ग्राम सुखतरा में बनी नई हवाई पट्टी का रनवे लगभग दो हजार मीटर रखा गया है। इस लंबाई के रनवे पर जेट विमान भी आसानी से उतर सकते हैं। इसमें दो हेलीपेड भी बनाए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। टेक्निकल स्टाफ जल्द ही जाकर अंतिम मुआयना कर इसको लोकार्पण के लिए हरी झंडी दे देगा।
सिवनी जैसे पिछड़े जिले में हवाई पट्टी का निर्माण निश्चित तौर पर स्वागतयोग्य और विकास की दिशा में एक कदम माना जा सकता है। किन्तु यक्ष प्रश्न तो यह है कि गरीब गुरबों के जिस जिले को सड़क और रेल मार्ग से महरूम रखा जा रहा हो, वहां के गरीब आदिवासी क्या हवाई यात्रा करने में सक्षम हैं। विचित्र किन्तु सत्य बात तो यह है कि सिवनी जिले में सड़कों के धुर्रे उड़े हुए हैं, छोटी खिलौना रेलगाड़ी बंद होने की कगार पर है पर आठ सीटर उड़न खटोला उड़ाने की तैयारी हो रही है!

सशर्त सांसद बनने की फिराक में मास्टर ब्लास्ट



सशर्त सांसद बनने की फिराक में मास्टर ब्लास्ट

भीड़ और मीडिया से एलर्जी है सचिन को

(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)। अपने बल्ले से धड़ाधड़ रन बरसाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को वैसे तो स्टेडियम में भीड़ भाड़ शोर शराबा और हर शाट पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ही साथ मीडिया की सुर्खियों में रहना बेहद पसंद है, किन्तु जब पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा में शपथ की बात आती है तो वे सदन में सबके सामने शपथ लेने के बजाए उपराष्ट्रपति के कक्ष में शपथ लेने की मंशा रखते हैं। इन परिस्थितियों में सचिन को राज्य सभा सांसद बनाने का क्या ओचित्य जब वे खेल और खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व ही ना कर पाएं, और कांग्रेस का मुखौटा बनकर रह जाएं।
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि क्रिकेट की दुनिया के कथित भगवान मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने मीडिया की निगाहों और भीड़ से बचने के लिए उपराष्ट्रपति से गुजारिश की है कि उन्हें अकेले में यानी उपराष्ट्रपति के कक्ष में राज्यसभा सदस्यता की शपथ दिलवाई जाए।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की गिरती साख और घपलों, घोटालों, भ्रष्टाचार, उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा तो दिल्ली में नगर निगम चुनावों में मुंह की खाने के बाद कांग्रेस ने लोगों का ध्यान इससे हटाने की गरज से जया बच्चन के साथ ही साथ रेखा को राज्य सभा से भेज दिया है ताकि कुछ दिन तक मीडिया की सुर्खियां रेखा बटोर सकें और लोगों का ध्यान कांग्रेस के काले कारनामों से हट जाए। इसी कड़ी में राहुल को स्थापित करने के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को राज्य सभा से भेजा गया है।
सूत्रों ने कहा कि सचिन तेंदुलकर ने उपराष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि उन्हें उपराष्ट्रपति के बंद कक्ष में सांसद की शपथ दिलवाई जाए। उधर, कांग्रेस के रणनीतिकार इसका विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस के आलंबरदारों का कहना है कि अगर एसा हुआ तो विपक्ष को बैठे बिठाए ही एक मुद्दा हाथ लगा जाएगा।
कहा जा रहा है कि सांसद चाहे वह राज्य सभा का हो या लोकसभा का, वह जनसेवक होता है। इन परिस्थितियों में उसे जनता से परहेज कैसा? अगर एसा हुआ तो विपक्ष इस मुद्दे को जमकर उठा सकता है कि जब सचिन मीडिया से बचने बंद कमरे में शपथ लेंगे तब वे खेल और खिलाडियों का प्रतिनिधित्व कैसे कर पाएंगे? मतलब साफ है कि सचिन को कांग्रेस बतौर मुखौटा इस्तेमाल करने की फिराक में है।


सिवनी के साथ फिर सौतेला व्यवहार किया सांसद देशमुख ने!

सिवनीवासी सोच रहे कब टूटेगा बसोरी का मौन

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। परिसीमन में कांग्रेस और भाजपा नेताओं की नूरा कुश्ती के चलते विलुप्त हुई सिवनी लोकसभा सीट का खामियाजा अब भी सिवनीवासी भुगत रहे हैं। परिसीमन के उपरांत सिवनी को दो सांसद अवश्य ही मिल गए है पर दोनों ही सांसदों द्वारा सिवनी के मसलों में पूरी तरह उदासीनात्मक रवैया अपनाया जा रहा है जिससे जनता अपने आप को निरीह और ठगा सा महसूस कर रही है।
सिवनी से होकर गुजारने वाली उत्तर दक्षिण की जीवनरेखा नेशनल हाईवे नंबर सात जो अब उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे में तब्दील हो चुकी है, में सिवनी जिले में बंजारी के पास और मोहगांव, कुरई होकर खवासा मार्ग को षणयंत्र पूर्वक रोकने के चलते वर्ष 2008 के उपरांत इसमें रखरखाव बंद कर दिया गया है। आलम यह है कि आए दिन कोई ना कोई वाहन इस मार्ग में पसरा पड़ा होता है। इस संबंध में बालाघाट सिवनी के भाजपाई सांसद केशव दयाल देशमुख और मण्डला सिवनी के सांसद बसोरी सिंह मसराम ने लोकसभा में मौन ही साधे रखा गया है।
इतना ही नहीं हाल ही में बालाघाट जिले की रेल सुविधाओं को लेकर बालाघाट सिवनी के भाजपाई सांसद केशव दयाल देशमुख ने रेल्वे के मामले में बालाघाट जिले की उपेक्षा को लेकर दक्षिण पूर्व मध्य रेल के मण्डल प्रबंधक को कड़ी चिट्ठी लिखकर अपने गुस्से का इजहार किया था। यहां उल्लेखनीय होगा कि सांसद देशमुख ने अपने संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले वाले हिस्से के बारे में पूरी तरह सौतेला व्यवहार करते हुए मौन ही साधे रखा है।
सांसद देशमुख ने जनता के जनादेश का सम्मान करते हुए लोकसभा में शून्यकाल में प्रश्न करते हुए नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के कटंगी, बालाघाट, गोंदिया के बीच अमान परिवर्तन होने के बाद बालाघाट से गोंदिया और कटंगी के बीच रेल के फेरे बढ़ाने की अपनी मांग को तवज्जो ना मिलने पर असंतोष जताया। इसी तरह बालाघाट से रायपुर और नागपुर सीधी रेल सेवा आरंभ करने की मांग पुनः दुहराई।
विडम्बना ही कही जाएगी कि सांसद देशमुख को लोकसभा में भेजने में सिवनी जिले के बरघाट और सिवनी विधानसभा क्षेत्र की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। सांसद देशमुख का सिवनी जिले से किया जाने वाला सौतेला व्यवहार समझ से ही परे है। सिवनी जिले के मामलों को लेकर भाजपाई सांसद देशमुख का मौन आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। सांसद देशमुख को संभवतः इस बात का भी इल्म नहीं है कि सिवनी जिला भी अब नक्सल प्रभावित जिलों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है। इस लिहाज से सिवनी जिले को भी पूरी तवज्जो मिलना चाहिए।
उधर, मण्डला सिवनी संसदीय क्षेत्र के सांसद बसोरी सिंह मसराम द्वारा सिवनी में हाहाकार मचने के बाद भी नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजाई जा रही है। मण्डला संसदीय क्षेत्र में सिवनी जिले की केवलारी और लखनादौन विधानसभा का समावेश होने के बाद भी सिवनी जिले के मामले में बसोरी सिंह मसराम सदा ही नाट रीचेबलरहते हैं।

शिक्षक ने किया नाबालिक छात्रा को गर्भवती!


शिक्षक ने किया नाबालिक छात्रा को गर्भवती!

(श्वेता यादव)
उन्नाव (साई)। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक गुरु ने गुरु शिष्य के परम पूज्य रिश्ते हो कलंकित किया। जहां स्कूल की महिला रसोइये की मदद से अध्यापक ने कक्षा 6 की छात्रा को लम्बे समय तक अपनी हवस का शिकार बनाया। इस दौरान छात्रा गर्भवती हुई तो मास्टर ने उसे गर्भपात की दवा खिला दी जिससे छात्रा के शरीर से खून का रिसाव शुरू हो गया और उसकी हालत गंभीर हो गयी।
इस घटना से घबराए घरवाले छात्रा को लखनऊ स्थित क्वीन मैरी अस्पताल ले गए जहां परिक्षण के बाद हकीकत खुल के सबके सामने आयी। मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्रा के पिता ने गुरुवार को शिक्षक और महिला रसोइया के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए पुलिस द्वारा शिक्षक और उसकी मददगार महिला रसोइया को गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ ही पुलिस द्वारा इस बात की भी जांच की जा रही है की कहीं वहां पर रहने वाली और भी छात्राओं का भी तो शोषण नहीं हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला उन्नाव जिले के फतेहपुर चौरासी का है जहां लगभग एक सौ छात्राएं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं वहीं पर बांदा निवासी सामाजिक विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक हर नारायण ने कक्षा 6 में पढ़ने वाली एक 13 साल की छात्रा रीना (काल्पनिक नाम) का महिला रसोइया अनुराधा दुबे की मदद से अपने घर बुलाकर लंबे समय तक बलात्घ्कार किया जिससे छात्रा के दो माह का गर्भ ठहरने पर दोनों ने उसे गर्भपात की दवा दी। दवा से छात्रा का गर्भ तो गिर गया लेकिन उसकी हालत बिगड़ गई।
इस घटना से घबराए अध्यापक और महिला रसोइया ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी सूचना तुरंत लड़की के माता पिता को दी और उन्हें बुलाकर लड़की को उनके हवाले कर दिया। लड़की के पिता ने उसे लखनऊ के क्वीन मैरी हास्पिटल में भर्ती कराया। वहां पर परिक्षण के बाद लड़की के साथ हुए बलात्घ्कार का यह मामला सामने आया।अगर अस्पताल से जुड़े सूत्रों की माने तो जिस वक्त छात्रा को अस्पताल लाया गया उस समय उसे भीषण रक्तस्राव हो रहा था जिससे उसके शरीर में खून की कमी हो गयी थी। साथ ही उन्होंने ये भी बताया की अभी भी छात्रा की हालत गंभीर बनी हुई है।

आईपीएल: माल्या और शुक्ला उतरे बचाव में


आईपीएल: माल्या और शुक्ला उतरे बचाव में

(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)। इंडियन प्रीमियर लीग को विवादों में फंसता देख केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ल अब बचाव की मुद्रा में दिख रहे हैं। उधर, मुंबई में शाहरूख खान तो दिल्ली में शराब व्यवसाई विजय माल्या मे पुत्र सिद्धार्थ माल्या ने मोर्चा संभालकर बदतमीजी का कभी ना थमने वाला सिलसिला आरंभ कर दिया है।
आईपीएल खिलाड़ी पर छेड़खानी मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। रॉयल चौलेंजर्स के मालिक विजय माल्या के बेटे सिद्धार्थ माल्या ने आरोप लगाने वाली युवती के चरित्र पर ही सवाल उठा दिया है। अपने आपत्तिजनक बयान के बाद उन्होंने मीडिया के साथ भी बदसलूकी की। वह मीडिया कर्मियों धमकी के अंदाज में उंगली उठाते हुए चले गये।
अपने टीम के खिलाड़ी के छेड़छाड़ और मारपीट जैसे आरोप में फंसने से रॉयल चौलेंजर्स के मालिक सिद्धार्थ माल्या बौखला गए है। पहले तो उन्होंने महिला के चरित्र पर उंगली उठाई, उसके बाद मीडिया से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने गाली देकर भद्दे इशारे किये। दोपहर में प्रेसवार्ता के दौरान माल्या ने ल्यूके के खिलाफ कार्रवाई की बात कही, लेकिन बाद में उनके तेवर सख्त होते नजर आए।
जब पत्रकारों ने उनसे गाली देने की बात कहीं तो उन्होंने कहा कि मीडियों को नहीं बल्कि तुम्हें दे रहे है। सिद्धार्थ माल्या ने ल्यूक पर आरोप लगाने वाली युवती को ही चरित्रहीन बता दिया है। उन्होंने ट्विटर पर ट्विट करते हुए लिखा है कि लड़की ल्यूक पर अपने मंगेतर को पीटने का आरोप लगा रही है, क्या बकवास कर रही है। कल रात वह मुझसे चिपक रही थी और मुझसे बीबीएम पिन मांग रही थी। अगर वह उसका मंगेतर था तो, उसका बर्ताव दुल्हन की तरह कतई नहीं था।
आईपीएल क्रिकेटर ल्यूक पॉमर्सबैच से छेडछाड़ की शिकार अमेरिकी महिला ने आरोप लगाया कि क्रिकेटर ने उसका चुंबन लेने की कोशिश की और जब उन्होंने उसके साथ ड्रिंक लेने से इनकार किया तो उसने उसके मंगेतर को कई घूंसे जड़ दिये। आईपीएल पार्टी के बाद शहर के एक पांच सितारा होटल में पोमेरबाश ने उस महिला के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की और उसके मंगेतर को पीटा।
गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली के पांच सितारा होटल में कथित तौर पर विदेशी युवती के साथ छेड़छाड़ के मामले में रॉयल चौलेंजर्स बेंगलुरु की तरफ से खेलने वाले ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ी ल्यूक ऐंटनी पॉमर्सबैश को गिरफ्तार कर लिया गया है। आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला से पूछे जाने पर मामले से पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने कहा कि यह खिलाड़ी का व्यक्तिगत मामला है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार की रात दिल्घ्ली के फिराजशाह कोटला स्टेडियम में रॉयल चौलेंजर्स बेंगलुरू और दिल्ली डेयरडेविल्स के मैच के बाद दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में पार्टी रखी गयी थी। पार्टी के दौरान ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ी पामर्शबैश ने वहां डिनर कर रही एक महिला के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी, जिसके बाद मार-पीट की नौबत आ गयी।
जब महिला के साथ बैठे उसेक दोस्त ने विरोध किया तो, खिलाड़ी ने मारपीट करना शुरू कर दिया, जिसके कारण महिला को चोट भी आई है। महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। महिला ने दिल्ली के चाणक्यपुरी थाने में ल्यूक के खिलाफ छेड़छाड़ और मारपीट का केस दर्ज कराया है। इससे पहले शाहरूख खान ने सुरक्षा अधिकारियों के साथ मारपीट की थी।
इस मामले पर राजीव शुक्ला ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी के लिए आईपीएल जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि आईपीएल ने पार्टी कराना काफी पहले ही बंद कर दिया है ऐसे में खिलाड़ी के व्यक्तिगत कदम से आईपीएल का कोई संबंध नहीं है। आईपीएल 4 और आईपीएल 5 में किसी तरह की पार्टी का आयोजन नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि पुलिस में केस दर्ज किया गया है ऐसे में जो भी उचित कार्यवाही होगी वह पुलिस के द्वारा की जाएगी। दूसरी तरफ पुलिस ने बताया कि आरोपी खिलाड़ी के खिलाफ धारा 454 और 511 के तहत मामला दर्ज किया गया है। खिलाड़ी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

सूर्यनारायण ने झुलसाया उत्तर प्रदेश को


सूर्यनारायण ने झुलसाया उत्तर प्रदेश को

(दीपांकर श्रीवास्तव)
लखनऊ (साई)। मई महीने में भले ही देश के कुछ हिस्सों में पश्चिमी विक्षोभ के चलते बादल और पानी की स्थिति बनी हो पर उत्तर प्रदेश में पारा तेजी से उछल रहा है। गर्मी से यूपी का हाल बेहाल है। पारा 45 के पार होने से पूरा  उत्घ्तर प्रदेश तपिश से झुलस रहा है। दिन भर तपते सूरज और झुलसाती लू से ने आमजन जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। इस दौरान पिछले 24 घंटों के दौरान इलाहाबाद राज्य का सबसे गर्म स्थान रहा जहां अधिकतम तापमान 45.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से चार डिग्री अधिक था।
राजधानी लखनऊ का अधिकतम तापमान 42.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। गुरुवार को राजधानी लखनऊ का न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो बुधवार के तापमान से करीब एक डिग्री अधिक है। वहीं ताजनगरी आगरा में पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी और बिजली संकट गहरा जाने से लोगों का जीवन दूभर हो गया है। गर्मी के कारण लू लगने से यहां एक व्यक्ति की मौत हो गयी। पिछले सप्ताह से आगरा का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।
अगरा में तापमान 44.7 डिग्री सेल्सियस को छू चुका है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने गर्मी और तपिश ज्यों की त्यों बने रहने की संभावना जताई है। गर्मी का आलम यह है कि सुबह दस बजे के बाद से ही सूरज के तेवर चुभने लगते हैं। भीषण गर्मी के कारण लोगों का सड़कों पर निकलना मुश्किल है। तेज धूप और तन को झुलसाने वाली गर्म हवाओं के थपेड़ो से लोग बेहाल हैं।
आलम यह है कि लोग मजबूरीवश ही घर से बाहर निकल रहे हैं। गर्मी के चलते बाजारों में भी सन्नाटा पसरा रहा। वहीं तपिश से बचने के लिए लोग टोपी, चश्मे व कपड़ा लपेटे नजर आ रहे है। गर्मी से बचने के लिए एसी व कुलर ही लोगों का सहारा बना है, पंखे की हवा गर्मी से राहत देने में नाकाम साबित हो रही है। दूसरी ओर इस चिलचिलाती गर्मी में कई क्षेत्रों में लोग बिजली कटौती से भी परेशान है। बिजली की कमी इस गर्मी में लोगों का हाल और बेहाल कर दिया है। वहीं मौसम विभाग की मानें तो अभी यह गर्मी और सतायेगी, राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं।

बोफोर्स की राह पर टूजी घोटाला


बोफोर्स की राह पर टूजी घोटाला
(विष्णु गुप्त)
क्या टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला भी बोफोर्स की राह पर चल पड़ा है? बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष में अप्रत्यक्ष दोस्ती की तकरीर होगी? तथ्य हवा हवाई होंगे? बाहर आने के बाद अब ए राजा सीबीआई को खरीद सकता है? सीबीआई-सरकारी वकीलों को खरीद सकते है? टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के गवाहों को खरीद सकते हैं? मनमोहन सिंह-सोनिया गांधी से राजनीतिक सौदेबाजी कर अपने को पाक साफ करने की न्यायिक शक्ति भी हासिल कर सकते हैं? सीबीआई द्वारा जुटाये गये मजबूत-कमजोर तथ्यों को हवा-हवाई भी करा सकते हैं ए राजा? ए राजा बोफोर्स दलाल क्वात्रोच्चि की तरह ब्लैकमैंलिंग का हथियार भी इस्तेमाल कर सकते हैं? भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम भी ठंडी हो सकती है?
ऐसा कहना या फिर ऐसी आशंका जाहिर करना अनर्थ भी तो नहीं है। इसलिए कि ए राजा अब तिहाड़ से आजाद हैं। उसके पास राजनीतिक ताकत है। ए राजा के पास धन-दौलत की ताकत है। ए राजा के पास टाटा-अंबानी जैसे कारपोरेटेड घराने हैं? मनमोहन सिंह-सोनिया गांधी सत्ता के भागीदार द्रमुक ए राजा के साथ हैं। क्या आप बीएमडब्ल्यू कांड को भूल गये। बीएमडव्ल्यू कांड के धनी और रसूख बालक अभियुक्त ने हाईकोर्ट में पुलिस-सरकारी वकील को क्या नहीं खरीदा था? बचाव और अभियोजन पक्ष ने एक होकर क्या बीएमडब्ल्यू कांड को दफन करने की साजिश नहीं रची थी? प्रमाणित तौर पर और न्यायिक परीक्षण में बिकने-खरीदे जाने के आरोप साबित होने के बाद भी क्या आरके आनन्द जैसे वकील सुप्रीम कोर्ट में वकालत नहीं कर रहे हैं? मनमोहन सरकार पर कृपा कर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बाला कृष्णन ने अथाह संपति नहीं कमायी? बीएमडब्ल्यू कांड की कसौटी पर देखें तो सीबीआई और सरकार के वकील और महकमें की ईमानदारी खरीदना कोई कठिन काम भी नहीं है। इसीलिए जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता यह आशंका जाहिर करती हैं कि टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर कानून का शिकंजा कमजोर पड़ रहा है और यह भी हो सकता है कि द्रमुक राजनीतिक सौदेबाजी के तहत टू जी घोटाले पर पर्दा डाल कर अपने भ्रष्टाचारियों को बचा सकता है तब इसे स्वाभाविक ही माना जा सकता है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री जयललिता का यह आरोप और उक्त आशंका यह कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है कि वे द्रमुक की प्रतिद्वंद्वी राजनीतिज्ञ शख्सियत हैं।
कई ऐसी राजनीतिक और कारपारेटेड शक्तियां हैं जिन पर टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शामिल होने के आरोप हैं पर सीबीआई और मनमोहन सिंह सरकार की कृपा से बचने के फिराक में लगे हुए हैं और घोटाले के प्रसंग व जांच को लंबा खींचबा कर जन दबाव हटवाने की कोशिश में हैं। जनदबाव के कारण ही न्यायपालिका टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सख्त हुई थी और यह उम्मीद जगी थी कि टू जी स्पेकट्रम घोटाले के सभी बड़े अभियुक्तों को जरूर सजा मिलेगी और भ्रष्टाचार की अग्नि से मुक्ति भी मिलेगी। न्यायपालिका अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कितनी दूर तक करती है और कितनी ईमानदारी से करती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
भारतीय राजनीतिक संस्कृति का पतन देखिये। लोकतांत्रिक संस्कृति के वाहक दलों की बेशर्मी भी देख लीजिये। ए राजा की जमानत पर हुई रिहाई पर उनकी पार्टी द्रमुक ने बम-फटाखे छोड़े। दिल्ली से लेकर तामिलनाडु तक खुशियां मनायी गयी। द्रमुक के छोटे कार्यकर्ता से लेकर द्रमुक के सरगना करूणानिधि तक खुश हैं। खुशियां भी ऐसी मनायी गयी जैसे ए राजा कोई भ्रष्टाचार के खलनायक नहीं बल्कि ईमानदारी के नायक हों। एक भ्रष्टाचारी की रिहाई पर जमकर खुशियां मनाने की यह संस्कृति क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सकारात्मक मानी जायेगी? क्या इस तरह की संस्कृति से देश में भ्रष्टाचारियों के भ्रष्ट आचरण और भ्रष्ट मानसिकता का पोषण नही होता है? क्या ऐसी संस्कृति पर जनचेतना नहीं जगनी चाहिए। पर सवाल यहां यह उठ सकता है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जनचेतना जगायेगा तो कौन? सरकारी मिशनरी और भ्रष्टाचारी लोग तो अन्ना आंदोलन को ही देश के लिए खतरा घोषित करने में लगे हुए हैं। भ्रष्टाचारियों के पक्ष में कैसी-कैसी ताकत हैं, यह भी बताने की जरूरत है क्या?
अगर भ्रष्टाचारियों के पक्ष में बड़ी-बड़ी और निर्णायक शक्तियां खड़ी नहीं होती तब क्या लोकपाल जैसा भ्रष्टाचार विरोधी नियामक अधर में लटकता? जनचेतना की भी अपनी विसंगतियां हैं। कुनबे पंसद, जाति पसंद, भाषा पसंद, क्षेत्रीयता पसंद जनचेतना ही द्रमुक, जैसी राजनीतिक पार्टियां को भ्रष्टाचार और अपसंस्कृति के गर्त में जाने के बाद भी नायक बनाती है। अगर ऐसा नहीं होता तो ए राजा की जमानत पर हुई रिहाई के बाद खुशियां मनाने की हिम्मत ही द्रमुक के पास नहीं होती। सिर्फ द्रमुक की ही बात नहीं है। लालू, मायावती, चन्द्रबाबू नायडु और यदियरपा जैसे कुनबेबाज और भ्रष्टाचार के आरोपी जनादेश पर सवार होकर राजनीतिक पटल पर विराजमान हैं? आखिर क्यों? क्या इससे लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा व लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर चाबुक नहीं चलता है?
सीबीआई की बेईमानी अब ओझल भी नहीं है। केन्द्र सरकार की गुलामी क्या सीबीआई नहीं करती है? सीबीआई को मोहरे की तरह केन्द्र सरकार अपने स्वार्थाे की पूर्ति के लिए नचाती है। सीबीआई की मर्दागनी तभी जागती है जब केन्द्र सरकार चाहती है। नहीं तो सीबीआई शिथिल पड़ी रहती है। केन्द्र सरकार के स्वार्थ साधने के लिए सीबीआई कैसे-कैसे खेल खेलती है, यह भी जगजाहिर है। बोफोर्स तोप सौदे का हस्र क्या आपको मालूम नहीं है। यह प्रमाणित बात थी कि बोफोर्स तोप सोदेबाजी में रिश्वतखोरी हुई थी। राजीव गांधी-सोनिया गांधी के रिश्तेदार क्वात्रोच्चि के खाते में रिश्वतखोरी के पैसे भी जमा हुए थे। सीबीआई जांच के दौरान सबूत ही नहीं जुटायी। सीबीआई सबूत जुटाती तो रिश्वतखोर जेल में होते और इसकी आंच कांग्रेस-सोनिया तक आ सकती थी। सीबीआई ने मनमोहन सिंह सरकार के इशारे पर क्वात्रोच्चि के सील खाते को खुलवाया और बोफोर्स तोप दलाली कांड को न्यायिक दफन के लिए खेल-खेला। सीबीआई टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी घोटालेबाजों को बचाने के लिए अपना जंजाल खड़ा करना शुरू कर दिया है। सीबीआई अगर मजबूती और चाकचौबंद ढंग से टूजी स्पेक्ट्रम की जांच और अभियुक्तों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाती तो ए राजा को जमानत का हकदार ही नहीं माना जा सकता था। छोट-छोटे भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में गरीब-गुरबे को सालों-साल जमानत नहीं मिलती है पर ए राजा जैसे घोटाले बाज बड़े और नामी वकीलों के साथ ही साथ भ्रष्ट व फिक्सिंग प्रक्रिया के बल पर जमानत पाने के हकदार बन बैठते हैं। इस न्यायिक खामी को कैसे दुरुस्त किया जा सकता है? यह भी विचारणीय प्रश्न है।
टू जी स्पेक्ट्रम में कई राजनीतिज्ञ और कई कारपोरेटेड घराने ऐसे हैं जो बचने की कोशिश करने में लगे हुए हैं। अनिल अंबानी सीबीआई और मनमोहन सिंह की कृपा से जेल जाने से साफ बच गये। अनिल अंबानी के अधिकारी जेल जरूर गये। जबकि जेल अनिल अंबानी या फिर अनिल अंबानी की पत्नी को जाना चाहिए था। द्रमुक के नेता और पूर्व संचार मंत्री दयानिधि मारन के खिलाफ भी सबूत हैं पर सीबीआई वीरता नहीं दिखा रही है। गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने अपने बेटे को टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़ी टेलीकॉम कंपनी के शेयर दिलाये। यह मामला अभी-अभी संसद में हंगामा मचाया था। टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले का भविष्य क्या होगा? घोटालेबाजों को सजा मिलेगी या नहीं? टू जी स्पेक्ट्रम के घोटालेबाज बोफोर्स दलाल कांड के अभियुक्तों की तरह कहीं बरी तो नहीं हो जायेंगे? इसलिए कि सीबीआई और भारत सरकार अप्रत्यक्षतौर पर टू जी स्पेक्ट्रम के घोटालेबाजों के साथ खड़ी हुई है। जनदबाव नहीं होता तो टू जी स्पेक्ट्रम के घोटालेबाजों पर न तो मुकदमा चल पाता और न ही घोटालेबाज तिहाड़ जेल जा पाते। अगर टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कारपोरेटेड सरगनाओं और राजनीतिज्ञों को सजा नहीं हुई तो फिर देश की जनता की गाढ़ी कमाई आगे भी लुटती रहेगी।
(विस्फोट डॉट काम से साभार)