ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
बहादुर ने दिखाई मन्त्री का रिपोर्ट कार्ड दिखाने की बहादुरी
देश के नीति निर्धारक कितने योग्य हैं, इस बात पर अघोषित तौर पर तो चौक चौराहों पर बहस होती रही है, पर बनारस के रामचरण बहादुर ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मन्त्री कपिल सिब्बल की शैक्षणिक योग्यता जांचने का साहस दिखाकर अनुकरणीय पहल की है। दरअसल कपिल सिब्बल द्वारा आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा की पात्रता के लिए स्कूल सार्टिफिकेट की महत्ता पर बल दिया था। सिब्बल का मशिविरा था कि स्कूली प्रमाण पत्र में 80 फीसदी से अधिक नंबर लाने वालों अर्थात टापर 20 फीसदी छात्रों को ही प्रवेश का अवसर मिले तो बहुत अच्छा होगा। इसी से क्षुब्ध बहादुर ने सूचना के अधिकार में कपिल सिब्बल के स्कूल प्रमाण पत्रों की प्रति की मांग की है, ताकि वह जान सके कि आईआईटी के छात्रों का भविष्य निर्धारण करने वाले सिब्बल ने स्कूल के जमाने में क्या गुल खिलाए थे। सिब्बल ने सेंट स्टीफन्स कालेज और हार्वड लॉ स्कूल में पढाई की है। बहादुर ने आईआईटी संस्थानों के निदेशक और प्राध्यापकों के स्कूली प्रमाण पत्र भी मांगे हैं। कहा जा रहा है कि हो सकता है बहादुर की यह मंशा पूरी न हो सके क्योंकि सूचना के अधिकार में उन प्रश्नों का उत्तर देना आवश्यक नही होता है जिनका ठोस आधार, कारण या तर्क नहीं होता है।
नक्सली कार्यक्षेत्र विस्तार के रोड मेप में सतना रीवा!
लाल कारीडोर के विस्तार में लगे हुए हैं नक्सलवादी, जी हां यह सच है, नक्सलवादियों द्वारा सरकार की ढीली पोली नीतियों और राज्य तथा केन्द्र के बीच समन्वय का फायदा उठाकर अपना कार्यक्षेत्र विस्तार करने की योजना बनाई जा रही है। वैसे भी नक्सलियों के लिए सामाजिक और आर्थिक विषमता वाले क्षेत्र बहुत ही मुफीद होते हैं। कल तक ददुआ और ठोकिया जैसे दुर्दान्त डाकुओं के कब्जे वाले विन्ध्य क्षेत्र अब नक्सलियों की पहली पसन्द बनता जा रहा है। खुफिया एजेंसियों द्वारा केन्द्र सरकार के गृह मन्त्रालय को सौंपी रिपोर्ट में कुछ इसी तरह के संकेत मिल रहे हैं। गृह मन्त्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर माह में सरगुजा जिले में हुए नक्सली हमले के उपरान्त खुफिया एजेंसियों द्वारा बनाई गई रिपोर्ट के मुताबिक अब लाल डोरे के विस्तार के लिए नक्सलियों द्वारा विन्ध्य के सतना, रीवा और त्रिवेणी संगम वाले इलहाबाद को चुना है। सतना, रीवा पुलिस भले ही इस बात से इंकार करे कि नक्सलवादी पदचाप उन्हें सुनाई दिए हैं, पर खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
भारतीय डाक्टर्स पचा नहीं पाते हैं बातें!
भारत के चिकित्सकों ने समूची दुनिया में अपने फन का लोहा मनवाया है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, किन्तु यह खबर भारतीय मूल के चिकित्सकों को परेशान करने वाली हो सकती है कि सालों साल भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन की महिलाएं भारतीय मूल के चिकित्सकों पर एतबार नहीं करती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार ब्रितानी महिलाएं अपनी यौन समस्याओं, गर्भावस्था और गर्भ निरोध या उन्मुक्त यौन सम्बंधों के बारे में भारतीय मूल के चिकित्सकों पर भरोसा नहीं कर पाती हैं। सर्वे के अनुसार ब्रितानी महिलाओं को सदा यह भय सताता रहता है कि कहीं उनके नैतिक अनैतिक यौन सम्बंधों के बारे में राज की बातें उनके परिजनों तक न पहुंच जाए। सर्वेक्षण में कहा गया है कि ब्रितानी महिलाएं भारतीय मूल के चिकित्सकों की बातों को हजम करने की क्षमता पर सशंकित ही रहती हैं। इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर भारतीय मूल के चिकित्सकों से वे बात करने में कतराती ही हैं।
कांग्रेस, भाजपा की मिली जुली सरकार!
मध्य प्रदेश में इन दिनों कांग्रेस और भाजपा की मिली जुली सरकार चल रही है, जी हां यह सच है। मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान दिल्ली और भोपाल में उद्योगपतियों को आकषिZत करने के लिए बिजली की समस्या नही होने देने का आश्वासन दे रहे हैं, इतना ही नहीं मुख्यमन्त्री द्वारा सार्वजनिक तौर पर अन्य राज्यों को बिजली बेचने की बात भी कही जा रही है, पर कांग्रेस चुप है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जबकि विधानसभा चुनावों के दौरान ही कांग्रेस द्वारा शिवराज सिंह के इस तरह बिजली बेचने के मामले को आडे हाथों लिया गया था। प्रदेश के जमीनी हालात किसी से छिपे नहीं है। ग्रामीण अंचलों में आधे दिन से अधिक तो जिला मुख्यालयों में आठ घंटे तक की बिजली कटौती धडल्ले से जारी है। इस पर अगर मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अन्य राज्यों को बिजली बेचने की बात कही जाए और कांग्रेस खामोशी अिख्तयार कर ले तो कहा ही जाएगा न कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस भाजपा की मिली जुली सरकार चल रही है।
वेस्ट यूपी में साक्षर जनसेवकों की बाढ
एक समय था जबकि ग्राम प्रधान, सरपंच आदि के द्वारा धनादेश (बैंक के चेक) पर हस्ताक्षर के नाम से अंगूठा आगे कर दिया जाता था, आज हालात बदल चुके हैं। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को ही आधार बनाकर देखा जाए तो इस बार यहां 23 जनपदों के 322 में से 227 ग्राम प्रधान पूरी तरह साक्षर हो चुके हैं। अब ये सारे प्रधान लोग धनादेश पर अंगूठा आगे नहीं बढाते हैं, इतना ही नहीं इनके द्वारा अब अपने सचिवों से कार्यवाही पंजी को पढकर हिसाब किताब भी मांगा जाता है। सुखद आश्चर्य की बात तो यह है कि इनमें से 13 फीसदी प्रधानों ने कम्पयूटर, इंटरनेट के साथ ही साथ बीएड या एमए की परीक्षा भी उत्तीर्ण की हुई है। ये सारे आंकडे केन्द्रीय ग्रामीण विकास मन्त्रालय द्वारा राष्ट्रीय ग्राम स्वराज योजना लागू करने हेतु कराए गए सर्वे में सामने आईं हैं। लोगों की सेवा में छोटी से छोटी सार्वजनिक इकाई अगर साक्षर लोगों के हाथों में होगी तो आम आदमी को सरकारी योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा मिल सकेगा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
. . . तो भारतीय सेना आतंकी गिनने बैठी है
देश की सेना के प्रमुख जनरल दीपक कपूर का कहना है कि कश्मीर घाटी में अस्थिरता फैलाने की गरज से पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकी भेजे जा रहे हैं। जनरल कपूर ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में यह भी कहा कि आतंकी भेजने के इस तरह के प्रयास पीर पंजाल के दक्षिणी क्षेत्र से हो रहे हैं, क्योंकि बर्फबारी के चलते अधिकांश दरेZ अभी भी बन्द हैं। जनरल कपूर की बातें भारतीय सेना के उत्साह में कमी लाने में काफी कही जा सकतीं हैं, क्योंकि देश की सेवा का जज्बा रखने वाले भारतीय सेना के जवानों जिन पर हर भारतीय को नाज है, उस क्षेत्र की रक्षा ही नहीं कर पा रहा है, जहां से आतंकी भारत में प्रवेश कर रहे हैं। अगर देश में अस्थिरता फैलाने वाले पीर पंजाल के दक्षिणी क्षेत्र से आ रहे हैं तो क्या भारतीय फौज उनकी आगवानी के लिए या उनकी संख्या गिनने के लिए बैठी है। होना यह चाहिए कि जिस रास्ते से भी आतंकी या नापाक इरादों वाले हिन्दुस्तान की सरजमीं पर आएं उन्हें वहीं ढेर कर दिया जाना चाहिए।
जीएम फुड : कंपनी के पैरोकार बने मन्त्री
जेनेटिकल माडीफाईड फुड (जीएम फुड) के बारे में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्री अम्बूमणि रामदास ने चिन्ता जताते हुए प्रधानमन्त्री को एक पत्र लिखा था, इसका जवाब विज्ञान और तकनीकि मन्त्रालय के खाते में गया। जवाब पृथ्वीराज चौहाण को देना था। चौहाण ने जो जवाब दिया उसका अधिकांश मेटर उन्होंने वीटी बैगन की हिमायती रही ``मोनोसाटो`` और ``महिको`` जैसी कंपनियों द्वारा जारी लेखों से ही चुरा लिया। जुलाई 2009 में लिखे चार पेज के पत्र मेें चोहान ने आठ अन्य पेज में इससे जुडी जानकारियां भी दी थीं। इन आठ पन्नों में भी जो जवाब पहुंचा है, वह इंटरनेशलन सर्विस फॉर द एक्वीजिशन ऑफ एग्री बॉयोटेक एप्लीकेशन के लेख में अधिकांश पेराग्राफ को जस का तस इस्तेमाल कर लिखा गया है जो अमेरिकन एजेंसी है। इतना ही नहीं चौहाण के मन्त्रालय द्वारा प्रस्तावित बॉयोटेक्नोलाजी रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इण्डिया बिल में एक कण्डिका यह भी डाली है कि जीएम प्रोडक्टस की बुराई करने पर किसी भी भारतीय को 6 महीने की जेल हो सकती है। यह बिल अगर पास हो गया तो फिर चौहाण की बुराई करने के पहले किसी को भी दस बार सोचना ही पडेगा।
प्यूमा के विरोध में उतरे अल्पसंख्यक
चीन की जूता कंपनी ``प्यूमा`` द्वारा अपने उत्पाद में अल्पसंख्यकों की भावनाएं भडकाने वाली चीजों के समावेश के चलते मुसलमानों ने उक्त जूता कंपनी को जमकर कोसा। देश में जगह जगह इस बात का विरोध किया जा रहा है। मध्य प्रदेश के टीकमगढ जिले में मुसलमानों ने इसे समूचे समुदाय का अपमान बताते हुए यूएसए के महासचिव वानकी मून, महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, वजीरे आजम मन मोहन सिंह, महामहिम राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर आदि को संबांधित ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा। ज्ञापन में इण्डियन मुस्लिम त्योहार कमेटी और अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने कहा है कि प्यूमा के इस काम से देश के 38 करोड मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने मांग की है कि इस कंपनी के मालिक एवं अन्य जिम्मेदार कर्मचारियों पर धार्मिक भावनाएं भडकाने का प्रकरण दर्ज कर उन्हें प्रत्यापर्ण संधि के तहत भारत लाकर प्रकरण चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा नार्वे में भी एक अखबार द्वारा प्रकाशित काटूZन पर मण्डला जिले के अल्पसंख्यकों ने अपना विरोध दर्ज कराया है। अंजूमन रहमानिया वक्फ कमेटी द्वारा नार्वे के उक्त अखबार और नार्वे सरकार के खिलाव भारत सरकार को विरोध दर्ज कराने को कहा है।
पूर्व पति के नाम के प्रयोग पर पाबन्दी
मुम्बई उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद ठाकरे परिवार की बहू िस्मता ठाकरे सहित अनेक महिलाओं को अपने नाम के साथ पूर्व पतियों के नाम का इस्तेमाल बन्द करना पड सकता है। मुम्बई के पुलिस महकमे से जुडे एक निरीक्षक के मामले में उच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था देते हुए तलाकशुदा महिलाओं को उनके पूर्व पतियों के नाम के उपयोग पर रोक लगा दी है। अभी अनेक तलाकशुदा महिलाओं द्वारा उनके रसूखवाले पूर्व पतियों के नामों का उपयोग अपने नाम के साथ किया जाता है, जिसे अनुचित ठहरा दिया है उच्च न्यायालय द्वारा। इस मामले में बान्द्रा परिवार न्यायालय के बाद उच्च न्यायलय ने भी इस तलाक को मंजूरी दे दी। बाद में निरीक्षक की पित्न ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने की बात कहकर उस आदेश पर रोक लगाने की बात कही थी, जिसमें कहा गया था कि परिवार न्यायालय द्वारा महिला के तलाक शुदा होने की बात कहकर उसे अपने पूर्व पति के नाम और उपनाम के उपयोग पर रोक लगाने को कहा था। उच्च न्यायलय ने परिवार न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए सख्त रवैया अपनाते हुए पूर्व पति के नाम या उपनाम के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा है।
रेल ई टिकिट में गफलत
भले ही भारतीय रेल या रेल्वे बोर्ड द्वारा यात्रियों की सुविधाओं के मद्देनज़र नित नई सुविधाए लाई जा रहीं हों पर अमानत में खयानत करने वाले उसमें भी डाका डालने के रास्ते खोज ही लेते हैं। रेल ई टिकिट के माध्यम से लोग घर बैठे ही यात्रा टिकिट अवश्य निकाल रहे हों पर चतुर सुजान खिलाडी इसके माध्यम से भी रेल्वे को चूना लगाने से नहीं चूक रहे हैं। रेल्वे के सामने अनेक एसे मामले आए हैं जब सांसद के कार्ड नंबर पर फर्जी व्यक्ति सफर करते मिलें या फिर सीनियर सिटीजन के नाम पर जवान यात्रा करते नज़र आएं। रिफण्ड के मामलों में भी खिलाडियों के फन को माना जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार यात्रियों के रिफण्ड की तादाद में खासा इजाफा हुआ है। होता यह है कि फाईनल चार्ट बनने के बाद यात्रियों द्वारा टिकिट निरस्त करवा दी जाती है, इससे एक ओर चार्ट में उनका नाम भी रह जाता है, और दूसरी ओर उनकी टिकिट के ओने पौने पैसे भी वापस मिल जाते हैं। कुछ रेल्वे जोन ने भारतीय रेल को पत्र लिखकर इस तरह की गफलत करने वाले रेल एजेंट के खिलाफ कार्यवाही करने की अनुशंसा भी की है।
. . . तो कहां रूकें सुरक्षा बल!
अमूमन देखा गया है कि राज्य सरकारों द्वारा कानून और व्यवस्था की स्थिति को बरकरार रखने के लिए बुलाई या भेजी जाने वाली सुरक्षा बलों की टुकडियों को शैक्षणिक संस्थाओं में ही रूकवा दिया जाता है। आने वाले दिनों में सुरक्षा बलों को शिक्षण संस्थाओं के परिसर में नहीं रूकवाया जा सकेगा। सर्वोच्च न्यायलय द्वारा एक मामले में व्यवस्था देते हुए कहा है कि शिक्षण संस्थाओं में सुरक्षा बलों या पेरा मिलट्री फोर्स के जवानों को अगर रोका जाता है, तो उसका गलत सन्देश जाता है। आंध्र प्रदेश के उस्मानिया विश्वविद्यालय परिसर में ठहराए जवानों को लेकर राज्य सरकार को आडे हाथों लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायधीश के.जी.बालाकृष्णन, जस्टिस एस.एच.कापडिया और जस्टिस आफताब की बैंच ने यह व्यवस्था दी है। इस व्यवस्था के बाद अब राज्य सरकारों को सुरक्षा बलों के जवानों को लाईन आर्डर की स्थिति में भेजने या बुलवाने पर उनके रहने खाने आदि की व्यवस्था अब शैक्षणिक संस्थाओं से इतर ही करनी होगी।
विदेशी कर्जे वाली साढे छ: सौ योजनाएं अधर में
किसी भी सूबे में सिचाई योजना ही उसकी उन्नति के मार्ग प्रशस्त करती है। आजादी के उपरान्त बनाए गए विशाल बांधों और सिचाई परियोजनाओं से ही हरित क्रान्ति का आगाज हुआ था। समय के साथ इन योजनाओं में अफसरशाही हावी होती गई और किसानों की कमर टूटती ही चली गई। विडम्बना ही कही जाएगी कि देश के हृदय प्रदेश में करोडों रूपए के विदेशी कर्ज से पोषित सिचाई परियोजनाओं का काम 70 फीसदी से भी ज्यादा अटका हुआ है। एमपी गर्वमेंट द्वारा पाईकू नामक परियोजना तैयार की थी, जिसमें 1919 करोड रूपए का विदेशी कर्जा प्रस्तावित था। सरकार द्वारा अब तक 1830 करोड रूपए का विदेशी कर्ज लिया जा चुका है, बावजूद इसके अभी महज तीस फीसदी काम ही हो सका है। इसके तहत इन्दौर, नीमच, मन्दसौर, कटनी, रायसेन, सागर, देवास, धार, रतलाम, उज्जैन, राजगढ, भिण्ड, गुना, शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, दमोह, पन्ना, रीवा, छतरपुर, टीकमगढ, अशोक नगर, विदिशा, भोपाल, सीहोर, साीधी सतना आदि जिलों में मिट्टी के बांधों की मरम्मत, छोटी नहरों का निर्माण, तकनीकी तौर पर बेकार बांधों, तलाबों, नहरों का रखरखाव आदि का काम किया जाना था।
पुच्छल तारा
भोपाल से श्वेता तिवारी के भेजे गए ईमेल के अनुसार कांग्रेस की नज़रों में भविष्य के प्रधानमन्त्री राहुल गांधी सदा ही युवा शक्ति की बात कहकर युवाओं को आगे लाने के हिमायती दिखते हैं। पिछले चुनावों में जब वे फिरोजाबाद में एक उमरदराज केण्डीडेट के लिए चुनाव प्रचार को गए उस वक्त अगर मीडिया उनसे युवाओं की पैरोकारी और वृद्ध के चुनाव प्रचार पर टिप्पणी मांग लेती तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी कुछ इस अन्दाज में जवाब देते -``बिल्कुल गलत बात है, उनकी उमर ही क्या है। महज बीस साल और यही कोई 400 महीने!!!!``