गुरुवार, 10 नवंबर 2011

स्विस बैंक का दस्‍तावेज


लीजिए जनाब देखिए स्विस बैंक के सील सिक्‍के वाला दस्‍तावेज, सही या गलत इस बारे में भारत सरकार ही स्विस बैंक से पूछताछ कर स्थिति स्‍पष्‍ट करे भारतवासियों के सामने, अगर कांग्रेस और सरकार चुप रहती है तो मान लीजिए कि यह दस्‍तावेज सही है

छग लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष को इंदौर में सरकारी आवास!


दरियादिल शिवराज मेहरबान हैं जोशी पर

छग लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष को इंदौर में सरकारी आवास!

राज्य के अधिकारियों को जिलों की कमान!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय और दिल्ली में पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दरियादिली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। शिव राज में मध्य प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी तो दिल्ली में प्रतिनियुक्ति की मलाई चाट रहे हैं, वहीं जिलों की कमान राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के हवाले कर शिवराज ने नई मिसाल कायम की है।

दिल्ली में पदस्थ मध्य प्रदेश काडर के प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि भले ही केंद्रीय कार्मिक विभाग इस बारे में सख्ती अपना रहा हो कि राज्यों के अफसर केंद्र या अन्य जगहों पर पांच साल से ज्यादा प्रतिनियुक्ति पर नहीं रह सकते किन्तु फिर भी आईएएस लाबी इतनी तगड़ी है कि केंद्र चाहकर भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है। कार्मिक विभाग की सख्ती महज दिखावे के लिए ही है। मध्य प्रदेश काडर के ही अनेक अधिकारी आज पांच साल की अवधि पूरी करने के बाद भी दिल्ली में ही जमे हैं।

उधर शिवराज सिंह चौहान ने सूबे में पुलिस अधीक्षक जैसे संवेदनशील पदों की कमान राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को सौंप रखी है। जिलों में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भी राज्य पुलिस सेवा के ही अधिकारी हैं, जो अपने ही काडर के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के अधीन काम करने में अपने आप को असहज ही महसूस कर रहे हैं। सूबे में हर जिले में दो से तीन आईएएस अधिकारी भी पदस्थ हैं, जिनमें अक्सर टकराव की स्थिति निर्मित हो रही है।

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे डॉ.प्रदीप जोशी अब छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं। जुगाड़ के धनी डॉ.जोशी को एमपी पीएससी इंदौर मुख्यालय में बतौर अध्यक्ष सरकारी आवास मिला हुआ है। जोशी का नया मुख्यालय रायपुर है, वहां भी उन्हें सरकारी आवास की पात्रता है। जोशी ने शिवराज से इस मकान को रखने की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया। भोले भाले शिवराज तत्काल मान गए।

अब छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप जोशी रायपुर में काम करते हुए अपना आवास वहां से लगभग डेढ़ हजार किलोमीटर दूर इंदौर में बनाए रखेंगे। एमपी गर्वमेंट की दरियादिली देखिए कि उसने दूसरे प्रदेश के एक अध्यक्ष को अपने प्रदेश में सरकारी आवास रखने की पात्रता दी है वह भी 15 मई 2012 तक के लिए। डॉ.जोशी का इंदौर प्रेम और शिव का डॉ.जोशी के प्रति अनुराग देखकर लोगों की आंखें भर आई होंगीं।

क्या जमीन अधिग्रहण संशोधन लागू होगा झाबुआ पावर में


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 11

क्या जमीन अधिग्रहण संशोधन लागू होगा झाबुआ पावर में

नए प्रावधान से किसे होगा लाभ!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की मशहूर थापर ग्रुप के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के करीब भगवान शिव के सिवनी जिले में लगाए जा रहे कोल आधारित छः सो मेगावाट के पावर प्लांट में जमीन अधिग्रहण में नए प्रावधान लागू हो पाएंगे या नहीं इस बारे में कुहासा अभी छट नहीं सका है।

गौरतलब है कि वर्तमान में जमीन अधिग्रहण एक पेचीदा मसला बनकर उभरा है। किसानों द्वारा जमीन के अधिग्रहण का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। वर्तमान में जमीन अधिग्रहण कानून 1894 के अनुसार ही सरकारें अधिग्रहण का काम करती हैं। अधिग्रहण प्रक्रिया में जमीन मालिक से चर्चा अवश्य ही होती है पर जमीन मालिक के पास अधिग्रहण रोकने का कोई अधिकार नहीं होता है।

कानून के अनुसार अगर जमीन का अधिग्रहण जनसेवा के उद्देश्य से किया जाता है तो जमीन के मालिक को वर्तमान दरों के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है। किसानों द्वारा जमीन अधिग्रहण का विरोध इसलिए आरंभ हुआ क्योंकि सरकारों द्वारा अपने हितों के बजाए निजी क्षेत्र के लोगों के लिए जमीन का अधिग्रहण करना आरंभ कर दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने जमीन अधिग्रहण कानून में कुछ संशोधन किए हैं। इसमें पुराने कानून की विसंगतियों को दूर करने का प्रयास किया गया है। नए प्रावधान में अधिग्रहण में सत्तर फीसदी जमीन को बाजार भाव पर खरीदना अनिवार्य किया जा रहा है। इसके अलावा रीहबिलीटेशन और रीसैटलमेंट एक्ट 2007 के अनुसार विस्थापितों को मुआवजा ओर अन्य फायदे देने का प्रावधान किया गया है। इस जमीन अधिग्रहण कानून संशोधन के बारे में सरकार द्वारा मुनादी न पिटवाया जाना भी आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है। घंसौर में निजी कंपनी झाबुआ पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण में संशोधित कानून लागू होता है या नहीं यह भी शोध का ही विषय माना जा रहा है।

(क्रमशः जारी)

. . . मतलब सोनिया के पीहर से पगार पा रही एसपीजी


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 23

. . . मतलब सोनिया के पीहर से पगार पा रही एसपीजी

सोनिया की सुरक्षा में लगे अफसरान कहां से पा रहे वेतन!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सूचना के अधिकार के तहत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के विदेश दौरों के बारे में जब किसी भी मंत्रालय को जानकारी नहीं है इससे साफ जाहिर हो रहा है कि सोनिया गांधी का सुरक्षा कवच (सोनिया की सुरक्षा में लगी एसपीजी) के जवान और अधिकारी किसी और या सोनिया गांधी के मायके इटली से वेतन और भत्ते पा रहे हैं।

व्हीव्हीआईपी फेहरिस्त में सबसे उपर रहने वालीं सोनिया गांधी के हर दौरे के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचना दी जाती है। उनका हर दौरा जनता से इकट्ठे किए गए कर से संचित राजस्व से ही होता है। वे अगर विदेश जाती हैं तो बाकायदा विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को इत्तला दी जाती है। उनकी सुरक्षा में लगे स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के जवान और अधिकारी गृह विभाग से विदेश जाने की अनुमति लेते हैं। यात्रा भत्ता अग्रिम प्राप्त करते हैं। वापस आकर वे अपने सारे देयक जमा करते हैं और टीए डीए प्राप्त करते हैं।

अगर विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसदीय कार्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय को सोनिया गांधी के विदेश दौरों के बारे में नहीं पता है तो इसका मतलब है कि सोनिया के सरकारी सुरक्षा को वेतन भत्ते भारत सरकार नहीं दे रही है। सोनिया की सेवा टहल में लगी एसपीजी को वेतन या तो सोनिया के मायके इटली की सरकार दे रही है या फिर कोई अन्य धनाड्य उद्योगपति। सियासी गलियारों में अब इस बात का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि सोनिया के सुरक्षा कवच में तैनात सरकारी एसपीजी कर्मचारियों ने कहीं सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर निजी तौर पर किसी की सेवाएं तो नहीं ज्वाईन कर ली हैं।

(क्रमशः जारी)

अभिषेक के शहर में महज दो हजार हैं आईडिया उपभोक्ता


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  19

अभिषेक के शहर में महज दो हजार हैं आईडिया उपभोक्ता

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। आईडिया के ब्रांड एम्बेसेडर बिग बी यानी सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के पुत्र जूनियर बी यानी अभिषेक बच्चन अपने शहर मुंबई में महज दो हजार लोगों को ही आईडिया की मोबाईल सेवाएं लेने के लिए लुभा पाए। आईडिया के सबसे कम उपभोक्ता मुंबई जैसे महानगर में ही हैं।

आईडिया के सूत्रों का कहना है कि आईडिया के उपभोक्ताओं के बारे में जानकारी जुटाई गई है जिसमें जो आंकड़ा सामने आया है उसके मुताबिक महाराष्ट्र और गोवा में 48 लाख 81 हजार 444, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 32 लाख 26 हजार 230, आंध्र प्रदेश में 32 लाख 52 हजार 35, केरला में 27 लाख चार हजार 888, तो गुजरात में 26 लाख 23हजार 72 उपभोक्ता हैं।

इसी तरह उत्तर प्रदेश (पश्चिम) में 25 लाख 68 हजार 279, उत्तर प्रदेश (पूर्व) में 9 लाख 67 हजार 862, दिल्ली में 18 लाख 97 हजार 693, हरियाणा में 9 लाख 80 हजार 760, राजस्थान में 8 लाख 24 हजार 805, हिमाचल प्रदेश में 74 हजार 505 और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में महज दो हजार उपभोक्ताओं ने ही आईडिया पर भरोसा जताया है।

गौरतलब है कि आईडिया के ब्रांड एम्बेसेडर अभिषेक बच्चन पर आईडिया कंपनी ने करोड़ों रूपयों का दांव लगाया था। अब सवाल यह उठता है कि मुंबई में ही जब मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया और अभिषेक पर लोगों ने भरोसा ही नहीं जताया तो बाकी देश में क्या हाल हो रहे होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

(क्रमशः जारी)