0 शिंदे का सेमीफायनल. . . 2
शिंदे पर दलित पीएम
का दांव खेल सकती है कांग्रेस
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
आधे भारत को अंधेरे में रखने वाले पूर्व उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे की गृह
दशा काफी अनुकूल चल रही है। शिंदे पर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी इस
कदर मेहरबान हैं कि शिंदे को इस बात का ईनाम गृह मंत्रालय की ताकतवर कुर्सी के रूप
में मिला। अब माना जा रहा है कि अगर शिंदे का कार्यकाल बेहतरीन रहा तो कांग्रेस
उन्हें दलित पीएम के बतौर प्रोजेक्ट कर सकती है।
कांग्रेस की सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित
सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष की आला नेताओं
के साथ हुई रायशुमारी में एक बात उभरकर सामने आई है कि कांग्रेस का दलित वोट बैंक
उसके हाथों से खिसल चुका है। उत्तर प्रदेश में मायावती ने तो एमपी में गोंडवाना
गणतंत्र पार्टी ने कांग्रेस की नाक में दम किया है।
इन परिस्थितियों
में दलित वोट बैंक को पुनः स्थापित करना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर
उभरा है। कांग्रेस में दलित और सोनिया राहुल के भरोसेमंद तथा वफादार के बतौर सुशील
कुमार शिंदे का नाम मुफीद बैठ रहा है। आदर्श हाउसिंग घोटाला को छोड़ दिया जाए तो
शिंदे के उपर कोई संगीन आरोप भी नहीं हैं। शिंदे की बतौर बिजली मंत्री पहली और बड़ी
सफलता यह मानी जा रही है कि बिजली संकट के चलते देश भर के लोगों और मीडिया का
ध्यान अण्णा हजारे के आंदोलन से हटकर बिजली संकट की ओर चला गया था।
उधर, गैर नेहरू गांधी
परिवार के वज़ीरे आज़म मनमोहन सिंह के मौखटे से जनता के साथ ही साथ कांग्रेस के
कार्यकर्ता भी ऊब ही चुके हैं। मनमोहन सिंह एक कमजोर प्रधानमंत्री ही साबित हुए
हैं। उनके शासनकाल में भ्रष्टाचार, घपले घोटालों की गूंज ने राहुल गांधी का
भविष्य लगभग तबाह ही किया है।
10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी
को प्रधानमंत्री बनाने के लिए यह जरूरी हो गया है कि अब कांग्रेस को मनमोहनी छवि
से बाहर निकाला जाए,
इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि मनमोहन का कोई तगड़ा विकल्प
तैयार किया जाए। इसके लिए सुशील कुमार शिंदे का नाम दलित होने के चलते सबसे उत्तम
विकल्प के बतौर सामने आया है।
सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए हैं कि अगर शिंदे बतौर गृह मंत्री अच्छा प्रदर्शन
करते हैं तो कांग्रेस द्वारा मनमोहन सिंह के स्थान पर उन्हें प्रधानमंत्री
प्रोजेक्ट करने के फायदे और नुकसान पर विचार कर रही है। शिंदे के माध्यम से
कांग्रेस अब दलित कार्ड चलने का मन भी बना रही है।
शिंदे की पहली
परीक्षा गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में ही हो जानी है, जहां दलित कार्ड
जमकर चलेगा। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने शिंदे को भारत गणराज्य का गृह
मंत्री उस वक्त बनाया है जब पूर्व गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने दक्षिण पंथी
ताकतों के खिलाफ अभियान चलाकर उनसे बुराई मोल ले ली थी।
दरअसल, पार्टी के
दक्षिणपंथी विचारधारा के मानने वालों की यह सोच था कि सिर्फ मुस्लिमों को साधने से
ही कुछ नहीं होने वाला है। उत्तर प्रदेश चुनावों में औंधे मुंह गिरी कांग्रेस के
प्रदर्शन के बाद पार्टी के अंदर इस विचारधारा को प्रश्रय मिलना आरंभ हो गया था।
शिंदे की राह में
सबसे बड़े शूल बनकर उभर रहे प्रणव मुखर्जी को रायसीना हिल्स पर काबिज करवाने के बाद
सुशील कुमार शिंदे के भाग्य खुल गए हैं। वैसे शिंदे को कांग्रेस के अंदर नरम
उदारवादी नेता के बतौर देखा जाता है। दलित के बतौर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार अभी
भी प्रधानमंत्री की दौड़ में बरकरार ही बताई जा रही हैं।