शनिवार, 4 अगस्त 2012

नामी कंपनियों की शिव को नहीं परवाह!


नामी कंपनियों की शिव को नहीं परवाह!

(नन्द किशोर)

नई दिल्ली (साई)। एक तरफ तो शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश को उद्योग प्रदेश बनाने के लिए इंवेस्टर्स मीट का आयोजन जब तब किया जाता है पर एमओयू पर हस्ताक्षरों के उपरांत शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस अध्याय को बंद कर नया अध्याय लिखना आरंभ कर दिया जाता है। पिछले अनेक एमओयू के बाद भी उद्योगपति आज भी उद्योग लगाने मारे मारे फिर रहे हैं।
इन्वेस्टर्स मीट के लिए एक ओर तो राज्य सरकार देश-विदेश से निवेशकों को बुला रही है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश का आईटी विभाग 5 माह पहले सेज की अनुमति ले चुकी दो आईटी कंपनियों से कागजी प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर पाया है। इससे कंपनियां मौके पर काम शुरू नहीं कर पा रही हैं। हालांकि विभाग इसी माह प्रक्रिया पूरी करने का दावा कर रहा है।
आईटी डिपार्टमेंट के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मार्च में टीसीएस (टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस) और इन्फोसिस को सेज (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) की अनुमति मिली थी। बाद में केंद्र सरकार द्वारा इनका नोटिफिकेशन जारी होना था। इसके लिए लीज डीड व एमओयू के साथ कंपनियों को जमीन अपने नाम दिखाने की प्राथमिकता पूरी करना जरूरी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इन्फोसिस का एमओयू हो चुका है, लेकिन टीसीएस का नहीं। उच्चाधिकारियों के मुताबिक लीज नियमों के कारण जमीन अब तक कंपनियों के नाम नहीं हो पाई है। पिछले सप्ताह कैबिनेट ने 99 साल की लीज कंपनियों को देने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है 10 मई 2012 को टाटा रियलिटीज के बिजनेस डेवलपमेंट एमजीएम संतोष महग्ट और प्रोजेक्ट हेड जयकिशन बालचंदानी शहर आए थे। तब शासकीय कार्यालयों से उन्हें पता चला कि सेज में निर्माण की अनुमति के लिए जो नियम बनाने हैं वे डेवलपमेंट कमिश्नर (सेज) ने राज्य शासन को भेजे हुए हैं। उस पर सरकार की अनुमति और नियम आना शेष है।

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