शनिवार, 4 अगस्त 2012

सियासी घोषणा के साथ ही अण्णा का विरोध शुरू


सियासी घोषणा के साथ ही अण्णा का विरोध शुरू

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। गांधीवादी समाजसेवी अण्णा हजारे ने अगस्त 11 में जो समर्थन हासिल किया था, उसकी अपेक्षा इस बार उन्हें कम ही समर्थन मिला। राजनीति में कूदने की अण्णा की हुंकार के बाद अब उनका विरोध आरंभ हो गया है। सियासी पार्टियां चाहती थीं कि अण्णा को सियासी कीड़ा काटे और अंततः हुआ भी वही। गुजरात के नवसारी में अन्ना और उनकी टीम के साथ अनशन कर रहे उनके समर्थकों ने अन्ना के राजनीति में आने के फैसले का जबर्दस्त विरोध करते हुए अन्ना का पुतला फूंका है।
जंतर मंतर पर अनशन खत्म कर राजनीति में कूदने के फैसले को लेकर अन्ना हजारे अब निशाने पर आ गए हैं। भले ही तमाम सर्वे में लोगों ने टीम अन्ना के राजनीति में आने का स्वागत किया हो, लेकिन अब अन्ना और उनकी टीम पर चौतरफा हमले शुरू हो गए हैं। अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि में लोग राजनीति में उनके आने का विरोध किया है। अन्ना के करीबी सुरेश पठारे ने कहा है कि अन्ना को राजनीति से दूर रहना चाहिए।
कहा जा रहा है कि अन्ना हज़ारे और उनके साथ जुड़े नागरिक समाज के लोगों ने अपने आंदोलन की शुरुआत देश और समाज में पहले से स्थापित राजनीतिक व्यवस्था के विरोध से शुरु की थी, लेकिन अब ये लोग उसी राजनीतिक ढांचे का हिस्सा बनने जा रहे हैं। इससे ये साबित होता है राजनीतिक व्यवस्था का विरोध करके, उसपर दबाव बनाकर, बदलाव या सुधार लाने की अन्ना टीम की जो रणनीति रही है वो कारगर साबित नहीं हुई।
अन्ना टीम का अगला कदम खुद राजनीति में उतरने का फैसला है। उनके मुताबिक वे खुद राजनीति करेंगे और परिवर्तन लाएंगे। लेकिन इससे जो दबाव बनाने की राजनीति करने की कोशिश हो रही थी उसका विकल्प पूरी तरह से खत्म हो गया। राजनीति अपने आप एक अलग लड़ाई का मैदान है। जहां अलग किस्म की मजबूरियां, सीमाएं और संभावनाएं होती हैं। अगर सिविल सोसायटी के सदस्य राजनीति के अखाड़े में उतरते हैं तो उनके फैसलों पर भी इन बातों का असर होगा।
जब टीम अन्ना के सदस्य सक्रिय राजनीति में नहीं हैं तब उन्हें हवाई किराए से लेकर इनकम टैक्स भरने तक के मुद्दे पर घेरा जाता है, इसलिए जब ये पूरी तरह से राजनीति में आ जाएंगे तब इन्हें क्या-क्या झेलना पड़ेगा इसका इन्हें अंदाज़ा नहीं है। अन्ना हज़ारे अगर किसी राजनीतिक का दल का भी गठन करते हैं तो भी वो पूरी तरह से शहरों पर क्रेंद्रित पार्टी होगी।

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