सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

गड़करी को सांसे उधार दी संघ ने


गड़करी को सांसे उधार दी संघ ने

औसत परफार्मेंस के बाद भी दूसरी पारी खेल सकते हैं गड़करी



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। महाराष्ट्र की सूबाई राजनीति से एकाएक उठकर देश के फलक पर छाने वाले भाजपा के निजाम नितिन गड़करी की लाटरी लग गई है। भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपना वरद हस्त गड़करी की पीठ पर रख दिया है। गड़करी अब दूसरे टर्म के साथ ही देश के आम चुनाव भी करवाएंगे। प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी गड़करी ने न केवल भाजपा में ही अपनी मर्जी के मुताबिक काम किया है वरन् भगवा पार्टी को मनचाहे तरीके से हांका भी है।
दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि भाजपा को निर्देशित और मार्ग दिखाने वाला संघ इन दिनों गड़करी का खासा मुरीद हो चुका है। संघ ने गड़करी को साफ साफ कह दिया है कि वह गड़करी की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है। भाजपा से रिसाकर (रूठकर) गए नेताओें की घर वापसी के बाद विशेषकर उमा फेक्टर का मुंह मध्य प्रदेश से मोड़कर उत्तर प्रदेश करने और यूपी के बड़बोले नेताओं को साईज में लाने से संघ इन दिनों गड़करी पर फिदा हो गया है।
गड़करी जिस तरह की चालें चल रहे थे, उसे देखकर भाजपा के अंदरखाने में यह बात तेजी से उभर रही थी कि गड़करी निरंकुश हो गए हैं और वे दूसरी पंक्ति के नेताओं की परवाह किए बिना ही मनमाने फैसले लेते जा रहे हैं। उमा भारती की घरवापसी के बाद भाजपा का एक धड़ा गड़करी के खिलाफ ही तलवार पजाने लगा था। बाद में जब उन्हें यूपी भेजा गया तो एमपी के धड़े ने तो राहत की सांस ली किन्तु यूपी में घमासान मच गया।
माना जा रहा था कि भाजपा के नेशनल प्रेजीडेंट नितिन गड़करी के मनचाहे तरीके से काम करने को लेकर जब भाजपा के अनेक आला नेता नाराज हैं तो उनका जाना तय है। गड़करी के तौर तरीकों को लेकर अनेक लोगों ने उनकी शिकायत संघ के आला नेताओं से भी की थी। समझा जा रहा था कि शिकवे शिकायतों के दौर के बाद संघ नेतृत्व उन्हें बुलाकर कायदे में रहकर काम करने की सीख देगा। लोगों का तीर उल्टा ही लगा। संघ के शीर्ष नेतृत्व ने गड़करी को फटकारना छोड़ उन्हें गले लगाकर उनकी पीठ ही थपथपा दी है।
केशव कुंज के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के उपरांत परिणामों की समीक्षा जल्द ही निपटा ली जाएगी। इसके तत्काल बाद ही भाजपा संगठन का प्लेनेरी सेशनबुलवाया जाएगा। इस सेशन में भगवा पार्टी अपना संविधान संशोधन का मसौदा पेश करेगी। जिसमें पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल करने का प्रस्ताव होगा। इसके अलावा इसमें यह व्यवस्था भी दी जा रही है कि कोई भी अध्यक्ष लगातार दो बार अर्थात लगातार छः साल अपना टर्म पूरा कर सकता है। 

वृक्षारोपण के मामले में गलत बयानी क्यों?


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  57

वृक्षारोपण के मामले में गलत बयानी क्यों?

क्या ऐसे बचेगें वन और पर्यावरण!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगाए जा रहे 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट में संयंत्र प्रबंधन ने अब तक कोई भी वृक्षारोपण नहीं किया गया है। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के साथ ही साथ संयंत्र प्रबंधन द्वारा भी इस बारे में गलत बयानी ही की जा रही है।
संयंत्र प्रबंधन के सूत्रों का कहना है कि संयंत्र के इर्द गिर्द अब तक किसी भी तरह का वृक्षारोपण ही नहीं किया गया है। संयंत्र प्रबंधन को 22 अगस्त 2008 को हुई प्रथम चरण की लोकसुनवाई के उपरांत ही वृक्षारोपण करवा देना चाहिए था, वस्तुतः संयंत्र प्रबंधन ने एसा किया नहीं। प्रबंधन ने प्रथम चरण की अनुमति मिलने के उपरांत संयंत्र के निर्माण का काम आरंभ कर दिया। इस दरम्यान संयंत्र में भारी वाहनों की आवाजाही लगातार जारी रही, जिससे क्षेत्र में धूल के गुबार उड़ते रहे।
कहा जा रहा है कि क्षेत्र में रहने वाले गरीब आदिवासियों को इस धूल के कारण स्वास की तरह तरह की बीमारियां होने लगी हैं। संयंत्र प्रबध्ंान ने दावा किया था कि वह निर्माण अवस्था में आवागमन के मार्ग पर पानी का सतत छिड़काव करेगा और वहां वृक्षारोपण करवाएगा। वस्तुतः दोनों ही कामों से संयंत्र प्रबंधन ने अपने आप को दूर रखा है।
हद तो तब हो गई जब संयंत्र प्रबंधन ने दूसरे चरण की लोक सुनवाई में 22 नवंबर 2011 को यह स्वीकार किया कि उस तिथि तक संयंत्र प्रबंधन ने साईट या इर्द गिर्द कोई वृक्षारोपण नहीं करवाया गया है। इसके बाद जब मध्य प्रदेश प्रदूषण मण्डल के जबलपुर सिथत क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी श्री बुंदेला से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा झूठ बोल रहे हैं। वास्तविकता यह है कि वृक्षारोपण एक सतत प्रक्रिया है और गौतम थापर के इस संयंत्र ने वृक्षारोपण करवाया था। संभवतः श्री मिश्रा को वृक्षारोपण की जानकारी ही नहीं है।
सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि एक तरफ संयंत्र के महाप्रबंधक श्री मिश्रा ने प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के आला अािकारियों के समक्ष ही 22 नवंबर 2011 को संयंत्र प्रबंधन द्वारा वृक्षारोपण न करवाए जाने की बात सर्वाजनिक तौर पर लोक सुनवाई में स्वीकारी थी, वहीं दूसरी ओर संयंत्र प्रबंधन का पक्ष गलत तरीके से लेते हुए श्री बुंदेला ने संयंत्र प्रबंधन के बचाव का असफल प्रयास किया है। इस तरह से पीसीबी का मशहूर उद्योगपति गौतम थापर की देहरी पर मुजरा करना समझ से परे ही माना जा रहा है।
कुल मिलाकर सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के।डी।देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

पीएम का विश्वास नहीं जीत पाए हरीश खरे


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 79

पीएम का विश्वास नहीं जीत पाए हरीश खरे

सोनिया से पंगा लेना मंहगा पड़ा खरे का



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह के लिए देश के मीडिया को मैनेज करने की महती जवाबदेही संभालने वाले पीएम के मीडिया एडवाईजर हरीश खरे अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री का विश्वास कभी भी जीत नहीं पाए। उनकी रवानगी में महती भूमिका सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने निभाई। जिस दिन हरीश खरे ने पीएमओ में आमद दी थी उसी दिन से हरीश खरे की पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहराव से नजदीकी को बड़े ही करीने से उकेरना आरंभ कर दिया गया था। गौरतलब है कि हरीश खरे पूर्व वज़ीरे आज़म नरसिंहराव के बेहद करीबी समझे जाते रहे हैं।
पीएमओ के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि हरीश खरे ने अपने अहम के चलते मनमोहन सिंह की पंजाबी जुंडाली और सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से पंगा ले लिया था। हरीश खरे ने अनेक मौकों पर पीएम के पंजाबी मित्रों विशेषकर अंबिका सोनी को नीचा दिखाया था। अंबिका सोनी मन ही मन हरीश खरे को सबक सिखाने की फिराक में ही दिख रहीं थीं।
बताते हैं कि अंबिका सोनी की नाराजगी का पारा तब आसमान पर पहुंचा जब मुश्किल की घड़ी में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को चुनिंदा संपादकों की टोली के साथ हरीश खरे ने चाय पर बुला भेजा। दो बार पीएम मीडिया के चुनिंदा लोगों से रूबरू हुए, इन दोनों ही मर्तबा हरीश खरे ने देश की सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी को विश्वास में लेना उचित नहीं समझा।
उधर, अंबिका सोनी के करीबी सूत्रों का कहना है कि हरीश खरे पर पलटवार करने की तैयारी में बैठी अंबिका सोनी के हाथ तत्काल ही एक मौका लगा। वह मौका था चुनिंदा संपादकों की टोली के साथ चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री का बंग्लादेश के बारे में कहा गया ऑफ द रिकार्डबयान केंद्र सरकार की आधिकारिक विज्ञप्ति जारी करने वाले सूचना प्रसारण मंत्रालय के एक अंग पत्र सूचना कार्यालय की वेब साईट पर अपलोड हो गया। इस बयान से कूटनतिक विवाद पैदा हो गया था।

(क्रमशः जारी)

पहले चरण का प्रचार होगा शाम को समाप्त


पहले चरण का प्रचार होगा शाम को समाप्त



(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए प्रचार आज शाम समाप्त हो जाएगा। इस चरण में बुधवार को ५५ सीटों के लिए मतदान होगा। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संवाददाता ने बताया है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और नेता अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों दलों ने मतदाताओं आकर्षित करने के अपने अंतिम प्रयासों में अपने वरिष्ठतम नेताओं को आज भी कई क्षेत्र में प्रचार में उतारा है। पांचवे चरण के चुनाव के लिए दाखिल मतपत्रों की आज जांच की जाएगी। आगरा, अलीगढ, कानपुर, झांसी और चित्रकूट धाम मण्डलों के १३ जिलों के ४९ विधानसभा क्षेत्रों में कुल एक हजार दो सौ दो नामांकन पत्र भरे गए हैं। फैजाबाद में गुसाईगंज क्षेत्र से बाहुबली बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ मतदाताओं को डराने धमकाने और बुरी तरह पीटने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया है। सुनील शुक्ल आकाशवाणी समाचार लखनऊ।श्श्
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिए राज्यपाल बी एल जोशी आज अधिसूचना जारी करेंगे। इसके साथ ही रूहेलखंड के तीन मंडलों के दस जिलों में साठ निर्वाचन क्षेत्रों के लिए नामांकन प्रक्रिया आज शुरू हो जाएगी। इस चरण में तीन मार्च को मतदान होगा।
विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए कल आठ फरवरी को सीतापुर, बाराबंकी, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर, बहराइच, श्रवास्ती, बलरामपुर, गोण्डा, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिलों की पचपन सीटों के लिए मतदान कराया जाएगा। इन जिलों में मतदाताओं की कुल संख्या एक करोड़ सत्तर लाख से अधिक है, जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या लगभग अट्ठहत्तर लाख है। मतदान के लिए तेरह हजार एक सौ छियासी मतदान केन्द्र बनाये गये हैं, जहां उन्नीस हजार तीन सौ तिरासी ईवीएम मषीनों के माध्यम से मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
इस बीच उन जिलों में प्रचार कार्य अपने चरम पर है। सभी पार्टियों के वरिश्ठ नेता जनसभाओं के माध्यम से अपने उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों से अपील कर चुके हैं। चुनाव आयोग ने षांतिपूर्ण ढंग से मतदान सम्पन्न कराने के लिए सभी आवष्यक प्रबंध कर लिये हैं।
गोण्डा जिले में चुनाव प्रचार आज अंतिम दौर में है। समाचार एजेेंजी ऑफ इंडिया के संवाददाता ने बताया है कि आगामी बुधवार को मतदान कराने के लिए सभी तैयारियॉ पूरी कर ली गयी हैं। ’’गोण्डा जिले की सॉत विधानसभा सीटों के लिए कुल एक सौ छह उम्मीदवार मैदान में हैं। यहॉ एक महिला विधायक सहित सॉत महिलाऐं भी अपना भाग्य अजमा रहीं है। निश्पक्ष और षांतिपूर्ण ढंग से चुनाव सम्पन्न कराने के लिए पूरे जिले को एक सौ छियासी सेक्टर और अट्ठाईस जोनों में बॉटा गया है। एक सौ अड़तीस मतदान केन्द्रांे पर पर्यवेक्षक नियुक्त किये गये हैं। जिले के संवेदनषील केन्द्रों पर सुरक्षा के विषेश इंतजाम किये गये हैं।
विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिए कल से नामांकन प्रारम्भ हो जाएगा। इस चरण के दौरान मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ मण्डलों के दस जिलों की साठ सीटों के लिए आगामी तीन मार्च को मतदान कराया जाएगा। कल नामांकन षुरू होने के बाद उम्मीदवार तेरह फरवरी तक पर्चे दाखिल कर सकेंगे। अगले दिन नामांकन पत्रों की जांच होगी, जबकि सोलह फरवरी तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे। इन जिलों में मतदाताओं की संख्या एक करोड़ अस्सी लाख से अधिक है, जिनमें इक्यासी लाख से कुछ अधिक महिला मतदाता षामिल है। इस चरण का चुनाव का पहले चार फरवरी को निर्धारित था, परन्तु बारावफात के कारण चुनाव कार्यक्रम में परिवर्तन कर इसे तीन मार्च को कराने का निर्णय लिया गया है।

मनमोहक परेड को सराहा लोगों ने


मनमोहक परेड को सराहा लोगों ने

(साक्षी शाह)

पोर्ट ब्लेयर (साई)। मिलन दो हजार बारह के अंतर्गत कल पोर्ट ब्लेयर में भव्य सिटी परेड़ का आयोजन हुआ। चौदह देशों की नौसेनाआंे की टुकड़ियां जिस समय कदम से कदम मिलाते हुए दर्शकों के सामने से गुजरी लोग रोमांच और उत्साह से भर उठे। बैंड की मधुर धुनों के साथ आकर्षक परेड़ देखने लायक थी।
इस मौके पर सबसे पहले डोर्नियर विमानों की ओर से करतब दिखाते हुए फ्लाई पास्ट हुआ। इसके बाद सुखोई विमानों द्वारा हवा में रोमांचक करतब दिखाए गए। नेताजी स्टेडियम से लेकर मरीना पार्क से होते हुए गर्वमेंट प्रेस तक सड़क के दोनों ओर अपार जनसमूह उपस्थित था। मिलन दो हजार बारह की यह सामूहिक परेड आपसी सहयोग और साझा सामरिक रणनीति की भावना को प्रकट करते हुए हर्षोल्लास का वातावरण पेश कर रही थी।
इस मौके पर द्वीपसमूह के उपराज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल भूपेन्द्र सिंह, अंडमान निकेाबार कमान के कमांडर इन चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल एन.सी.मारवाह के अलावा सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारी और जवान मौजूद थे। कल दोपहर बाद पोर्ट ब्लेयर मंे नेताजी स्टेडियम से लेकर साउथ प्वाइंट तक भव्य मेले जैसा दृश्य था।

बलबोड़े मंत्री, बावली सरकार


बलबोड़े मंत्री, बावली सरकार



(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। इन दिनों मप्र सरकार के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन विवादों के घेरे में अक्सर नजर आते हैं उनके विवादों मंे आने की वजह भी इनके बडबोलापन है जैसे एक नासमझ बच्चा अपने मन पर आए शब्दों को बिना सोंचे समझे बोल देता है और उसका अंजाम की चिंता नहीं करता है उसी तरह मंत्री महोदय भी अपने अनाप सनाप बयान बाजी को लेकर विवादों में घिरे रहते हैं यहीं नहीं इनकी कई बचकाना हरकतों के कारण सरकार को नीचा भी देखना पडा है।
गौरीशंकर बिसेन की विवादों को पूरी तरह जानने के लिये हमें कुछ अतीत मंे जाना होगा बात ज्यादा पुरानी भी नहीं है लगभग सभी पाठकों को यह बात ध्यान होगी कि एक आमसभा पर सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन के द्वारा एक आदिवासी पटवारी को सार्वजनिक रूप से मंच पर बुलाकर उठक बैठक लगवाकर और उसे रिश्वतखोर बोलकर सुर्खियों पर आए थे जिसे जिला कांग्रेस ने भी फुटबाल की तरह लात मारकर उछाला यही नहीं पटवारियों ने सरफिरे मंत्री के द्वारा कराई गई इस ओछी हरकत का विरोध करते हुए पूरे प्रदेश के पटवारियों ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग लेकर अनशन पर बैठ गए थे जिसे भाजपा बचने के लिये कांग्रेस के इशारे पर इस अनशन को अंजाम देने की बात कहती है जब बात नहीं बनी तो भाजपा के ही कुछ चतुर नेताओं ने किसानों की रैली निकाल पटवारियों के खिलाफ मोर्चा खुलवा दिया जिससे पटवारी संद्य भी भयभीत हो अपने अनशन को समाप्त करने के लिये मजबूर हो गया यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सत्ता पर बैठे इन घूंसखोर मंत्रियों के हाथ सभी सरकारी कर्मचारी और अधिकारी के गले पर होते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार की मलाई इन्हें भी पहंुचाई जाती है इसी कारण अपनी  बेईज्जती को भूल विवश पटवारी चुपचाप अनशन तोड लिये। मजे की बात यह है कि एक आदिवासी की छबि धूमिल होने की घटना पर जिले के दो आदिवासी विधायक भी मौन साधे बैठे रहे क्योंकि यह अच्छी तरह जानते थे कि अपने ही मंत्री के खिलाफ बोलना इन पर भारी पड सकता है।
गौरीशंकर बिसेन का दूसरा मामला उनकी चंदा वसूली को लेकर जनचर्चा का विषय बना बताया जाता है कि  एक धार्मिक आयेाजन में गौरीशंकर बिसेन ने भारी दिलचस्पी दिखाई थी और इस धार्मिक आयोजन को लेकर वह अपने मंत्री पद की धौंस दिखाकर सरकारी भ्रष्ट अधिकारियों के साथ चोर व्यापारियों से बडी मात्रा में चंदा उगाही कर रहे थे लेकिन एक जबलपुर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ने इस बात को जब प्रकाशित किया तो मंत्री बिसेन इस सारी बातों से मुकर गये और आनन-फानन में खुद के द्वारा 1 लाख रू. चंदा देने की बात भी कह डाली खैर यह बात सोंचने योग्य है कि मंत्रियों को पैसा कमाने की रास्ते अनेक हैं तो संभवतः इस धार्मिक आयोजन मंे मंत्री बिसेन धर्मलाभ कमाने के उद्देश्य ही चंदा उगाने में लगे रहे होंगे न कि तिजोरी भरने के उद्देश्य से।
खैर जो भी हो लेकिन चंदा वसूली अभियान को लेकर यह एक बार फिर दागदार हो गया यह मामला लोग भूले भी नहीं थे कि गौरीशंकर बिसेन छिंदवाडा के एक राजनैतिक कार्यक्रम मंे जहां बडे-बडे दिग्गज नेताओं ने शिरकत की थी वहां पर मंत्री बिसेन भी अपना जलवा दिखा रहे थे और सभी अपना रुतवा दिखाने पर उतारू थे इसी जलवा दिखाने के चक्क्र मंे मंत्री बिसेन अपनी मर्यादा भूलकर अपने मंत्री पद दुरूपयोग करने से भी नहीं चूके और उनका यह रूतबा देख बडे-बडे दिक्कज भी भौंचक्के रह गये।
मंत्री बिसेन ने मंच मंे ही एक नाबालिक बालक से जूते की लैस बंधवा लिया यह घटना घटते ही मानों कोहराम मच गया हो और चारों ओर से मंत्री बिसेन के खिलाफ आलाचनाएं शुरू हो गई लेकिन बेशर्म मंत्री एक पत्रकार वार्ता मंे यह कहते हुए संतुष्ट हो गये कि बच्चे से जूते की लेस बंधा लिया तो क्या हुआ। जबकि हमारे संविधान में किसी के भी सम्मान को ठेस पहंुचाने का अधिकार किसी भी शख्स को नहीं है चाहे वह राष्ट्रपति हो, प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री लेकिन इन सभी बातों का उल्लंघन हमारे प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने किया और हमारे प्रदेश की सरकार बिसेन के नाटकीय अंदाज को बर्दाश्त करती रही जो समझ के परे है।
उससे भी ज्यादा मजे की बात तो यह है कि अब गौरीशंकर बिसेन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने की बात मंच मंे कहने से नहीं चूकते इससे यह स्पष्ट होता है कि मंत्री बिसेन भ्रष्टाचार को बढावा देना चाहते हैं एकतरफ प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार को प्रदेश के जड समेत उखाड फेंकने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ मंत्री बिसेन जिले के कलेक्टर को सरपंच सचिवों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने कीबात सार्वजनिक रूप से घोषित कर रहे हैं।
दोनो एक ही पार्टी के नेता हैं ओर दोनो के विचार अलग अलग हैं जब भ्रष्टाचार पर जांच न होने की बात मंत्री ने मंच पर कही तो जबलपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र ने प्रमुखता से लीड समाचार बनाकर प्रकाशित किया जिसमंे तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आई कुछ बुद्धिजीवों कहना है कि मंत्री के इस कथन से भ्रष्ट अफसर और छोटे नेताओं के होंसले और बुलंद होंगे यह बात सभी जानते हैं कि आज पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार किस तरह समाया हुआ है और भ्रष्टाचार की अधिकांश जांच पंचायत स्तर पर ही चल रही हेैं जिनमंे सरपंच सचिवों के द्वारा ग्राम के विकास के लिये आई राशि का भ्रष्ट अफसरों के साथ मिलकर बंदर बांट कर अपने तिजोरी भर लेते हैं सूत्रों की मानें तो यह बात सत्य है कि इस भ्रष्टाचार की राशि मंत्री तक बतौर नजराना के रूप मंे भेंट की जाती है तो वहीं विधायक निधि और सांसद निधि की बंदरबांट या कमीशनखोरी की बात तो आम है यह था बडबोले में गौरीशंकर बिसेन का सफर जो सरकार को बावली कर कर रखा है।
अपने उटपटांग बयान बाजी को लेकर आलोचना का विषय बना गौरीशंकर बिसेन अब सरकार के लिये सरदर्द बन चुके हैं लेकिन मप्र सरकार मंे गौरीशंकर बिसेन एक ऐसे मंत्री लगते हैं जो किसी के बस पर नहीं हैं परत दर परत आलोचनाओं का शिकार होते गौरीशंकर बिसेन पर न तो प्रदेश के मुखिया  शिवराज ने लगाम लगा पाई और न ही प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने इससे यह प्रतीत होता है कि गौरीशंकर बिसेन अपने ही पार्टी के बडे नेताओं के बस पर नहीं हैं उनकी मर्जी पर जो आता है वह कर देते है और बाद में माफी मांग कर पल्ला झाड लेते हैं इससे पार्टी की छवि धूमिल हो या दागदार इससे उन्हें कोई मतलब नहीं आखिर क्या कारण है कि मंत्री बिसेन पर पार्टी के बडे नेता और पदाधिकारी लगाम नहीं लगा पा रहे हैं कहीं सबकी पोल बिसेन के पास तो नहीं शायद यही एक कारण है कि बडे नेताओं से भी बडे नेता बनकर बिसेन पार्टी को तहस नहस करने के लिये यह बयानबाजी कर रहे हैं यह पार्टी के लिये विचार करने योग्य प्रश्न है।

कच्ची कली कचनार की


हर्बल खजाना ----------------- 16

कच्ची कली कचनार की



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। हल्के गुलाबी लाल और सफ़ेद रंग लिये फ़ूलों वाले इस पेड को अक्सर घरों, उद्यानों और सडकों के किनारे सुंदरता के लिये लगाया जाता है। कचनार का वानस्पतिक नाम बाउहीनिया वेरीगेटा है। मध्यप्रदेश के ग्रामीण अँचलों में दशहरे के दौरान इसकी पत्तियाँ आदान-प्रदान कर एक दूसरे को बधाईयाँ दी जाती है।
इसे सोना-चाँदी की पत्तियाँ भी कहा जाता है। रक्तपित्त की दशा में कचनार के फ़ूलों की सब्जी तैयार कर रोगी को दिया जाता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी सर्पदंश में कचनार की जडों को पानी में कुचलकर रस तैयार करते है और इसे हर आधे घंटे में घायल व्यक्ति को दिया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि यह जहर के दुष्प्रभाव को कम करता है। मुँह में छाले, घाव, या जीभ के कट जाने पर कचनार की छाल का काढा बनाकर मुँह में कुल्ला करने से जल्द ही आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार जोडों के दर्द और सूजन में आराम के लिये इसकी जडों को पानी में कुचलते है और फ़िर इसे उबालते है। इस पानी को दर्द और सूजन वाले भागों पर बाहर से लेपित करने से काफ़ी आराम मिलता है।
मधुमेह की शिकायत होने पर रोगी को प्रतिदिन सुबह खाली पेट इसकी कच्ची कलियों का सेवन करना चाहिए। ये कलियाँ अत्यधिक अम्लता या एसीडिटी होने पर भी काफ़ी फ़ायदा करती है। लगातार दस्त या डायरिया की शिकायत में कचनार की फ़ल्लियों का चूर्ण (लगभग ३-५ ग्राम) रोगी को दिया जाए तो आराम मिलता है।