मंगलवार, 20 मार्च 2012

अधनंगों की खरबपति राजमाता!


अधनंगों की खरबपति राजमाता!

(लिमटी खरे)


 
एक समय था जब अविभाजित भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। देश की अकूत धन संपदा को पहले मुगल आक्रमणकारियों ने फिर ब्रितानी गोरों ने तबियत से लूटा। कहते हैं भारत देश वह कपड़ा था जिसे जब भी हाथ लगाया जाता पानी उसमें से निकल पड़ता। मुगलों और गोरों के द्वारा इस कपड़े का सारा पानी अर्थात धन निचोड़कर इस कपड़े को तार तार कर दिया गया। जब भारत देश अति गरीब होने की कगार पर आया तब देश को बमुश्किल गोरों ने छोड़ा। 1947 में आजादी और उसके उपरांत भारत गणराज्य की स्थापना के बाद आधी सदी से ज्यादा इस देश पर कांग्रेस ने शासन किया। आज भी देश के अस्सी फीसदी लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं है। इन परिस्थितियों में कांग्रेस की सर्वशक्तिमान राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी की संपत्ति खरबों रूपयों की होना अपने आप में एक आश्चर्य ही है। अधनंगों की खरबपति राजमाता और अरबपति युवराज को देश की हालत पर शर्म नहीं आती है, यही कारण है कि कलमाड़ी, राजा जैसे देशी लुटेरे आज भी देश को लूटने पर आमदा है।



लगता है भारत देश में प्रजातंत्र की हत्या हो चुकी है और सदियों पुराना सामंती राज कायम हो चुका है। उस वक्त भी राजे महाराजों के पास अकूत धन संपदा होती थी और रियाया फटेहाल। अंतर महज इतना था कि उस समय राजपरिवार के सदस्यों द्वारा रियाया का पूरा पूरा ध्यान रखा जाता था। राजनीति तब भी थी किन्तु नैतिकता की नींव पर खड़ी थी राजनीति।
आजादी के उपरांत भारत देश की जनता ने आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली कांग्रेस पर पूरा भरोसा जताया और अपने सुनहरे भाग्य के निर्माण का जिम्मा कांग्रेस को सौंप दिया। कांग्रेस के नैतिकतावान नेताओं ने देश को गढ़ना आरंभ किया। देश की सबसे बड़ी पंचायत के पंच यानी सांसद और सूबों की विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा बहुत ही कम पारिश्रमिक पर देश सेवा आरंभ कर दी।
जैसे जैसे समय बीतता गया, बेईमानी नैतिकता पर हावी होने लगी। देश और राज्यों की सेवा करने वाले जनसेवकों ने अपने वेतन भत्ते और सुविधाएं खुद तय करना आरंभ कर दिया। आज जनता फटेहाल की फटेहाल ही है पर नेता हैं तो मालामाल से मालामाल होते चले जा रहे हैं। नीरा राडिया कांड में नेताओं की असलियत सामने आई। कोई सीधे कमीशन तो कोई पंद्रह फीसदी लेकर देश सेवा को राजी होने की बातें सुनाई पड़ीं। मोटी चमड़ी वाले नेताओं को शर्म नहीं आई।
सांसदों के वेतन भत्तों को बढ़ाने के मामले में इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव चीख चीख कर संसद में कहते सुने गए कि सांसद का वेतन झूनियर क्लर्क से भी कम है। एक जूनियर क्लर्क और सांसद में क्या समानता? सांसद विधायकों को आना जाना निशुल्क, बिजली पानी रहना निशुल्क, फिर मोटा वेतन! आखिर किस दिशा में ले जा रहेे हैं राजनेता इस देश को।
इक्कीसवीं सदी के ही स्वयंभू योग गुरू राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने जब स्विस बैंकों में देश के काले धन को उजागर करने का अभियान छेड़ा तो राज माता ने अपने चार वरिष्ठ मंत्री बाबा को शीशे में उतारने भेजे। योग गुरू से हठ योगी बने बाबा रामदेव नहीं माने तो पूरे खेल की परिणति रामलीला मैदान - रात्रि काण्डके रूप में सामने आई। कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के कारिंदे तो स्वामी रामदेव को ठगपुकारने लगे।
दुनिया के चौधरी अमेरिका की एक वेब साईट बिजनिस इन्साईटरने विश्व के 23 धनकुबेरों की सूची प्रसारित की तो हंगामा मच गया। इस सूची में चौथे स्थान पर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी तो सातवें स्थान पर कांग्रेस के कुरूक्षेत्र से सांसद नवीन जिंदल की माता और हिसार से कांग्रेस विधायक सावित्री जिंदल का नाम सातवीं पायदान पर है।
इस वेब साईट में इटली मूल की श्रीमति सोनिया माईनो उर्फ सोनिया गांधी के नाम पर दो से 19 अरब डालर अर्थात 10 से 45 हजार करोड़ रूपए की संपत्ति होने का दावा किया गया है। उधर, कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कुनबे में शामिल सावित्री जिंदल के पास 13.2 अरब डालर की संपत्ति होने का दावा किया गया है। इस खबर का स्त्रोत वर्ल्ड लग्ज़री गाईड को माना गया।
आश्चर्यजनक कड़वा सत्य तो योजना आयोग द्वारा गरीबों के प्रतिशत और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर एक राज्यवार सूची जारी होना है। अगर इसके राष्ट्रीय औसत को लिया जाए तो ग्रामीण इलाकों में 672.8 रुपए मासिक और शहरी इलाकों में 859.6 रुपये मासिक से कम आय वाला व्यक्ति गरीब है। ये प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े हैं। एक परिवार में औसतन पांच व्यक्ति माने गए हैं।
इस आधार शहरों में 28.65 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजाना 22.42 रुपए से अधिक खर्च करने वाला गरीब नहीं है। गौरतलब है कि योजना आयोग ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में कहा था, ‘‘जून 2011 के मूल्य स्तर के लिहाज से शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा को अनंतिम तौर पर 32 रुपए प्रतिदिन और ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए प्रतिदिन रखा जा सकता है।‘‘
योजना आयोग ने सोमवार को दावा किया कि पिछले पांच साल में देश की कुल आबादी में से 7.3 फीसदी गरीबों की गरीबी दूर हो गई है। 2004-05 में जहां देश में 40.72 करोड़ गरीब थे, वहीं 2009-10 में गरीबों की संख्या घटकर 34.47 करोड़ रह गई। यानी देश में कोई 6 करोड़ 30 लाख गरीबों की गरीबी दूर हो गई है।
2009-10 के लिए गरीबी आकलन से संबंधित योजना आयोग के आंकड़े कहते हैं कि गांवों में गरीबी, शहरों में गरीबी के मुकाबले ज्यादा तेजी से घटी है। ग्रामीण इलाकों में गरीबी 41.8 प्रतिशत से घटकर 33.85 प्रतिशत (८ प्रतिशत की कमी) रह गई है, जबकि शहरी इलाकों में गरीबों की संख्या 25.7 प्रतिशत से कम होकर 20.9 प्रतिशत (4.8 प्रतिशत की कमी) रह गई है। कुल मिलाकर देश में 2004-05 में आबादी का 37.2 प्रतिशत गरीब थे। 2009-10 में इनकी संख्या 29.8 फीसदी ही रह गई।
गरीबी प्रतिशत के मामले में बिहार (53.3 प्रतिशत) सबसे आगे। उसके बाद छत्तीसगढ़ (48.7 प्रतिशत), मणिपुर (47.1 प्रतिशत), झारखंड (39.1 प्रतिशत), असम (37.9 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (37.7 प्रतिशत)। इन आंकड़ों से साफ है कि खेतिहर श्रमिक सबसे ज्यादा ज्यादा गरीब। 50 प्रतिशत खेतिहर श्रमिक और 40 प्रतिशत अन्य श्रमिक गरीब शहरी इलाकों में सबसे अधिक 47.1 प्रतिशत अस्थायी श्रमिक गरीब। कृषि प्रधान संपन्न हरियाणा में 55.9 खेतिहर श्रमिक गरीब जबकि पंजाब में 35.6 प्रतिशत खेतिहर किसान गरीब।
उधर सरकारी सूत्रों के अनुसार आंकड़ों को इस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है कि सभी को यह प्रतीत हो कि देश में ग़रीबी में ७ दशमलव ३ प्रतिशत की कमी आई है। यह वर्ष २००४-०५ में ३७ दशमलव २ प्रतिशत से घटकर वर्ष २००९-१० में २९ दशमलव ८ प्रतिशत हो गई। योजना आयोग द्वारा कल जारी अनुमानों के अनुसार, वर्ष २००४-०५ और २००९-१० के दौरान शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में ग़रीबी तेजी से कम हुई। देश में वर्ष २००९-१० में ग़रीबों की कुल संख्या ३४ करोड़ ४७ लाख होने का अनुमान है, जबकि वर्ष २००४-०५ में यह संख्या ४० करोड़ ७२ लाख थी।
गरीबी में दस प्रतिशत से भी अधिक की कमी हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़ीशा, सिक्किम, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तराखंड में दर्ज की गई है। हालांकि पूर्वाेत्तर राज्यों-असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड में ग़रीबी बढ़ी है। बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ बड़े राज्यों में, विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, ग़रीबी के अनुपात में केवल मामूली गिरावट आई है।
अब इन परिस्थितियों में अगर सोनिया गांधी सुरक्षा कारणों से अपनी संपत्ति उजागर न करने को ढाल बना रही हैं तो इससे बड़ा दुर्भाग्य भारत गणराज्य के लिए और कुछ नहीं हो सकता है। अगर उक्त वेब साईट के आंकड़े वाकई सही हैं तो फिर सोनिया गांधी के सामने सुरेश कलमाड़ी, कनिमोझी, अदिमत्थू राजा आदि तो बच्चे ही हैं।

(साई फीचर्स)

देश को मिला इंटर पास रेल मंत्री!


देश को मिला इंटर पास रेल मंत्री!

साक्षरता का ढोल पीटने वाली कांग्रेस ने गठबंधन को माना राष्ट्रधर्म से उपर!



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के लोगों को साक्षर करने के लिए जनता के गाढ़े पसीने की कमाई को पानी की तरह बहाने वाली कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार सत्ता की मलाई चखते रहने के लिए अपने सहयोगी दलों के सामने घुटनों पर खड़ी दिखाई दे रही है। ममता बनर्जी की दादा गिरी के आगे नतमस्तक कांग्रेस ने बारहवीं (इंटर) पास मुकुल राय को रेल विभाग का नया निजाम बना दिया है।
देश के इतिहास में संभवतः यह पहला ही मौका होगा कि रेल बजट पेश करने के बाद उसे पास करवाने का काम नया रेल मंत्री करेगा। यह देश के संसदीय इतिहास की एक बहुत बड़ी विडम्बना के बतौर सामने आया उदहारण ही माना जा सकता है। राष्ट्रधर्म के उपर गठबंधन धर्म का आलम यह है कि मुकुल राय को एक साल पहले मनमोहन सिंह ने रेल मंत्री बनाने से मना कर दिया था। तब राय रेल राज्य मंत्री थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के कहने के बावजूद एक रेल दुर्घटनास्थल का दौरा करने से मना कर दिया था।
देश के नए रेल मंत्री मुकुल रॉय का जन्म 17 अप्रैल 1954 को उत्तर 24 परगना जिले के कंचरपाड़ा में हुआ था। 12वीं पास मुकुल ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में बीएससी में दाखिला लिए लेकिन प्रथन वर्ष तक ही पढ़ाई कर पाए। मुकुल रॉय अप्रैल 2006 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। रॉय 28 मई 2009 के बाद से ही जहाजरानी राज्य मंत्री हैं।
उधर दिनेश त्रिवेदी का जन्म 4 जून 1950 को नई दिल्ली में हुआ था। त्रिवेदी ने बी.कॉम के बाद कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से एमबीए किया और फिर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सॉस से भी एमबीए की डिग्री ली। वे पहली बार 1990 में राज्य सभा के लिए चुने गए थे। 2002 में वे दोबारा राज्यसभा में आए। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की और केंद्र सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री बने। जुलई 2011 में वे रेल मंत्री बनाए गए, लेकिन रेल बजट 2012  में किराए में बढ़ोतरी के प्रस्ताव के बाद उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी।
सियासी बियावान में चल रही चर्चाओं के अनुसार एक पढ़े लिखे रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को बेवजह बाहर का रास्ता दिखाकर बारहवीं पास मुकुल राय को रेल मंत्री बनाकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और त्रणमूल कांग्रेस आखिर देश को क्या संदेश देना चाहती है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह और ममता बनर्जी के तेवरों से एक बात तो साफ होती दिख रही है कि पढ़े लिखे शिक्षित लोगों को राजनीति में आगे आने की बातें महज भरमाने के लिए ही लोगों के सामने की जाती हैं।

बजट के बाद कांग्रेस करेगी लोगों की जेब खाली


बजट के बाद कांग्रेस करेगी लोगों की जेब खाली



(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव निपट जाने के बाद अब सरकार डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ाने की तैयारी में है। जल्द ही कोई चुनाव न होने का फायदा उठाकर बजट सत्र के एन बाद ही सरकार इसमें बढ़ोत्तरी की घोषणा कर सकती है। इन दोनों ही चीजों की कीमतों के बढ़ने का सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संकेत दिए हैं कि बजट सत्र के बाद डीजल-रसोई गैस के दाम बढ़ सकते हैं। मुखर्जी ने कहा कि इस मसले पर राजनीतिक सहमति बनाने की जरूरत होगी। बजट सत्र के बाद वे इस पर विभिन्न राज्यों की सरकारों और राजनीतिक दलों के नेताओं से विचार-विमर्श करेंगे। सरकार पेट्रोल के दाम जून 2010 में नियंत्रणमुक्त कर चुकी है जबकि डीजल और घरेलू रसोई गैस को वह रियायती दाम पर बेच रही है।
प्रणव मुखर्जी ने बताया कि तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर पांच रुपए प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। जबकि डीजल पर 14.73 रुपए लीटर, केरोसीन पर 30.10 रुपए प्रति लीटर और घरेलू रसोई गैस पर 439.50 रुपए प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है। डीजल महंगा होने से जहां बाहर के राज्यों से आयात किया जाने वाला लगभग हर सामान महंगा हो जाएगा, वहीं रसोई गैस भी किचन का बजट बिगाड़ेगी।

राजूखेड़ी ने की जयराम से शिवराज की शिकायत


राजूखेड़ी ने की जयराम से शिवराज की शिकायत

(धीरेंद्र श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश संसदीय दल के संयोजक एवं धार - महू लोक सभा सांसद गजेन्द्र सिंह राजुखेडी ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश से मुलाकात कर अवगत कराया की मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही जन कल्याणकारी योजनायो को अपनी योजना बता कर प्रदेश की जनता को दिगभ्रमित किया जा रहा है जबकि मध्य प्रदेश सरकार को हर कार्य में जितना जिसका योगदान हो उसका उल्लेख सम्बंधित विभाग के बोर्ड पर करना चाहिए।
श्री राजुखेडी ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया की मनरेगा में जो पांच लाख से कम राशि की कार्याे पर जो मध्य प्रदेश सर्कार ने रोक लगाई है उसको अविलम्ब समाप्त किया जाए। साथ ही साथ जिस ग्रामीण क्षेत्र के आसपास बैंक नहीं है या कर्मचारियों की कमी हो वहा नगद राशि की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने धार जिले में लंबित प्रधान मंत्री सड़कों में जो गाँव नहीं जोड़े गए है उन्हें भी इसमें जोड़ने का आग्रह केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश से किया। इस अवसर पर श्री राजुखेडी के साथ धार जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज सिंह गौतम, जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि राजा मोदी, कैलाश रघुवंशी, दिलीप गुप्ता सहित कई जन प्रतिनिधि मौजूद थे।

छग में पावर प्लांट ने लौटाई आदिवासियों की जमीन


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  78

छग में पावर प्लांट ने लौटाई आदिवासियों की जमीन

एमपी में शिवराज हैं थापर पर मेहरबान



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आदिवासियों के साथ अन्याय होने की बात पता चलते ही आदिवासियों के हितों में काम करना आरंभ कर दिया है। छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ननकीराम कंवर के पुत्र संदीप द्वारा आदिवासियों की लगभग 14 एकड़ से अधिक जमीन खरीदने पर जैसे ही शोर शराबा हुआ रमन सिंह के निर्देश पर जांजगीर चांपा जिला प्रशासन ने आनन फानन कड़े तेवर अपनाते हुए आदिवासियों की जमीन वापस करवा दी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार संदीप कंवर के नाम पर जिले के पांच आदिवासियों की चौदह एकड़ से अधिक जमीन का सौदा पचपन लाख रूपए में कर दिया गया था। इस ममाले में बवाल मचते ही आनन फानन में प्रशासन ने निर्णय लेते हुए आदिवासियों की जमीन लौटाने के निर्देश दे दिए।
इसके साथ ही साथ आदिवासियों ने वीडियोकोन कंपनी पर फर्जीवाड़े का आरोप चस्पा कर दिया। संघ के दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंज के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि चूंकि इस मामले संघ के कड़े तेवर थे इसलिए छग शासन के दबाव में जिला प्रशासन ने उक्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
बताया जाता है कि आदिवासियों को धोखे में रखकर उनकी बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री संदीप कंवर के नाम पर करवा दी गई थी। आदिवासियों को तयशुदा रकम भी नहीं मिल सकी। इसके उपरांत आदिवासियों ने जिला प्रशासन से शिकायत की जिसका कोई हल नहीं निकला। बाद में उपरी दबावमें प्रशासन ने कार्यवाही की।
विडम्बना ही कही जाएगी कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले के घंसौर विकासखण्ड के आदिवासियों, जल जंगल और जमीन को परोक्ष तौर पर दौलतमंद गौतम थापर के पास रहन रख दिया गया है और बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

आरवी गार्डनर का सख्त विरोध


आरवी गार्डनर का सख्त विरोध

(चन्द्रशेखर जोशी)

देहरादून (साई)। कांग्रेस द्वारा विधानसभा के 71 वें विधाय्ाक के रूप में एंग्लो इंडिय्ान सदस्य्ा को मनोनीत करने को आरवी गार्डनर की ताजपोशी की तैय्ाारी शुरू कर दी गय्ाी, उत्तराखण्ड की त्र्ािशंकु विधानसभा में मनोनीत विधाय्ाक की तैय्ाारी होते देख भाजपा की त्य्ाौरिय्ाां चढ गय्ाी है। राज्य्ा सरकार ने सदन में अपना बहुमत तक साबित नहीं कर पाई है और उससे पहले ही एंग्लो इंडिय्ान विधाय्ाक के मनोनय्ान को लेकर दबाव बनना शुरू हो गय्ाा हैं।
उत्तराखंड की विधानसभा का 71वां, मनोनीत विधाय्ाक बनने के लिए आरवी गार्डनर का नाम फाइनल माना जा रहा है। वहीं एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा द्वारा आरवी गार्डनर के नाम का विरोध शुरू हो गय्ाा है, एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा द्वारा कहा जा रहा है कि पिछली कांग्रेस सरकार में आरवी गार्डनर मनोनीत विधाय्ाक के रूप में उनका बेहद निराशाजनक कायर््ाकाल रहा, उनकी क्य्ाा उपलब्धिय्ाां रही, य्ाह सामने नहीं आ पाय्ाा है, 71वें मनोनीत विधाय्ाक के रूप में उनकी विधाय्ाक निधि तक खर्च नहीं हो पाय्ाी थी, और वह बेहद व्यस्त हैं, वह सिर्फ सामाजिक रूतबे के लिए विधाय्ाक बनना चाहते हैं, और उनके विद्यालय्ा ने समाज के लिए क्य्ाा किय्ाा, य्ाह भी राज्य्ा की जनता जानना चाहती है, ऐसे में अगर कांग्रेस ऐसे व्यक्ति को पुनः विधाय्ाक बनाना चाहती है तो इससे कांग्रेस की छवि पर असर पडेगा।
वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड विधानसभा के लिए मनोनीत होने वाले एंग्लो इंडिय्ान विधाय्ाक को लेकर कांग्रेस के रुख का भाजपा ने कड़ा विरोध किय्ाा है। भाजपा नेताओं ने राजभवन जाकर राज्य्ापाल के समक्ष य्ाह मामला उठाय्ाा। साथ ही पार्टी ने बहुमत साबित करने से पहले सरकार द्वारा किसी भी तरह के नीतिगत निर्णय्ा लेने पर भी आपत्ति जताई है।
भाजपा ने राज्य्ापाल के समक्ष य्ाह सवाल उठाय्ाा कि जब सरकार ने विश्वासमत ही हासिल नहीं किय्ाा है तो वह नीतिगत निर्णय्ा कैसे ले सकती है। श्री खंडूड़ी के मुताबिक, जानकारी मिली है कि कांग्रेस सरकार ने एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा के सदस्य्ा के मनोनय्ान के लिए राजभवन को सिफारिश की है। भाजपा ने कहा कि संवैधानिक रूप से कोई सरकार है ही नहीं। य्ाह राष्ट्रपति शासन जैसी स्थिति है। मुख्य्ामंत्र्ाी के साथ एक भी कैबिनेट मंत्र्ाी होता तो तब य्ाह सरकार कही जाती। मुख्य्ामंत्र्ाी सदन के सदस्य्ा भी नहीं हैं। मंत्र्ािमडल के गठन और बहुमत साबित करने से पहले य्ाह सरकार नीतिगत निर्णय्ा कैसे ले सकती है।
दूसरी तरफ, राज्य्ा के कई स्वय्ांसेवी संगठनों की तरफ से एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा के प्रतिनिधि के रूप में साइरिल आर रेफल का नाम भी चलाय्ाा जा रहा है। श्री रेफल के लिए बाकाय्ादा स्वय्ांसेवी संगठनों ने अभिय्ाान चलाय्ाा है
मनोनीत विधाय्ाक की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। राष्ट्रपति चुनाव को छोड़कर सदन में मतविभाजन में उसे भी समान रूप से वोट देने का अधिकार है। वर्ष 2002 में बनी कांग्रेस की सरकार में पहली बार एंग्लो इंडिय्ान विधाय्ाक की व्य्ावस्था की गई थी। तब कांग्रेस ने आरवी गार्डनर को 71वें विधाय्ाक के तौर पर मनोनीत किय्ाा था। इस बार भी कांग्रेस की तरफ से श्री गार्डनर का नाम ही प्रस्तावित किए जाने की चर्चा है। कहा तो य्ाहां तक जा रहा है कि श्री गार्डनर का नाम कांग्रेस की तरफ से राजभवन को भेज दिय्ाा गय्ाा है। गार्डनर की दावेदारी को इसलिए भी पुख्ता माना जा रहा है क्य्ाोंकि उत्तराखंड में चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस नेता विधाय्ाक दल चय्ान की पक्रिय्ाा के दौरान श्री गार्डनर केंद्रीय्ा पयर््ावेक्षक गुलाम नबी आजाद से मिल चुके हैं।
दूसरी तरफ, राज्य्ा के कई स्वय्ांसेवी संगठनों की तरफ से एंग्लो इंडिय्ान समुदाय्ा के पतिनिधि के रूप में साइरिल आर रेफल का नाम भी चलाय्ाा जा रहा है। श्री रेफल के लिए बाकाय्ादा स्वय्ांसेवी संगठनों ने अभिय्ाान चलाय्ाा है।

बसंतेय नवरात्र पर देवालयों की सुध ले जिला प्रशासन: इमरान


बसंतेय नवरात्र पर देवालयों की सुध ले जिला प्रशासन: इमरान

चेत्र शुक्ल प्रतिपदा पर देवालयों की साफ सफाई, प्रकाश और जल की व्यवस्था सुनिश्चित हो

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सनातन धर्म के नव वर्ष गुडी पड़वा पर जिले के हर देवालय विशेषकर माता के मंदिरों के आसपास साफ सफाई, प्रकाश, जल एवं सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाए। उक्ताशय की मांग नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इमरान पटेल द्वारा जिला प्रशासन से की गई है। नगर कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता फिरोज खान के हस्ताक्षरों से जारी विज्ञप्ति में इमरान पटेल ने कहा है कि चेत्र शुक्ल प्रतिपदा शुक्रवार 23 मार्च को है।
इमरान पटेल ने आगे कहा कि चेत्र नवरात्र में सनातन धर्म के धर्मावलंबी विशेषकर महिलाएं सुबह सवेरे मुंह अंधेरे ही माता के मंदिरों में जल चढ़ाने और पूजन अर्चन के लिए नंगे पैर निकल जाती हैं। इमरान पटेल ने कहा कि शहर के देवालयों के आसपास गंदगी व्याप्त है, प्रकाश की उचित व्यवस्था के साथ ही साथ पेयजल की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि देवालयों के पहुंच मार्गों पर कम से कम नवरात्र तक पर्याप्त मात्रा में वैकल्पिक प्रकाश व्यवस्था और पर्याप्त मात्रा में पुलिस विशेषकर महिला पुलिस की तैनाती की जाए। देवालयों के उबड़ खबड़ पहुंच मार्गों में मुरम या मिट्टी डालकर उन्हें समतल किया जाए ताकि धर्मावलंबियों को पूजन अर्चन करने जाने में परेशानी का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा कि नवरात्र के अवसर पर हिंदू धर्मावलंवियों द्वारा उपवास व्रत रखा जाता है। गर्मी के मौसम को देखते हुए जिला प्रशासन को हर देवालय के आसपास पेयजल, प्रकाश, साफ सफाई के साथ ही साथ सुरक्षा के विशेष इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं ताकि असमाजिक तत्वों द्वारा अपनी कारस्तानी न दिखाई जा सके।
नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इमरान पटेल ने चेत्र नवरात्र और हिन्दू नववर्ष पर सभी जिला वासियों को शुभकामनाएं और बधाई प्रेषित की है।