सोमवार, 30 जुलाई 2012

पीठ पर वार करने वालों के मजे हैं कांग्रेस में


पीठ पर वार करने वालों के मजे हैं कांग्रेस में

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। लगभग सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में वफादारों के ज्यादा मजे कांग्रेस को आंख दिखाने वालों के हैं। सालों साल कांग्रेस के लिए दरी फट्टे उठाने वालों पर बाहर से आयतित नेता राज कर रहे हैं। कांग्रेस में आयतित नेताओं के मलाईदार रसूख से कार्यकर्ताओं में असंतोष के स्वर प्रस्फुटित होते जा रहे हैं।
देश के पहले नागरिक बन चुके प्रणव मुखर्जी ने राजीव गांधी का विरोध किया और समाजवादी कांग्रेस का गठन किया था। कांग्रेस ने उन्हें देश के सबसे बड़े संवैधानिक ओहदे पर बिठाया। केंद्रीय मंत्री किशोर चंद देव कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़कर दो बार लोकसभा की दलहीज पर पहुंच चुके हैं। संजय निरूपम जब शिवसेना में थे, तब वे कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसते रहे हैं। निरूपम दो बार शिवसेना से राज्य सभा संासद रहे हैं।
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के नाक के बाल बने हुए पलनिअप्पम चिदंबरम देश के गृह मंत्री हैं। चिदम्बरम और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटरजन एक समय में तमिल मनीला कांग्रेस में चले गए थे। सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी भी चंडीगढ़, होशियारपुर और मेरठ से तीन बार कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं।
इसी तरह गोवा में भाजपा की मदद से फ्रांसिस नरोन्हा मुख्यमंत्री बन चके हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल तो गजब ही ढा चुके हैं। राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए बोफोर्स घोटाले में वे विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार के कार्यकाल में बहेसियत एडीशनल सालीसिटर जनरल बोफोर्स केस में पेश हो चुके हैं।
सोनिया गांधी के विदेश मूल के मुद्दे को जोर शोर से उठाने वाले शरद पंवार भले ही कांग्रेस में शामिल नहीं हुए पर वे सत्ता की मलाई चख ही रहे हैं। केंद्रीय मंत्री बेनी वर्मा और यूपी की वरिष्ठ नेत्री रीता बहुगुणा जोशी भी आयतित ही हैं। कांग्रेस के अंदर ही अंदर यह भावना पनप रही है कि कांग्रेस में काडर की बात का कोई धनी धोरी ही नहीं बचा है।
एक नेशनल पोस्ट होल्डर ने उक्ताशय की बातें समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ इस शर्त पर साझा की कि उनकी पहचान उजागर ना की जाए। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का नैतिक पतन जबर्दस्त हो चुका है। आज सोनिया के नेतृत्व में काडर की बात सुनने की किसी को फुर्सत नहीं है। हाल ही में महाराष्ट्र के एक प्रमुख दैनिक के मालिक और राज्य सभा सदस्य विजय दर्डा द्वारा भाजपा के नेता नरेंद्र मोदी की तारीफों में कशीदे गढ़ने की बात को भी इसी परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है।

ग्रिड फेल: अंधेरे में डूबा आधा देश

ग्रिड फेल: अंधेरे में डूबा आधा देश

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। नॉर्दन ग्रिड में खराबी आने से उत्तर भारत के सात राज्य अंधेरे में डूबे रहे। पावर ग्रिड कॉर्पाेरेशन के वरिष्ठ अधिकारी ने आकाशवाणी को बताया कि ग्रिड में खराबी के कारणों का पता लगाया जा रहा है। उत्तरी क्षेत्र केन्द्र के सूत्रों ने बताया कि बिजली सप्लाई बहाल करने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रिड में खराबी रात लगभग ढाई बजे शुरू हुई जिससे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा , पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और राजस्थान में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई। इससे इन इलाकों में ट्रेन सेवाओं पर बुरा असर पड़ा।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने बताया कि अब स्थिति सामान्य हो रही है। उन्होंने कहा कि नार्दन रेलवे, नार्थ सेंट्रल रेलवे और वेस्ट सेंट्रल रेलवे और डिविजनस में अंबाला डिवीजन, दिल्ली डिवीजन,झांसी डिवीजन, आगरा डिवीजन, इलाहाबाद डिवीजन ये सारा डिवीजन में ट्रेनों का मूवमेंट प्रभावित हुआ। इनफेक्ट रात को ही हमने कोर्डिनेट करके काफी ट्रेनों को नार्मल मूवमेंट कराया भी था। खैर स्थिति अब ये है कि हमारे रेलवे नेटवर्क में बिजली रिस्टोर हो गई है और नार्मल सा हो गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मेट्रों सेवा पर भी असर पड़ा है।
नॉर्दन ग्रिड के फेल होने से पूरे उत्तर भारत में हाहाकार सा मच गया है। दिल्ली समेत उत्तर भारत के 7 राज्यों में रात करीब ढाई बजे से बत्ती गुल है। ये उत्तर भारत का सबसे बड़ा बिजली संकट माना जा रहा है। नॉर्दर्न ग्रिड फेल होने से ट्रेनों की आवाजाही पर भी असर पड़ा है और जगह-जगह कई ट्रेनें फंसी हुई हैं। नॉर्दर्न ग्रिड फेल होने का सबसे बुरा असर रेलवे पर पड़ा है। अभी तक कि खबरों के मुताबिक 30 एक्सप्रेस ट्रेने और 40 माल गाड़ियां प्रभावित हुई हैं।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो से आशीष माहेश्वरी ने बताया कि दिल्ली के वीवीआईपी इलाकों में भी बिजली गुल होने का असर दिखा। थोड़ी देर पहले खबर आई है कि दिल्ली में मेट्रो रेल का परिचालन शुरु कर दिया गया है। इसके पहले राजधानी दिल्ली में मेट्रो सेवा प्रभावित हुई है। सुबह से ही मेट्रो स्टेशनों पर लोग परेशान दिखे। मेट्रो ट्रेनें न चलने की वजह से लोग अपने दफ्तरों और शिक्षक संस्थानों पर समय से नहीं पहुंच पाए। लोग इस इंतजार में थे कि शायद जल्दी ही सप्लाई दोबारा से शुरु हो जाएगी और वे अपने काम पर जा सकेंगे। इससे पहले मेट्रो की ओर से जारी सूचना में कहा गया था कि अगली सूचना आने तक मेट्रो सेवा नहीं शुरू होगी।

दर्डा का कांग्रेस से मोहभंग


दर्डा का कांग्रेस से मोहभंग

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस का विरोध करने वालों को कांग्रेस द्वारा ही उपकृत किए जाने के अनेक उदहारणों के बीच अब महाराष्ट्र सूबे के एक रसूखदार अखबार के मालिक और सांसद विजय दर्डा ने भी कांग्रेस के प्रमुख विपक्षी दल और अगले आम चुनावों में भावी प्रधानमंत्री के रूप में अघोषित तौर पर प्रोजेक्ट किए गए नरेंद्र मोदी की तारीफों में कशीदे गढ़ दिए हैं।
गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ ने फिर विवाद खड़े कर दिए हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी को क्लीनचिट देकर योग गुरु रामदेव अपनी सहयोगी टीम अन्ना के निशाने पर आ गए हैं। उधर, कांग्रेस के एक एमपी विजय दर्डा ने भी नरेंद्र मोदी को शेर बताया है।
अहमदाबाद में संडे को एक प्रोग्राम में नरेंद्र मोदी के साथ रामदेव मंच पर मौजूद थे। रामदेव ने कहा, मोदी कुछ भी गलत नहीं कर रहे। यूपीए सरकार के कई मंत्री जेल में हैं। अगर गुजरात के सीएम ने कुछ गलत किया होता तो उन्हें भी सलाखों के पीछे डाल दिया जाता।
नरेंद्र मोदी ने भी रामदेव की तारीफ करते हुए कहा कि रामदेव ने देशहित में शानदार काम किया है। रामदेव की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में उनकी सहयोगी टीम अन्ना ने रामदेव के इस कदम पर नाराजगी जताई है। टीम अन्ना के मेंबर संजय सिंह ने नरंेंद्र मोदी को श्मानवता का हत्याराश् करार दिया। उन्होंने कहा कि रामदेव को जवाब देना होगा कि क्यों उन्होंने मोदी के साथ मंच साझा किया। हम मोदी से कभी सहमत नहीं रहे। नरेंद्र मोदी ने अपने राज्य में मजबूत लोकायुक्त बिल पास नहीं किया।
इसी प्रोग्राम में महाराष्ट्र से कांग्रेस एमपी विजय दर्डा ने मोदी के कामकाज के तरीके की तारीफ करते हुए उन्हें शेर बताया। इस पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि दर्डा को गुजरात में की गई इस टिप्पणी की कीमत चुकानी पड़ सकती है। हालांकि, दर्डा ने बाद में साफ किया कि मोदी पर की गई टिप्पणी के पीछे कोई राजनीतिक वजह नहीं थी, मैं अपने दिल की बात रख रहा था। हमारी संस्कृति में हम हमेशा मेजबान के बारे में अच्छी बात कहते हैं।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लेने वाले पूर्व राज्यसभा सांसद शाहिद सिद्दीकी से समाजवादी पार्टी ने हाल में ही नाता तोड़ लिया है। हालांकि सिद्दीकी ने मोदी के इंटरव्यू लेने के फैसले का बचाव किया है। सिद्दीकी ने कहा कि मैंने 2002 गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका पर जितने कड़े सवाल पूछे, वैसा किसी ने अभी तक नहीं किया। पार्टी का सदस्य न होने के समाजवादी पार्टी के दावे को सिद्दीकी ने सफेद झूठ करार दिया।
ज्ञातव्य है कि अप्रैल 2011 में अन्ना हजारे ने कहा था कि गुजरात और बिहार के सीएम जिस तरह से काम करते हैं, दूसरे राज्यों को उससे सीखना चाहिए। बाद में अन्ना ने साफ किया कि मैंने विकास के लिए मोदी की पहल की तारीफ की थी। जुलाई 2011 में मौलाना गुलाम मुहम्मद वस्तानवी को गुजरात के आर्थिक विकास की तारीफ करने के बाद दारूल उलूम के वाइस चांसलर के पद से हटा दिया गया।
2009 मार्च में केरल से सीपीआई ( एम ) के एमपी ए. पी. अब्दुल्लाकुट्टी को उस वक्त पार्टी से निकाल दिया गया , जब उन्होंने केरल सरकार को मोदी के विकास मॉडल को लागू करने का सुझाव दिया। अब्दुल्लाकुट्टी ने कांग्रेस जॉइन कर ली।
उधर, मोदी ने कहा कि गुजरात में हुए काम की तारीफ करना बेहद खतरनाक होता है। जो कोई गुजरात की या गुजरात में हुए अच्छे काम की तारीफ करता है उसे उसका बुरा नतीजा भुगतना ही पड़ता है। मोदी ने कहा, अब सांसद दर्डा की बारी आ गई लगती है। उन्होंने कहा कि आश्चर्य नहीं कि कल की ब्रेकिंग न्यूज यह होगी कि सांसद दर्डा को कांग्रेस नेतृत्व ने नोटिस भेज दिया।
इस बयान के मीडिया में आते ही इस पर विवाद शुरू हो गया। कांग्रेस नेतृत्व ने भी इस पर गौर करते हुए सांसद दर्डा से जवाबतलब कर दिया। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व ने दर्डा से कहा है कि वह बताएं किन स्थितियों में उन्होंने मोदी के साथ मंच शेयर करने का फैसला किया। आलाकमान का रुख इस मसले पर बेहद सख्त बताया जाता है।
विवाद होने के बाद दर्डा बचाव की मुद्रा में आ गए। उन्होंने कहा कि उनके बयान को राजनीतिक नहीं माना जाना चाहिए। दर्डा ने कहा कि वह एक धार्मिक समारोह में शामिल होने गए थे। वह उस धार्मिक मौके पर बस अपने दिल की भावनाएं व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हमारे धर्म में कहा गया है कि हम अपने मेजबान की तारीफ करते हैं। जो कुछ मैंने कहा उसे इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। उसका कोई राजनीतिक मतलब न निकाला जाए।गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ ने फिर विवाद खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार दर्डा इसे राजनैतिक बयान नहीं कह क्या साबित करना चाह रहे हैं। अगर वे राजनैतिक बयान देते तो वे क्या कहते? क्या दर्डा यह जतलाने का प्रयास कर रहे हैं कि राजनैतिक लोगों के दो चेहरे होते हैं। कांग्रेस के अंदर यह मांग तेज हो रही है कि दर्डा की राज्य सभा सदस्यता छीन ली जाए, किन्तु उनके रसूख और अखबार की पृष्ठभूमि के चलते आलाकमान शायद ही उनके खिलाफ कठोर कदम उठाए।

जनसंपर्क की उलटबंसी चर्चाओं में


जनसंपर्क की उलटबंसी चर्चाओं में

विज्ञप्तियों के माध्यम से उजागर करना आरंभ किया शिवराज की नाकामियां

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश सरकार की उपलब्धियों और जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता के सामने लाने के लिए पाबंद मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क महकमे की उलटबंसी लोगों को आश्चर्यचकित कर रही है। अमूमन सरकार की नाकामियों पर सरकारी विभागों द्वारा पर्दा ही डाला जाता रहा है किन्तु इस बार तो जनसंपर्क ने करिश्मा ही कर दिया है।
राज्य के जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने कुल 31 घोषणाएं की थीं। इनमें से 16 घोषणाओं पर अमल हो चुका है, मगर लाडली लक्ष्मी योजना ही एकमात्र ऐसी योजना है जिसे कानूनी रूप दिया जाना अभी लंबित है। शिवराज सिंह चौहान की महात्वाकांक्षी योजनाओं में लाडली लक्ष्मी योजना सबसे उपर है।
जनसंपर्क महकमे के एक आला अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर जनसंपर्क विभाग के संज्ञान में यह बात आई थी तो इस बात को जनसंपर्क आयुक्त (सीपीआर) राकेश श्रीवास्तव के संज्ञान में लाया जाना चाहिए था। इसके बाद सीपीआर इस बारे में सीएम को आवगत करा देते। इसका प्रोपोगंडा करने की क्या जरूरत थी। ऐसे में शासन की बदनामी ही होती है।
ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर लाडली लक्ष्मी योजना है, मगर इस योजना को कानूनी रूप देना महिला एवं बाल विकास विभाग की प्राथमिकता सूची में सबसे नीचे है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री की तमाम घोषणाओं को तो विभाग पूरा कर चुका है मगर कानून बनाने की घोषणा अब भी लंबित है।
लाडली लक्ष्मी योजना का मकसद बालिका जन्म को प्रोत्साहित करना है। इस योजना के लिए चौहान की काफी तारीफ हुई थी। इतना ही नहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में सरकार ने इस योजना को मील का पत्थर करार दिया था और मतदाताओं ने भी इस योजना को सराहते हुए चौहान को सरकार बनाने का मौका दिया था।
आधिकारिक बयान में बताया गया कि राज्य से कुपोषण समाप्त करने के लिए 14 मई 2010 को राज्य विधानसभा द्वारा अटल बाल योजना आरोग्य एवं पोषण मिशन की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को नोडल विभाग भी घोषित किया गया। विभाग ने इस प्रस्ताव पर अमल करते हुए 24 दिसम्बर 2010 को मिशन का औपचारिक शुभारंभ भी मुख्यमंत्री से कराया था।
बताया गया है कि विभाग के सभी अधिकारियों ने आंगनवाड़ी केंद्रों का दौरा किया और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अब तक आठ पर्यवेक्षकों को निलम्बित किया गया है और 1682 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का एक माह का मानदेय रोका गया है। कार्य में सुधार न होने पर 140 कार्यकर्ताओं और 128 सहायिकाओं को सेवा से अलग कर दिया गया है।
जनसंपर्क महकमे के इस बयान से यह माना जाने लगा है कि सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री रंजना बघेल के बीच सामंजस्य का पूरा पूरा अभाव ही है। इस संबंध में रंजना बघेल का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनकी सुरक्षा में तैनात अंगरक्षक ने बताया कि वे किसी प्रोग्राम मे व्यस्त हैं।