सोमवार, 30 जुलाई 2012

रायसीना हिल्स जाकर चैन की बंसी बजा रहे दादा!


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

रायसीना हिल्स जाकर चैन की बंसी बजा रहे दादा!
कभी राजीव गांधी को आंखें दिखाकर समाजवादी कांग्रेस का गठन करने वाले प्रणव मुखर्जी इस समय रायसीना हिल्स पर ब्रिटिश वायसराय के लिए बनाई गई कोठी में चैन की सांस ले रहे हैं। अब दादा को ना तो कांग्रेस के डैमेज कंट्रोल की ही चिन्ता है ना ही कांग्रेस के लिए ट्रबल शूटर बनने की। दादा यह जानते थे कि राहुल गांधी के रहते वे कभी भी 7, रेसकोर्स रोड़ यानी प्रधानमंत्री के आवास को अपना आशियाना नहीं बना सकते हैं। इसीलिए उन्होंने इसके बजाए रबर स्टंप बनकर रायसीना हिल्स जाने में ही बेहतरी समझी। दादा की खुशी की वजह है राहुल गांधी का सक्रिय राजनीति में बढ़ता रूझान। कहा जा रहा है कि दादा को इस बात के संकेत काफी पहले ही मिल चुके थे। राहुल अगर सरकार में शामिल होते तो अभी वे नंबर दो, और बाद में प्रधानमंत्री बनकर एक नंबर का रूतबा हासिल करते। इन परिस्थितियों में दादा को अपने लंबे सियासी और संसदीय जीवन के बाद भी अपने पुत्र से भी कम उम्र के थोपे गए नेता के सामने हाथ बांधे ही खड़ा रहना होता!

अहंकारी मंत्रियों से नाराज हैं सांसद
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश सूबे के अनेक सांसद इन दिनों अपनी ही पार्टी की सरकार के अहंकारी मंत्रियों से खासे खफा नजर आ रहे हैं। सोनिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि यूपी के चार सांसद सोनिया गांधी की बैठक का अघोषित बहिष्कार कर चुके हैं। कमल किशोर, संजय सिंह, प्रवीण एरन सहित चार सांसदों ने अपनी तल्ख नाराजगी मंत्रियों के खिलाफ जताई है। इनमें से एक सांसद ने सोनिया को बाकायदा पत्र लिखकर अपनी पीडा का इजहार किया है। पत्र में सांसद ने लिखा है कि केंद्र में बैठे मंत्री बेलगाम हो गए हैं, और उन्हें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का भी भय नहीं रहा। सोनिया के इंगित पत्र में उक्त सांसद ने लिखा है कि जब सोनिया गांधी ने मंत्रियों को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ घुलने मिलने और नरम रवैए से उनकी बात सुनने के निर्देश दिए हैं, तब पार्टी के ही उक्त मंत्री सांसदों को भी समय देने में अपनी तौहीन समझ रहे हैं।

जयललिता का दूसरा चेहरा
तमिलनाडू की महारानी जयललिता को करीब से जानने वालों की तादाद काफी कम ही है। रायसीना हिल्स की जंग में जयललिता से चर्चा के लिए सोनिया गांधी ने कांग्रेस के एक बड़े मंत्री को पाबंद किया। कहते हैं कि मंत्री पहुंचे जयललिता के दरबार, वहां जयललिता ने उन्हें अपने ठीक बगल का आसन दिया। बातचीत का सिलसिला आरंभ होने के पहले ही जयललिता के दरबार में उनके एक बेहद वरिष्ठ कैबनेट मंत्री ने आमद दी और जमीन पर दण्डवत हो गए। उसे नजर अंदाज कर उन्होंने मंत्री से बातचीत आंरभ कर दी। मंत्री बेहद असहज महसूस करते रहे कि उनकी बातचीत चल रही है और एक नेता लगातार जमीन पर दण्डतव ही हैं। लगभग आधा घंटा बीतने के बाद उनसे नहीं रहा गया तो उन्होंने जयललिता से कहा कि उस मंत्री को उठने को तो कह दें, बेचारा जमीन पर औंधा ही लेटा है। सुनते ही जयललिता हत्थे से उखड़ गईं और लगभग चीखते हुए ही कहा कि उन्होंने फिल्मी दुनिया में काफी कुछ देखा सहा है, इसे एसा ही पड़ा रहने दो। बेचारा केंद्रीय मंत्री का चेहरा देखते ही बना।

गुजरात में आंकड़ों की जंग!
गुजरात में विधानसभा की रणभेरी बजने की तारीखें करीब आती जा रही हैं, इन परिस्थितियों में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही में अब आरोप प्रत्यारोप का कभी ना थमने वाला सिलसिला आरंभ हो गया है। दोनों ही दल एक दूसरे पर कीचड़ उछालने पर आमदा हैं। गुजरात में सबसे रोचक बात यह उभरकर सामने आ रही है कि वहां आंकड़ों की जबर्दस्त जंग आरंभ हो गई है। राज्य सभा के एक सांसद जो पहले योजना आयोग के सदस्य रह चुके हैं ने एक आलेख लिख मारा जिसमें कहा गया है कि नरेंद्र मोदी के विकास के गुणगान बेमानी ही हैं। वहीं भाजपा द्वारा आंकड़ों के माध्यम से नरेंद्र मोदी को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में कोई कोर कसर नहीं रखी जा रही है। कांग्रेस भाजपा दोनों ही आंकड़ों की जंग में उलझी है। जनता बेचारी इस भ्रम में है कि क्या वाकई नरेंद्र मोदी विकास पुरूष हैं या विनाश पुरूष। इस सबके बाद भी भाजपा के कथित लौह पुरूष एल.के.आड़वाणी ने अभी तक अपनी चुप्पी नहीं तोडी है।

रोहित को पितृ रत्न की प्राप्ति
अब तक अखबारों में किसी भी व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति की खबरें ही पढ़ी होंगी पाठकों ने। पहली बार एसा हुआ है कि जब किसी पुत्र को पितृ रत्न की प्राप्ति हुई है। सियासी हल्कों में रसियाके नाम से पुकारे जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी के डीएनए टेस्ट से यह साबित हो गया है कि वे ही रोहित शेखर के पिता हैं। सालों साल चलने वाले प्रकरण पर से पर्दा उठ ही गया और एन.डी.तिवारी को मुंह की खानी पड़ी। वे इस मामले को निजी बता रहे हैं। क्या अदालत में जाने के बाद मामला निजी रह जाता है! एन.डी.तिवारी उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड के सीमए और केंद्र में लंबे समय तक मंत्री भी रहे हैं। क्या कांग्रेस इस गंभीर मसले पर अपना रूख स्पष्ट करने का दुस्साहस कर सकेगी कि इस तरह के रसिया को वह सालों साल क्यों ढोती आई है? क्या एन.डी.तिवारी को कांग्रेस का आईकान माना जाए!

मोदी की लोकप्रियता में सेंध लगाते शिवराज!
देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान खुद ही अपनी टीआरपी अर्थात टेलीवीजन रेटिंग प्वाईंट को बढ़ाने की कवायद में जुट गए हैं। कभी खुद को सांची दूध का ब्राण्ड एम्बेसडर बनवाने का जतन करते हैं तो कभी किसान पुत्र होने का दावा मीडिया में प्रचारित करवाते हैं। शिवराज का प्रयास है कि उनका कद नरेंद्र मोदी के समकक्ष हो जाए ताकि अगले आम चुनावों में वे भी अपनी दावेदारी ठोंक सकें। विदिशा क्षेत्र में पांव पांव वाले भईया के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान ने घरों घर तक पहुंच बनाने के लिए लाडली लक्ष्मी योजना का आगाज किया था। उन्होंने मध्य प्रदेश के हर बच्चे का खुद को मामा बताकर सूबे के लोगों को मामा बना दिया। प्रदेश में बच्चों के साथ होने वाले बलात्कार और अन्य संगीन अपराध शिवराज मामा की प्रशासनिक पकड़ का नायाब उदहारण माना जा सकता है। अब सोची समझी रणनीति के तहत कम ब्याज पर किसानों को कर्ज देने की बात कर अर्थव्यवस्था की रीढ़ को अपने पक्ष में करने में जुट गए हैं।

दबे और सधे पांव बढ़ते अहमद पटेल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता था। उनके महामहिम राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित और चुने जाने के साथ ही यह चर्चा आरंभ हो गई थी, कि आखिर उनके स्थान पर कांग्रेस को संकट से उबारने में कौन महती भूमिका निभाएगा? पिछले एक माह के प्रदर्शन के आधार पर कहा जाने लगा है कि प्रणव मुखर्जी के वारिस के बतौर अब कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल ने काम करना आरंभ कर दिया है। अहमद पटेल के सितारे इन दिनों खासे बुलंदी पर हैं। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) में जिस तरह एक समय विसेंट जार्ज की तूती बोला करती थी, वह केंद्र अब पूरी तरह अहमद पटेल मय होता दिख रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशी के पक्ष में सभी को लाकर अहमद ने सोनिया का विश्वास अर्जित कर लिया है। अहमद के बढ़ते कद का सबसे ज्यादा फायदा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को मिलने से कोई नहीं रोक सकता है।

सबको साधने में महारथ है हामिद की
देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पूंजीपतियों के विरोधी वामदलों के दुलारे हैं तो राहुल के उतने ही प्यारे। साथ ही देश के अमीर अंबानी घराने में भी उनकी मार पकड़ का जवाब नहीं है। उद्योग जगत से अंसारी का नाता आज का नहीं पुराना है। अंसारी के करीबी सूत्रों का कहना है कि जब अंसारी साउदी अरब से भारतीय एम्बेसेडर के बतौर सेवानिवृत हुए थे, तभी से उनकी एंट्री रिलायंस समूह में हो गई थी। देश की अर्थव्यवस्था को अपने हिसाब से हांकने वाले अंबानी बंधुओं के बीच अंसारी की खासी दखल बताई जाती है तो कांग्रेस के युवराज राहुल भी उनके फैन हैं। कांग्रेस के युवराज राहुल चाहते थे कि रायसीना हिल्स पर प्रणव मुखर्जी के बजाए हामिद अंसारी ही काबिज हों। संभवतः यही दवाब था कि सोनिया गांधी ने त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ चर्चा के दौरान उन्हें दो नाम सुझाए थे, जिसमें हामिद भाई का नाम प्रणव मुखर्जी के उपर था। हामिद दुबारा चुने जाने के प्रति बेहद आश्वस्त ही नजर आ रहे हैं।

मराठा क्षत्रपों में पक रही खिचड़ी!
केंद्रीय मंत्री शरद पंवार और भाजपा के निजाम नितिन गड़करी के बीच इस दिनों अच्छी छन रही है। दोनों एक ही सूबे और व्यवसायिक पृष्ठभूमि होने के चलते काफी करीब भी बताए जाते हैं। पवार करीबी सूत्र कहते हैं कि यह सही वक्त है जब पंवार अपनी पुत्री सुप्रिया सुले को केंद्र में कैबनेट मंत्री बना सकते हैं। दरअसल, राहुल गांधी द्वारा बड़ी जिम्मेदारी लेने की बात के उपरांत ही पंवार ने अपने तेवर तल्ख करने के संकेत दे दिए थे। एसा करके वे कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि यही सही मौका है जब सारे नेता राहुल के साथ ही साथ अपनी आने वाली पीढ़ी को केंद्र में मंत्री बनाकर तार सकते हैं। सूत्रों की मानें तो समाजवादी क्षत्रप मुलायम सिंह यादव और शरद पंवार की दो गुपचुप मंत्रणाएं नितिन गड़करी के साथ हो चुकी हैं। पंवार, गड़करी और यादव के त्रिफला द्वारा इन संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है कि अगर सरकार को गिरा दिया जाता है तो क्या परिस्थितियां निर्मित होंगी। सूत्रों की मानें तो गड़करी ने पंवार और मुलायम को भरोसा दिलाया है कि अगर उन्होंने सरकार गिराई तो पीएम के लिए भाजपा और सहयोगी दल दोनों को बारी बारी से अपना समर्थन प्रदान कर देंगे।

बिना आईडेंडीफिकेशन चलता मोबाईल कारोबार
देश की मशहूर मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया के ग्राहकों की संख्या में तेजी से इजाफे से अन्य मोबाईल सेवा प्रदाता बुरी तरह चौंके हुए हैं। अन्य मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा इस बारे में शोध किया जा रहा है कि आखिर आईडिया कंपनी ने किस मार्केटिंग स्टटर्जी को अपनाया हुआ है। शोध पर ज्ञात हुआ कि आईडिया के अधिकारियों द्वारा जिला स्तर पर दिए गए नए मोबाईल कनेक्शन के भारी भरकम टारगेट को पूरा करने के लिए रिटेलर द्वारा साम, दाम, दण्ड और भेद की नीति अपनाई जा रही है। कहा जाता है कि टारगेट पूरा करने के लिए आईडिया के कारिंदे बिना वेरीफिकेशन के ही मोबाईल सिम बांट रहे हैं जो एक दो दिन में बंद हो जाती हैं। लुभावने आफर के चक्कर में उपभोक्ता आईडिया में उलझ रहे हैं और आईडिया फल फूल रहा है।

संसद भवन की परवाह किसी को नहीं
इधर सेना की सलामी गारद में शामिल 21 तोपें गरज रहीं थीं, वहां सीपीडब्लू डी के कर्मचारियों का दिल तेजी से धड़क रहा था। देश की सरकार कितनी मदमस्त है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की चेतावनियों को बलाए ताक पर रखकर देश के तेरहवें महामहिम राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के दौरान सामंती व्यवस्थाओं को अपनाते हुए संसद भवन की सुरक्षा को दरकिनार का इक्कीस तोपों की सलामी महामहिम राष्ट्रपति को दी गईं। सीपीडब्लूडी के सूत्रों का कहना है कि जैसे ही देश के तेरहवें महामहिम राष्ट्रपति को तोपों की सलामी की बात तय होने को आई वैसे ही सीपीडब्लूडी के अधिकारियों के हांथ पांव फूल गए और उन्होंने संसद भवन की सुरक्षा के मद्देनजर एसा करने से साफ मना कर दिया था। संसद भवन की स्थिति को देखकर विभाग ने लोकसभा सचिवालय से कहा था कि इमारत की स्थिति को देखते हुए तोपों की सलामी संसद भवन की जगह राष्ट्रपति भवन में दी जाए। किसी ने इसे नहीं माना और हो गया जश्न।

पुच्छल तारा
लंदन में ओलंपिक में जाने पर सुरेश कलमाड़ी को रोक दिया गया। वैसे भी कामन वेल्थ गेम्स में उन्होंने जो खेल दिखाया है वह चमत्कार से कम नहीं है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर से राजीव सक्सेना ने एक कार्टून के साथ लिखकर भेजा है कि कलमाड़ी मायूस थे कि उन्हें लंदन ओलंपिक में जाने नहीं दिया जा रहा है। इस पर उनके एक परिचित ने चुटकी लेकर कहा कि कलमाड़ी जी आप जिस तरह के खेल खेलते हैं वैसे खेल लंदन ओलंपिक में नहीं खेले जाते हैं। जाहिर है लंदन में भ्रष्टाचार इस स्तर पर तो नहीं ही होने की उम्मीद है जिस स्तर पर भारत में हुआ है।

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