25 अरब रूपए पड़े हैं बेकार
(महेंद्र देशमुख)
नई दिल्ली (साई)।
स्विस बैंकों में पडे काले धन को तो देश में वापस ला कर विकास कार्यों में लगाने
की मांग रोज उठती रहती है लेकिन देश के वित्तीय बैंकों में भी 24 अरब 81 करोड 39 लाख 70 हजार 461 रुपये लावारिस पडे
हुए हैं और उनका कोई लेनदार तक नहीं है।
सूचना का अधिकार
(आरटीआई) कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मांगी
गयी सूचना से यह जानकारी मिली है। इसके अनुसार 31 दिसंबर 2011 तक देश के वित्तीय
बैंकों में एक करोड 12 लाख 49 हजार 844 लावारिस खाते हैं
और उनमें 24,81,39,70,461.47 रुपयों का
कोई लेनदार नहीं है।
उधर, भारत ने फ्रांस में
भारतीयों की कुल 565 करोड़
रुपये की अघोषित आय का पता लगाया है। इतना ही नहीं, 181 करोड़ रुपये का
टैक्स वसूला भी जा चुका है। आयकर अधिकारियों ने फ्रांस में भारतीयों की ओर से
टैक्स चोरी 219 मामलों का
पता लगाया है। इससे लगता है कि दोहरा कराधान बचाव संधि के नतीजे सामने आने लगे
हैं।
भारत ने फ्रांस के
साथ दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) के सूचना के आदान-प्रदान के प्रावधान के तहत
भारतीयों के बैंक खातों के बारे में फ्रांस से सूचना मांगी थी। इस पर फ्रांस की ओर
से उपलब्ध कराई गई सूचना में उक्त अघोषित आय का खुलासा किया गया।
समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने
हाल ही में संसद की लोक लेखा समिति को बताया कि 219 मामलों में टैक्स
अधिकारियों ने कुल 565 करोड़
रुपये की अघोषित आय का पता लगाया और 181 करोड़ रुपये के टैक्स की वसूली पहले ही की
जा चुकी है। एनआरआई कराधान पर एक प्रस्तुति में सीबीडीटी ने कहा कि फील्ड
इंटेलिजेंस यूनिटों (एफआईयू) ने संदिग्ध लेनदेन के बारे में घरेलू सूचना के 30,765 दस्तावेज हासिल
किए गए।
इनकी संबंधित
एजेंसियां जांच कर रही हैं। छह नई दोहरा कराधान बचाव संधियों के साथ भारत ने दूसरे
देशों के साथ इस तरह के कुल 84 समझौते कर रखे हैं। भारत ने इस साल से 25 नए
क्षेत्राधिकारों के साथ टैक्स सूचनाओं का आदान-प्रदान शुरू किया है। इससे इन देशों
के साथ सूचनाएं मांगे जाने में खासी बढ़ोतरी हुई है।
इस संबंध में उठाये
गये कदमों के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में बताया गया कि बैंकिंग कानून
(संशोधन) विधेयक,
2011 को लोकसभा में पेश किया जा चुका है और इस संबंध में एक नई
धारा 26ए अभी
प्रस्तावित है। इस संबंध में बैंकों को कई तरह के निर्देश भी जारी किये गये हैं
जिनमें ऐसे खातों की वार्षिक समीक्षा करने के बाद खाताधारकों को इसे सक्रिय करने
या अपने नये खातों की जानकारी देने के लिए सूचना भेजना भी शामिल है, ताकि इस धन को उनके
नये खातों में हस्तांतरित किया जा सके।
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