मुनमुन फीवर के
आतंक से बुरी तरह ग्रसित कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार!
चुनाव नजदीक आते ही
खुलने लगी जुबानें,
कांग्रेस का लखनादौन में रूंध जाता है विरोध में गला!
(महेश रावलानी/पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)। जैसे
जैसे विधानसभा चुनाव करीब आता जा रहा है, वैसे वैसे कांग्रेस के अंदर एक अजीब सी घुटन
भरी सक्रियता देखने को मिलने लगी है। कल तक एक दूसरे से डरकर भीतराघात करने वाले
नेता अब प्रत्याशी चयन के पूर्व ही एक दूसरे के खिलाफ तलवार पजाते नजर आ रहे हैं।
भाजपा के नेता दूर से कांग्रेस के अंदर के इस गलाकाट स्पर्धा वाले खेल को देखकर
मजे ले रहे हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह के अवसान के उपरांत अब लग
रहा है मानो कांग्रेस को सन्निपात हो गया हो। कांग्रेस के नेता मई माह में हरवंश
सिंह के अवसान के उपरांत दिशा भ्रमित ही नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की संदेश यात्रा
से जहां महामंत्री रजनीश सिंह गायब रहे, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के अंदर केवलारी और
सिवनी विधानसभा में दिनेश राय उर्फ मुनमुन का फेक्टर आज भी प्रासंगिक नजर आ रहा
है।
वर्ष 2008 के उपरांत
सुस्सुप्तावस्था में पहुंच गई कांग्र्रेस अचानक ही कपड़े झटकारकर चुनाव के पहले खड़ी
दिखाई दे रही है। इन पांच सालों में कांग्रेस ने विरोध अवश्य किया है पर प्रदेश
सरकार की नीतियों का। कांग्रेस ने पता नहीं क्यों स्थानीय स्तर पर भाजपा विधायक
श्रीमती नीता पटेरिया, कमल मर्सकोले और शशि ठाकुर के विरोध से अपने आप को दूर ही
रखा। नगर कांग्रेस कमेटी सिवनी ने अवश्य ही अध्यक्ष इमरान पटेल के नेतृत्व में
अपने आप को बांधकर रखा और वह जिला मुख्यालय तक ही सीमित रही।
लाचार कठपुतली
कांग्रेस!
कांग्रेस के एक बड़े
नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान
कहा कि जिला कांग्रेस कमेटी लगभग दो दशकों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरवंश सिंह
ठाकुर के इशारों की कठपुतली बनकर रह गई थी। हरवंश सिंह के इशारे पर कांग्रेस के
सारे धरने प्रदर्शन,
विरोध आदि के कार्यक्रमों को अंजाम दिया जाता रहा है। जिला
कांग्रेस कमेटी ने तब भी सक्रियता नहीं दिखाई जब भाजपा के नगराध्यक्ष प्रेम तिवारी
द्वारा सीधे सीधे हरवंश सिंह पर बयानों के तीर छोड़े गए। जब भी हरवंश सिंह पर हमला
हुआ हर बार नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इमरान पटेल ने ही उसका मुंह तोड़ जवाब
सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया पर हमला करके दिया।
नहीं बन पाया
कांग्रेस भवन!
कांग्रेस संगठन का
सिवनी जिले में किस कदर बोलबाला है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि
सालों पहले जिला कांग्रेस कमेटी को आवंटित भूखण्ड पर हरवंश सिंह जैसे कद्दावर नेता
के नेतृत्व में एक अदद कांग्रेस भवन नहीं खड़ा किया जा सका। हरवंश सिंह के बारे में
कहा जाता था कि वे अगर चाहें तो समूचे प्रदेश के हर जिले में एक एक कांग्रेस भवन
की नींव रख सकते हैं। वस्तुतः हरवंश सिंह ने भी सिवनी में कांग्रेस की मजबूती के
प्रयास नहीं किए, वरना क्या
कारण है कि अस्सी के दशक तक कांग्रेस का गढ़ रहे सिवनी जिले में चार बार से
विधानसभा चुनावों में सिर्फ और सिर्फ केवलारी विधानसभा सीट पर ही कांग्रेस का परचम
लहराया जा रहा था। कहा तो यह भी जा रहा है कि हरवंश सिंह ने यह कभी नहीं चाहा कि
जिले में दो पावर सेंटर बनें। अगर सिवनी से दूसरा विधायक चुन लिया जाता तो शीर्ष
स्तर पर कोई न कोई बड़ा नेता उसे झेल लेता। इन परिस्थितियों में हरवंश सिंह की पूछ
परख कम होने की आशंका उन्हें सदा ही रहा करती थी।
विवादों से दूर
रहना चाहते हैं रजनीश
हरवंश सिंह की
सियासी विरासत को सहेजने वाले उनके पुत्र रजनीश सिंह ने अपने आपको केवल और केवल
केवलारी विधानसभा तक ही सीमित कर रखा है। वे केवलारी विधानसभा में दौरा अवश्य ही
कर रहे हैं पर उनके आचार विचार, व्यवहार और नाटकीयता से लोग उनसे जुड़ने के
बजाए हरवंश सिंह पर आस्था रखने वाले भी रजनीश सिंह से टूट रहे हैं। चुनाव के पहले
मीडिया को साधकर भले ही रजनीश सिंह अपने आपको केवलारी का स्थापित नेता बताने की
जुगत में लगे हों पर जमीनी सच्चाई इससे उलट ही है। केवलारी क्षेत्र का दौरा करने
पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दल के सामने जो बातें आईं हैं उनके अनुसार रजनीश
सिंह के पास मनी और मसल पावर की भले ही भरमार हो पर चुनावी हथकंडों से अभी भी वे
अपरिचित ही हैं। वहीं कांग्रेस के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार रजनीश सिंह भी
हरवंश सिंह की तरह ही अपनी सीट बचाने के चक्कर में कुछ ‘स्वार्थी नेताओं‘ की ब्लेक मेलिंग का
शिकार हो रहे हैं।
संदेश यात्रा या
प्रत्याशी चेहरा पहचानो यात्रा!
कांग्रेस की संदेश
यात्रा का आगाज प्रदेश के साथ ही साथ सिवनी में भी किया गया है। इस संदेश यात्रा
में सिवनी विधानसभा में लगभग हर गांव को नाप दिया है। संदेश यात्रा के गुजरने के
उपरांत जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की टीम ने उन गांवों का दौरा कर ग्रामीणों से
चर्चा की तो ज्ञात हुआ कि यह संदेश यात्रा के बजाए संभावित प्रत्याशी का चेहरा
पहचानो यात्रा अधिक नजर आई। सिवनी की इस संदेश यात्रा में वे ही चेहरे बार बार
सामने आए जो विधानसभा सिवनी के संभावित प्रत्याशी हो सकते हैं। ग्रामीणों का कहना
था कि पिछले पांच सालों से वे नारकीय पीड़ा भोग रहे हैं, पर कांग्रेस के
नेता पांच सालों तक या तो सोते रहे या फिर व्यापार व्यवसाय कर अपने लिए पैसा
जुटाते रहे। संदेश यात्रा में उमड़ी भीड़, जगह जगह हुए स्वागत को देखकर कांग्रेस के
स्थानीय क्षत्रप अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, पर गांव वालों का कहना है कि आखिर पांच बरस
बाद किस मुंह से ये नेता उनके दरवाजे आ रहे हैं। कांग्रेस के अंदर चल रही चर्चाओं
को अगर सच माना जाए तो इस संदेश यात्रा में अपना खुद का स्वागत करवाने के लिए हर
संभावित प्रत्याशी ने 2200 रूपए का योगदान दिया है।
हरवंश के उपरांत
घुटन भरी सक्रियता!
सिवनी में लगभग ढाई
दशकों तक कांग्रेस की चाबी अपने पास रखने वाले हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के बाद
कांग्रेस के नेताओं के चेहरे का नूर वापस लौटता दिख रहा है पर एक अजीब सी घुटन के
साथ। कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर भ्रमित हैं कि सिवनी में तो वे अपने आप को
कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत कर लेंगे, पर उपर के नेताओं को कैसे साधा जाएगा, क्योंकि कांग्रेस
की संस्कृति के अनुरूप जब तक ‘उपर वाला‘ प्रसन्न नहीं होगा
तब तक बेड़ा पार होने से रहा। कांग्रेस के स्थानीय क्षत्रप जिनके उपर माईबाप नहीं
हैं, वे एक
दूसरे की टांग खींचकर ही अपने आप को संतुष्ट करने में लगे हुए हैं।
उतरा नहीं है
मुनमुन फीवर!
कांग्रेस के अंदर
से अभी तक दिनेश राय मुनमुन का बुखार उतरा नहीं है। वर्ष 2008 के विधानसभा
चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत जप्त हुई थी। प्रसन्न
मालू संभवतः कांग्रेस के इकलौते प्रत्याशी रहे जिनकी जमानत विधानसभा में जप्त हुई
हो। उस दौरान हरवंश सिंह एण्ड कंपनी पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने ही प्रसन्न
मालू को धूल चटवाई है। हरवंश सिंह के कारिंदे तो सार्वजनिक स्थानों पर दिनेश राय
की गलबहियां डाले दिखते रहे। चुनाव के उपरांत जब बातें खुलीं तो पता चला कि हरवंश
सिंह ने ही अपने अनुयाईयों में से किसी को श्रीमती नीता पटेरिया तो किसी को दिनेश
राय का काम करने की बात कहकर प्रसन्न मालू का ‘काम डालने‘ के निर्देश दिए थे।
कांग्रेस संदेश
यात्रा में नेताओं की यह पीड़ा और डर भी साफ झलका। कांग्रेस के नेताओं ने साफ कहा
कि गांव गांव शराब बिक रही है। शराब माफिया सिवनी आकर शराब के पैसे से धार्मिक
आयोजनों में वाहवाही लूट रहे हैं। ‘चुन्नू मुन्नू‘ की बात कहकर
मोहम्मद असलम ने भी अपनी बात को वजनदारी के साथ रखा। दिनेश राय के एक समर्थक ने
नाम गुप्त रखने की शर्त पर यह तक कहा कि दिनेश राय कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि दिनेश राय उर्फ मुनमुन अगर शराब के पैसों से सिवनी में धार्मिक
आयोजनों का श्रेय लूट रहे हैं तो कांग्रेस के लोग क्या हाथों में दही जमाकर बैठे
हैं। अगर ऐसा है तो कांग्रेस के लोग दिनेश राय द्वारा अब तक दी गई राशि का ब्यौरा
सार्वजनिक करें और आयकर विभाग से इस बात को पूछें कि क्या दिनेश राय ने इतनी सारी
राशि जो बांटी है उसकी आय होना दर्शाया है! जाहिर है दिनेश राय की लोकप्रियता से
कांग्रेस घबरा रही है। कांग्रेस द्वारा दिनेश राय को भाजपा का एजेंट तक करार दिया
गया है।
लखनादौन में सूख
जाते हैं हलक!
कांग्रेस द्वारा
शराब व्यवसाई रहे,
लखनादौन मस्ज़िद के सरपरस्त, राय पेट्रोलियम के
संचालक और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश राय उर्फ मुनमुन को सिवनी की संदेश
यात्रा के दौरान जमकर कोसा गया। वहीं चर्चा है कि लखनादौन नगर पंचायत में दिनेश
राय के अध्यक्षयीय कार्यकाल एवं वर्तमान में उनकी माताजी श्रीमती सुधा राय के
कार्यकाल में बिना एग्रीमेंट ठेकेदार सड़क खोद देता है, कृषि उपज मण्डी की
जमीन पर बन जाती है सब्जी मण्डी, एनएच की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाया जा रहा
है कॉम्पलेक्स। इन सारी बातों के बाद भी आखिर क्या वजह है कि लखनादौन के मामले में
जिला कांग्रेस कमेटी और ब्लॉक कांग्रेस कमेटी लखनादौन मूक है। कहा तो यह भी जा रहा
है कि अगर कांग्रेस ने लखनादौन के मामले को उछाला तो दिनेश राय सिवनी और केवलारी
में कलार समाज के मतदाताओं को कांग्रेस से बहुत दूर लेकर चले जाएंगे।