बुधवार, 25 सितंबर 2013

प्रदूषण के मानकों को ताक पर रख दिया झाबुआ पावर ने

प्रदूषण के मानकों को ताक पर रख दिया झाबुआ पावर ने

निर्माण कार्य और कार्यकारी अवस्था में प्रदूषण के मामले में मौन है झाबुआ पावर

(ब्यूरो कार्यालय)

घंसौर (साई)। सफल और मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छटवीं अनूसूची में अधिसूचित आदिवासी तहसील घंसौर में डाले जा रहे 1260 मेगावाट (कागजों में 1200 मेगावाट) के पावर प्लांट में पर्यावरण के नियम कायदों मानकों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इसके बावजूद मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल का मौन आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
गौरतलब है कि 22 अगस्त 2009 को इस संयंत्र के प्रथम चरण के लिए 600 मेगावाट के पावर प्लांट की लोकसुनवाई में मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा जो कार्यकारी सारांश जमा किया गया था उसमें संयंत्र की लागत 2900 करोड़ रूपए एवं जमीन की आवश्यक्ता 600 हेक्टेयर दर्शाई गई थी। इस समय कार्यकारी सारांश की कंडिका क्रमांक आठ में कंपनी ने साफ किया था कि वह निर्माण कार्य के समय 181 करोड़ पचास लाख रूपए और कार्यकारी अवस्था में 9 करोड़ पांच लाख रूपए की राशि का प्रावधान पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम के लिए कर रही है।
इसके उपरांत इसके दूसरे चरण की लोकसुनवाई 22 नवंबर 2011 को संपन्न हुई। इस लोकसुनवाई के दूसरे दिन मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की आधिकारिक वेब साईट पर कंपनी का वही (22 अगस्त 2009 वाला) कार्यकारी सारांश डाल दिया गया। इसमें दूसरे चरण के लिए भी कंपनी को 600 हेक्टेयर जमीन की आवश्यक्ता दर्शाई गई है। इसमें भी कार्यकारी सारांश की कंडिका क्रमांक आठ में कंपनी ने साफ किया था कि वह निर्माण कार्य के समय 181 करोड़ पचास लाख रूपए और कार्यकारी अवस्था में 9 करोड़ पांच लाख रूपए की राशि का प्रावधान पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम के लिए कर रही है।
22 नवंबर 2011 को घंसौर के गोरखपुर में हुई लोकसुनवाई में प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी जबलपुर के समक्ष मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के महाप्रबंधक ए.एन.मिश्रा ने स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया था कि कंपनी अपने निर्माण के आरंभ से 22 नवंबर 2011 तक क्षेत्र में वृक्षारोपण करने में असफल रही। पीसीबी के अधिकारियों के समक्ष मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के प्रबंधन की स्वीकारोक्ति के बाद भी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के उपर शस्ति आरोपित न करना पीसीबी और कंपनी की मिली भगत की ओर साफ इशारा कर रही है।

तीन सौ रूपए में उपलब्ध है कैबिन!

तीन सौ रूपए में उपलब्ध है कैबिन!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। शहर के हृदय स्थल में अवस्थित एक हॉटल में महज तीन सौ रूपए में कैबिन सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है जो युवाओं के बीच चटखारेदार चर्चा का विषय बन चुकी है।
एक युवा ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर सामचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शहर के मध्य में स्थित चाय, स्नेक्स आदि की एक होटल में प्रथम तल पर दो कैबिन बने हुए हैं। ये कैबिन युवाओं को महज तीन सौ रूपए प्रतिघंटा में मुहैया हो रहे हैं।
उक्त युवा ने बताया कि कैबिन बंद कर खाने का आर्डर दिया जाए, फिर नाश्ते या चाय कॉफी के साथ अंदर एक घंटे तक, आप अपने लड़का या लड़की मित्र के साथ क्या कर रहे हैं इस बात से किसी को लेना देना नहीं होता है। एक घंटे बाद वेटर आकर दरवाजा खटखटाता है, और फिर एक घंटा और बैठना हो तो पुनः तीन सौ ढीले करने होते हैं।
उक्त युवा ने बताया कि एक घंटे तक शहर के हृदय स्थल के बाजार में, चहल पहल भरे क्षेत्र में, अगर किसी को तीन सौ रूपए में एक घंटे तक शांति के साथ अपने साथी की बाहों में बैठने का मौका मिल रहा हो, तो भला इसे कौन छोड़ना चाहेगा? प्रेमी युगलों में यह होटल आशियाना के नाम से मशहूर हो चुका है। हां, पुलिस का निगरानी तंत्र भी या खुफिया पुलिस भी इस होटल में हाथ डालने से कतराती है।

उक्त युवा की मानें तो इन दो कैबिन में प्रेमी युगलों द्वारा तनहाई में सारी हदें पार तक कर ली जाती हैं। अगर आपको कहीं लाज हॉटल का कमरा लेना हो तो वह कम से कम चार पांच सौ में मिलेगा और बदनामी का डर अलग से सताएगा। हां, यह तीन सौ रूपए महज सिटिंग चार्ज है, आप या आपका पुरूष महिला साथी जो भी खाएगा उसका भोगमान अलग से ही भोगना पड़ेगा।

मान गए भाजपाई, जाएंगी 125 बस भोपाल!

मान गए भाजपाई, जाएंगी 125 बस भोपाल!

प्रभारी मंत्री के हस्ताक्षेप के बाद हुई लखनादौन दरबार के खिलाफ पहली कार्यवाही

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लखनादौन मण्डल के कार्यकर्ता मान गए हैं अब वे भोपाल रैली में जाने की तैयारियों में जुट गए हैं। नाराज कार्यकर्ताओं की दो में से एक मांग मान ली गई है। इनकी दो मांगें थी जिसमें से पहली लखनादौन एसडीएम लता पाठक एवं नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी राधेश्याम चौधरी के स्थानांतरण शामिल था, में से लता पाठक को तत्काल प्रभाव से एसडीएम लखनादौन के स्थान पर एसडीएम सिवनी ग्रामीण बना दिया गया है।
लखनादौन नगर मण्डल के अध्यक्ष नरेश सेन ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से दूरभाष पर चर्चा के दौरान कहा कि लखनादौन में लता पाठक एसडीएम पदस्थ थीं। लता पाठक द्वारा जाने अनजाने लखनादौन के भाजपा कार्यकर्ताओं के सम्मान को कुचला जा रहा था। इसी से नाराज होकर गत दिवस प्रभारी मंत्री मंत्री नाना भाऊ के समक्ष कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी तल्ख नाराजगी जाहिर की थी। माना जा रहा था कि बुधवार को भोपाल में होने वाली रैली में लखनादौन भाजपा मण्डल के कार्यकर्ता शायद हिस्सा ना लें किन्तु कहा जा रहा है कि प्रभारी मंत्री के हस्ताक्षेप के उपरांत हुए एसडीएम लता पाठक के तबादले के बाद अब वे मान गए हैं और जाने की तैयारी में जुटे हैं।

कुचला जा रहा था सम्मान
लखनादौन में चल रही चर्चाओं के अनुसार लखनादौन में एक शराब के कारोबारी के इशारे पर पुलिस और प्रशासन द्वारा सत्तारू़ढ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं की बात ही नहीं सुनी जा रही थी। लखनादौन में भाजपा के कार्यकर्ता अपने आप को अपमानित ही महसूस कर रहे थे। बार बार संगठन में जिला स्तर पर और विधायक को अपनी पीड़ा बताने के बाद भी शराब व्यवसाई का आंतक बढ़ता ही जा रहा था।

बिठाया था सेन को थाने में
नरेश सेन ने बताया कि उन्होने 15 सितम्बर को एक निजी कार्यक्रम को नगर परिषद के कार्यक्रम में तब्दील करने और विज्ञापन में एक बाहरी व्यक्ति के फोटो को छापने पर आपत्ति करने सीएमओ के पास अपनी पार्षद पत्नि के साथ जाया गया था। वहां उक्त विज्ञापन में दर्शित बाहरी व्यक्ति द्वारा नरेश सेन के साथ अभ्रदता की थी। जब नरेश सेन अपनी पत्नि के साथ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंचे तो उनके आवेदन को लेने के उपरांत उन्हें वहां दो घंटे तक अकारण ही बिठाए रखा गया था। इस मामले में जिला संगठन भी कार्यवाही करने में अपने आप को बौना ही महसूस कर रहा था।

उड़ी सर्वोच्च न्यायायल के नियमों की धज्जियां
इसी बीच 15 सितम्बर को एक निजी कार्यक्रम में मंुंबई और नागपुर की बार बालाएं देर रात तक कूल्हे मटकाती रहीं। इस कार्यक्रमा का आगाज लगभग साढ़े नौ बजे किया गया था। इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायायल के दिशा निर्देश ही ध्यान में नहीं रखे गए। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा साफ तौर पर कहा गया है कि रात दस बजे के बाद तेज आवाज में डीजे नहीं बजाया जाए। बताया जाता है कि इस कार्यक्रम में एसडीएम लता पाठक एवं एसडीओपी दोनों ही मौजूद थे। इस कार्यक्रम के अगले दिन नगर परिषद को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नरेश सेन का कहना है कि अगर मौके पर एसडीएम लता पाठक मौजूद थीं तो उन्होंने उस समय ही कार्यक्रम को क्यों नहीं रोका?

भाजपा कार्यालय में बिखराया सामान!
इसके उपरांत भाजपा के लखनादौन मण्डल कार्यालय का निर्माण भी नियमानुसार ही करवाया जाना बताया जा रहा है। इस निर्माण कार्य के बारे में नगर परिषद द्वारा आधे घंटे के अंतराल से दो नाटिस जारी किए गए थे। नोटिस का जवाब देने का समय दिए बिना ही नगर परिषद द्वारा बर्बरता पूर्वक वहां लगी लेंटर्न की सैंटरिंग आदि बिखरा दी गईं और कुछ सामान भी अपने साथ ले जाया गया, जिससे लगने लगा था मानो लखनादौन भारत गणराज्य का अंग नहीं बचा है, और लखनादौन में एक शराब व्यवसाई के कहने पर सत्तारूढ़ भाजपा के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

कृषि उपज मण्डी की जमीन पर हुआ कब्जा!
इसी तरह बताया जाता है कि नगर परिषद द्वारा कृषि उपज मण्डी की जमीन पर बलात कब्जा कर उस पर सब्जी मण्डी का न केवल निर्माण करवा दिया गया है, वरन उसका उद्यघाटन भी करवा दिया गया है। लाख टके का सवाल तो यह है कि अगर यह जमीन कृषि उपज मण्डी की है तो मण्डी के उपयंत्री, सहायक यंत्री, कार्यपालन यंत्री आदि क्या खर्राटे मारते रहे! उनकी जवाबदेही क्या निर्धारित नहीं होनी चाहिए?

सड़क निर्माण में की ठेकेदार की मदद
इसी तरह लखनादौन शहर के अंदर बन रहे मुख्य मार्ग में दमोह जिले के तहसील मुख्यालय हटा के एक ठेकेदार जिसने इस काम को लिया है को लाभ पहुंचाने के लिए नगर परिषद ने ठेकेदार के साथ सांठ गांठ कर बिना एग्रीमेंट और परफार्मेंस गारंटी के जमा करवाए ही सड़क खोदने का काम करने दिया गया। यह काम एसडीएम के निवास के सामने धड़ल्ले से चलता रहा। बताया जाता है कि एसडीएम लखनादौन द्वारा इसकी जांच भी नहीं की गई है।

एनएच की जमीन में खड़े करने लगे कालम!
बताया जाता है कि इसी तरह एनएच की जमीन पर बारिश एवं अन्य पानी की निकासी के लिए नगर परिषद द्वारा नाली निर्माण की अनुमति ली जाकर उस पर कालम खड़े किए जाने लगे थे। कहा जा रहा है कि यहां व्यवसायिक काम्पलेक्स खड़ा करवाया जा रहा था नगर परिषद द्वारा।

पहली जीत की बधाई!
भाजपा नगर मण्डलाध्यक्ष नरेश सेन ने कहा कि यह लखनादौन मण्डल के भाजपा कार्यकर्ताओं की पहली जीत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीएमओ के मामले में जल्द ही गुड न्यूजमिल सकती है। उन्होंने इसके लिए प्रभारी मंत्री नाना भाऊ, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर, स्थानीय विधायक शशि ठाकुर का आभार जताया है। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि वे समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया और हिन्द गजट के भी आभारी हैं, जिन्होंने बहुत ही बेबाकी के साथ इस मामले को न केवल सिवनी वरन देश भर में चर्चित कर दिया है। नरेश सेन ने साई न्यूज और हिन्द गजट की मुखर कलम का आभार व्यक्त किया है।

रवाना होंगे भोपाल

सिवनी जिले से भोपाल रैली में शामिल होने के लिए लगभग 125 यात्री बसों का जत्था रवाना होने वाला है। देर रात तक जिले भर से यात्री बसों में भाजपा के कार्यकर्ता भोपाल रवाना होते रहे। कुछ नेताओं ने ऑफ द रिकार्ड चर्चा के दौरान बताया कि बसों की व्यवस्था तो कर दी गई है। आज रात का खाना कार्यकर्ता घर से खाकर बैठेगा। कल सुबह की चाय की व्यवस्था कार्यकर्ता अपने अपने स्तर पर ही करेगा और दिन का भोजन कार्यक्रम स्थल पर ही है। कल रात का खाना भी कार्यकर्ताओं द्वारा अपने स्तर पर ही खाया जाकर सिवनी वापस आ जाया जाएगा।

भरत यादव का आभार

भरत यादव का आभार

(शरद खरे)

सिवनी में पहली बार डेंगू की आहट वाकई दुःखद है। अब तक सिवनी के निवासियों ने डेंगू के नाम को मीडिया में ही देखा और पढ़ा था कि किस तरह डेंगू का डंक देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के निवासियों को हलाकान किए हुए रहता था। पूरे साल विशेषकर दीपावली के उपरांत से लेकर होली तक डेंगू का दंश दिल्ली वासी झेलते रहते थे। दिल्ली में कमोबेश रोजाना ही सैकड़ों डेंगू के मरीजों के भर्ती होने तथा एक दो चार की मौत की खबरें आम हुआ करती थीं। इस साल भी गत दिवस तक डेंगू प्रभावितों की तादाद दिल्ली में एक हजार के उपर जा पहुंची है। दिल्ली में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली सरकार के हाथ पैर बारिश के उपरांत डेंगू के कारण फूल जाना स्वाभाविक ही है।
सिवनी में भी इस बार डेंगू के दंश से लोग बुरी तरह प्रभावित ही नजर आ रहे हैं। डेंगू ने लोगों को जिस कदर डरा रखा है वह वाकई चिंता का विषय है। सिवनी में मच्छर जनित रोगों के लिए जिम्मेदार मच्छरों के लिए बहुत ही उपजाऊ माहौल बना हुआ है। सिवनी का प्रशासन पड़ोसी जिले मण्डला में डेंगू की भयावहता से भी नहीं चेता, जो निंदनीय है। जिला कलेक्टर बार बार डेंगू और मच्छर जनित रोगों से निपटने के लिए उपाय करने हेतु कड़े निर्देशजारी करते रहे हैं, विडम्बना ही कही जाएगी कि उच्च स्तरीय राजनैतिक पकड़ वाले मोटी चमड़ी वाले प्रदेश शासन के अधिकारी कर्मचारियों पर भी संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के कड़े निर्देशकुछ असर नहीं डाल सके हैं।
जिला मुख्यालय में सबसे पहले विवेकानंद फिर शहीद वार्ड में डेंगू ने दस्तक दी। शनैःशनैः डेंगू का प्रकोप सारे जिले में पहुंच गया। ऐसा नहीं कि एक ही दिन में डेंगू का प्रकोप फैला हो। डेंगू का दंश दो तीन माहों में ही तेज हुआ है। जिला कलेक्टर के निर्देश पता नहीं क्यों संबंधित विभाग के आला अधिकारी हवा में उड़ाने पर ही आमादा नजर आते हैं। यह सही है कि जिला कलेक्टर के पास समूचे जिले पर नजर रखने का काम होता है अतः वे निर्देश देने के बाद उन निर्देशों पर अमल हो रहा है अथवा नहीं इस बारे में ध्यान रख पाएं यह संभव प्रतीत नहीं होता है।
जिला कलेक्टर के अधीन अतिरिक्त कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, एसडीएम आदि होते हैं जिनका काम टीम भावना के रूप में काम करके कलेक्टर के दिशा निर्देशों का पालन सुनिश्चित करवाना होता है। साथ ही साथ जिला कलेक्टोरेट में हर विभाग का एक प्रभारी अधिकारी (ओआईसी) होता है। यह प्रभारी अधिकारी डिप्टी कलेक्टर स्तर का होता है। जिला कलेक्टर के निर्देशों का पालन सुनिश्चित हो यह काम ऑफीसर इंचार्ज डिप्टी कलेक्टर का भी होता है। विडम्बना ही कही जाएगी कि स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी अगर झींगा मस्ती में समय काट रहे हैं तो ओआईसी डिप्टी कलेक्टर्स भी उनकी बेसुरी थाप पर ही अपनी आसनी पर आनंद के साथ आंखें बंद किए हुए नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रहे हैं। वरना क्या कारण है कि जिला कलेक्टर के बार बार कड़े निर्देशदेने के बाद भी अब तक डेंगू के लार्वा और मरीज मिलने का सिलसिला थम नहीं सका है। क्या कारण है कि गत दिवस संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव को एक बार फिर से दुबारा कड़े निर्देशजारी करने पड़े। इसके लिए सिवनी की जनता कलेक्टर के प्रति आभारी ही होगी।
जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय का काम मच्छर जनित रोगों की रोकथाम का है। मच्छरों पर नियंत्रण करने का काम भी उनके ही विभाग का है। इस पद पर पेशे से चिकित्सक और सिवनी विधायक श्रीमती नीता पटेरिया के पति डॉ.एच.पी.पटेरिया पदस्थ हैं। श्रीमती पटेरिया अभी भी सिवनी विधायक हैं। क्या उन्होंने कभी जिला कलेक्टर से मिलकर जिला मुख्यालय में डेंगू के लार्वा और मरीज मिलने की बात पर चर्चा की? क्या कभी उन्होंने सिवनी विधानसभा में ही जाकर डेंगू या मलेरिया के मरीजों की सुध ली? जाहिर है नहीं, अगर वे ऐसा करतीं तो उन्हें अपने ही स्वामीके खिलाफ आवाज बुलंद करनी होती।
हो सकता है श्रीमती नीता पटेरिया इस बार विधानसभा चुनावों की टिकिट की दौड़ में खरगोश और कछुआकी कहानी के एक पात्र के मानिंद कच्छप गति से चलने वाले युवा नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के दामन पर स्याह छींटे डालना चाह रही हों कि यह काम नगर पालिका परिषद् का है इस काम में भला वे क्यों दिलचस्पी लें! पर श्रीमती नीता पटेरिया को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिला मुख्यालय के मतदाताओं ने भी उन्हें विधायक बनने के लिए मिले जनादेश में बड़ी भूमिका निभाई है।
वहीं दूसरी ओर लखनादौन विधायक श्रीमती शशि ठाकुर के पति डॉ.वाय.एस.ठाकुर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी हैं। वे चाहते तो डीएमओ डॉ.पटेरिया की मश्कें खींच सकते थे। हो सकता है वे यह सोचकर खामोश हो जाते हों कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो कहीं लोग यह न समझें कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। वैसे भी सीएमओ के ईयर मार्कआवास पर डॉ.पटेरिया ने कब्जा जमाया हुआ है। डॉ.ठाकुर एक अन्य आवास में रहने पर मजबूर हैं, पहले से ही वे खून का घूंट पी रहे होंगे, अब और लानत मलानत तथा राजनैतिक विद्वेष शायद वे न चाहते हों।
जो भी हो, जो भी सियासी समीकरण हों, पर भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर क्या धृतराष्ट्र की भूमिका में आ चुके हैं, कि एक ओर तो सिवनी में डेंगू मलेरिया के मसले में वे पार्टी कार्यकर्ताओं (चाहे वे विधायक हों) के रिश्तेदारों की ढील पर मौन हैं वहीं दूसरी ओर लखनादौन में भाजपा का निर्माणाधीन आशियाना उजाड़ने और मण्डल अध्यक्ष को थाने में बिठाकर कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने पर भी खामोशी अख्तियार किए हुए हैं। कुल मिलाकर सत्ता के मद में चूर भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों और नेताओं को इस बात से लेना देना नहीं रह गया है कि वे रियाया के सुख चैन का ख्याल रखें, आजाद मुल्क में रियाया कम से कम बुनियादी सुविधाएं पाने की हकदार तो है।