शनिवार, 9 जून 2012

सरकारी बंग्ले को सचिन की गुगली

सचिन और कांग्रेस के बीच खटास!

सरकारी बंग्ले को सचिन की गुगली

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। पहली बार किसी क्रिकेट स्टार को राज्य सभा सदस्य बनाए जाने वाले इक्कीसवीं सदी के क्रिकेट के कथित भगवान सचिन तेंदुलकर ने कांग्रेस के सामने एक गुगली गेंद फेंककर संकट पैदा कर दिया है। नई दिल्ली में बतौर सांसद मिलने वाले सेवन स्टार बंग्ले को नकारकर सचिन ने मनमोहन सिंह के सरकारी दमाद मंत्रियों और सांसदों की फिजूलखर्ची के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया है। कांग्रेस के ट्रबल शूटर्स अब सचिन की इस गुगली का जवाब ढूंढने में लग गए हैं।
ज्ञातव्य है कि कला के क्षेत्र की हस्तियों को सरकार की सलाह पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा के लिए नामित किया जाकर संसद सदस्य बनाया जाता है। इस बार जब इक्कीसवीं सदी के क्रिकेट के कथित भगवान सचिन तेंदुलकर को इसके लिए नामित किया गया तब काफी शोर शराबा हुआ था। इसके बाद सियासी फिजां में यह बात भी तैर गई थी कि शर्मीले सचिन द्वारा राज्य सभा में सभापति से बंद कमरे में शपथ लेने का आग्रह किया था।
माना जा रहा था कि बढ़ती मंहगाई, घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस द्वारा जया बच्चन की मौजूदगी में गुजरे जमाने की सिने तारिका रेखा को राज्य सभा में भेजा था। इसके साथ ही साथ सचिन तेंदुलकर को भी राज्य सभा में नामित किया जाना कांग्रेस की रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा था।
सचिन तेंदुलकर को राहुल गांधी के सामने वाला एक सेवन स्टार बंग्ला ऑफर किया गया था। अमूमन पहली बार चुने गए सांसदों के लिए रायसीना हिल्स के पास स्थित नार्थ या साउथ ब्लाक के सांसद आवास ही आवंटित किए जाते हैं। सांसदों की सीनियारिटी के हिसाब से उन्हें बंग्ले आवंटित होते हैं। पहली बार संसद पहुंचे सचिन को सेवन स्टार बंग्ला मिलना अपने आप में एक अजूबा ही माना जा रहा था, वैसे पहली बार चुने गए राहुल गांधी को भी अपेक्षाकृत काफी बड़ा बंग्ला आवंटित किया गया था।
कहा जा रहा है कि जबसे खरबपति दौलतमंद सचिन तेंदुलकर राज्य सभा के लिए नामित हुए हैं तबसे उनके प्रशंसकों की तादाद में तेजी से कमी दर्ज की गई है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि सचिन तेंदुलकर के ट्वीटर पर भी प्रशंसक तेजी से कम हो गए हैं। इसके पीछे लोगों की कांग्रेस से त्रस्त होने की बात कही जा रही है। सचिन के शुभचिंतकों ने उनको संभवतः यह बात बता दी है कि कांग्रेस की नकारात्मक छवि का प्रभाव उनकी छवि पर पड़ रहा है।
हाल ही में एक निजी समाचार न्यूज चेनल को दिए साक्षात्कार में सचिन की बेबाक बोली से कांग्रेस के साथ उनके रिश्तों में जमती बर्फ साफ दिखाई देने लगी है। सचिन ने बतौर सांसद दिल्ली में मिलने वाले सरकारी बंगला लेने से इनकार कर दिया है। सचिन ने कहा कि यह जनता के पैसे की बर्बादी होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वह अपने खर्चे पर होटेल में रहना पसंद करेंगे।
तेंडुलकर ने एक न्यूज चौनल से कहा, कि वे किसी सरकारी बंगले में नहीं रहना चाहते। उन्होंने कहा कि वे कुछ दिन के लिए ही दिल्ली में रहूंगे, और उन्हें लगता है कि सरकारी बंग्ले का आवंटन सरकारी पैसे की बर्बादी होगी। इससे अच्छा होगा कि यह बंगला उसे दिया जाए जिसे मुझसे ज्यादा जरूरत है। सोमवार को राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने वाले सचिन ने कहा कि वह जब भी दिल्ली में होंगे तो होटल में रहेंगे।
सचिन के इस बेबाक कथन से दिल्ली में सियासी फिजां एक बार फिर गर्मा गई है। एक तरफ तो केंद्र सरकार के मंत्री और सांसदों को भारी भरकम वेतन सुविधाओं के साथ ही साथ सारी चीजें मुहैया करवाई जाती हैं, फिर भी किसी ना किसी मामले में सांसदों या मंत्रियों के फंसने की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा सचिन को नामित करवाने के बाद सचिन ने कांग्रेस के प्रबंधकों को आईना दिखा दिया है।
कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि मूलतः पत्रकार पेशे वाले एक कांग्रेस के नेता ने सचिन को सब्जबाग दिखाकर राज्य सभा के लिए नामित होने के लिए राजी किया था, पर जब सचिन को राज्य सभा सदस्य बनने के बाद प्रतिकूल परिस्थितियों और प्रतिक्रयाओं से दो चार होना पड़ा तो उन्होंने कांग्रेस से पर्याप्त दूरी बनाने का फैसला कर लिया है। माना जा रहा है कि सचिन और कांग्रेस के संबंधों में खटास आ गई है।
उधर, संसद सत्र के दरम्यान क्रिकेट का सीजन होने पर सचिन क्या संसद को समय दे पाएंगे? की अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने यह अवश्य ही कह दिया कि वे सदन के लिए समय अवश्य ही निकालेंगे, पर जिस तरह उन्होंने सरकारी बंग्ले के ऑफर को विनम्रता से अस्वीकार कर दिया है उससे यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि सचिन शायद ही अपने पहले प्यार यानी क्रिकेट से ज्यादा तवज्जो देश की सबसे बड़ी पंचायत को दे पाएं।

मनरेगा के साथ सांसद निधि का कन्वर्जेंस

मनरेगा के साथ सांसद निधि का कन्वर्जेंस
 
(संतोष पारदसानी)

भोपाल (साई)। मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग श्री गोपाल भार्गव ने बताया है कि भारत सरकार ने मनरेगा और सांसद निधि के अभिसरण से विकासात्मक कार्यों को करने की मंजूरी दी है। अब जिलों द्वारा मनरेगा में विकासात्मक कार्यों के लिए तैयार होने वाले प्रस्तावों में सांसदों की अनुमति से सांसद निधि का उपयोग किया जा सकेगा। अधिनियम के मुताबिक मशीने और ठेकेदारी प्रथा पूर्ववत प्रतिबंधित रहेगी।
मनरेगा में सांसद निधि के अभिसरण से होने वाले कार्यों के प्रस्तावों को ग्राम-सभा में अनुमोदित करवाया जाएगा। कार्य की कुल लागत में सांसद निधि की कम से कम 25 प्रतिशत राशि उपयोग की जाएगी। इन कार्यों में सांसद निधि एवं मनरेगा निधि के पृथक-पृथक मस्टर-रोल संधारित किए जाएँगे। साथ ही कार्य-स्थल पर लगने वाले सूचना-पटल पर पृथक-पृथक विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। यह कार्य ग्राम-पंचायतों में स्थाई परि-सम्पत्तियों के निर्माण को दृष्टिगत रखते हुए किए जाएँगे।
अभिसरण से किए जाने वाले इन कार्यों में सामग्री पर होने वाले कुल व्यय पर मनरेगा की राशि का तीन चौथाई हिस्सा ही व्यय किया जा सकेगा। शेष राशि राज्य सरकार को व्यय करनी होगी। सांसद निधि से सामग्री पर कोई राशि व्यय नहीं की जा सकेगी। क्षेत्रीय सांसद की अनुशंसा पर किया जाने वाला कार्य ग्राम-सभा द्वारा स्वीकृत किया जाएगा और उसे निरस्त नहीं किया जा सकेगा।
सांसद निधि और मनरेगा के अभिसरण से होने वाले कार्य मनरेगा की वार्षिक कार्य-योजना के हिस्सा होंगे। इन कार्यों को कार्यक्रम समन्वयक द्वारा क्षेत्रीय सांसद की अनुशंसा पर मनरेगा प्रोजेक्ट में सम्मिलित किया जाकर जिला-पंचायत द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा कार्यों के लिए क्रियान्वित एजेंसियों को आवश्यक सहायता मुहैया करवाई जाएगी।

प्रदेश में करीब आठ लाख स्वाइल हेल्थ कार्ड पत्रक वितरित

प्रदेश में करीब आठ लाख स्वाइल हेल्थ कार्ड पत्रक वितरित
 
(वी;दीप्ति)

भोपाल (साई)। किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा मध्यप्रदेश के सभी किसानों के खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवाने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में अप्रैल 2009 से अब तक लगभग 7 लाख 90 हजार से अधिक मृदा स्वास्थ्य पत्रक (स्वाइल हेल्थ कार्ड) जारी किये जा चुके हैं। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में लगभग एक करोड़ पत्रक जारी किये जाना प्रस्तावित है।

मिट्टी परीक्षण, खेत की मिट्टी में उपलब्ध पौध पोषक तत्वों की मात्रा को जानने और फसलों से समुचित उत्पादन लेने के लिये जरूरी तत्वों की गणना करने के लिये एक आसान और विश्वसनीय तरीका है। प्रदेश में मिट्टी के नमूनों के शीघ्र विश्लेषण के लिये 53 प्रयोगशाला का उपयोग किया जा रहा है। इनमें 24 कृषि विभागीय प्रयोगशाला के अतिरिक्त राज्य कृषि विपणन बोर्ड की 24 मण्डियों में स्थापित प्रयोगशालाओं तथा कृषि विश्वविद्यालयों की 25 प्रयोगशालाओं के माध्यम से मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया जा रहा है।
प्रदेश में कृषि जोतों की संख्या लगभग एक करोड़ है। इतने बड़े स्तर पर मिट्टी परीक्षण करने के लिये निजी संस्थाओं से पीपीपी मोड में नमूनों के एकत्रीकरण से लेकर विश्लेषण तथा सॉफ्टवेयर के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य पत्रक तैयार करने में सहायता ली जायेगी। इसके लिये जल्दी ही किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग विभिन्न संस्थाओं से एमओयू करने जा रहा है। परीक्षण के बाद मिट्टी संबंधी अनुशंसाओं को किसानों के उपयोग के लिये विभागीय वेबसाइट पर अपलोड किया जायेगा।
सामान्य रूप से मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में तीन प्रमुख तत्व-नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश का विश्लेषण किया जाता है। प्रदेश की 24 प्रयोगशाला में नवीन एटोमिक एब्जार्शन स्पेक्ट्रोमीटर लगाये जाने के बाद सूक्ष्म पोषक तत्वों का विश्लेषण भी आसान हो चुका है। इसलिये विभाग द्वारा प्रत्येक विकासखण्ड से कम से कम 100 नमूनों का परीक्षण करवाने के निर्देश दिये हैं।
अभी तक वितरित किये गये कुल 7 लाख 90 हजार 215 स्वाइल हेल्थ कार्ड में से सर्वाधिक 46 हजार 204 जिला सीहोर में, 38 हजार 643 जिला इंदौर में, 35 हजार 146 जिला धार और 32 हजार 813 कार्ड जिला सागर में बाँटे गये हैं।
इसके अलावा जबलपुर जिले में 20 हजार 804, कटनी में 10 हजार 759, बालाघाट में 9, 719, सिवनी में 15 हजार 953, छिन्दवाड़ा में 29 हजार 699, मण्डला में 3,729, नरसिंहपुर में 23 हजार, सागर में 34 हजार 93, दमोह में 16 हजार 557, छतरपुर में 23 हजार 747, पन्ना में 10 हजार 237, टीकमगढ़ में 18 हजार 423, रीवा में 27 हजार 971, सतना में 14 हजार 752, सीधी में 2,722, सिंगरौली में 3,092, शहडोल में 5,093, अनूपपुर में 4,763, डिण्डोरी में 6,019, उमरिया में 4,587, इंदौर जिले में 38 हजार 643, झाबुआ में 25 हजार 345, धार में 36 हजार, खण्डवा में 23 हजार 404, खरगोन में 21 हजार 85, अलीराजपुर में 12 हजार 434, बड़वानी में 7,889, बुरहानपुर में 13 हजार 386, उज्जैन में 10 हजार 245, रतलाम में 15 हजार 616, देवास में 16 हजार 63 और शाजापुर जिले में 15 हजार 529 मृदा स्वास्थ्य पत्रक वितरित किये गये हैं। साथ ही मंदसौर जिले में 20 हजार, नीमच में 10 हजार 861, ग्वालियर में 19 हजार 642, शिवपुरी में 6,120, गुना में 8,720, दतिया में 4,839, अशोकनगर में 5,047, मुरैना में 14 हजार 710, श्योपुर में 9,950, भिण्ड में 10 हजार 777, भोपाल में 9,268, सीहोर में 46 हजार 204, विदिशा में 12 हजार 406, रायसेन में 13 हजार 941, राजगढ़ में 7,829, होशंगाबाद में 28 हजार 438, हरदा में 14 हजार 500 और बैतूल जिले में 26 हजार 159 स्वाईल हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं।

ऑन-लाइन प्रवेश प्रक्रिया में आंशिक संशोधन

ऑन-लाइन प्रवेश प्रक्रिया में आंशिक संशोधन

(नन्‍द किशोर)

भोपाल (साई)। स्नातक प्रथम सेमेस्टर कक्षाओं में ऑन-लाइन प्रवेश के लिए पंजीयन एवं सत्यापन प्रक्रिया में आंशिक संशोधन किया गया है। अब 10 जुलाई तक पंजीयन एवं सत्यापन करवाने वाले आवेदक भी प्रवेश प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे। प्रथम चरण एवं द्वितीय चरण की सीट आवंटन प्रक्रिया यथावत रहेगी।
अब 11 से 30 जून तक नवीन पंजीकृत एवं दस्तावेजों का सत्यापन करवाने वाले तथा तृतीय चरण के लिए विकल्प प्रस्तुत करने वाले पूर्व पंजीकृत आवेदकों को सम्मिलित करते हुए तृतीय और चतुर्थ चरण में गुणानुक्रम के अनुसार प्रवेश आवंटन जारी किए जाएंगे। तृतीय चरण में सीट आवंटन 4 से 7 जुलाई और चतुर्थ चरण में सीट आवंटन 10-11 जुलाई को होगा। इसी अवधि में शुल्क भी जमा करना होगा। अंतिम में महाविद्यालय स्तर पर पंजीकृत आवेदकों के प्रवेश के लिए 12 जुलाई को कांउसलिंग होगी। इसमें 10 जुलाई तक पंजीकृत एवं दस्तावेजों का सत्यापन करवाना तथा पूर्व चरणों में प्रवेश प्राप्त नहीं करने वाले विद्यार्थियों को उपलब्ध रिक्त स्थानों पर गुणानुक्रम प्रवेश दिए जायेंगे। इसके लिए सीट आवंटन 13 एवं 14 जुलाई को होगा।

पीएमओ ने दिया अण्‍णा को जवाब

पीएमओ ने दिया अण्‍णा को जवाब

(प्रियंका श्रीवास्‍तव)

नई दिल्‍ली (साई)। केंद्र सरकार ने टीम अन्ना को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और 14 कैबिनेट मंत्रियों पर लगाए गए करप्शन के आरोपों पर कड़ा जवाब दिया है। मनमोहन सिंह पर कोयला घोटाले के आरोपों को पीएमओ ने बेबुनियाद और मनगढ़ंत करार दिया है। कैबिनेट मंत्रियों पर लगाए गए करप्शन के आरोपों को भी मनमाना बताते हुए एसआईटी जांच की मांग को खारिज कर दिया गया है। इतना ही नहीं, पीएमओ में राज्य मंत्री नारायण सामी ने यहां तक कह दिया कि अन्ना हजारे देश विरोधी तत्वों से घिरे हैं।

शनिवार को प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ) ने टीम अन्ना को एक कड़ा जवाबी पत्र लिखा। पीएमओ के राज्य मंत्री नारायणसामी की अन्ना हजारे को लिखी इस चिट्ठी में कोयला आवंटन को लेकर लगाए गए आरोपों पर अफसोस जताया गया है। चिट्ठी में लिखा गया है कि इस तरह के मनमाने आरोप मंजूर नहीं किए जाएंगे। करप्शन रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सीबीआई, ईडी और सीएजी ठीक तरह से काम कर रहे हैं। टीम अन्ना से कहा गया है कि अगर वह कोयला आवंटन का पूरा ब्यौरा जानना चाहते हैं तो यह मंत्रालय की बेवसाइट पर मौजूद है।

विदेशी ताकतों के हाथों खेल रहे अण्‍णा : सामी

विदेशी ताकतों के हाथों खेल रहे अण्‍णा : सामी

(रितु सक्‍सेना)
 
चेन्‍नई (साई)। टीम अन्ना पर जोरदार हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री वी नारायणसामी ने आरोप लगाया कि अन्ना हजारे ''राष्ट्र विरोधी तत्वों'' से घिरे हुए हैं और उन तत्वों को ''विदेशी ताकतों'' का समर्थन प्राप्त है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री नारायणसामी ने चेन्नै हवाई अड्डे पर कहा, 'अन्ना शालीन व्यक्ति हैं लेकिन वह राष्ट्र विरोधी तत्वों और ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जिन्हें विदेशी ताकतों का समर्थन है।' उन्होंने टीम अन्ना के सदस्यों अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी की आलोचना करते हुए सवाल किया कि 'पिछले साल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान एकत्र विशाल राशि का क्या हुआ।'

नारायणसामी ने कहा कि बेदी खुद भी यात्रा किराए को लेकर आरोपों का सामना कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ऐसे ''स्वयंभू'' नेता सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं
जिनका कोई जनाधार नहीं है और उन लोगों ने कभी चुनावों का सामना नहीं किया है। नारायणसामी ने कहा कि सरकार काले धन को वापस लाने के लिए हर कदम उठा रही है और
इस पर हाल ही में श्वेत पत्र जारी किया है।

यूका का रासायनिक कचरा जर्मनी में नष्ट होगा

यूका का रासायनिक कचरा जर्मनी में नष्ट होगा

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। यूनियन कार्बाइड का रासायनिक कचरा जर्मनी मंे नष्ट किया जायेगा। यह निर्णय आज यहॉं भोपाल गैस त्रासदी पर गठित मंत्री समूह की बैठक में लिया गया। केन्द्रीय गृह मंत्री श्री पी. चिदम्बरम् की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में मंत्री समूह के सदस्य केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री कमलनाथ, कानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल और पर्यटन मंत्री कुमारी शैलजा सहित मध्यप्रदेश के भोपाल गैस त्रासदी, राहत एवं पुनर्वास मंत्री श्री बाबूलाल गौर, राज्य सरकार के प्रमुख सचिव गैस राहत एवं पुनर्वास श्री प्रवीर कृष्ण एवं आयुक्त श्री एम.के. वार्ष्णेय और केन्द्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
    बैठक में मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने जीआईजेड जर्मन कम्पनी द्वारा प्रस्तुत रासायनिक कचरे के निष्पादन प्रस्ताव को रखा, जिसे चर्चा के उपरान्त स्वीकार कर लिया गया। यूका के 340 मीट्रिक टन रासायनिक कचने के निष्पादन में लगभग 25 करोड़ की राशि व्यय होगी, जो केन्द्र सरकार देगी। कचरे के निष्पादन कार्य को एक साल के अंदर पूर्ण कर लिया जायेगा। मंत्री समूह ने मध्यप्रदेश सरकार को लगभग दो सप्ताह में इस संबंध पर करारनामा तैयार करने को कहा है जिसमें विस्तार से जर्मन कम्पनी द्वारा रासायनिक कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया और इससे जुड़ी सभी पहलुओं को शामिल किया जायेगा। राज्य सरकार करारनामे को मंत्री समूह के समक्ष रखेगी और उसकी सहमति के बाद जर्मन कम्पनी से करार करेगी।
    रासायनिक कचरे की निष्पादन प्रक्रिया के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की भी मांग बैठक में रखी। मंत्री समूह ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया।

घर दुरूस्त करने में लगे हैं युवराज


घर दुरूस्त करने में लगे हैं युवराज

संसदीय क्षेत्र के हाल जान रहे हैं राहुल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश में औंधे मुंह गिरने के बाद कांग्रेस की सुध लेने की याद अंततः कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को आ ही गई है। जिस तरह बारिश के पूर्व गांव में किसान अपने घर को दुरूस्त करता है ठीक उसी तर्ज पर कांग्रेस की नजर में अघोषित पीएम इन वेटिंग राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी को ठीक करना आरंभ किया है।
कांग्रेस के नए सत्ता और शक्ति के केंद्र 12, तुगलक लेन (राहुल गांधी को बतौर सांसद आवंटित सरकारी आवास, अमूमन नए सांसदों को नार्थ या साउथ ब्लाक में आवास मिलता है) के सूत्र बताते हैं कि राहुल इन दिनों अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी और उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार संसदीय क्षेत्र से आए लोगों से राय शुमारी के उपरांत राहुल ने कड़े और अप्रिय फैसले लेने का मन बनया है। इसी कड़ी में सालों साल से नेहरू गांधी परिवार के विश्वस्त रहे अमेठी के कांग्रेसी नेता किशोरी लाल शर्मा को राहुल ने बर्खास्त करने के आदेश दे डाले। किशारी लाल पिछले दो दशकों से नेहरू गांधी परिवार के लिए अमेठी की कमान संभाले हुए थे।
अब राहुल के सामने शर्मा के स्थान पर किसे बिठाया जाए यह समस्या आ गई है। राहुल की किचिन कैबनेट के प्रमुख समझे जाने वाले कनिष्क सिंह ने राजस्थान राज्य सेवा के अधिकारियों के नामों की लाबिंग की खबरें भी आ रही हैं। कहा जा रहा है कि राजस्थान पीसीएस अधिकारी धीरज श्रीवास्तव और मान सिंह में से किसी एक को शर्मा के स्थान पर अमेठी की कमान सौंपी जा सकती है।
इन दोनों के साथ ही साथ इसके लिए मोहन प्रकाश और चंद्रकान्त झा के नामों की चर्चाएं भी चल रही हैं। मोहन प्रकाश और चन्द्रकान्त झा दोनों ही पिछले कुछ सालों से राहुल के दुलारे रहे हैं पर इनके विरोधियों ने राहुल के कान इस कदर भरे कि आज दोनों ही इस कदर मजबूर हो गए हैं कि राहुल से मुलाकात दरस परस के लिए भी तरस रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो अमेठी को दुरूस्त करने के बाद राहुल अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली की सुध लेने वाले हैं। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों ही संसदीय क्षेत्रों के बारे में राहुल की बहन श्रीमति प्रियंका वढ़ेरा इस काम में राहुल की पर्दे के पीछे से मदद कर रही हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की हार के बाद राहुल और सोनिया पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश सूबे में ही कांग्रेस की नाक नहीं बचा पाई तो वे देश भर में कांग्रेस का परचम लहराने का दावा कैसे कर सकते हैं। कांग्रेस के अंदर भी सोनिया राहुल के खिलाफ अब असंतोष धीरे धीरे खदबदाता नजर आने लगा है।

अहलूवालिया भयाक्रांत हैं मणि से!


अहलूवालिया भयाक्रांत हैं मणि से!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। राजीव गांधी के सपनों को साकार करने के लिए कथित तौर पर कटिबद्ध पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर काफी समय से हैरान परेशान ही नजर आ रहे हैं। वे इस समय जयराम रमेश, किशोर चंद देव और मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बीच फुटबाल बने हुए हैं। देश में पंचायत राज की दुर्दशा से चिंतित मणिशंकर अय्यर चाहते हैं कि इसके लिए आयोग का गठन किया जाए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व पंचायती राज मंत्री मणिशंकर अय्यर पिछले दिनों वर्तमान ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के दरबार में हाजिरी लगाने गए। वहां मणिशंकर अय्यर ने रमेश से कहा कि देश में पंचायती राज की हालत अच्छी नहीं कही जा सकती है साथ ही साथ राजीव गांधी के पंचायती राज के सपने को साकार करने के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
बताते हैं कि चतुर सुजान जयराम रमेश ने बेहद शिष्टता के साथ मणिशंकर अय्यर का रूख किशोर चंद्र देव की ओर करते हुए कहा कि यह मामला पंचायती राज का है और इसके लिए वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह ने किशारे चंद्र जी को पाबंद किया हुआ है। फिर क्या था मणिशंकर अय्यर ने सीधे देव के कार्यालय की ओर रूख कर दिया।
जयराम रमेश के एक करीबी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि जैसे ही मणिशंकर अय्यर ने वहां से रूखसती डाली वैसे ही रमेश ने देव को फोन कर गुरू मंत्र दे डाला। मणिशंकर अय्यर और देव की मुलाकात के बाद निर्धारित रणनीति के तहत मणिशंकर अय्यर को योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के दरवाजे भेज दिया गया।
कहा जाता है कि उसी शाम मणिशंकर अय्यर और मांेटेक सिंह की भेंट के बाद अहलूवालिया ने जयराम रमेश को फोन कर उनसे जाने अनजाने हुए अपराधों के लिए क्षमा मांगी। हत्प्रभ रमेश ने इसका कारण पूछा तब अहलूवालिया ने बताया कि किस तरह मणिशंकर अय्यर पहले जयराम फिर देव के रास्ते उन तक पहुंचे हैं।
मणि के आग्रहों से अहलूवालिया इस कदर भयजदा थे कि उन्होंने रमेश को कहा कि उन्होंने रमेश का क्या बिगाड़ा है जो मणि को उनके पीछे लगा दिया है। उन्होंने कहा कि रमेश चाहे जो काम उनसे करवा लें पर मणि को उनके पीछे से हटा लें। मणि शंकर अय्यर से घबराए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की चर्चाएं आजकल जोरों पर हैं। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ग्रामीण स्वच्छता के लिए जयराम रमेश द्वारा अरबों रूपयों की स्वीकृति योजना आयोग से करवा लेना इसी का हिस्सा माना जा रहा है।