सचिन और कांग्रेस के बीच खटास!
सरकारी बंग्ले को सचिन की गुगली
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। पहली बार किसी क्रिकेट स्टार को राज्य सभा सदस्य बनाए जाने वाले इक्कीसवीं सदी के क्रिकेट के कथित भगवान सचिन तेंदुलकर ने कांग्रेस के सामने एक गुगली गेंद फेंककर संकट पैदा कर दिया है। नई दिल्ली में बतौर सांसद मिलने वाले सेवन स्टार बंग्ले को नकारकर सचिन ने मनमोहन सिंह के सरकारी दमाद मंत्रियों और सांसदों की फिजूलखर्ची के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया है। कांग्रेस के ट्रबल शूटर्स अब सचिन की इस गुगली का जवाब ढूंढने में लग गए हैं।
ज्ञातव्य है कि कला के क्षेत्र की हस्तियों को सरकार की सलाह पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा के लिए नामित किया जाकर संसद सदस्य बनाया जाता है। इस बार जब इक्कीसवीं सदी के क्रिकेट के कथित भगवान सचिन तेंदुलकर को इसके लिए नामित किया गया तब काफी शोर शराबा हुआ था। इसके बाद सियासी फिजां में यह बात भी तैर गई थी कि शर्मीले सचिन द्वारा राज्य सभा में सभापति से बंद कमरे में शपथ लेने का आग्रह किया था।
माना जा रहा था कि बढ़ती मंहगाई, घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार से लोगों का ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस द्वारा जया बच्चन की मौजूदगी में गुजरे जमाने की सिने तारिका रेखा को राज्य सभा में भेजा था। इसके साथ ही साथ सचिन तेंदुलकर को भी राज्य सभा में नामित किया जाना कांग्रेस की रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा था।
सचिन तेंदुलकर को राहुल गांधी के सामने वाला एक सेवन स्टार बंग्ला ऑफर किया गया था। अमूमन पहली बार चुने गए सांसदों के लिए रायसीना हिल्स के पास स्थित नार्थ या साउथ ब्लाक के सांसद आवास ही आवंटित किए जाते हैं। सांसदों की सीनियारिटी के हिसाब से उन्हें बंग्ले आवंटित होते हैं। पहली बार संसद पहुंचे सचिन को सेवन स्टार बंग्ला मिलना अपने आप में एक अजूबा ही माना जा रहा था, वैसे पहली बार चुने गए राहुल गांधी को भी अपेक्षाकृत काफी बड़ा बंग्ला आवंटित किया गया था।
कहा जा रहा है कि जबसे खरबपति दौलतमंद सचिन तेंदुलकर राज्य सभा के लिए नामित हुए हैं तबसे उनके प्रशंसकों की तादाद में तेजी से कमी दर्ज की गई है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि सचिन तेंदुलकर के ट्वीटर पर भी प्रशंसक तेजी से कम हो गए हैं। इसके पीछे लोगों की कांग्रेस से त्रस्त होने की बात कही जा रही है। सचिन के शुभचिंतकों ने उनको संभवतः यह बात बता दी है कि कांग्रेस की नकारात्मक छवि का प्रभाव उनकी छवि पर पड़ रहा है।
हाल ही में एक निजी समाचार न्यूज चेनल को दिए साक्षात्कार में सचिन की बेबाक बोली से कांग्रेस के साथ उनके रिश्तों में जमती बर्फ साफ दिखाई देने लगी है। सचिन ने बतौर सांसद दिल्ली में मिलने वाले सरकारी बंगला लेने से इनकार कर दिया है। सचिन ने कहा कि यह जनता के पैसे की बर्बादी होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वह अपने खर्चे पर होटेल में रहना पसंद करेंगे।
तेंडुलकर ने एक न्यूज चौनल से कहा, कि वे किसी सरकारी बंगले में नहीं रहना चाहते। उन्होंने कहा कि वे कुछ दिन के लिए ही दिल्ली में रहूंगे, और उन्हें लगता है कि सरकारी बंग्ले का आवंटन सरकारी पैसे की बर्बादी होगी। इससे अच्छा होगा कि यह बंगला उसे दिया जाए जिसे मुझसे ज्यादा जरूरत है। सोमवार को राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने वाले सचिन ने कहा कि वह जब भी दिल्ली में होंगे तो होटल में रहेंगे।
सचिन के इस बेबाक कथन से दिल्ली में सियासी फिजां एक बार फिर गर्मा गई है। एक तरफ तो केंद्र सरकार के मंत्री और सांसदों को भारी भरकम वेतन सुविधाओं के साथ ही साथ सारी चीजें मुहैया करवाई जाती हैं, फिर भी किसी ना किसी मामले में सांसदों या मंत्रियों के फंसने की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा सचिन को नामित करवाने के बाद सचिन ने कांग्रेस के प्रबंधकों को आईना दिखा दिया है।
कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि मूलतः पत्रकार पेशे वाले एक कांग्रेस के नेता ने सचिन को सब्जबाग दिखाकर राज्य सभा के लिए नामित होने के लिए राजी किया था, पर जब सचिन को राज्य सभा सदस्य बनने के बाद प्रतिकूल परिस्थितियों और प्रतिक्रयाओं से दो चार होना पड़ा तो उन्होंने कांग्रेस से पर्याप्त दूरी बनाने का फैसला कर लिया है। माना जा रहा है कि सचिन और कांग्रेस के संबंधों में खटास आ गई है।
उधर, संसद सत्र के दरम्यान क्रिकेट का सीजन होने पर सचिन क्या संसद को समय दे पाएंगे? की अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने यह अवश्य ही कह दिया कि वे सदन के लिए समय अवश्य ही निकालेंगे, पर जिस तरह उन्होंने सरकारी बंग्ले के ऑफर को विनम्रता से अस्वीकार कर दिया है उससे यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि सचिन शायद ही अपने पहले प्यार यानी क्रिकेट से ज्यादा तवज्जो देश की सबसे बड़ी पंचायत को दे पाएं।
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