हृदय प्रदेश शिव के राज में खुलते प्रगति के नए दरवाजे
(लिमटी खरे)
अपने अंदर अकूत प्राकृतिक संपदा को समेटने वाले भारत गणराज्य के हृदय प्रदेश में प्रगति के दरवाजे खोलने में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। 22 और 23 अक्टूबर को चंदेलकालीन बेहतरीन नायाब कलाकारी के नमूनों को अपने दामन में समेटने वाले मध्य प्रदेश के खजुराहो में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेटर्स समिट टू से प्रदेश प्रगति के नए आयामों को छू सकेगा इस बात में संदेह नहीं किया जा सकता है। मध्य प्रदेश की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। मध्य प्रदेश में अनेक हाथ रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश में लोग पारंपरिक व्यवसाय से हटने लगे हैं, इन परिस्थितियों में औद्योगिक क्रांति का आगाज सूबे में खुशहाली की दस्तक दे सकता है, बशर्ते इसके निष्पादन, क्रियान्वयन में पूरी पूरी ईमानदारी बरती जाए। मध्य प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए चलाए गए विशेष अभियान के चलते प्रदेश में औद्योगिक परिदृश्य के बदलने की संभावनाओं से इकार नहीं किया जा सकता है। आज आवश्यक्ता इस बात की है कि सब तरह से परिपूर्ण मध्य प्रदेश में इंवेस्टर्स को सारे संसाधन मुहैया करवाए जाएं एवं इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि उद्योगपतियो, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और निवेशकों द्वारा प्रदेश का दोहन अवश्य किया जाए पर प्रदेश के लोगों को इसका वांछित लाभ अवश्य ही मिल सके। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट टू की विशेषता यह उभरी है कि इसमें पहली बार केंद्रीय मंत्रियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है। शिवराज सरकार द्वारा दी जा रही छूट और अनुकूल वातावरण के चलते निवेशक मध्य प्रदेश की ओर आकर्षित हुए बिना नहीं हैं। राज्य में निवेश करवाने से राज्य की माली हालत दुरूस्त होने के साथ ही साथ लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर मुहैया होंगे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, किन्तु शिवराज सिंह चौहान को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि राज्य में निवेश करने के पूर्व सुरक्षा इंतजामात को सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
(लिमटी खरे)
अपने अंदर अकूत प्राकृतिक संपदा को समेटने वाले भारत गणराज्य के हृदय प्रदेश में प्रगति के दरवाजे खोलने में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। 22 और 23 अक्टूबर को चंदेलकालीन बेहतरीन नायाब कलाकारी के नमूनों को अपने दामन में समेटने वाले मध्य प्रदेश के खजुराहो में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेटर्स समिट टू से प्रदेश प्रगति के नए आयामों को छू सकेगा इस बात में संदेह नहीं किया जा सकता है। मध्य प्रदेश की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। मध्य प्रदेश में अनेक हाथ रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश में लोग पारंपरिक व्यवसाय से हटने लगे हैं, इन परिस्थितियों में औद्योगिक क्रांति का आगाज सूबे में खुशहाली की दस्तक दे सकता है, बशर्ते इसके निष्पादन, क्रियान्वयन में पूरी पूरी ईमानदारी बरती जाए। मध्य प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए चलाए गए विशेष अभियान के चलते प्रदेश में औद्योगिक परिदृश्य के बदलने की संभावनाओं से इकार नहीं किया जा सकता है। आज आवश्यक्ता इस बात की है कि सब तरह से परिपूर्ण मध्य प्रदेश में इंवेस्टर्स को सारे संसाधन मुहैया करवाए जाएं एवं इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि उद्योगपतियो, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और निवेशकों द्वारा प्रदेश का दोहन अवश्य किया जाए पर प्रदेश के लोगों को इसका वांछित लाभ अवश्य ही मिल सके। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट टू की विशेषता यह उभरी है कि इसमें पहली बार केंद्रीय मंत्रियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है। शिवराज सरकार द्वारा दी जा रही छूट और अनुकूल वातावरण के चलते निवेशक मध्य प्रदेश की ओर आकर्षित हुए बिना नहीं हैं। राज्य में निवेश करवाने से राज्य की माली हालत दुरूस्त होने के साथ ही साथ लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर मुहैया होंगे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, किन्तु शिवराज सिंह चौहान को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि राज्य में निवेश करने के पूर्व सुरक्षा इंतजामात को सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
समाज शास्त्र में औद्योगीकरण और नगरीकरण को एक दूसरे का पूरक ही माना जाता है। जहां उद्योग स्थापित होंगे वहां आबादी या बसाहट तेजी से होगी इस बात को माना और सिद्ध किया गया है। भारत गणराज्य की राजनैतिक राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में आबादी के तेजी से बढ़ने का कारण इन दोनों ही स्थानों के उपनगरीय क्षेत्रों में उद्योगी का तेजी से बढ़ना ही प्रमुख तौर पर माना जा सकता है। जहां उद्योग स्थापित होंगे वहां इनमें काम करने वाले कामगारो की बस्ती बन ही जाती है। देश का औद्योगिक विकास बेतरतीब होने के कारण हर महानगर में झोपड़ पट्टियां मखमल पर टाट का पेबंद ही नजर आती हैं। जिसका जहां मन आया वहां उद्योग स्थापित कर दिया, सरकारों द्वारा भी उपलब्ध प्राकृतिक एवं अन्य संसाधनों को तो औद्योगिक घरानों को मुहैया करवा दिया जाता है, किन्तु जब बसाहट की बात आती है तो इस मामले मंे सरकारें मौन ही साधे रखती हैं।
मध्य प्रदेश में निजी पूंजी निवेश के लिए शिवराज सरकार द्वारा की गई पहल निश्चित तौर पर तारीफे काबिल कही जा सकती है। निवेशकों, औद्योगिक घरानों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए उपजाऊ माहौल तैयार करना सूबे के शासक का प्रथम दायित्व होता है। शिवराज सिंह चौहान द्वारा पिछले सालों में इस असंभव काम को संभव कर दिखाया है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में संपन्न हुए इंवेस्टर्स समिट में अरबों खरबों रूपए के एमओयू हस्ताक्षरित किए गए हैं।
अब तक खजुराहो में 15 और 16 जनवरी 2007 को हुए इन्वेस्टर्स समिट मं 39 हजार करोड़ रूपए, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में 26 और 27 अक्टूबर 2007 को संपन्न हुए ग्लोबल मीट मे 1 लाख 20 हजार पांच सौ इकतालीस करोड़ रूपए, 15 और 16 फरवरी 2008 को मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में संपन्न इन्वेस्टर्स मीट में 59 हजार 129 करोड़ रूपए, 11 अप्रेल 2008 को सागर की इंवेस्टर्स मीट में 30 हजार 698 करोड़ रूपए, ग्वालियर में 29 और 30 जुलाई 2008 को संपन्न मीट में 88 हजार 18 करोड़ रूपए, उर्जा के क्षेत्र में संपन्न एमओयू में एक लाख तीन हजार पांच सौ तिरानवे करोड़ रूपए के अलावा अन्य एमओयू को अगर मिलाया जाए तो अब तक मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा चार करोड़ 71 हजार पांच सौ चौसठ करोड़ रूपयों का निवेश किया गया है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि इनमें से 1596 करोड़ रूपए की 13 परियोजनाओं में उत्पादन भी प्रारंभ कर दिया गया है, जो शिवराज सरकार की एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। इसके अलावा 54 हजार 717 करोड़ रूपयों की लागत वाली 23 महात्वाकांक्षी परियोजनाओं का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
दूसरी ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट में शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा प्रदेश में औद्योगिक निवेश की दृष्टि से देश और विदेश के लगभग पांच सौ निवेशकों को न्योता भेजा है। 15 और 16 जनवरी 2007 के उपरांत खजुराहो में दूसरी बार इसका आयोजन किया जाना दर्शाता है कि पिछली मर्तबा यह सफल रहा है, तभी इसमें इतनी अधिक तादाद में निवेशकों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है। पिछली समस्त इंवेस्टर्स मीट और ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की सफलता से यह साबित होने लगा है कि देश और विदेश के निवेशकों के लिए निवेश हेतु देश का हृदय प्रदेश पहली पसंद बनकर उभर रहा है।
सरकारी सूत्रों का दावा है कि खजुराहो में इस आयोजन में सूबे की सरकार द्वारा इसमें भाग लेने वाले निवेशकों को निवेश की स्थिति में राज्य सरकार की भागीदारी के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। इस समिट में राज्य सरकार द्वारा निवेश पर सहूलियतें, करों में राहत, सुविधाएं, आवागमन के साधन, कच्चे माल की उपलब्धता आदि के साथ ही साथ विभिन्न महकमों की उद्योग नीतियों को बारीकी से समझाकर निवेशकों को रिझाने का प्रयास किया जाएगा।
इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश सरकार की उद्योग नीति और प्रदेश में उद्योगों की स्थापना पर शासन स्तर पर दी जाने वाली छूट, सहूलियतों आदि के बारे में सविस्तार समझाया जाएगा। अमूमन कोई भी उद्योगपति कहीं भी उद्योग स्थापित करने मंे शासन स्तर पर बहुत ही अधिक कठिनाई का अनुभव करता है। यह कठिनाई उसके समक्ष इसलिए आती है, क्योंकि निवेशक को संबंधित राज्य की नीतियों के बारे में जानकारी विस्तार से नहीं मिल पाती है।
मध्य प्रदेश के विकास के लिए कृत संकल्पित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की माली हालत सुधारने और राज्य में रोजगार के बेहतर अवसर मुहैया करवाने की गरज से औद्योगिक नीति को काफी हद तक लचीला बना दिया है। हलांकि मध्य प्रदेश की नई उद्योग नीति को अभी मंत्रीमण्डल की स्वीकृति मिलना बाकी है, फिर भी माना जा रहा है कि जनहितैषी इंडस्ट्री फ्रेंडली इस नई नीति को मंत्री परिषद की स्वीकृति बिना किसी रोक टोक के मिल जाएगी।
विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश सरकार का प्रतिनिधिमण्डल अनेक देशों की यात्रा पर भी गया। उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले साल तीन से ग्यारह नवंबर तक जापान, अस्टेªलिया और सिंगापुर की यात्रा कर निवेशकों को आकर्षित करने का प्रयास किया। इसके आलवा सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान द्वारा 13 से 23 जून तक दस दिवसीय यात्रा पर टोकियो, ब्रिस्बेन, सिडनी और सिंगापुर की यात्रा कर औद्योगिक घरानों को मध्य प्रदेश में निवेश हेतु आमंत्रित किया। सूबे के प्रतिनिधिमण्डल ने यूरोपीय देशों पर अपना खासा ध्यान केंद्रित किया है।
कहा जा रहा है कि एमपी गर्वंमेंट की नीति के अनुसार इन देशों की यात्रा करने पर प्रतिनिधिमण्डल द्वारा तकनीकि सहयोग और व्यापारिक भागीदारी के मामले में मध्य प्रदेश सरकार का रूख स्पष्ट किया। इसके अलावा संरक्षित खेती, तकनीकि विज्ञान, इंजीनियरिंग, आज के युग की सबसे अधिक डिमांड वाली फैशन डिजाईनिंग, रिन्यूएबल एनर्जी, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, उर्जा, पावर प्लांट, टेक्सटाईल्स टूरिज्म, इंफरमेशन तकनालाजी, मिनरल्स, रियल इस्टेट, हाउसिंग, शिक्षा, हेल्थ केयान, आधारभूत अधोसंरचना, आदि के क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की संभावनाओं के बारे में तैयार खांका प्रदर्शित किया है।
खजुराहो मंे आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट सेकंड की सबसे बड़ी विशेषता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दलगत भावना से उपर उठकर मध्य प्रदेश के विकास के मार्ग प्रशस्त किए हैं। यह पहला मौका होगा जबकि किसी सूबे में आयोजित इस तरह के कार्यक्रम में किसी दूसरे दल की केंद्र सरकार के मंत्री शिरकत करेंगे इस समारोह में मध्य प्रदेश कोटे से केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ, सर्वजनिक उपक्रम और भारी उद्योग राज्य मंत्री अरूण यादव, के अलावा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनन्द शर्मा और खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री सुबोध कांत सहाय को आमंत्रित किया गया है, ताकि निवेशकों के समक्ष केंद्र और राज्य के बेहतर समन्यव के साथ ही साथ निवेशकों की अनेक जिज्ञासाओं को शांत किया जा सके।
बताते हैं कि खजुराहो में 22 और 23 अक्टूबर को आयोजित होने वाले इस विशाल आयोजन के लिए मलेशिया, नीदरलेण्ड, ताईवान, ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, फिनलेण्ड, आस्ट्रिया सहित लगभग आधा सैकड़ा से अधिक देशों के निवेशकों के भाग लेने की सहमति राज्य सरकार को मिल चुकी है। इसके अलावा देश के बड़े, मझौले और छोटे औद्योगिक घरानों के दो दर्जन से भी ज्यादा प्रतिनिधियों ने भी अपनी सहमति इस आयोजन में उपस्थित होने प्रदान की जा चुकी है।
इस आयोजन में उद्योगपतियों, औद्योगिक घरानों के सदस्यों और निवेशकों को मध्य प्रदेश से भली भांति परिचित कराने वीडियो प्रजेंटेशन भी रखा गया है। वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा मध्य प्रदेश की भौगोलिक, राजनैतिक और अन्य परिस्थितियों के साथ ही साथ सामरिक महत्व के स्थानों के बारे में भी सविस्तार बताया जाएगा। वीडियो प्रजेंटेशन के माध्यम से निवेशक खजुराहो में बैठे बैठे ही निवेश करने के लिए अनुकूल एवं उपयुक्त स्थान के बारे में सब कुछ जान सकेंगे।
सच्चे और साफ मन से किए जाने वाले इस आयोजन की सफलता पर कहीं से कहीं तक किसी भी प्रकार के प्रश्न चिन्ह की संभावना नहीं है, किन्तु शिवराज सरकार को निवेश के साथ ही साथ अनेकानेक सावधानियों को भी अपने जेहन में रखना बहुत ही आवश्यक है। सावधानिया बरतना इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि मध्य प्रदेश के भाल पर छब्बीस साल पूर्व भोपाल गैस कांड के रूप में विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी का बदनुमा दाग आज भी बरकारार है, जिसमें कुंवर अर्जुन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार आज तक कटघरे से बरी नही हो सकी है। राज्य की आर्थिक सेहत को चुस्त दुरूस्त और समृद्ध करना एवं अपनी रियाया को रोजगार मुहैया कराना निश्चित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री का पहला दायित्व है, किन्तु इस सबमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलू सुरक्षा का है, सुरक्षा चाहे संयंत्र की हो या फिर राज्य की आंतरिक, हर पहलू पर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार को विचार करना अत्यावश्यक ही है।